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सार्वजनिक ऋण यानि पब्लिक डेट क्या होता है? किसी देश के विकास से इसका क्या संबंध?

केंद्र सरकार ने सार्वजनिक ऋण को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा है. सार्वजनिक ऋण को भारत की संचित निधि के विरुद्ध अनुबंधित ऋण के रूप में परिभाषित किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 266 (2) के तहत भारत की संचित निधि के बाहर प्राप्त अन्य सभी निधियां इसमें शामिल हैं.

देश की सरकार द्वारा ली गई उधार की कुल राशि को सार्वजनिक ऋण या Public Debt कहते हैं. सार्वजनिक ऋण का भुगतान किसी भी देश के संचित निधि से किया जाता है. आसान शब्दों में समझें तो, किसी भी देश की सरकार अपने विकास कार्यों को पूरा करने के लिए विदेश या देश में मौजूद वित्तीय प्रदाताओं से जो उधार लेती है, उसे सार्वजनिक ऋण कहा जाता है.

केंद्र सरकार ने सार्वजनिक ऋण को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा है. सार्वजनिक ऋण को भारत की संचित निधि के विरुद्ध अनुबंधित ऋण के रूप में परिभाषित किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 266 (2) के तहत भारत की संचित निधि के बाहर प्राप्त अन्य सभी निधियां इसमें शामिल हैं. इसके अलावा दूसरे प्रकार की देनदारियों को सार्वजनिक खाता कहा जाता है.

पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने अपने द्वारा लिए गए ऋणों में विदेशी ऋणों पर निर्भरता को कम करने के लिए एक रणनीति का पालन किया है, जिसके तहत वर्तमान में देश का आंतरिक ऋण समग्र सार्वजनिक ऋण के कुल हिस्से का 93% से अधिक है. बाहरी ऋण बाजार से लिया गया ऋण नहीं होता है. इसे संस्थागत देनदारों से रियायती दरों पर सरकार द्वारा उठाया गया है. इनमें से अधिकांश बाहरी रेट निश्चित दर के रेट हैं, जो ब्याज दर या मुद्रा की अस्थिरता से मुक्त है.

भारतीय रिजर्व बैंक के 1934 के अधिनियम के अनुसार, रिजर्व बैंक केंद्र सरकार के लिए बैंक और सार्वजनिक ऋण प्रबंधक दोनों है. RBI सरकार की ओर से सभी धन, प्रेषण, विदेशी मुद्रा और बैंकिंग लेनदेन को संभालता है. साथ ही केंद्र सरकार आरबीआई के पास अपना नकद भी जमा करती है. हाल में सार्वजनिक ऋण के प्रबंधन के लिए एक एजेंसी बनाने की मांग उठी है. नीति आयोग ने भी अलग सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एजेंसी के बनाने की वकालत की है.

सार्वजनिक ऋण केंद्र सरकार द्वारा देय धन है, जबकि निजी ऋण में निजी कंपनियों, कॉर्पोरेट क्षेत्र और व्यक्तियों जैसे कि गृह ऋण, ऑटो ऋण, व्यक्तिगत ऋण द्वारा लिए गए सभी ऋण शामिल हैं.

टाटा ग्रुप के 4 छुपे रुस्तम स्टॉक जो निवेशकों को कर रहा मालामाल, पोर्टफोलियो में कर सकते हैं शामिल!

Multibagger Stock: पिछले दो साल में, वैश्विक अर्थव्यवस्था के महामारी की चपेट में आने के बावजूद भारत में बड़ी संख्या में शेयरों ने मल्टीबैगर शेयरों की लिस्ट (multibagger stock list) में प्रवेश.

टाटा ग्रुप के 4 छुपे रुस्तम स्टॉक जो निवेशकों को कर रहा मालामाल, पोर्टफोलियो में कर सकते हैं शामिल!

Multibagger Stock: पिछले दो साल में, वैश्विक अर्थव्यवस्था के महामारी की चपेट में आने के बावजूद भारत में बड़ी संख्या में शेयरों ने मल्टीबैगर शेयरों की लिस्ट (multibagger stock list) में प्रवेश किया। ऐसे में शेयर बाजार से कमाई के लिए निवेशकों शेयर बाज़ार के प्रकार दिलचस्पी भी बढ़ी है। अगर आप भी शेयर बाजार (Share market) से कमाई करने की सोच रहे हैं और आप मल्‍टीबैगर स्टॉक की तलाश में हैं तो आपके लिए यह खबर काम की हो सकती है।

आज हम आपको टाटा ग्रुप के टॉप-5 छुपे रुस्तम स्टॉक के शेयर बाज़ार के प्रकार बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने एक साल में शानदार रिटर्न (Multibagger Return) देकर निवेशकों को मामामाल कर दिया। छुपे रुस्तम (Hidden stock) इसलिए क्योंकि ये वो कंपनियां हैं, जो बहुत ज्यादा पॉपुलर नहीं है जिनके बारे में कम लोग ही जानते होंगे, लेकिन रिटर्न देने (Stock return) के मामले में ये जबरदस्त है।

1. ऑटोमोटिव स्टैम्पिंग और असेंबली (Automotive Stampings & Assemblie)
पिछले एक साल में टाटा समूह का यह कम-पॉपुलर स्टॉक 1,500% से अधिक बढ़ गया है। एक साल पहले 22 जनवरी 2021 को ऑटोमोटिव स्टैम्पिंग और असेंबली का शेयर ₹35.95 पर बंद हुआ था, जबकि 21 जनवरी 2022 इसकी क्लोजिंग 614.10 पर हुई है। इस दौरान इस स्टॉक ने 1,561.98% का रिटर्न दिया है। अगर किसी निवेशक ने एक साल पहले इस कंपनी पर भरोसा जताया होता और ₹1 लाख का निवेश किया होता तो उसका 1 लाख आज ₹17 लाख से ज्यादा होता।

क्या करती है कंपनी?: ऑटो सहायक फर्म मुख्य रूप से टाटा मोटर्स के लिए शीट-मेटल स्टैम्पिंग, वेल्डेड असेंबली और पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल्स के लिए मॉड्यूल बनाती है। इसके अलावा,यह कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को जनरल मोटर्स इंडिया, फिएट इंडिया, पियाजियो वाहन, अशोक लीलैंड, जेसीबी, Tata Hitachi और एमजी मोटर्स जैसी शीर्ष ऑटोमोबाइल कंपनियों को बेचती है।

छप्परफाड़ रिटर्न! इस पेनी स्टॉक ने सिर्फ 3 महीने में 1 लाख रुपये को बना दिया ₹2.5 करोड़, क्या आपके पास है?

2. टाटा टिनप्लेट (Tinplate Company of India)
टाटा टिनप्लेट (Tata Tinplate) का शेयर एक साल पहले 22 जनवरी 2021 को ₹169.05 पर बंद हुआ था, जबकि 21 जनवरी 2022 इसकी क्लोजिंग 371.70 पर हुई है। इस दौरान इस स्टॉक ने 119.88% का रिटर्न दिया है। अगर किसी निवेशक ने एक साल पहले इस शेयर में ₹1 लाख का निवेश किया होता तो उसका 1 लाख आज ₹2.19 लाख होता।

क्या करती है कंपनी?: भारत की टिनप्लेट कंपनी (TCIL) भारत में शेयर बाज़ार के प्रकार टिनप्लेट की सबसे बड़ी निर्माता है। देश की पहली टिनप्लेट निर्माता टीसीआईएल साल1920 की कंपनी है। यह कट शीट और कॉइल फॉर्म में टिनप्लेट और शीट फॉर्म में टिन फ्री स्टील (टीएफएस) प्रदान करता है। टिनप्लेट कंपनी के दो प्रमुख प्रोडक्ट टिनप्लेट और टीएफएस हैं, जो प्रोसेस्ड फूड की पैकेजिंग करती हैं। इसके अलावा कंपनी खाद्य तेल, पेंट और कीटनाशक, बैटरी और एरोसोल और बोतल क्राउन उत्पादकों सहित उद्योगों की एक लार्ज चेन सर्विस मुहैया कराती है। भारत की टिनप्लेट कंपनी टाटा स्टील की सहायक कंपनी है, जिसके पास 74.96% हिस्सेदारी है।

3. गोवा का ऑटोमोबाइल कॉर्पोरेशन (Automobile Corporation of Goa ltd.)
इस ऑटोमोबाइल कंपनी का शेयर एक साल पहले 22 जनवरी 2021 को ₹467.25 पर बंद हुआ था, जबकि 21 जनवरी 2022 यह शेयर 958.90 रुपये पर बंद हुआ है। इस दौरान इस स्टॉक ने 105.22% का रिटर्न दिया है। अगर किसी निवेशक ने एक साल पहले इस शेयर में ₹1 लाख का निवेश किया होता तो उसका 1 लाख आज ₹2.05 लाख होता। यानी डबल का फायदा होता।

क्या करती है कंपनी?: यह गोवा में स्थापित होने वाली पहली प्रमुख इंजीनियरिंग यूनिट कंपनी है। इसे 1980 में टाटा मोटर्स और ईडीसी (पूर्व में गोवा, दमन और दीव के आर्थिक विकास निगम के रूप में जाना जाता था) द्वारा संयुक्त रूप से बढ़ावा दिया गया था। यह अपने कारखानों में शीट मेटल कंपोनेंट्स, असेंबली और बस कोच बनाती है। यह फर्म टाटा मोटर्स की पुणे फैक्ट्री में प्रेसिंग और असेंबलियों की मुख्य सप्लायर है। शेयर बाजार पर दी गई जानकारी के अनुसार, टाटा मोटर्स इस माइक्रोकैप कंपनी का टॉप शेयरधारक है। फर्म में इसकी लगभग 48.98% कंट्रोलिंग हिस्सेदारी है, जबकि EDC की 6.66% हिस्सेदारी है।

4. नेल्को (Nelco)
टाटा ग्रुप का यह स्टॉक ₹217.90 (NSE पर 22 जनवरी 2021 को बंद कीमत) से बढ़कर ₹844.40 के स्तर (NSE पर 21 जनवरी 2022 को बंद कीमत) हो गया है। 1 साल में यह स्टॉक अपने शेयरधारकों को 287.52% है। अगर कोई निवेशक ने एक साल पहले इस शेयर में ₹1 लाख का निवेश किया होता तो उसका ₹1 लाख आज 3.87 लाख रुपये हो गया होता।

क्या करती है कंपनी?: नेल्को, टाटा समूह का एक आईटी नेटवर्किंग इक्विपमेंट स्टॉक है। यह डिफेंस और डिफेंस सर्विलांस, सिविल एप्लीकेशन, अट्रैक्शन, लोकोमोटिव के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और वीसैट के साथ नेटवर्क प्रबंधन प्रणाली से जुड़े turnkey परियोजनाओं के लिए सुरक्षा और निगरानी के क्षेत्रों में माहिर हैं। कंपनी डिफेंस, रेलवे, स्टील, सीमेंट, शेयर बाज़ार के प्रकार ऑटोमोबाइल, तेल और गैस, कागज, चीनी मिट्टी की चीज़ें और सेवाओं जैसे कुछ प्रमुख उद्योगों में एक्टिव है। टाटा समूह की पावर यूटिलिटी फर्म, टाटा पावर कंपनी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखती है। नेल्को में इसकी 48.64% हिस्सेदारी है।

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टाटा ग्रुप के शेयरों में खास दिलचस्पी!
बता दें कि टाटा ग्रुप के शेयरों को लेकर निवेशकों में खास दिलचस्पी रहती है, क्योंकि कंपनी की सफलता की कहानी मुख्य रूप से मानवता, परोपकार और नैतिकता पर आधारित है। पिछले चार सालों के दौरान टाटा समूह की लिस्टेड कंपनियों में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। पिछले साल फरवरी में दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने एक इंटरव्यू में कहा था, "मुझे लगता है, टाटा का शेयर बाज़ार के प्रकार घर भगवान का आशीर्वाद है।" बिग बुल समेत अन्य दिग्गज निवेशकों का मानना ​​है कि टाटा समूह में निवेश करना मुनाफे का सौदा है।

डिस्क्लेमर- यहां स्टॉक्स के बारे में दी सूचना आपकी जानकारी के लिए है। निवेश से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर लें।

CLOSING BELL: शेयर मार्केट में आज इन स्टॉस की बोली तूती, दूसरी तरफ इन ग्राहकों के लिए बुरी खबर!

Share Market: भारतीय सूचकांक एक और दिन व कारोबारी सत्र में हरे निशान पर बंद हुए हैं। भले ही शुरुआती कारोबार के दौरान दिखे कई प्रकार के लाभ शाम आते-आते पलट गए, लेकिन सेंसेक्स और निफ्टी दोनों बढ़त की रफ्तार बनाए रखने में कामयाब रहे। बंद होने पर, बीएसई सेंसेक्स 184.54 अंक ऊपर 63,284.19 पर और एनएसई निफ्टी 42.50 अंक बढ़कर 18,880.85 पर बंद हुआ।

सेंसेक्स टॉप गेनर्स

  • अल्ट्राटेक सीमेंट: 2.92 फीसदी
  • टाटा स्टील: 2.69 फीसदी
  • टीसीएस: 2.38 फीसदी
  • टेक महिंद्रा: 2.21 फीसदी
  • विप्रो: 1.56 फीसदी
  • इंफोसिस: 1.47 फीसदी

सेंसेक्स टॉप लूजर

  • आईसीआईसीआई बैंक: -1.51 फीसदी
  • एमएंडएम: -1.42 फीसदी
  • पावर ग्रिड कॉर्प: -0.98 फीसदी
  • एचयूएल: -0.54 फीसदी
  • टाइटन कंपनी: -0.41 फीसदी

निफ्टी के टॉप गेनर्स

  • टाटा स्टील: 2.88 फीसदी
  • हिंडाल्को: 2.82 प्रतिशत
  • अल्ट्राटेक सीमेंट: 2.78 फीसदी
  • टीसीएस: 2.50 फीसदी
  • ग्रासिम: 2.28 फीसदी
  • टेक महिंद्रा: 2.27 फीसदी

निफ्टी टॉप लूजर

  • यूपीएल: -1.37 प्रतिशत
  • आयशर मोटर्स: -1.35 फीसदी
  • आईसीआईसीआई बैंक: -1.33 फीसदी
  • सिप्ला: -1.29 प्रतिशत
  • बजाज ऑटो: -1.15 फीसदी

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फिर सस्ता हुआ खाने का तेल, जानिए कितने गिर गए रेट

बिजनेस डेस्कः विदेशी बाजारों में तेल तिलहनों के दाम टूटना जारी रहने के कारण में देशी तेल तिलहनों के भाव प्रभावित हुए, जिससे दिल्ली तेल तिलहन बाजार में शनिवार को सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली। देशी तेल तिलहनों की पेराई महंगा बैठने और सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले इन तेलों के भाव बेपड़ता होने के बीच सरसों और मूंगफली तेल तिलहन तथा सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी तेलों में आई गिरावट हमारे देशी तेल तिलहनों पर कड़ा प्रहार कर रहा है जिससे समय रहते नहीं निपटा गया तो स्थिति संकटपूर्ण होने की संभावना है। विदेशी तेलों के दाम धराशायी हो गये हैं और हमारे देशी तेलों के उत्पादन की लागत अधिक बैठती है। अगर स्थिति को संभाला नहीं गया तो देश में तेल तिलहन उद्योग और इसकी खेती गंभीर रूप से प्रभावित होगी। सस्ते आयातित तेलों पर आयात कर अधिकतम करते हुए स्थिति को संभाला नहीं गया तो किसान तिलहन उत्पादन बढ़ाने के बजाय तिलहन खेती से विमुख हो शेयर बाज़ार के प्रकार सकते हैं क्योंकि देशी तेलों के उत्पादन की लागत अधिक होगी। देश के आयात पर पूर्ण निर्भरता होने के कारण भारी मात्रा में विदेशीमुद्रा का अपव्यय बढ़ सकता है।

मामूली देखरेख की जरूरत है पाम और पामोलीन को

सूत्रों ने कहा कि सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसे देशी तेल तिलहन की हमें बिजाई हर साल करनी होती है। इसके अलावा खाद, पानी, बिजली, डीजल, मजदूरी जैसी लागत हर साल वहन करना होता है लेकिन पाम और पामोलीन के मामले में यह स्थिति भिन्न है क्योंकि एक बार इनके पेड़ लगाने के बाद मामूली देखरेख खर्च के साथ बगैर बड़ी लागत के अगले लगभग कई सालों तक ऊपज प्राप्त होती रहती है।

शनिवार को तेल तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन 7,100 7,150 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपए प्रति क्विंटल
मूंगफली 6,360 6,420 रुपए प्रति क्विंटल
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) 14,800 रुपए प्रति क्विंटल
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,390 2,655 रुपए प्रति टिन
सरसों तेल दादरी 14,000 रुपए प्रति क्विंटल
सरसों पक्की घानी 2,120 2,250 रुपए प्रति टिन
सरसों कच्ची घानी 2,180 2,305 रुपए प्रति टिन
तिल तेल मिल डिलिवरी 18,900 21,000 रुपए प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली 13,शेयर बाज़ार के प्रकार 400 रुपए प्रति क्विंटल
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर 13,250 रुपए प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला 11,500 रुपए प्रति क्विंटल
सीपीओ एक्स कांडला 8,450 रुपए प्रति क्विंटल
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) 11,450 रुपए प्रति क्विंटल
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली 9,950 रुपए प्रति क्विंटल
पामोलिन एक्स कांडला 9,000 रुपए (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल
सोयाबीन दाना 5,450 5,550 रुपए प्रति क्विंटल
सोयाबीन शेयर बाज़ार के प्रकार लूज 5,260 5,310 रुपए प्रति क्विंटल
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपए प्रति क्विंटल

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