डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है

Who is a Block Chain Developer, जानिये कौन होता है ब्लॉक चेन डेवलपर
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का ग्लोबल मार्किट साल 2025 तक लगभग 20 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की आशा की जा रही डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है है. आज सैमसंग, कैपजेमिनी, आईबीएम जैसे विभिन्न आईटी जायंट ब्लॉकचैन प्रोफेशनल्स को शानदार कैरियर के मौके प्रदान कर रहे हैं. अगर आप भी एक ब्लॉकचेन डेवलपर बनना चाहते हैं तो यह मुनासिब समय है कि जब इस फील्ड में आप अपने सफल और उद्देश्यपूर्ण करियर बनाने की दिशा में विचार कर सकते हैं.
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क्या होता है ब्लॉकचेन ?
ब्लॉकचेन दरअसल एक डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी है जो कि एक विस्तृत ओपन लेजर पर आधारित है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का अविष्कार साल 1991 में शोधकर्ताओं के एक ग्रुप के द्वारा किया गया था.
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परंतु इस टेक्नोलॉजी का सबसे अहम उपयोग साल 2009 में बिटकॉइन के प्रवर्तक सतोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन को तैयार करने के लिए किया था. समूचा ब्लॉकचेन पियर टू पियर नेटवर्क से जुड़ा होता है. ब्लॉकचेन का डिसेंट्रलाइज्ड डिजिटल लेजर दुनिया भर के हजारों कंप्यूटरों पर ट्रांजक्शन को सेव करता है. ब्लॉकचेन तकनीक सुरक्षा को बढ़ाने के साथ साथ सूचना के आदान-प्रदान को अधिक पारदर्शी और मूल्यप्रभावी तरीके से गति देता है.
ब्लॉकचेन के महत्व ने जिन विभिन्न क्षेत्रों में आर्गेनाइजेशन्स का ध्यान आकर्षित किया है उसमें बैंकिंग का क्षेत्र सबसे अधिक एक्टिव है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बाद से हजारों नए जॉब्स की स्थिति के साथ साथ मोबाइल पेमेन्ट सोल्यूशन से लेकर हेल्थकेयर एप्लीकेशन तक के नए स्टार्टअप का डेवलपमेंट हुआ है.
ब्लॉकचेन डेवलपर कौन होता है ?
वे टेक्निकल प्रोफेशनल्स जो ब्लॉकचेन की तकनीक पर काम करते हैं ब्लॉकचेन डेवलपर्स कहलाते हैं. ब्लॉकचेन डेवलपर्स, ब्लॉकचेन की तकनीक से रिलेटेड कार्यों जैसे ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल को डिजाइन करना, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाना आदि के लिए उत्तरदायी होते हैं. एक ब्लॉकचेन डेवलपर, ब्लॉकचेन के साथ हीं ब्लॉकचेन आर्किटेक्चर और प्रोटोकॉल के बेसिस पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को डेवलप्ड और कस्टमाइज्ड करने के लिए नॉलेज और स्किल में निपुण होता है. एक ब्लॉकचेन डेवलपर 3D डिज़ाइन, 3D मॉडलिंग और 3D कंटेंट डेवलपमेंट को भी डील करता है.
ब्लॉकचैन डेवलपर्स को मुख्य रूप से दो प्रकारों में बाँट सकते हैं - ब्लॉकचेन सॉफ्टवेयर डेवलपर और कोर ब्लॉकचेन डेवलपर
जानिए क्या है क्रिप्टो करेंसी और क्यों है ये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से अलग?
News18 हिंदी 20-08-2022 News18 Hindi
© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "जानिए क्या है क्रिप्टो करेंसी और क्यों है ये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से अलग?"
नई दिल्ली. देश में डिजिटल करेंसी के तौर पर इस्तेमाल हो रही ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बीच ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ टर्म भी आपने सुना ही होगा. आखिर ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ क्या है, और यह ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के साथ क्यों जोड़कर देखी जा रही है, क्या ये दोनों एक हैं? ऐसे तमाम सवाल आपके मन भी उठे होंगे. आज आप इसके बारे में जान जाएंगे. ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बढ़ते ट्रेंड ने लोगों को इस तरह की चीजों को जानने या इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है. आपको बता दें कि, ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है.
यह एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी, बल्कि किसी डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है और चीज को भी डिजिटल कर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. यानी ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर है. ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ पर जो भी ट्रांजेक्शन होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है. इसका मतलब है कि ब्लॉकचेन में कहीं भी कोई ट्रांजैक्शन होता है, तो उसका रिकॉर्ड पूरे नेटवर्क पर दर्ज हो जाएगा. इसलिए इसे डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) भी कहा जा सकता है.
‘ब्लॉकचेन’ को माना जाता है डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है सुरक्षित‘ब्लॉकचेन’ के बारे में एक अच्छी बात यह भी कि यह सिक्योर और डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी मानी जाती है. जिसकी हैकिंग मुमकिन नहीं है, और इसे बदलना, हटाना या नष्ट करना भी नामुमकिन है. वहीं, इसे बिटकॉइन के प्लेटफॉर्म से भी ज्यादा भरोसेमंद टेक्नोलॉजी को बताया जा रहा है.
यही वजह है कि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 के दरम्यान डिजिटल करेंसी का ऐलान किया. इंडियन डिजिटल करेंसी Rupee को आरबीआई जारी करेगी. यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी. वैसे क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलती है. मगर, चूंकि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किसी भी डिजिटल इंफॉर्मेशन को डिस्ट्रीब्यूट करने की मंजूरी देती है, तो हर कोई इसका इस्तेमाल कर पाएगा.
क्या है Web 3.0? Google और Facebook जैसी कंपनियों का खत्म होगा 'एकाधिकार'?
Web 3.0 Explained: Web 3.0 के बारे में पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा हो रही है. Web 3.0 किस तरह से इंटरनेट को बदल देगा या फिर ये आईडिया फ्लॉप हो जाएगा? जानने की कोशिश करते हैं कि ये दरअसल क्या है और लोगों की इस पर क्या राय है.
Munzir Ahmad
- नई दिल्ली,
- 24 दिसंबर 2021,
- (अपडेटेड 24 दिसंबर 2021, 2:40 PM IST)
- Web 3.0 इंटरनेट का नया कॉन्सेप्ट जहां डेटा के मालिक आप
- Web 3.0 अभी भी पूरी तरह से डिफाइन नहीं है
Web 3.0 के बारे में पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा हो रही है. कोई कह रहा है - Web 3.0 इंटरनेट यूज करने का तरीका बदल देगा, कोई ये कह रहा है कि Web 3.0 ही मेटावर्स है.
कई एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि Web 3.0 आने के बाद इंटरनेट डीसेंट्रलाइज्ड हो जाएगा. Web 3.0 को क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. लेकिन हकीकत में Web 3.0 क्या है?
Web 3.0 को समझने के लिए Web 1.0 से शुरू करते हैं. 1989 में World Wide Web यानी WWW की शुरुआत हुई. तब का इंटरनेट अब के इंटरनेट से काफी अलग था. क्योंकि तब सिर्फ टेक्स्ट फॉर्मैट में आपको इंटरनेट पर जानकारियां मिलती थीं. इसके बाद आया Web 2.0.
Web 2.0 यानी मौजूदा इंटरनेट एक तरह से कंट्रोल किया जाता है और डिसेंट्रलाइज्ड नहीं है. इंटरनेट का ज्यादातर कॉन्टेंट आप गूगल के जरिए सर्च करते हैं और गूगल एक प्राइवेट कंपनी है. इन्हीं कंपनियों के पास यूजर्स का डेटा होता है और इस वजह से इनके पास ज्यादा पावर है.
क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी, Web 3.0 सेंट्रलाइज्ड इंटरनेट?
गूगल चाहे तो अपने सर्च इंजन को अपने फायदे के लिए यूज कर सकता है. कई बार कंपनी पर आरोप भी लगे हैं कि अपने फायदे के लिए गूगल सर्च रिजल्ट में गड़बड़ी की गई है.
इसी तरह दूसरा उदाहरण मेटा (पहले फेसबुक) है. मेटा के कई प्लैटफॉर्म हैं - WhatsApp, Instagra और Facebook इनमें प्रमुख हैं. अगर ये कंपनी चाहे तो अपने तरीके से आपके कॉन्टेंट को मैनिपुलेट कर सकती है और कंपनी पर आरोप भी लगते आए हैं.
दो उदाहरण - फेसबुक और गूगल. दोनों ही कंपनियों अपने अपने स्पेस में राज कर रही हैं. एक तरह से इनकी मोनॉपली है. Web 3.0 कॉन्सेप्ट इसी मोनॉपली को खत्म करना है. Web 3.0 में कोई एक कंपनी नहीं होगी, बल्कि हर यूजर ही अपने अपने कॉन्टेंट के मालिक होंगे.
एक और उदाहरण से समझिए.. कल्पना कीजिए, अगर गूगल काम करना बंद कर देता है तो आप क्या करेंगे? चूंकि गूगल एक प्राइवेट कंपनी है और गूगल के सर्वर्स में दिक्कत आती है तो सर्विस डाउन हो जाएगी. गूगल हैक होता है तो भी सर्विस डाउन होगी.
Web 3.0 में ऐसा नहीं हगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि Web 3.0 का कॉन्सेप्ट इंटरनेट को डिसेंट्रलाइज करना है. ये ब्लॉकचेन पर आधारित होगा. क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन पर आधारित होती है. इस वजह से ही क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी है.
डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी का मतलब यहां आपके पैसे किसी बैंक में नहीं होते हैं. नॉर्मल करेंसी में आपके पैसे बैंक में होते हैं और अगर बैंक डूब जाता है तो कई बार लोगों को भी भारी नुकसान होता है. फ्रॉड के चांसेज भी ज्यादा हैं.
Web 3.0 आने से क्या बदल जाएगा?
Web 3.0 आने के बाद आपके पास ज्यादा पावर होंगे. आपका कॉन्टेंट आपका ही होगा और इसके बदले आपको टोकन मिलेगा. चाहे आप अपना कॉन्टेंट किसी भी प्लैटफॉर्म पर पोस्ट करें उस कॉन्टेंट का राइट आपके पास होगा. अभी ऐसा नहीं है.
उदाहरण के तौर पर आपने फेसबुक या यूट्यूब पर कोई कॉन्टेंट शेयर किया है तो वो एक तरह से उनका हो जाता है. वो आपके कॉन्टेंट को अपने हिसाब से यूज कर सकते हैं. Web 3.0 में ऐसा नहीं होगा. यहां कोई कंपनी ये तय नहीं करेगी कि आपका कॉन्टेट हटाया जाए या रखा जाए. कई बार सोशल मीडिया से आपके कॉन्टेंट हटा लिए जाते हैं या ऐसा भी होता है कि आप कोई डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है कॉन्टेंट पोस्ट ही नहीं कर सकते हैं.
Web 3.0 में डेटा पर होगा यूजर का कंट्रोल.
Web 3.0 में लोग अपना डेटा खुद कंट्रोल करेंगे. क्योंकि यहां Web 2.0 की तरह डेटा किसी एक कंपनी के पास नहीं होगा. जिस तरह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में क्रिप्टोकरेंसी का हिसाब किताब किसी एक कंपनी के पास न हो कर उन लोगों के पास होता है जो इस ब्लॉकचेन नेटवर्क में होते हैं. यानी वो लोग जो क्रिप्टोकरेंसी रखते हैं.
Web 3.0 में भी ब्लॉकचेन की तरह ही डेटा किसी सेंट्रल सर्वर पर ना हो कर हर यूजर के डिवाइस में होगा. हालांकि ये एन्क्रिप्टेड होगा, इसलिए कोई ये नहीं जान पाएगा कि किस यूजर का डेटा कहां है. ऐसे में अभी जिस तरह से सोशल मीडिया और इंटरनेट में कुछ कंपनियों की मोनॉपली है वो नहीं रहेगी.
एलॉन मस्क की राय.
हालांकि अभी Web 3.0 को लेकर लोगों की अलग अलग राय है. Tesla CEO Elon Musk और Twitter Founder Jack Doresey भी Web 3.0 के पक्ष में नहीं हैं. मस्क ने कहा है कि उन्हें Web 3.0 हकीकत से ज्यादा मार्केटिंग लगता है. इसी तरह और भी लोग हैं जिन्हें ये हकीकत नहीं लगता है.
टेक वर्ल्ड में काफी पहले से Web 3.0 पर काम चल रहा है. कुछ सालों के अंदर ये Web 2.0 के साथ ही साइड बाइ साइड चलेगा. लेकिन अगले 10 साल तक ऐसा भी मुमकिन है कि Web 3.0 पुराने Web 2.0 को रिप्लेस कर दे और इंटरनेट पूरी तरह बदल जाए.
Explainer: वेब 3 क्या है, जानिए इससे इंटरनेट यूजर्स को क्या फायदा होगा
मौजूदा समय में ज्यादातर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. आज लगभग पूरी दुनिया इस पर निर्भर है. शायद आपने इससे पहले कभी Web 3.0 का नाम न सुना हो. लेकिन आपको बता दें कि यह शब्द काफी समय से सुर्खियां बटोर रहा है और ये इंटरनेट से जुड़ा हुआ है.
क्या है वेब 3.0
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 18 अप्रैल 2022,
- (Updated 18 अप्रैल 2022, 2:07 PM IST)
फेसबुक अपनी मर्जी से कुछ भी नही हटा पाएगी
यूजर्स हो जाएंगे और भी ज्यादा पावरफुल
सोशल मीडिया पर एक शब्द काफी समय से प्रचलित है और ये काफी भ्रमित करने वाला भी है. इसे "वेब 3.0" या "वेब3" भी कहा जाता है. कुछ लोगों द्वारा इस घटना को इंटरनेट के भविष्य के रूप में पेश किया जा रहा है. इससे वेब के विकेंद्रीकरण की शुरुआत होगी. मौजूदा समय में ज्यादातर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. आज लगभग पूरी दुनिया इस पर निर्भर है. शायद आपने इससे पहले कभी Web 3.0 का नाम न सुना हो. लेकिन आपको बता दें कि यह शब्द काफी समय से सुर्खियां बटोर रहा है और ये इंटरनेट से जुड़ा हुआ है.
आप और हममें से अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. बता दें कि हम जिस इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं वो वेब 2.0 है और इससे पहले पूरी दुनिया वेब 1.0 का इस्तेमाल कर रही थी. ये एप्लिकेशन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलते हैं. जब कोई यूजर किसी ऐप्लिकेशन से बाहर निकलना चाहता है, तो वह सिर्फ लॉग ऑफ करता है, अपने वॉलेट को डिस्कनेक्ट करता है, और अपना डेटा खुद के पास सेव कर लेता है.
क्या होंगे बदलाव?
वेब 3 के आने के बाद से हम और भी ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे. जब आप वेब 3.0 के जरिए इंटरनेट पर अपना कंटेंट डालेंगे तो इसके बदले में आपको एक डिजिटल टोकन मिलेगा. वेब 3.0 में कंटेंट का पूरा अधिकार आपके पास होगा और फेसबुक, ट्विटर जैसी कोई भी कंपनी अपनी मर्जी से कंटेंट नहीं हटा पाएंगी. एक्सपर्ट्स बतातें है कि ये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा, जहां सारा डेटा डिसेंट्रलाइज्ड होगा. दरअसल ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें आपका कंटेंट या डेटा किसी कंपनी के डेटाबेस में नहीं बल्कि आपके डिवाइस में सेव होगा. यानी कि अब आपके डेटा में कोई भी अपने हिसाब से चेंजस नहीं कर सकता है.
साल 1989 में जब वेब 1.0 आया था उस वक्त हम इंटरनेट पर मौजूद जानकरियों को सिर्फ पढ़ सकते थे. उस समय इंटरनेट पर सारा डेटा टेक्स्ट फॉर्म में था. इसके बाद वेब 2.0 आया और इसने कुछ बदलाव के साथ हमें पढ़ने के साथ-साथ सुनने और देखने का भी मौका दिया. हमारे ज्यादातर जरूरी काम इंटरनेट से पूरे होने लगे. अब वेब 3.0 के आ जाने से इंटरनेट पर एकाधिकार दिखाने वाली कंपनी जैसे गूगल, फेसबुक आदि अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं हटा पाएंगी.
कब तक आएगा वेब 3.0?
अभी इसकी कोई निश्चित टाइमलाइन नहीं है. यूजर्स ब्लॉकचेन का उपयोग करना जारी रखेंगे और डेवलपर्स इसके लिए उत्पाद बनाना जारी रखेंगे और एक दिन यह हर जगह उपलब्ध होगा. फिलहाल कई सारी वेब 3.0 क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है. डेवलपर्स वायरलेस इंटरनेट, नए ब्राउज़र, पीयर-टू-पीयर फ़ाइलों को साझा करने और बेहतर सामाजिक नेटवर्क के लिए प्रोटोकॉल और ऐप बना रहे हैं. कह सकते हैं कि एक डिसेंट्रलाइज्ड इंटरनेट के लिए नींव तैयार की जा रही है.
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है ? | ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है ? | Block Chain Kya hai ? | What is Block chain in Hindi ? | How Block chain technology works in Hindi ?
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है ? (What is Block chain Technology?)
सन 1991 में रिसरचर्स के एक ग्रुप ने ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को जन्म दिया।
परंतु इस टेक्नोलॉजी का सबसे अहम उपयोग सन 2009 में बिटकॉइन के जनक सतोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन को तैयार करने के लिए किया।
ब्लॉकचेन एक डिसेंट्रलाइज्ड अर्थात विकेंद्रित टेक्नोलॉजी है जोकि एक विस्तृत ओपन लेजर या वही खाते पर आधारित है। संपूर्ण ब्लॉकचेन पियर टू पियर नेटवर्क से जुड़ी होती है
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है ? (How Block chain technology works?)
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आपके पास एक डॉक्यूमेंट रखने का एक खाली फोल्डर है जब आप इसमें डॉक्यूमेंट डालते जाएंगे तो एक समय ऐसा आएगा जब यह फोल्डर फुल हो जाएगा।
तब आप एक और नया खाली फोल्डर लाएंगे और उसमें डॉक्यूमेंट रखना शुरु कर देंगे कुछ समय के बाद यह फोल्डर भी भर जाएगा।
इसी तरह से आप तीसरा फोल्डर लाएंगे और उससे भी भरने लगेंगे। इसी तरह कुछ समय में आपके पास फोल्डरो की एक चेन सी बन जाएगी जिसमें प्रथम स्थान में पहला फोल्डर दूसरे स्थान में दूसरा फोल्डर तीसरे में तीसरा फोल्डर आ जाएगा।
ठीक इसी तरह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में फोल्डर की जगह ब्लॉक होते हैं जिसके अंदर डाटा रखा जाता है।
जब यह ब्लॉक भर जाता है तब एक नए ब्लॉक का निर्माण शुरू होता है। पिछला ब्लॉक इस नए ब्लॉक से जुड़ जाता है। और इसी तरह नए ब्लॉकों का निर्माण होता है और वह एक चेन की तरह एक दूसरे से जुड़ते चले जाते हैं।
इस वजह से इस टेक्नोलॉजी को ब्लॉकचेन कहा जाता है।
आइए सरल भाषा में ब्लॉक एवं ब्लॉकचेन की संरचना को समझते हैं
एक डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है निर्धारित मात्रा में डाटा स्टोर होने के बाद एक ब्लॉक का निर्माण होता है। एक ब्लॉक के निर्माण होने से एक यूनिक कोड जनरेट होता है जिसे उस ब्लॉक का current hash कहां जाता है।
अब यह ब्लॉक डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है अपने पिछले ब्लॉक के current hash से जुड़ जाता है।
इस प्रकार पिछले ब्लॉक का current hash, अगले बनने वाले ब्लॉक का previous hash कहलाता है।
इसे हम नीचे दिए गए चित्र के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं।
किसी ब्लॉकचेन का पहला ब्लॉक उसका Genesis ब्लॉक कहलाता है। इस जेनेसिस ब्लॉक का previous hash का स्थान blank होता है।
इस प्रकार हैश के माध्यम से एक ब्लॉक दूसरे ब्लॉक से जुड़ता चला जाता है और ब्लॉक की एक चेन तैयार हो जाती है जिसे ब्लॉकचेन कहते हैं।
मान लीजिए कि किसी ब्लॉक मैं मौजूद डाटा से छेड़छाड़ होती है तो उसका current hash ऑटोमेटेकली चेंज हो जाएगा । तो यह हैश अपने आगे के ब्लॉक के हैश से मेल नहीं खाएगा और यह पता चल जाएगा कि पिछले ब्लाक के डाटा से कोई छेड़छाड़ हुई है।
यह ब्लॉकचेन कंप्यूटर के एक विश्वव्यापी decentralized नेटवर्क पर स्टोर होती है।
यह नेटवर्क बहुत ही शक्तिशाली कंप्यूटरो से मिलकर बना होता है। इस नेटवर्क से जुड़े हर कंप्यूटर में ब्लॉकचेन की एक कॉपी सेव हो जाती है।
इसका अर्थ यह हुआ की यदि किसी एक कंप्यूटर के ब्लॉकचेन डाटा से कोई छेड़छाड़ होती भी है तो वह अन्य कंप्यूटरों पर सुरक्षित रहती है एक साथ नेटवर्क के सारे की कंप्यूटरों की हैकिंग असंभव है।
इस वजह से ब्लॉकचेन अत्यधिक सुरक्षित तकनीक है।
नेटवर्क के इन शक्तिशाली कंप्यूटर को nodes भी कहा जाता है। जो लोग इन शक्तिशाली कंप्यूटरों को चलाते हैं उन्हें माइनर या वैलिडेटर कहां जाता है l
मान लीजिए भारत में बैठे अमित को अमेरिका में बैठे उसके दोस्त गौरव को 1 लाख रुपए भेजने हैं।
अब अमित ने ब्लॉकचेन पर एक ट्रांजैक्शन इनीशिएट किया अब यह ट्रांजैक्शन जांच के लिए ब्लॉकचेन नेटवर्क पर जुड़े हर कंप्यूटर पर जाएगा इन कंप्यूटरों पर बैठे माइनर यह चेक करेंगे की अमित के पास वास्तव में 1 लाख रुपए है कि नहीं।
इसके लिए वह पिछले ब्लॉकों में यह जांच करेंगे की अमित के पास ₹100000 रुपए कब आए और अभी है कि नहीं?
पुरानी ब्लॉकों से जानकारी चेक करने और सही पाए जाने पर यह माइनर उस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर देंगे और यह ट्रांजैक्शन हमेशा के लिए ब्लॉकचेन पर दर्ज हो जाएगा और ₹100000 अमित के वॉलेट से ट्रांसफर होकर गौरव के वॉलेट में चले जाएंगे।
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के फायदे, ब्लॉकचेन के उपयोग (Benefits of Block chain , Usage of Block chain)
चुकी ब्लॉकचेन एक अत्यंत ही सुरक्षित एवं पारदर्शी टेक्नोलॉजी है इस वजह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी बहुत से क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
इसके कुछ उदाहरण निम्न है
- क्रिप्टो करेंसी जो कि ब्लॉकचेन पर आधारित है के उपयोग से वित्तीय क्षेत्रों में पैसों के लेनदेन में कम समय, कम फीस एवं पारदर्शिता पूर्ण लेनदेन किया जा सकता है।
- चुनाव में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर चुनाव को पूर्ण रूप से पारदर्शी प्रक्रिया बनाया जा सकता है।
- शिक्षा के क्षेत्र में ब्लॉकचेन के माध्यम से किसी भी स्टूडेंट का संपूर्ण रिकॉर्ड रखा जा सकता है जिससे शिक्षा एवं नौकरी के क्षेत्र में चीजें आसान हो जाएंगी।
- न्यायपालिका के क्षेत्र में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके न्यायपालिका को अत्यंत ही पारदर्शी ,मजबूत और तेज बनाया जा सकता है।
- समस्त सरकारी योजनाएं ,जनगणना एवं डोनेशन में ब्लॉक चेन के उपयोग से इन समस्त योजनाओं का क्रियावहन बहुत ही सही एवं पारदर्शी तरीके से किया जा सकता है
- मेडिकल क्षेत्र में ब्लॉकचेन के उपयोग से किसी भी मरीज का संपूर्ण डाटा स्टोर किया जा सकता है एवं इस नेटवर्क से जुड़े सभी अस्पतालों में उपलब्ध दवाइयों एवं बेडों की उपलब्धता की जानकारी को आसानी से देखा एवं मैनेज किया जा सकता है।
- सप्लाई चेन मैनेजमेंट एवं कूरियर के क्षेत्र में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के उपयोग से चीजों का एक जगह से दूसरे जगह आवागमन अत्यंत ही आसान तरीके से किया जा सकता है इस टेक्नोलॉजी के मदद से विभिन्न सप्लाई यूनिटों को जोड़ा जा सकता है एवं किसी भी कंसाइनमेंट की सही लोकेशन को रियल टाइम पर ट्रेस भी किया जा सकता है।
- भारत जैसा देश जहां पर सरकारी रिकॉर्ड अच्छे तरीकों से मैनेज नहीं है ऐसे जगहों पर ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की मदद से पुराने सारे रिकार्डो का एक बहुत ही अच्छा डेटाबेस तैयार किया जा सकता है जिसका कि भविष्य में बहुत ही ज्यादा उपयोग किया जा सकता है।
- रियल स्टेट में भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का बहुत ही अच्छी तरीके से उपयोग किया जा सकता है जैसे कि किसी प्रॉपर्टी का पुराना रिकॉर्ड देखना एवं नए रिकॉर्ड को नेटवर्क पर चढ़ाना इत्यादि।
- स्मार्ट कांटेक्ट के माध्यम से ब्लाकचैन टेक्नोलॉजी का वित्तीय क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकती है।
- ब्लाकचैन टेक्नोलॉजी की मदद से डिसेंट्रलाइज्ड ऐप DAPPS तैयार किए जा सकते हैं जिस पर किसी एक अथॉरिटी का नियंत्रण ना हो, वह सभी के लिए हो।
उदाहरण के लिए जैसे उबेर कंपनी में गाड़ियों और ड्राइवरों का नियंत्रण उबेर कंपनी के द्वारा किया जाता है परंतु डिसेंट्रलाइज्ड ऐप के माध्यम से यह सारा काम एक डिसेंट्रलाइज नेटवर्क पर हो सकता है।
- NFT जो कि ब्लॉकचेन पर आधारित है के उपयोग से डिजिटल ऐसेट का लेन देन किया जाता है उदाहरण के तौर पर डिजिटल पेंटिंग, ऑनलाइन म्यूजिक , ऑनलाइन गेम में काम आने वाले हथियार, गाड़ियां इत्यादि।
ब्लॉकचेन का भविष्य पर प्रभाव (Future of Block Chain)
जिस प्रकार इंटरनेट ने आज डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है के दौर में क्रांति लादी है ठीक उसी प्रकार ब्लॉकचेन भविष्य में क्रांति लाने की क्षमता रखती है।
ब्लाकचैन टेक्नोलॉजी का भविष्य असीम संभावनाओं से भरा हुआ है इसके कुछ उदाहरण जो हमने आपको बताएं।
आशा करते हैं कि इस विषय के संबंध में आपको संतोषप्रद जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी। इस विषय के संबंध में यदि आपके पास कोई प्रश्न या सुझाव है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर अपना संदेश भेज सकते हैं।