स्थिर मुद्रा क्या है

'रुपये की स्थिरता विदेशी मुद्रा भंडार पर निर्भर'
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बीओए-एमएल) ने कहा, हमारे हिसाब से डॉलर के मुकाबले रुपया 58 से 62 के स्तर स्थिर मुद्रा क्या है पर रह सकता है। विदेशी कोष 22 मई से लगातार बांड तथा शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटा है और यह इतना रह गया है, जिससे सात महीने का आयात पूरा हो सके।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने उस समय से अब तक 65,000 करोड़ रुपये घरेलू बाजार से निकाल लिए हैं। 6 अगस्त को कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रपया 61.80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर चला गया था और बाद में 61.30 पर बंद हुआ। चालू वित्तवर्ष में अब तक रुपया 12 प्रतिशत से अधिक नीचे आ चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है, जब तक रिजर्व बैंक के पास विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति नहीं सुधरेगी, रुपया स्थिर नहीं होगा. ।
बीओए-एमएल ने उम्मीद जताई कि सरकार तथा रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए अगले सप्ताह कुछ नीतिगत उपायों की घोषणा कर सकते हैं। बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) को उदार बनाने, एफसीएनआरबी जमा दरों को बढ़ाने तथा सार्वजनिक उपक्रमों के बांड जारी किए जाने से 5 से 10 अरब डॉलर जुटाए जा सकते हैं।
दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कौन सी है?
समाचार पत्रों में और खबरों में, हम अक्सर डॉलर ($) और रुपए (₹) के बीच दामों में उतार-चढ़ाव के बारे में सुनते रहते हैं। कभी डॉलर ($) मजबूत होता है और रुपया कमजोर। कभी रुपया मजबूत होता है और डॉलर कमजोर। यह डॉलर और रुपए के बीच एक दूसरे के लेनदेन के भाव (rate) के कारण होता है। यही स्थिति यूरो (€) और अन्य मुद्राओं (Currencies) के बीच लेन-देन में भी होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा (Currency) कौन सी है? साथ ही साथ इससे जुड़े कुछ अन्य उपयोगी सवालों के जवाब भी देंगे, जैसे कि-
- किसी मुद्रा (Currency) की कीमत क्या होती है?
- दुनिया में सबसे ज्यादा किस मुद्रा का लेनदेन होता है
- दुनिया में सबसे कम उतार-चढ़ाव वाली मुद्रा कौन सी है
पूरा लेख एक नजर में
दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कौन सी है?
Which is the most valuable in the world?
1 कुवैती दिनार= लगभग 233.75 रुपए
कुवैत की मुद्रा (Currency) कुवैती दिनार (Kuwaiti Dinar) को दुनिया की सबसे महंगी करेंसी (most valuable currency) माना जाता है। इसे संक्षेप में (KWD) लिखा जाता है। कुवैत के अलावा यह मध्यपूर्व (Middle-East) के देशों में भी तेल के व्यापार में इस्तेमाल की जाती है। 1 कुवैती दिनार इस समय लगभग 233.75 रुपए के बराबर है। यानी कि अगर आपके पास में 100 कुवैती दिनार है तो आपको उनके बदले में 23375 रुपए मिल सकते हैं।
कीमत के मामले में, दूसरे नंबर पर बहरीन देश की मुद्रा बहरीनी दीनार (Bahraini Dinar-BHD) आती है। 1 बहरीनी दीनार (BHD) की कीमत इस समय 196.95 रुपए के बराबर है। तीसरे नंबर पर ओमान की मुद्रा ओमानी रियाल Omani Rial (OMR) है। एक ओमानी रियाल की कीमत इस समय 192.85 रुपए के बराबर है। कीमत के मामले में और कौन-कौन सी मुद्राएं टॉप लिस्ट में आती हैं, यह जानने के लिए आप नीचे दी गई लिस्ट को देख सकते हैं।
कीमत के मामले में दुनिया की टॉप 10 मुद्राएं
Top 10 valuable currencies of the world
नीचे तालिका (table) में, हमने 19 दिसंबर 2021 को, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में विभिन्न देशों की मुद्राओं की भारतीय रुपयों में कीमत दी है। किसी अन्य दिन या समय पर इनमें बदलाव भी हो सकता है।
मुद्रा का नाम Name of Currency | भारतीय रुपयों में मुद्रा की कीमत International rate in Indian rupee |
कुवैती दिनार Kuwaiti Dinar (KWD) | 1 KWD=250.81 रुपए |
बहरीनी दीनार Bahraini Dinar (BHD) | 1 BHD=200.42 रुपए |
ओमानी रियाल Omani Rial (OMR) | 1 OMR=196.25 रुपए |
जॉर्डेनियन दीनार Jordanian Dinar (JOD) | 1 JOD=107.27 रुपए |
जिब्रॉल्टर पाउंड Gibraltar Pound (GIP) | 1 GIP=100.62 रुपए |
ब्रिटिश पाउंड British Pound (GBP) | 1 GBP=100.69 रुपए |
कैमान आईलैंड डॉलर Cayman Island Dollar (KYD) | 1 KYD=90.63 रुपए |
यूरो Euro (EUR) | 1 EUR=85.44 रुपए |
स्विस फ्रैंक Swiss Franc (CHF) | 1 CHF=82.24 रुपए |
अमेरिकी डॉलर United States Dollar (USD) | 1 USD=76.01रुपए |
इन्हें भी जानें-
किसी मुद्रा की कीमत क्या होती है? What is currency rate
किसी दूसरे देश की 1 मुद्रा लेने के लिए हमे अपनी कितनी मुद्रा (currency) चुकानी पड़ रही है. यह उस दूसरी वाली मुद्रा (currency) की कीमत होती है। जैसे कि 19 दिसंबर 2021 को हमे 1 डॉलर ($) के बदले में 76.01 रुपए चुकाने पड़ रहे थे। इसका मतलब है कि-
- 1 डॉलर की कीमत भारतीय रुपयों में 76.01 रुपए है
- 1 रुपए की कीमत अमेरिकी डॉलर में 0.013 डॉलर है
मुद्राओं के अंतर्राष्ट्रीय भाव (internation exchange rate) रोज-रोज बदलते या उतरते-चढ़ते रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में विभिन्न मुद्राओं की मांग (demand) और पूर्ति (supply) में उतार-चढ़ाव के कारण ऐसा होता है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जिस मुद्रा की मांग (demand) ज्यादा हो जाती है, उसके भाव (Exchange rate) बढ़ जाते हैं। और जिस मुद्रा की मांग कम हो जाती है उसके रेट भी कमजोर हो जाते हैं।
किसी देश की मुद्रा की कीमत में बढ़ोतरी या कमी को उसकी अर्थव्यवस्था (Economy) की मजबूती या कमजोरी से जोड़कर भी देखा जाता है। जिन देशों की अर्थव्यवस्थाओं के प्रति अंतरराष्ट्रीय विश्वास में बढ़ोतरी होती है उनकी मुद्रा की रेट भी बढ़ जाते हैं, जबकि जिन देशों की अर्थव्यवस्थाओं के प्रति अंतरराष्ट्रीय विश्वास कमजोर हो रहा होता है उसकी मुद्रा का रेट भी गिर जाता है।
इन्हें भी जानें-
दुनिया में सबसे ज्यादा किस मुद्रा का लेन-देन होता है?
Which is the most traded currency in the world?
दुनिया में सबसे ज्यादा लेन-देन वाली मुद्रा (most traded currency ) अमेरिकी डॉलर ($) या USA dollar है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) की मुद्रा है। इसे दुनिया की प्राइमरी रिजर्व करेंसी (primary reserve currency) के रूप में भी मान्यता मिली हुई है। क्योंकि सभी देशों के केंद्रीय बैंक (central banks) और कमर्शियल बैंक, इस मुद्रा को अपने पास रखते हैं और अंतर्राष्ट्रीय में लेन-देन ( international transactions) में इस्तेमाल करते हैं। खाड़ी देशों के अलावा अन्य सभी देश अमेरिकी डॉलर ($) को कॉमन स्टैंडर्ड करेंसी के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।
दुनिया में सबसे कम उतार-चढ़ाव वाली मुद्रा कौन सी है?
Which is the world’s most stable currency?
दुनिया की सबसे स्थिर मुद्रा (stable currency) स्विट्जरलैंड की मुद्रा Swiss Franc या CHF है। यह स्विट्जरलैंड और लिचेंस्टीन की मुद्रा है। CHF का फुल फॉर्म होता Confoederatio Helvetica Franc है । यह लैटिन भाषा में स्विट्जरलैंड का नाम है। 1 स्विस फ्रैंक या CHF इस समय 72.68 भारतीय रुपयों के बराबर है। स्विट्जरलैंड की मजबूत मौद्रिक नीतियों (monetary policy) और कर्जे का निम्न स्तर (low debt level) होने के कारण इस मुद्रा की विनिमय दरों (Exchange rate) में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव (ups and down) नहीं होते। वैश्विक राजनीति में उतार-चढ़ाव की स्थिति के दौरान भी निवेशकों का विश्वास इस पर बना रहता है।
तो दोस्तों यह थी दुनिया की सबसे महंगी करेंसियों और उनके रेट्स के बारे में जानकारी। सेविंग और फाइनेंस से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखे हमारी वेबसाइट पर मौजूद लेख-
उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए घटता विदेशी मुद्रा भंडार एक बड़ा जोखिम, भारत के पास है इससे निपटने का ब्लूप्रिंट
ब्लूमबर्ग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार थाईलैंड में जीडीपी के मुकाबले विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। इसके बाद मलेशिया और भारत का स्थान है। लेकिन भारतीय रुपया अब धीरे-धीरे स्थिरता की तरफ बढ़ रहा है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। उभरती एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के सामने इन दिनों एक बड़ी मुश्किल खड़ी होती जा रही है। इन अर्थव्यवस्थाओं के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी आ रही है, जो चिंता का विषय है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
ज्यादातर एशियाई अर्थव्यवस्थाएं इन दिनों डॉलर की मजबूती का शिकार हैं। बहुत से केंद्रीय बैंक अपनी मुद्राओं में होने वाली गिरावट को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर रहे हैं। वे करेंसी मार्केट में अपने विदेशी मुद्रा कोष से डॉलर की बिक्री कर रहे हैं। लेकिन इससे हो यह रहा है कि उनका खजाना दिनों-दिन खाली होता जा रहा है। अगर यह स्थिति कुछ दिन और बनी रही तो जल्द ही एशियाई देशों के केंद्रीय बैंकों को करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप करना बंद करना होगा।
लेकिन असल चुनौती इसके बाद शुरू होगी। बहुत मुमकिन है कि इसके बाद इन देशों में स्थानीय करेंसी के मुकाबले डॉलर मजबूत हो जाए। अगर ऐसा लंबे समय तक होता रहा तो लोकल करेंसी में एक तरह से अवमूल्यन की स्थिति पैदा हो जाएगी।
क्या है वास्तविक स्थिति
एक देश अपनी विदेशी मुद्रा होल्डिंग्स के साथ कितने महीने का आयात अफोर्ड कर सकता है, इस हिसाब से देखें तो चीन को छोड़कर बाकी उभरती हुई एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिए विदेशी मुद्रा भंडार लगभग सात महीने के आयात तक गिर गया है। 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से यह सबसे खराब आंकड़ा है। इस साल की शुरुआत में इन देशों का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 10 महीने के आयात के बराबर था। अगस्त 2020 में यह 16 महीने के उच्चतम स्तर पर था।
सिंगापुर में स्टैंडर्ड चार्टर्ड में आसियान और दक्षिण एशिया एफएक्स अनुसंधान के प्रमुख स्थिर मुद्रा क्या है दिव्या देवेश ने कहा कि गिरावट से संकेत मिलता है कि अपनी करेंसी को सपोर्ट करने के लिए केंद्रीय बैंको का हस्तक्षेप घटता जाएगा।
किस देश के पास कितना फॉरेन रिजर्व
ब्लूमबर्ग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, थाईलैंड ने सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी गिरावट देखी, इसके बाद मलेशिया और भारत का स्थान रहा। स्टैंडर्ड चार्टर्ड का अनुमान है कि भारत के पास लगभग नौ महीने, इंडोनेशिया के लिए छह, फिलीपींस के पास आठ और दक्षिण कोरिया के पास सात महीने के आयात को कवर करने के लिए विदेशी मुद्रा बची है।
इस स्थिति को देखते हुए मंदी का कोई भी संकेत एशियाई मुद्राओं के लिए नुकसान को बढ़ा सकता है। हाल के दिनों में कई एशियाई मुद्राएं ऐसी रही हैं, जिन्होंने डॉलर के मुकाबले सबसे बड़ी गिरावट देखी है। बहुत संभव है कि कुछ देशों के केंद्रीय बैंक डॉलर की बिक्री करने के बजाय उसकी खरीद में लग जाएं। उनका ध्यान आयातित मुद्रास्फीति से निर्यात को बढ़ावा देने की तरफ भी जा सकता है।
विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के मामले में भारत और थाईलैंड सबसे आक्रामक रहे हैं। इन्होंने अपने फॉरेन रिजर्व का उपयोग करके लोकल करेंसी में गिरावट को रोकने का भरपूर प्रयास किया है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 81 बिलियन डॉलर और थाईलैंड के मुद्रा भंडार में 32 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। दक्षिण कोरिया के भंडार में 27 अरब डॉलर, इंडोनेशिया में 13 अरब डॉलर और मलेशिया में 9 अरब डॉलर की गिरावट आई है।
भारत कैसे निपटेगा इस स्थिति से
भारत की स्थिति अन्य देशों के मुकाबले काफी बेहतर है। जीडीपी के आंकड़ों को देखें तो भारत की विकास दर इस समय सबसे अधिक है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि रुपए के अवमूल्यन का संकट नहीं आएगा। आरबीआई ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह रुपये में किसी भी तेज गिरावट को रोकने की पूरी कोशिश करेगा। आरबीआई की इन कोशिशों का असर दिखने भी लगा है और रुपया अब धीरे-धीरे स्थिर हो रहा है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को कहा कि भारत, रुपये को सहारा देने की कोशिश नहीं कर रहा है और रुपया मुद्रा बाजार की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है कि रुपये की गति धीरे-धीरे बाजार के रुझान के अनुरूप हो।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मंगलवार को 36 पैसे की तेजी के साथ 79.17 के एक महीने के उच्च स्तर पर बंद हुआ।
घरेलू मुद्रा स्थिर हो जाएगी: चिदंबरम
डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर दो महीने के न्यूनतम स्तर 63 पर आ जाने के मद्देनजर वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज आश्वस्त किया कि घरेलू मुद्रा स्थिर हो जाएगी। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि.
डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर दो स्थिर मुद्रा क्या है महीने के न्यूनतम स्तर 63 पर आ जाने के मद्देनजर वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज आश्वस्त किया कि घरेलू मुद्रा स्थिर हो जाएगी। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि रुपये की घटबढ़ शांत हो जायेगी।
शुरुआती कारोबार में आज डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 63.33 पर पहुंच गया, जो 18 सितंबर से अब तक का न्यूनतम स्तर है। घरेलू मुद्रा में पिछले सप्ताह से गिरावट आने लगी है। तेल कंपनियों को उनकी डॉलर जरूरत का कुछ हिस्सा बाजार से खरीदने की अनुमति दिये जाने के बाद से रुपया अस्थिर हुआ है।
आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने पिछले सप्ताह कहा था कि रुपए में कमजोरी तेल विपणन कंपनियों की बाजार से विदेशी मुद्रा खरीदने के कारण आई। तेल विपणन कंपनियां अपनी 30-40 प्रतिशत मांग बाजार से पूरी कर रही हैं।
सरकारी तेल कंपनियां डालर की सबसे बड़ी खरीदार हैं और हर महीने औसतन 75 लाख टन कच्चा तेल खरीदने के लिए 8-8.5 अरब डॉलर की जरूरत होती है। अगस्त में जब डॉलर के मुकाबले रुपये में काफी उतार चढ़ाव आने लगा था, तब रिजर्व बैंक ने इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के लिये स्थिर मुद्रा क्या है उनकी दैनिक विदेशी मुद्रा जरूरतों को पूरा करने के वास्ते विशेष खिड़की सुविधा शुरू की थी।
दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कौन सी है?
समाचार पत्रों में और खबरों में, हम अक्सर डॉलर ($) और रुपए (₹) के बीच दामों में उतार-चढ़ाव के बारे में सुनते रहते हैं। कभी डॉलर ($) मजबूत होता है और रुपया कमजोर। कभी रुपया मजबूत होता है और डॉलर कमजोर। यह डॉलर और रुपए के बीच एक दूसरे के लेनदेन के भाव (rate) के कारण होता है। यही स्थिति यूरो (€) और अन्य मुद्राओं (Currencies) के बीच लेन-देन में भी होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा (Currency) कौन सी है? साथ ही साथ इससे जुड़े कुछ अन्य उपयोगी सवालों के जवाब भी देंगे, जैसे कि-
- किसी मुद्रा (Currency) की कीमत क्या होती है?
- दुनिया में सबसे ज्यादा किस मुद्रा का लेनदेन होता है
- दुनिया में सबसे कम उतार-चढ़ाव वाली मुद्रा कौन सी है
पूरा लेख एक नजर में
दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कौन सी है?
Which is the most valuable in the world?
1 कुवैती दिनार= लगभग 233.75 रुपए
कुवैत की मुद्रा (Currency) कुवैती दिनार (Kuwaiti Dinar) को दुनिया की सबसे महंगी करेंसी (most valuable currency) माना जाता है। इसे संक्षेप में (KWD) लिखा जाता है। कुवैत के अलावा यह मध्यपूर्व (Middle-East) के देशों में भी तेल के व्यापार में इस्तेमाल की जाती है। 1 कुवैती दिनार इस समय लगभग 233.75 रुपए के बराबर है। यानी कि अगर आपके पास में 100 कुवैती दिनार है तो आपको उनके बदले में 23375 रुपए मिल सकते हैं।
कीमत के मामले में, दूसरे नंबर पर बहरीन देश की मुद्रा बहरीनी दीनार (Bahraini Dinar-BHD) आती है। 1 बहरीनी दीनार (BHD) की कीमत इस समय 196.95 रुपए के बराबर है। तीसरे नंबर पर ओमान की मुद्रा ओमानी रियाल Omani Rial (OMR) है। एक ओमानी रियाल की कीमत इस समय 192.85 रुपए के बराबर है। कीमत के मामले में और कौन-कौन सी मुद्राएं टॉप लिस्ट में आती हैं, यह जानने के लिए आप नीचे दी गई लिस्ट को देख सकते हैं।
कीमत के मामले में दुनिया की टॉप 10 मुद्राएं
Top 10 valuable currencies of the world
नीचे तालिका (table) में, हमने 19 दिसंबर 2021 को, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में विभिन्न देशों की मुद्राओं की भारतीय रुपयों में कीमत दी है। किसी अन्य दिन या समय पर इनमें बदलाव भी हो सकता है।
मुद्रा का नाम Name of Currency | भारतीय रुपयों में मुद्रा की कीमत International rate in Indian rupee |
कुवैती दिनार Kuwaiti Dinar (KWD) | 1 KWD=250.81 रुपए |
बहरीनी दीनार Bahraini Dinar (BHD) | 1 BHD=200.42 रुपए |
ओमानी रियाल Omani Rial (OMR) | 1 OMR=196.25 रुपए |
जॉर्डेनियन दीनार Jordanian Dinar (JOD) | 1 JOD=107.27 रुपए |
जिब्रॉल्टर पाउंड Gibraltar Pound (GIP) | 1 GIP=100.62 रुपए |
ब्रिटिश पाउंड British Pound (GBP) | 1 GBP=100.69 रुपए |
कैमान आईलैंड डॉलर Cayman Island Dollar (KYD) | 1 KYD=90.63 रुपए |
यूरो Euro (EUR) | 1 EUR=85.44 रुपए |
स्विस फ्रैंक Swiss Franc (CHF) | 1 CHF=82.24 रुपए |
अमेरिकी स्थिर मुद्रा क्या है डॉलर United States Dollar (USD) | 1 USD=76.01रुपए |
इन्हें भी जानें-
किसी मुद्रा की कीमत क्या होती है? What is currency rate
किसी दूसरे देश की 1 मुद्रा लेने के लिए हमे अपनी कितनी मुद्रा (currency) चुकानी पड़ रही है. यह उस दूसरी वाली मुद्रा (currency) की कीमत होती है। जैसे कि 19 दिसंबर 2021 को हमे 1 डॉलर ($) के बदले में 76.01 रुपए चुकाने पड़ रहे थे। इसका मतलब है कि-
- 1 डॉलर की कीमत भारतीय रुपयों में 76.01 रुपए है
- 1 रुपए की कीमत अमेरिकी डॉलर में 0.013 डॉलर है
मुद्राओं के अंतर्राष्ट्रीय भाव (internation exchange rate) रोज-रोज बदलते या उतरते-चढ़ते रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में विभिन्न मुद्राओं की मांग (demand) और पूर्ति (supply) में उतार-चढ़ाव के कारण ऐसा होता है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जिस मुद्रा की मांग (demand) ज्यादा हो जाती है, उसके भाव (Exchange rate) बढ़ जाते हैं। और जिस मुद्रा की मांग कम हो जाती है उसके रेट भी कमजोर हो जाते हैं।
किसी देश की मुद्रा की कीमत में बढ़ोतरी या कमी को उसकी अर्थव्यवस्था (Economy) की मजबूती या कमजोरी से जोड़कर भी देखा जाता है। जिन देशों की अर्थव्यवस्थाओं के प्रति अंतरराष्ट्रीय विश्वास में बढ़ोतरी होती है उनकी मुद्रा की रेट भी बढ़ जाते हैं, जबकि जिन देशों की अर्थव्यवस्थाओं के प्रति अंतरराष्ट्रीय विश्वास कमजोर हो रहा होता है उसकी मुद्रा का रेट भी गिर जाता है।
इन्हें भी जानें-
दुनिया में सबसे ज्यादा किस मुद्रा का लेन-देन होता है?
Which is the most traded currency in the world?
दुनिया में सबसे ज्यादा लेन-देन वाली मुद्रा (most traded currency ) अमेरिकी डॉलर ($) या USA dollar है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) की मुद्रा है। इसे दुनिया की प्राइमरी रिजर्व करेंसी (primary reserve currency) के रूप में भी मान्यता मिली हुई है। क्योंकि सभी देशों के केंद्रीय बैंक (central banks) और कमर्शियल बैंक, इस मुद्रा को अपने पास रखते हैं और अंतर्राष्ट्रीय में लेन-देन ( international transactions) में इस्तेमाल करते हैं। खाड़ी देशों के अलावा अन्य सभी देश अमेरिकी डॉलर ($) को कॉमन स्टैंडर्ड करेंसी के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।
दुनिया में सबसे कम उतार-चढ़ाव वाली मुद्रा कौन सी है?
Which is the world’s most stable currency?
दुनिया की सबसे स्थिर मुद्रा (stable currency) स्विट्जरलैंड की मुद्रा Swiss Franc या CHF है। यह स्विट्जरलैंड और लिचेंस्टीन की मुद्रा है। CHF का फुल फॉर्म होता Confoederatio Helvetica Franc है । यह लैटिन भाषा में स्विट्जरलैंड का नाम है। 1 स्विस स्थिर मुद्रा क्या है फ्रैंक या CHF इस समय 72.68 भारतीय रुपयों के बराबर है। स्विट्जरलैंड की मजबूत मौद्रिक नीतियों (monetary policy) और कर्जे का निम्न स्तर (low debt level) होने के कारण इस मुद्रा की विनिमय दरों (Exchange rate) में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव (ups and down) नहीं होते। वैश्विक राजनीति में उतार-चढ़ाव की स्थिति के दौरान भी निवेशकों का विश्वास इस पर बना रहता है।
तो दोस्तों यह थी दुनिया की सबसे महंगी करेंसियों और उनके रेट्स के बारे में जानकारी। सेविंग और फाइनेंस से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखे हमारी वेबसाइट पर मौजूद लेख-