ऑनलाइन टीचिंग

वास्तविक उपज

वास्तविक उपज
Back to PMFBY

This page is managed by

This is the official Website of Banaras Hindu University, [BHU], Varanasi-221005, U.P., India. Content on this website is published and Managed by Banaras Hindu University. For any query regarding this website, Please contact the "Web Information Manager"

यह काशी हिंदू विश्वविद्यालय, [बीएचयू], वाराणसी - 221005, उत्तर प्रदेश, भारत की आधिकारिक वेबसाइट है इस वेबसाइट पर सामग्री काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित और प्रबंधित है. इस वेबसाइट से संबंधित किसी भी प्रश्न के लिए, कृपया संपर्क करें। "वेब सूचना प्रबंधक"

वास्तविक उपज

Other Links

Back to PMFBY

Back to PMFBY

एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी,निजी क्षेत्र में भारत की तीसरी सबसे बड़ी गैर-जीवन बीमा प्रदाता है , उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को ऋणी और गैर-ऋणी किसानों के लिए लागू करने के लिए जिला अलीगढ़ , बदायूं , गौतम बुद्ध नगर , जौनपुर , खीरी , मिर्ज़ापुर एवं संत कबीर नगर में अधिकृत किया गया हैI प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सभी उत्पादों को कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है।

अधिसूचित जिलों में अधिसूचित फसलें निम्ननुसार हैं :

  • अलीगढ़ – धान, मक्का,
  • बदायूं – धान, मक्का, बाजरे, उड़द, तिल
  • गौतम बुद्ध नगर – बाजरे, धान
  • जौनपुर – धान, मक्का, बाजरे, उड़द, तिल, अरहर, ग्राम, ज्वार
  • खीरी – धान, मक्का, उड़द, तिल, मूंगफली
  • मिर्ज़ापुर – धान, मक्का, उड़द, तिल, मूंगफली, बाजरे, ग्राम, अरहर
  • संत कबीर नगर – धान, मक्का, अरहर

योजना सम्बंधित जानकारी

  • योजना की विशेषताएं
  • सामान्य प्रश्न
  • संपर्क करें
  • चित्र प्रदर्शनी
  • विवरणिका
  • प्रीमियम
  • विपणन विज्ञापन

यह योजना सभी किसानों को राज्य सरकारों द्वारा अधिसूचित अपनी फसलों के लिए बीमा कवरेज प्रदान करती है

अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलों की बोवाई करने वाले बंटाईदार और किरायेदार किसान समेत सभी किसान कवरेज के लिए पात्र हैं। किसानों का अधिसूचित / बीमाकृत फसलों के लिए बीमापात्र हित होना चाहिए।

गैर-ऋण वाले किसानों को राज्य में प्रचलित भूमि अभिलेखोंअधिकार (आरओआर), भूमि अधिग्रहण प्रमाण पत्र (एलपीसी) इत्यादि के रिकॉर्ड्स के आवश्यक दस्तावेजी साक्ष्य जमा करने होंगे और/ या लागू अनुबंध विवरण / अन्य दस्तावेज अधिसूचित / संबंधित राज्य सरकार द्वारा अनुमति (बंटाईदार/ किरायेदार किसानों के मामले में)।

अधिसूचित फसल (ओं) के लिए वित्तीय संस्थानों (यानी ऋणदाता किसानों) से मौसमी कृषि संचालन (एसएओ) ऋण लेने वाले सभी किसानों को अनिवार्य रूप से कवर किया जाएगा। सभी ऋणदाताओं के लिए योजना के प्रावधानों के अनुसार बीमा कवरेज पर जोर देना अनिवार्य है।

फसल योजना में कोई भी बदलाव अंतिम तिथियों से कम से कम 2 दिन पहले बैंक के नोटिस में लाया जाना चाहिए।

बीमा प्रस्तावों को केवल एसएलसीसीसीआई / राज्य सरकार द्वारा निर्धारित एवं अधिसूचित अंतिम तारीख तक ही स्वीकार किया जाता है।

योजना किसी भी अधिसूचित बीमा इकाई में, किसी भी अधिसूचित फसल के लिए पीएमएफबीवाई के तहत बीमा प्राप्त करने के इच्छुक गैर-ऋण वाले किसानों के लिए वैकल्पिक होगी। इच्छुक गैर-ऋण वाले किसान निकटतम बैंक शाखा / पीएसीएस / अधिकृत चैनल पार्टनर / बीमा कंपनी के बीमा मध्यस्थ के माध्यम से निर्धारित अंतिम तारीख के भीतर, पूर्ण रूप से निर्धारित प्रारूप में भरा हुआ प्रस्ताव फॉर्म, जमा करें और बैंक शाखा / बीमा मध्यस्थ / सीएससी केंद्रों को अनिवार्य प्रीमियम जमा करें, जिस से बीमा के लिए प्रस्तावित भूमि / फसल (उदाहरण के लिए अधिग्रहण / किरायेदारी / खेती के अधिकार) की खेती में उनके बीमा योग्य हितों के बारे में आवश्यक दस्तावेजी सबूत स्थापित हो। बीमा के लिए इच्छुक किसान को नामित बैंक की शाखा में खाता खोलना / संचालित करना चाहिए, और विवरण प्रस्ताव में लागू होना चाहिए।

किसानों को प्रस्ताव में अपनी भूमि पहचान संख्या का जिक्र करना चाहिए और खेती योग्य भूमि के संबंध में दस्तावेजी साक्ष्य प्रदान करना चाहिए। किसान को बोये गये क्षेत्र का पुष्टिकरण साक्ष्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।

किसान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे केवल एक स्त्रोत से भूमि के टुकड़े में खेती की जाने वाली अधिसूचित फसल (खेती) के लिए बीमा कवरेज प्राप्त हो। कोई दोहरा बीमा की अनुमति नहीं है और ऐसे किसी भी मामले में किसान कवरेज के लिए योग्य नहीं होगा। बीमा कंपनी ऐसे दावों को अस्वीकार करने का अधिकार सुरक्षित रखेगी और प्रीमियम के साथ-साथ ऐसे मामलों में धनवापसी नहीं करेगी। कंपनी एसे किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है।

1. प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना क्या है?

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना अनिश्चितता और प्रतिकूल मौसम की अनियमितताओं के परिणामस्वरुप क्षेत्र में होने वाले नुकसान के लिए किसानों को सुरक्षा प्रदान करती है।

2. किस कारण से फसल प्रभावित होती है और किस प्रकार के वास्तविक उपज जोखिम शामिल होते हैं?

प्राकृतिक आपदा, कीट के हमले और मौसम की अनियंत्रित अतिरिक्त या घाटे की वर्षा, अतिरिक्त या घाटे का तापमान, नमी, तुषार, हवा की गति इत्यादि।

3. दावों का आकलन कैसे किया जाता है?

a. यदि बीमाकृत अवधि में बीमा इकाई के लिए बीमाकृत फसलों के प्रति हेक्टेयर वास्तविक उपज (सीसीई की अपेक्षित संख्या के आधार पर की गई गणना) निर्दिष्ट थ्रेसहोल्ड उपज से कम हो जाती है तो उस परिभाषित क्षेत्र और फसल में सभी बीमाकृत किसान को उपज में कमी का सामना करना पड़ता है।

निम्नलिखित सूत्र के अनुसार ‘दावा’ गणना की जाएगी; थ्रेसहोल्ड उपज – वास्तविक उपज थ्रेसहोल्ड उपज

जहां, थ्रेसहोल्ड उपज पिछले 7 वर्षों की उपज में से, सर्वश्रेष्ठ 5 वर्ष औसत उपज से उस फसल के लिए लागू क्षतिपूर्ति स्तर से गुणा किया जाता है।

b. किसानों को दावों का भुगतान तब शुरु होगा जब बीमा कंपनी को मौसम वर्ष के लिए केन्द्र और राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश सरकार से प्रीमियम सब्सिडी प्राप्त हो जाएगी।

c. संबंधित बीमा कंपनियों से दावा राशि प्राप्त करने के बाद, वित्तीय संस्थान/ बैंकों को एक सप्ताह के अंतर्गत लाभार्थी किसानों के खाते में दावा राशि प्रेषित करनी होगी एवं सात दिवस के अंतर्गत शाखा कार्यालयों में लाभार्थियों का पूरा विवरण प्रदर्शित करना होगा तथा इसकी आख्या बीमा कम्पनी को सत्यापन एवं लेखा परीक्षा के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र के साथ प्रेषित करनी होगी।

d. अऋणी किसानों के मामले में देय दावों को बीमा कंपनी द्वारा दावे के विवरण की सूचना के साथ व्यक्तिगत किसान के खाते में सीधा जमा किया जाएगा ।

इस योजना के तहत प्रभार की गई प्रीमियम दरें क्या हैं?

पीएमएफबीवाई योजना के तहत बीमांकिक प्रीमियम दर का प्रभार लिया जाएगा:-

a. खरीफ फसलों के लिए, किसानों द्वारा देय अधिकतम प्रीमियम दर बीमा राशि का 2% या बीमांकिक प्रीमियम दर, जो भी कम है।

b. रबी फसलों के लिए, किसानों द्वारा देय अधिकतम प्रीमियम दर बीमा राशि का 1.5% या बीमांकिक प्रीमियम दर, जो भी कम है।

c. खरीफ और रबी मौसम में वाणिज्यिक / उद्यनिकी फसलों के लिए, किसानों द्वारा देय अधिकतम प्रीमियम दर बीमा राशि का 5% या बीमांकिक प्रीमियम दर, जो भी कम हो।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में संशोधन करने के लिए सरकार तैयार

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में संशोधन करने के लिए सरकार तैयार

सरकार जलवायु संकट और नई टेक्नोलॉजी को देखते हुए किसानों के हित में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana - PMFBY) में संशोधन करने के लिए तैयार है.

आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा ने कहा है कि 2016 में इस कार्यक्रम की शुरूआत के बाद से नई चुनौतियों से निपटने के लिए इसमें बडे बदलाव किये जा चुके हैं. उन्‍होंने बताया कि 2018 में भी इस स्‍कीम में मूलभूत बदलाव किये गये थे. इनमें किसानों के लिए फसल नुकसान की जानकारी देने की अवधि 48 घंटे से बढाकर 72 घंटे करना शामिल है.

मनोज आहूजा ने कहा कि खेती जलवायु संकट का सीधा शिकार होती है, इसलिये यह जरूरी है कि प्रकृति के उतार-चढ़ाव से देश के कमजोर किसान समुदाय को बचाया जाये. फलस्वरूप, फसल बीमा में बढ़ोतरी संभावित है और इसीलिये हमें फसल तथा ग्रामीण/कृषि बीमा के अन्य स्वरूपों पर ज्यादा जोर देना होगा, ताकि भारत में किसानों को पर्याप्त बीमा कवच उपलब्ध हो सके.

सचिव ने कहा कि उपयुक्‍त खेती के अनुरूप फसल बीमा योजना की पहुंच और इसके संचालन में इनोवेशन, डिजिटाइजेशन और टेक्नोलॉजी महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं. मंत्रालय ने कहा है कि PMFBY किसानों के पंजीकरण के मामले में फिलहाल वास्तविक उपज दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है, जिसके अंतर्गत हर वर्ष औसतन साढ़े पांच करोड़ पंजीकरण किये जा रहे हैं. प्रीमियम प्राप्ति के मामले में यह विश्‍व की तीसरी सबसे बड़ी योजना है.

union-agriculture-ministry-is-open-to-taking-pro-farmer-changes-in-pmfby-climate-crisis-rapid-technological-advances

आहूजा ने कहा कि PMFBY फसल बीमा को अपनाने की सुविधा दे रही है. साथ ही, कई चुनौतियों का समाधान भी किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि संशोधित योजना में जो प्रमुख बदलाव किये गये हैं, वे राज्यों के लिये अधिक स्वीकार्य हैं, ताकि वे जोखिमों को योजना के दायरे में ला सकें. इसके अलावा किसानों की बहुत पुरानी मांग को पूरा करने के क्रम में सभी किसानों के लिये योजना को स्वैच्छिक बनाया गया है.

आहूजा ने स्पष्ट किया कि कुछ राज्यों ने योजना से बाहर निकलने का विकल्प लिया है. इसका प्राथमिक कारण यह है कि वे वित्तीय तंगी के कारण प्रीमियम सब्सिडी में अपना हिस्सा देने में असमर्थ हैं. उल्लेखनीय है कि राज्यों के मुद्दों के समाधान के बाद, आंध्रप्रदेश जुलाई 2022 से दोबारा योजना में शामिल हो गया है. आशा की जाती है कि अन्य राज्य भी योजना में शामिल होने पर विचार करेंगे, ताकि वे अपने किसानों को समग्र बीमा कवच प्रदान कर सकें. ध्यान देने योग्य बात यह है कि ज्यादातर राज्यों ने PMFBY के स्थान पर क्षतिपूर्ति मॉडल को स्वीकार किया है. याद रहे कि इसके तहत PMFBY की तरह किसानों को समग्र जोखिम कवच नहीं मिलता.

आहूजा ने कहा कि एग्रीटेक और ग्रामीण बीमा का एकीकरण, वित्तीय समावेश तथा योजना के प्रति विश्वास पैदा करने का जादुई नुस्खा हो सकता है. हाल ही में मौसम सूचना और नेटवर्क डाटा प्रणालियां (विंड्स), प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमान प्रणाली (यस-टेक), वास्तविक समय में फसलों की निगरानी और फोटोग्राफी संकलन (क्रॉपिक) ऐसे वास्तविक उपज वास्तविक उपज कुछ बड़े काम हैं, जिन्हें योजना के तहत पूरा किया गया है, ताकि अधिक दक्षता तथा पारदर्शिता लाई जा सके. वास्तविक समय में किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिये छत्तीसगढ़ में एक एकीकृत हेल्पलाइन प्रणाली का परीक्षण चल रहा है.

प्रीमियम में केंद्र और राज्य के योगदान का विवरण देते हुये आहूजा ने कहा कि पिछले छह वर्षों में किसानों ने केवल 25,186 करोड़ रुपये का योगदान किया, जबकि उन्हें दावों के रूप 1,25,662 करोड़ रुपये चुकता किये गये. इसके लिये केंद्र और राज्य सरकारों ने योजना में प्रीमियम का योगदान किया था. उल्लेखनीय है कि किसानों में योजना की स्वीकार्यता पिछले छह वर्षों में बढ़ी है. सचिव ने बताया कि वर्ष 2016 में योजना के आरंभ होने से लेकर अब तक इसमें गैर-ऋण वाले किसानों, सीमांत किसानों और छोटे किसानों की संख्या में 282 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

union-agriculture-ministry-is-open-to-taking-pro-farmer-changes-in-pmfby-climate-crisis-rapid-technological-advances

याद रहे कि 2022 में महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब से अधिक वर्षा तथा मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से कम वर्षा की रिपोर्टें दर्ज की गईं. इसके कारण धान, दालों और तिलहन की फसल चौपट हो गई. इसके अलावा, अप्रत्याशित वास्तविक उपज रूप से ओलावृष्टि, बवंडर, सूखा, लू, बिजली गिरने, बाढ़ आने और भूस्खलन की घटनायें भी बढ़ीं. ये घटनायें 2022 के पहले नौ महीनों में भारत में लगभग रोज होती थीं. इनके बारे में कई विज्ञान एवं पर्यावरण दैनिकों और पत्रिकाओं में विवरण आता रहा है.

आहूजा ने बताया कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम्स ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2022 में मौसम की अतिशयता को अगले 10 वर्षों की अवधि के लिये दूसरा सबसे बड़ा जोखिम करार दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम मे अचानक होने वाला परिवर्तन हमारे देश पर दुष्प्रभाव डालने में सक्षम है. उल्लेखनीय है कि हमारे यहां दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी का पेट भरने की जिम्मेदारी किसान समुदाय के कंधों पर ही है. इसलिये यह जरूरी है कि किसानों को वित्तीय सुरक्षा दी जाये और उन्हें खेती जारी रखने को प्रोत्साहित किया जाये, ताकि न केवल हमारे देश, बल्कि पूरे विश्व में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

PMFBY मौजूदा समय में किसानों के पंजीकरण के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है. इसके लिये हर वर्ष औसतन 5.5 करोड़ आवेदन आते हैं तथा यह प्रीमियम प्राप्त करने के हिसाब से तीसरी सबसे बड़ी योजना है. योजना के तहत किसानों के वित्तीय भार को न्यूनतम करने की प्रतिबद्धता है, जिसमें किसान रबी व खरीफ मौसम के लिये कुल प्रीमियम का क्रमशः 1.5 प्रतिशत और दो प्रतिशत का भुगतान करते हैं. केंद्र और राज्य प्रीमियम का अधिकतम हिस्सा वहन करते हैं. अपने क्रियान्वयन के पिछले छह वर्षों में किसानों ने 25,186 करोड़ रुपये का प्रीमियम भरा है, जबकि उन्हें 1,25,662 करोड़* रुपये (31 अक्टूबर, 2002 के अनुरूप) का भुगतान दावे के रूप में किया गया है. किसानों में योजना की स्वीकार्यता का पता इस तथ्य से भी मिलता है कि गैर-ऋण वाले किसानों, सीमांत किसानों और छोटे किसानों की संख्या 2016 में योजना के शुरू होने के बाद से 282 प्रतिशत बढ़ी है.

वर्ष 2017, 2018 और 2019 के कठिन मौसमों के दौरान मौसम की सख्ती बहुत भारी पड़ी थी. इस दौरान यह योजना किसानों की आजीविका को सुरक्षित करने में निर्णायक साबित हुई थी. इस अवधि में किसानों के दावों का निपटारा किया गया, उन दावों के मद्देनजर कुल संकलित प्रीमियम के लिहाज से कई राज्यों ने औसतन 100 प्रतिशत से अधिक का भुगतान किया. उदाहरण के लिये छत्तीसगढ़ (2017), ओडिशा (2017), तमिलनाडु (2018), झारखंड (2019) ने कुल प्राप्त प्रीमियम पर औसतन क्रमशः 384 प्रतिशत, 222 प्रतिशत, 163 प्रतिशत और 159 प्रतिशत भुगतान किया.

Bihar Fasal Bima Yojana Apply : किसान भाई आज ही करे योजना में आवेदन, मिलेगा 7500 रुपये प्रति एकड़

Bihar Fasal Bima Yojana Apply किसान भाई आज ही करे योजना में आवेदन मिलेगा 7500 रुपये प्रति एकड़ : भारत कृषि और खेती का देश है। लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई बार किसानों को कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे किसानों (Farmers) को आर्थिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। कभी-कभी वे अच्छी तरह से खेती करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। इस मुद्दे को हल करने के लिए, बिहार (Bihar) सरकार बिहार फसल बीमा योजना लेकर आई है जिसे बिहार राज्य फसल सहायता योजना (Bihar Fasal Bima Yojana) भी कहा जाता है। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार का ध्यान उन किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है जो अक्सर सूखे, बाढ़ और यहां तक ​​कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान का सामना करते हैं। इससे उन्हें भविष्य में भी खेती करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

Bihar Fasal Bima Yojana Apply

Bihar-Fasal-Bima-Yojana-Apply-1

इससे पहले कि आप आगे बढ़ें और फसल बीमा योजना ऑनलाइन आवेदन का विकल्प चुनें, आपको यह समझने की जरूरत है कि यह योजना कैसे काम करती है। बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों को आर्थिक मदद देने के मकसद से इस योजना की शुरुआत की है |

यह योजना (Bihar Fasal Bima Yojana) 7500 रुपये की राशि की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। राज्य की फसलों की वास्तविक उपज दर के 20% तक की हानि के लिए प्रति हेक्टेयर। यदि वास्तविक उपज दर में फसल की कीमत रुपये की कीमत से 20% से अधिक की हानि होती है। 10,000 प्रति हेक्टेयर की पेशकश की जाएगी।

चाहे वह सूखा हो, बाढ़ हो या वास्तविक उपज कोई प्राकृतिक आपदा यह योजना किसानों (Farmers) को फसल के नुकसान से बचाने में कारगर साबित हो सकती है। इस योजना (Bihar Fasal Bima Yojana) में, किसानों को उन फसलों के नुकसान के लिए मौद्रिक भुगतान किया जाएगा जो उन आपदाओं के कारण बाधित हो सकती हैं जिन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

आवेदन के लिए आपको जो चीज जानने की जरूरत है (Bihar Fasal Bima Yojana Apply)

बिहार फसल सहायता योजना (Bihar Fasal Bima Yojana) फॉर्म ऑनलाइन उपलब्ध है जहां आप आवेदन के साथ आगे बढ़ सकते हैं। बिहार (Bihar) राज्य के वास्तविक उपज बहुत सारे किसान हैं जो तिलहन के साथ-साथ पैसे की खेती कर रहे हैं, जिससे बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की संभावना फसलों को अन्य नुकसान पहुंचाती है।

ऐसी स्थिति से निपटने के लिए किसानों को इस योजना में रबी, खरीफ या तिलहन फसल के मौसम में अपना पंजीकरण कराना होगा। आवेदन पत्र ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध है और उसके बाद, किसान को 20% से अधिक फसलों के नुकसान पर वित्तीय सहायता मिल सकती है।

इच्छुक किसान (Farmer) आगे आधिकारिक वेबसाइट rcdonline.bih.nic.in पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। पात्र ग्राम पंचायतों की सूची आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर होगी।

बिहार राज्य फसल सहायता योजना के बारे में अधिक जानें आवश्यक निर्देश

आवेदन के दौरान तनाव मुक्त होने के लिए, आपको बस यह ध्यान रखना होगा कि कुछ आवश्यक निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए। यह भी शामिल है: पहचान पत्र (भारत के चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त) 400 केबी से कम और (पीडीएफ) के रूप में आवासीय प्रमाण पत्र (400 केबी से कम और (पीडीएफ) प्रारूप में होना चाहिए) फोटो (50 केबी से कम होना चाहिए) बैंक पासबुक की प्रथम पृष्ठ की प्रति (400KB से कम होनी चाहिए और (पीडीएफ) फॉर्म में होनी चाहिए

प्रमुख लाभ

  • रु. 20 प्रतिशत से अधिक के नुकसान पर 10,000/- प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाएगा।
  • संचित क्षेत्र और असिंचित क्षेत्र के लिए 13500 रुपये प्रति हेक्टेयर की पेशकश की जाती है
  • कृषि विभाग अलग से इनपुट ग्रांट देता है।
  • 6500 रु. प्रति हेक्टेयर दिया जाता है।
  • 20 प्रतिशत से कम के नुकसान पर 7500 रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जाएगा
  • किसी भी किसान (Farmer) को कम से कम 1000 रुपये देने का प्रावधान है।
  • कटाई के आधार पर फसल के नुकसान का आकलन कर मुआवजा दिया जाता है।

बिहार राज्य फसल सहायता योजना ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया

यदि किसान (Farmer) पात्रता मानदंड के अंतर्गत आता है, तो नीचे दी गई ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया है जिसका पालन करने की आवश्यकता है। साथ ही इसके साथ जो भी निर्देश दिए गए हैं उन सभी को पढ़ना जरूरी है। फसल सहायता योजना फॉर्म ऑनलाइन प्रक्रिया में शामिल हैं:

किस रफ्तार से बढ़ेगी देश की इकोनॉमी, RBI के लेख में लगाया गया अनुमान

लेख के मुताबिक जीएसटी संग्रह, निर्यात जैसे प्रमुख आंकड़ों के आधार पर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.1 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत के बीच रह सकती है।

किस रफ्तार से बढ़ेगी देश की इकोनॉमी, RBI के लेख में लगाया गया अनुमान

देश की जीडीपी 7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक लेख में यह बात कही गई। लेख के मुताबिक मुद्रास्फीति में कमी के संकेत मिलने के साथ ही घरेलू स्तर पर अर्थव्यवस्था में नरमी देखने को मिल रहा है। इसके बावजूद देश की अर्थव्यवस्था के सामने वैश्विक चुनौतियां हैं।

लेख में कहा गया- हेडलाइन इंफ्लेशन में कमी के संकेत दिखने के साथ ही घरेलू व्यापक आर्थिक परिदृश्य में मजबूती है, लेकिन यह वैश्विक चुनौतियों के प्रति संवेदनशील भी है। लेख के मुताबिक शहरी मांग मजबूत दिखाई दे रही है, जबकि ग्रामीण मांग कमजोर है, लेकिन हाल ही में इसमें तेजी आई है।

लेख के मुताबिक जीएसटी संग्रह, निर्यात जैसे प्रमुख आंकड़ों के आधार पर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.1 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत के बीच रह सकती है। इसमें आगे कहा गया- अगर ऐसा होता है तो भारत 2022-23 में लगभग सात प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा। तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में आपूर्ति प्रतिक्रिया मजबूत हो रही है।

लेख को केंद्रीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल वास्तविक उपज देवव्रत पात्रा के नेतृत्व में एक टीम ने तैयार किया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह लेखकों की राय पर आधारित है तथा केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

रेटिंग: 4.68
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 799
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *