वर्चुअल मनी

आतंकवाद से बड़ा खतरा है आतंक का वित्तपोषण: शाह
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद के वित्त पोषण को आतंकवाद से बड़ा खतरा बताते हुए शुक्रवार को कहा कि इसे किसी धर्म, राष्ट्रीयता या समूह से नहीं जोड़ा जा सकता है और ना ही जोड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय को ‘आतंकवाद को कोई धन नहीं’ (नो मनी फॉर टेरर) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आतंक के वित्तपोषण के “तरीकों, माध्यम और प्रक्रियाओं’’ (मोड-मीडियम-मेथड) को समझकर, उन पर कड़ा प्रहार करने में ‘वन माइंड, वन एप्रोच’ के सिद्धांत को अपनाना होगा।
राष्ट्रीय राजधानी स्थित होटल ताज पैलेस में, आतंकियों को धन की आपूर्ति पर रोक लगाने संबंधी विषय पर आयोजित तीसरे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में शाह ने यह बात कही। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सम्मेलन का आयोजन किया था।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों में भारत में आतंकवादी घटनाओं में अत्यधिक कमी आई है और इसके परिणामस्वरूप आतंकवाद के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान में भी भारी कमी आई है।
इस दौरान शाह ने कहा कि आतंकवादी को संरक्षण देना, आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है और यह सभी देशों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि ऐसे तत्व तथा ऐसे देश अपने इरादों में कभी सफल न हो सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादी हिंसा करने, युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने और वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए लगातार नए तरीके खोज रहे हैं, वे साइबर अपराध के उपकरणों का इस्तेमाल कर और अपनी पहचान छिपाकर कट्टरपंथ की सामग्री फैला रहे वर्चुअल मनी हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी जैसी वर्चुअल मुद्रा का उपयोग भी बढ़ रहा है और साइबर अपराध के उपकरणों के माध्यम से होने वाली गतिविधियों के तौर-तरीकों को भी समझना होगा तथा उसके उपाय ढूंढ़ने होंगे।
शाह ने कहा, ‘‘निस्संदेह, आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है। लेकिन मेरा मानना है कि आतंकवाद का वित्तपोषण आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इस तरह के वित्तपोषण से आतंकवाद के ‘साधन और तरीके’ पोषित होते हैं। इसके अलावा, आतंकवाद का वित्तपोषण दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी मानते हैं कि आतंकवाद का खतरा किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए।’’
शाह ने कहा कि आतंकवाद का “डायनामाइट से मेटावर्स’ और ‘‘एके-47 से वर्चुअल एसेट्स’’ तक का परिवर्तन, दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है।
उन्होंने सभी देशों से साथ मिलकर इसके खिलाफ साझा रणनीति तैयार करने का आह्वान किया।
शाह ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत ने सुरक्षा ढांचे के साथ-साथ कानूनी और वित्तीय प्रणालियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे निरंतर प्रयासों का परिणाम है कि भारत में आतंकवादी घटनाओं में अत्यधिक कमी हुई है और इसके परिणामस्वरूप आतंकवाद के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान में भी भारी कमी आई है।’’
पाकिस्तान और चीन पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयासों को कमजोर और नष्ट करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ देश आतंकवादियों का बचाव करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं। आतंकवादी को संरक्षण देना, आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि ऐसे तत्व और ऐसे देश, अपने इरादों में कभी सफल न हो सकें।’’
शाह ने आतंकवादियों के पनाहगाहों या उनके संसाधनों की अनदेखी नहीं करने के लिए सभी देशों को आगाह किया और कहा कि ऐसे तत्त्वों को सभी को उजागर करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यह सम्मेलन, सहभागी देश और संगठन, इस क्षेत्र की आतंकवादी चुनौतियों के बारे में चयनित या आत्मसंतुष्टि वाला दृष्टिकोण न रखे।
शाह ने कहा कि आज आतंकवादी या आतंकवादी समूह आधुनिक हथियार, सूचना प्रौद्योगिकी और साइबर तथा वित्तीय दुनिया को अच्छी तरह से समझते हैं और उसका उपयोग भी करते हैं।
अफगानिस्तान में हुए सत्ता परिवर्तन का उल्लेख करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 21 अगस्त 2021 के बाद दक्षिण एशिया में स्थिति बदल गई है और अल कायदा व आईएसआईएस का बढ़ता प्रभाव क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इन नए समीकरणों ने आतंकी वित्त पोषण की समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है। तीन दशक पूर्व ऐसे ही एक सत्ता परिवर्तन के गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को सहने पड़े और अमेरिका के ट्विन टावर (9/11) जैसे भयंकर हमले को हम सभी ने देखा है।’’
उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में पिछले साल दक्षिण एशिया क्षेत्र में हुआ परिवर्तन सभी के लिए चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि अल कायदा के साथ-साथ दक्षिण एशिया में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन बेखौफ होकर आज भी आतंक फ़ैलाने की फ़िराक में हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों और प्रकारों की निंदा करता है और उसका स्पष्ट मानना है कि निर्दोष लोगों की जान लेने जैसे कृत्य को उचित ठहराने का कोई भी कारण स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।’’
शाह ने कहा कि भारत कई दशकों से सीमा-पार से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है और भारतीय सुरक्षा बलों और आम नागरिकों को गंभीर आतंकवादी हिंसा की घटनाओं से जूझना पड़ा है।
उन्होने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक सामूहिक रुख है कि आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत का मानना है कि आतंकवाद से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका अंतरराष्ट्रीय सहयोग और राष्ट्रों के बीच रियल-टाइम तथा पारदर्शी सहयोग ही है।
शाह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मादक पदार्थों के अवैध व्यापार के उभरते चलन और नार्को-आतंकवाद जैसी चुनौतियों से आतंकवाद के वित्तपोषण को एक नया जरिया मिला है।
उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए सभी राष्ट्रों के बीच इस विषय पर घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र जैसी बहुपक्षीय संस्थाएं और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफएटीएफ) जैसे आम सहमति वाले मंचों की मौजूदगी आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने में सबसे अधिक प्रभावी हैं।’’
उन्होंने कहा कि एफएटीएफ धन शोधन और आतंकवादियों के वित्तपोषण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र माधव
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वर्चुअल मनी
नयी दिल्ली, 18 नवंबर, (वार्ता) केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शुक्रवार को आतंकवाद के वित्तपोषण को आतंकवाद से कहीं अधिक खतरनाक करार वर्चुअल मनी देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होकर इसे रोकने का आह्वान किया। शाह ने आज यहां आतंकवाद के वित्तपोषण का मुक़ाबला विषय पर तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ (No Money For Terror) मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के ‘आतंकवाद और आतंकवादियों को वित्त उपलब्ध कराने की वैश्विक प्रवृत्ति’ विषय पर प्रथम सत्र की अध्यक्षता की।
गृह मंत्री ने कहा कि आंतकवाद निस्संदेह, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है, लेकिन उनका मानना है, “टेररिज्म का वित्तपोषण, टेररिज्म से कहीं अधिक खतरनाक है, क्योंकि टेररिज्म के ‘मीन्स एंड मेथड’ को, इसी फण्ड से पोषित किया जाता है, इसके साथ-साथ दुनिया के सभी देशों के अर्थतंत्र को कमजोर करने का भी काम टेररिज्म के वित्तपोषण से होता है।"
आतंकवाद के सभी रूपों और प्रकारों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों की जान लेने जैसे कृत्य को, उचित ठहराने का, कोई भी कारण, स्वीकार नहीं किया जा वर्चुअल मनी सकता है। दुनियाभर में आतंकवादी हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमें इस बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत कई दशकों से सीमा-पार से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। बदलती परिस्थितियों में आतंकवाद के नए आयाम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “टेररिज्म का “डायनामाइट से मेटावर्स’ और ‘एके-47 से वर्चुअल एसेट्स” तक का यह परिवर्तन, दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है और हम सबको साथ मिलकर, इसके खिलाफ साझी रणनीति तैयार करनी होगी। हम यह भी मानते हैं कि, टेररिज्म का खतरा, किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए।"
अमित शाह ने कहा, “आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा ढांचे तथा कानूनी और वित्तपोषण व्यवस्था को मजबूत करने में हमने काफी प्रगति की है, लेकिन इसके बावजूद, टेररिस्ट लगातार हिंसा को अंजाम देने, युवाओं को रैडिकलाइज़ करने तथा वित्त संसाधन जुटाने के नए तरीके खोज रहे हैं। टेररिस्ट अपनी पहचान छिपाने और रेडिकल मेटेरियल को फ़ैलाने के लिए डार्क-नेट का उपयोग कर रहे है।“ शाह ने कहा कि साथ ही क्रिप्टो-करेंसी जैसे वर्चुअल एसेट्स का उपयोग भी बढ़ रहा है, हमें डार्क-नेट पर चलने वाली इन गतिविधियों का पैटर्न को समझना होगा और उसके उपाय भी ढूंढने होंगे ।पाकिस्तान का नाम लिए बिना केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने कहा ,“ हमने कई बार देखा है कि कुछ देश आतंकवादियों का बचाव करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं, किसी आतंकवादी को संरक्षण देना आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी होगी कि, ऐसे तत्त्व, अपने इरादों में, कभी सफल न हो सकें।
शाह ने कहा कि अगस्त, 2021 के बाद, दक्षिण एशिया में स्थिति बदल गई है और सत्ता परिवर्तन तथा अल कायदा और आईएसआईएस (Isis) का बढ़ता प्रभाव, क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर कर सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि इन नए समीकरणों ने आतंक वित्तपोषण की समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है। शाह ने कहा, “तीन दशक पूर्व ऐसे ही एक रिजीम-चेंज के गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को सहने पड़े है और नाइन-इलेवन जैसे भयंकर हमले को हम सभी ने देखा है। इस पृष्ठभूमि में पिछले साल दक्षिण एशिया क्षेत्र में हुआ परिवर्तन हम सभी के लिए चिंता का विषय है। अल कायदा के साथ-साथ दक्षिण एशिया में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) जैसे गुट बेखौफ होकर आज भी आतंक फ़ैलाने के फ़िराक में हैं।“
कुछ देशों वर्चुअल मनी की आतंकवाद पर दोहरे रवैए की आलोचना करते हुए शाह ने कहा ,“हमें कभी भी आतंकवादियों के पनाहगाहों या उनके संसाधनों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और ऐसे तत्त्वों, इन्हें स्पॉंसर, सपोर्ट करने वाले तत्त्वों के डबल-स्पीक को भी हमें उजागर करना होगा। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यह सम्मेलन, सहभागी देश और संगठन, इस क्षेत्र की टेररिस्ट चुनौतियों के बारे में सेलेक्टिव या आत्मसंतुष्ट दृष्टिकोण न रखे।" केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत ने एक सुनियोजित तरीके से आतंकवाद के लिए वित्तपोषण पर काफी हद तक काबू पाने में सफलता हासिल की है।
सीएम हाउस में UPA की बैठक शुरू, इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यकर्ताओं को करेंगे संबोधित
Ranchi : मुख्यमंत्री आवास में यूपीए विधायकों की बैठक शुरू हो गयी है. जिसकी अध्यक्षता हेमंत सोरेन कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक बैठक खत्म होने के बाद यूपीए के सभी विधायक और मंत्री सीएम आवास के निकट बनाये गये मंच पर आयेंगे और कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.
कार्यकर्ताओं में देखा जा रहा उत्साह
बता दें कि मुख्यमंत्री आवास के बाहर झामुमो कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी हुई है. कार्यकर्ता ढोल- नगाड़े बजा रहे है. कार्यकर्ता भाजपी वर्चुअल मनी की केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. कार्यकर्ता केंद्र सरकार होश में आओ, ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग बंद करो सहित कई तरह के नारे लगा रहे हैं. साथ ही क्षेत्रीय भाषा में गीत संगीत बजायी जी रही हैं. सीएम आवास के बाहर जमा हुए कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.
रवि शास्त्री भारतीय खिलाड़ियों के विदेशी लीग में खेलने के पक्ष में नहीं
रवि शास्त्री
टीम इंडिया के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने राहुल द्रविड़ का समर्थन करते हुए कहा है कि भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी लीग में खेलने की कोई आवश्यकता नहीं है. शास्त्री ने कहा, हमें कहीं और देखने के बजाय अपने देश पर ध्यान देना चाहिए.
ऐसी धारणा है कि भारतीय खिलाड़ी, जो बिग बैश लीग या हंड्रेड जैसी अंतरराष्ट्रीय लीगों में प्रतिस्पर्धा नहीं करते हैं, अन्य देशों के खिलाड़ियों के मुकाबले नुकसान में हैं. अन्य देशों के खिलाड़ियों के विदेशी लीग में खेलने से वे विभिन्न परिस्थितियों के आदि हो जाते हैं.
इंग्लैंड के खिलाफ टी20 विश्व कप सेमीफाइनल मैच के बाद द्रविड़ ने स्वीकार किया कि कुछ अंग्रेजी खिलाड़ियों को सेमीफाइनल वर्चुअल मनी स्थल एडिलेड को बेहतर तरीके से बीबीएल के अनुभव के कारण फायदा हुआ होगा. उन्होंने कहा कि इन टी20 प्रतियोगिताओं में से अधिकांश भारत के घरेलू सत्र के दौरान होती हैं, जिससे भारतीय खिलाड़ियों के लिए विदेशी लीग में खेलना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
इसके अतिरिक्त, यह देखते हुए कि भारतीय एथलीट दुनिया भर में कितने लोकप्रिय हैं, उनकी भागीदारी घरेलू क्रिकेट के लिए हानिकारक हो सकती है.
शास्त्री ने एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, इन सभी खिलाड़ियों के लिए सिस्टम में लीन होने और मौका पाने के लिए पर्याप्त घरेलू क्रिकेट है. इसके अलावा, आपको ये इंडिया ए टूर मिलते हैं, और आपको कई अन्य टूर मिलते हैं, जहां एक समय में आपके पास भविष्य में दो भारतीय टीमें खेल सकती हैं, जहां अन्य लोगों के लिए भारत में कहीं और जाने का अवसर आएगा. दूसरे देश में हैं कि खेलने के लिए जाएं और देखें कि आप क्या जानते हैं और वे क्या कर सकते हैं.
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चूंकि हाल के वर्षों में भारत ए के अधिक दौरे हुए हैं, शास्त्री ने महसूस किया कि खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट, आईपीएल और इन दौरों के माध्यम से पहले ही पर्याप्त अनुभव मिल चुका है.
उन्होंने कहा, तो विदेशी लीग में खेलने की कोई जरूरत नहीं है, वे आईपीएल क्रिकेट खेल रहे हैं और घरेलू क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उन्हें भारत में भी घरेलू क्रिकेट खेलने की जरूरत है.
ऑस्ट्रेलिया में विश्व कप के बाद, चयनकर्ताओं ने वरिष्ठ खिलाड़ियों को आराम दिया है, जिससे हार्दिक पांड्या न्यूजीलैंड में भारतीय टी20 टीम के कप्तान बनाए गए हैं. इस ऑलराउंडर ने इस साल की शुरुआत में पहली बार आयरलैंड में टीम की कप्तानी की थी.
आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है टेरर फंडिंग, “नो मनी फॉर टेरर” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘वन माइंड, वन एप्रोच’ का सिद्धांत अपनाना होगा: शाह
नई दिल्ली: केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह वर्चुअल मनी ने आज नई दिल्ली में ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रीस्तरीय सम्मेलन‘ में कहा कि टेररिज्म, निस्संदेह, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है, लेकिन उनका मानना है कि, टेररिज्म का वित्तपोषण, टेररिज्म से कहीं अधिक खतरनाक है, क्योंकि टेररिज्म के ‘मीन्स एंड मेथड’ को, इसी फण्ड से पोषित किया जाता है, इसके साथ-साथ दुनिया के सभी देशों के अर्थतंत्र को कमजोर करने का भी काम टेररिज्म के वित्तपोषण से होता है ।
गृह मंत्री ने कहा कि भारत टेररिज्म के सभी रूपों और प्रकारों की निंदा करता है। हमारा यह स्पष्ट मानना है कि, निर्दोष लोगों की जान लेने जैसे कृत्य को, उचित ठहराने का, कोई भी कारण, स्वीकार नहीं किया जा सकता है। दुनियाभर के टेररिस्ट हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमें इस बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत कई दशकों से सीमा-पार से प्रायोजित टेररिज्म का शिकार रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों और आम नागरिकों को निरंतर और समन्वित तरीके से की गई अत्यंत गंभीर टेररिस्ट हिंसा की घटनाओं से जूझना पड़ा है। उन्होने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक कलेक्टिव एप्रोच है कि टेररिज्म के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए, लेकिन तकनीकी क्रांति से, टेररिज्म के रूप और प्रकार, निरंतर बदल रहे हैं।
शाह ने कहा कि आज टेररिस्ट या टेररिस्ट ग्रुप, आधुनिक वेपन तथा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और साइबर तथा फाइनेंसियल वर्ल्ड को अच्छी तरह से समझते हैं और उसका उपयोग भी करते हैं। उन्होंने कहा कि टेररिज्म का “डायनामाइट से मेटावर्स’ और ‘AK-47 से वर्चुअल एसेट्स” तक का यह परिवर्तन, दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है और हम सबको साथ मिलकर, इसके खिलाफ साझी रणनीति तैयार करनी होगी। उन्होंने कहा कि हम यह भी मानते हैं कि, टेररिज्म का खतरा, किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि टेररिज्म का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा ढांचे तथा कानूनी और वित्तपोषण व्यवस्था को मजबूत करने में हमने काफी प्रगति की है, लेकिन इसके बावजूद, टेररिस्ट लगातार हिंसा को अंजाम देने, युवाओं को रैडिकलाइज़ करने तथा वित्त संसाधन जुटाने के नए तरीके खोज रहे हैं। उन्होंने कहा कि टेररिस्ट अपनी पहचान छिपाने और रेडिकल मेटेरियल को फ़ैलाने के लिए डार्क-नेट का उपयोग कर रहे है। श्री शाह ने कहा कि साथ ही क्रिप्टो-करेंसी जैसे वर्चुअल एसेट्स का उपयोग भी बढ़ रहा है, हमें डार्क-नेट पर चलने वाली इन गतिविधियों का पैटर्न को समझना होगा और उसके उपाय भी ढूंढने होंगे ।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं जो टेररिज्म से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमने कई बार देखा है कि कुछ देश आतंकवादियों का बचाव करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं, किसी आतंकवादी को संरक्षण देना आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी होगी कि, ऐसे तत्त्व, अपने इरादों में, कभी सफल न हो सकें।
शाह ने कहा कि अगस्त, 2021 के बाद, दक्षिण एशिया में स्थिति बदल गई है और सत्ता परिवर्तन तथा अल कायदा और आईएसआईएस (ISIS) का बढ़ता प्रभाव, क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर कर सामने आए हैं।उन्होंने कहा कि इन नए समीकरणों ने टेरर फाइनेंसिंग की समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है।
शाह ने कहा कि तीन दशक पूर्व ऐसे ही एक रिजीम-चेंज के गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को सहने पड़े है और नाइन-इलेवन (9/11) जैसे भयंकर हमले को हम सभी ने देखा है। उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में पिछले साल दक्षिण एशिया क्षेत्र में हुआ परिवर्तन हम सभी के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अल कायदा के साथ-साथ दक्षिण एशिया में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुट बेखौफ होकर आज भी आतंक फ़ैलाने के फ़िराक में हैं।
अमित शाह ने कहा कि हमें कभी भी आतंकवादियों के पनाहगाहों या उनके संसाधनों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और ऐसे तत्त्वों, इन्हें स्पॉंसर, सपोर्ट करने वाले तत्त्वों के डबल-स्पीक को भी हमें उजागर करना होगा। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यह सम्मेलन, सहभागी देश और संगठन, इस क्षेत्र की टेररिस्ट चुनौतियों के बारे में सेलेक्टिव या आत्मसंतुष्ट दृष्टिकोण न रखे।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि टेररिज्म के वित्तपोषण की समस्या व्यापक हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने टेररिज्म के वित्तपोषण पर नकेल कसने में सफलता हासिल की है। टेररिज्म के वित्तपोषण के खिलाफ भारत की स्ट्रेटेजी इन छः स्तंभों पर आधारित है:
1. लेजिस्लेटिव और टेक्नोलॉजिकल फ्रेमवर्क को मजबूत करना,
2. व्यापक मोनिटरिंग फ्रेमवर्क का निर्माण करना,
3. सटीक इंटेलिजेंस साझा करने का तंत्र, इन्वेस्टीगेशन एवं पुलिस ऑपरेशन्स को मजबूत करना,
4. संपत्ति की जब्ती का प्रावधान,
5. कानूनी संस्थाओं और नई तकनीकों के दुरुपयोग रोकना और
6. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं समन्वय स्थापित करना।
शाह ने कहा कि भारत ने इस दिशा में अन-लॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) में संशोधन करने, नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) को मजबूत बनाने और फाइनेंसियल इंटेलिजेंस को नई दिशा देने के साथ, टेररिज्म और इसके वित्तपोषण के खिलाफ की लड़ाई को सुदृढ़ किया है। उन्होंने कहा कि यह हमारे निरंतर प्रयासों का परिणाम है कि भारत में टेररिस्ट घटनाओं में अत्याधिक कमी हुई है और इसके परिणामस्वरूप, टेररिज्म के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान में भी भारी कमी हुई है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत का मानना है कि टेररिज्म से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका, इंटरनेशनल कोऑपरेशन और राष्ट्रों के बीच रियल-टाइम तथा ट्रांसपेरेंट सहयोग ही है। शाह ने कहा कि प्रत्यर्पण, अभियोजन, इंटेलिजेंस शेयरिंग, कैपेसिटी बिल्डिंग तथा “कॉम्बैटिंग दी फाइनेंसिंग ऑफ़ टेररिज्म (CFT)”, जैसे क्षेत्रों में देशों के बीच सहयोग, टेररिज्म से मुकाबला करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि टेररिस्ट और टेररिस्ट समूह, आसानी से सीमाओं के पार, संसाधनों का समन्वय और संयोजन करते हैं, हमारा आपसी सहयोग और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
अमित शाह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर नारकोटिक्स के अवैध व्यापार के उभरते ट्रेंड्स और नार्को-टेरर जैसी चुनौतियों से टेरर फाइनेंसिंग को एक नया आयाम प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए सभी राष्ट्रों के बीच इस विषय पर घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता है। शाह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसी बहुपक्षीय संस्थाएं और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) जैसे आम सहमति प्लेटफार्म्स की उपस्थिति “कॉम्बैटिंग दी फाइनेंसिंग ऑफ़ टेररिज्म (CFT)” के क्षेत्र में टेररिज्म को रोकने के संदर्भ में सबसे अधिक प्रभावी हैं। उन्होंने कहा कि FATF, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों के वित्तपोषण को रोकने और मुकाबला करने के लिए वैश्विक मानक स्थापित करने और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वर्चुअल एसेट्स के रूप में एक नई चुनौती हमारे सामने है क्योंकि वर्चुअल एसेट्स के नए तरीकों का उपयोग, आतंकवादियों द्वारा फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्चुअल एसेट्स माध्यमों, फंडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तथा डार्क-नेट के उपयोग पर नकेल कसने के लिए एक “मजबूत और कारगर ऑपरेशनल सिस्टम” की दिशा में हमें एकरूपता से सोचना होगा।
शाह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, IMF, इंटरपोल और अन्य हितधारकों जैसे दुनियाभर की कानून प्रवर्तन एजेंसियां, फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेटर और रेगुलेटर, इस दिशा में अधिक सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें इन चुनौतियों को, गहराई से समझना होगा और वैश्विक स्तर पर आतंक के वित्तपोषण की नई तकनीकों को रोकने के प्रयास करने होंगे, जैसा प्रयास हाल ही में, नई दिल्ली में संपन्न इंटरपोल की आम सभा में किया गया था।
अमित शाह ने कहा कि भारत सूचनाओं का आदान-प्रदान, प्रभावी सीमा नियंत्रण के लिए क्षमता निर्माण, आधुनिक तकनीकों के दुरुपयोग को रोकने, अवैध वित्तीय प्रवाह की निगरानी और रोकथाम तथा जांच और न्यायिक प्रक्रियाओं में सहयोग करके, टेररिज्म का मुकाबला करने के सभी प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय को "नो मनी फॉर टेरर" के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए टेरर फाइनेंसिंग के “मोड – मीडियम – मेथड” को समझकर, उन पर कड़ा प्रहार करने में ‘वन माइंड, वन एप्रोच’ के सिद्धांत को अपनाना होगा।