ARP क्या है और यह कैसे काम करता है?

प्रोटोकॉल शब्द का मतलब है “नियमों का समूह” जिस प्रकार से किसी भी सिस्टम को सही ढंग से चलाने के लिए कुछ नियम बनाये जाते हैं ठीक वैसे ही डिजिटल कम्युनिकेशन यानी नेटवर्क के जरिये डाटा के आदान-प्रदान के लिए भी कुछ नियम बनाये गये हैं जिसे ही प्रोटोकॉल कहा जाता है।
ARP (Address Resolution Protocol) explained
ARP (Address Resolution Protocol) एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग किसी IP पते से किसी डिवाइस के हार्डवेयर (मैक) पते का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई डिवाइस स्थानीय नेटवर्क पर कुछ अन्य डिवाइस के साथ संचार करना चाहता है (उदाहरण के लिए ईथरनेट नेटवर्क पर जिसे पैकेट भेजने से पहले भौतिक पते की आवश्यकता होती है)। भेजने वाले उपकरण IP पते को मैक पते पर अनुवाद करने के लिए ARP का उपयोग करते हैं। डिवाइस एक ARP अनुरोध संदेश भेजता है जिसमें प्राप्त डिवाइस का IP पता होता है। स्थानीय नेटवर्क सेगमेंट के सभी डिवाइस संदेश देखते हैं, लेकिन केवल वह डिवाइस जिसमें IP पता ARP उत्तर संदेश के साथ प्रतिक्रिया करता है जिसमें उसका मैक पता होता है। भेजने वाले डिवाइस में अब पैकेट को भेजने वाले डिवाइस को भेजने के लिए पर्याप्त जानकारी है।
Protocol क्या होता है। Protocol कितने प्रकार के होते है।
इस ब्लॉग में प्रोटोकॉल के बारे में बताने का ARP क्या है और यह कैसे काम करता है? प्रयास किया गया है। प्रोटोकॉल क्या होता है। प्रोटोकॉल कितने लेवल के होते है। और प्रोटोकॉल कितने प्रकार के होते हैं। आशा करते है कि यह ब्लॉग आपको जरूर पसन्द आयेगा।
प्रोटोकॉल एक 'Set Of Rules' होता है। जब एक नेटवर्किंग डिवाइस दूसरे नेटवर्किंग डिवाइस के साथ Communicate करता है, तो उसके लिए एक Rules या Method होता है। उसी Rules या Method को प्रोटोकॉल कहा जाता है। प्रोटोकॉल को ARP क्या है और यह कैसे काम करता है? Access Method भी कहा जाता है। इसके बिना हम इन्टरनेट के माध्यम से एक-दूसरे संवाद नही कर सकते है। प्रोटोकॉल के माध्यम से ही एक नेटवर्किंग डिवाइस दूसरे नेटवर्किंग डिवाइस के साथ कनेक्ट हो पाता है।
दूसरे शब्दों में -
प्रोटोकॉल एक Standard होता है। जिसकी सहायता से एक कम्प्यूटर दूसरे कम्प्यूटर के साथ कम्युनिकेशन स्थापित कर पाता है। जिससे डेटा का आदान-प्रदान हो सके। डेटा को कैसे Send और Recive कराना है। या डेटा सही तरीके से Transfer हुआ है कि नहीं, ये सभी कार्य प्रोटोकॉल की सहायता से होता है। प्रोटोकॉल के बिना कोई भी कम्प्यूटर नेटवर्क ठीक से काम नहीं कर सकता है।
Protocol के लेवल।
प्रोटोकॉल तीन लेवल के होते है।
1- हार्डवेयर लेवल प्रोटोकॉल
2- साफ्टवेयर लेवल प्रोटोकॉल
3- ARP क्या है और यह कैसे काम करता है? एप्लीकेशन लेवल प्रोटोकॉल
कम्प्यूटर नेटवर्किंग में सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और एप्लीकेशन लेवल के आधार पर बहुत से प्रोटोकॉल होते है। लेकिन उनमें से कुछ महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल इस प्रकार है -
1. HTTP
HTTP का पूरा नाम 'Hyper Text Transfer Protocol' होता है। यह एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है, जो TCP/IP प्रोटोकॉल का उपयोग करता है। इस प्रोटोकॉल का आविष्कार किया 'Tim Berners-Lee' ने 1989 में किया था। जब आप अपने कम्प्यूटर या मोबाइल में ब्राउजर खोलते है, और किसी वेबसाइट पर जाते है, तब आप http:// जरूर देखते हैं। यह प्रोटोकॉल क्लाइंट के ब्राउजर द्वारा भेजे गये Request के आधार पर सर्वर से डेटा (ईमेज, ऑडियो, वीडियो और डॉक्यूमेंट) को वेबपेज के माध्यम से क्लाइंट के ब्राउजर पर दिखाता है। HTTP डिफाल्ट रूप से पोर्ट नम्बर 80 पर काम करता है।
कुछ अन्य Protocol
1- DHCP (Dynamic Host Configration Protocol)
2- PPTP (Point To Point Tunneling Protocol)
4- SIP (Session Initiation Protocol)
5- RTP (Real-Time Transport Protocol)
6- RDP (Remote Desktop Protocol)
7- SFTP (Secure File Transfer Protocol)
8- RAP (Route Access Protocol)
9- Gopher
Posted By- Pappu Singh
नमस्कार दोस्तो। मेरा नाम Pappu Singh है। मैं गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूँ। मैं इन्जीनियरिंग में कम्प्यूटर साइंस से Graduate हूँ। मुझे छात्रो तथा लोगो के साथ प्रोग्रामिंग, कम्प्यूटर, नेटवर्किंग, साइबर सिक्योरिटी और Science की अदभुत जानकारी Share करने में अच्छा लगता है।
आईपी एड्रेस की हमें आवश्यकता क्यों है (Why do we need IP addresses) ?
इंटरनेट को विभिन्न कंप्यूटरों, राउटरों और वेबसाइटों के बीच अंतर करने के लिए एक तरीके की आवश्यकता है । आईपी एड्रेस ऐसा करने का एक तरीका प्रदान करते हैं और इंटरनेट कैसे काम करता है इसका एक अनिवार्य हिस्सा बनाते हैं ।
आईपी एड्रेस वे नंबर हैं जो हमार कंप्यूटर, सर्वर, टेलीफोन, कैमरा और प्रिंटर जैसे उपकरण को एक दूसरे के साथ संवाद करने के लिए सक्षम करते हैं ।
आईपी पते के बिना, हम डेटा को एक दूसरे को ऑनलाईन के माध्यम से नहीं भेज सकते है । कोई स्टीमिंग वीडियो साइट भी नहीं होगी ।
सबसे बूरी बात यह ARP क्या है और यह कैसे काम करता है? है कि हम ऑनलाइन आइटम ऑर्डर नहीं कर पाएंगे और हमें स्टोर पर जाना होगा उन्हें व्यक्तिगत रूप से खरीदने के लिए ।
आईपी एड्रेस का वर्गीकरण क्या है (Classification of IP Address) ?
- Public IP Address
- Private IP Address
- Static IP Address
- Dynamic IP Address
आईपी एड्रेस कैसे काम करता है इसको समझने से पहले आपको यह समझना आवश्यक है कि बाइनरी नंबरिंग सिस्टम कैसे काम करता है क्योंकि बाइनरी आईपी एड्रेस का आधार है ।
बाइनरी नंबरिंग सिस्टम क्या है (What is Binary Number System) ?
एक साधारण दशमलव संख्या सिस्टम में जिसे अधिकांष लोग उपयोग करते है, उसमें दस अंको 0-9 तक के संख्या का उपयोग करते है ।
बइनरी नंबर सिस्टमे में, आपके पास दस अंको के बजाय केवल दो अंक 0 ARP क्या है और यह कैसे काम करता है? ARP क्या है और यह कैसे काम करता है? और 1 होते है, जिनका आप उपयोग कर सकते हैं ।
इसलिए बइनरी नंबर कुछ इस तराह 110011, 101111 और 100001 जैसे दिखते हैं ।
आईपी एड्रेस के प्रक्रिया हमें दिखाअपने आईपी एड्रेस का पता कैसे लगांए (How do locate your IP address) ?
यदि आपका कंप्यूटर आपके लॉकेल नेटवर्क और इंटरनेट दोनों से जुड़ा है, तो उसके पास दो आईपी पते होंगे । आपके पास स्थानीय रूप से एक निजी आईपी पता और इंटरनेट पर एक सार्वजनिक आईपी एड्रेस होगा ।
MAC Address | IP Address |
MAC एड्रेस यह सुनिश्चित करता है कि कंप्यूटर का फेजिकल एड्रेस यूनीक है । | आईपी एड्रेस कंप्यूटर का एक लॉजिकल एड्रेस है और इसका उपयोग नेटवर्क के माध्यम से जुड़े कंप्यूटर का यूनीक रूप से पता लगाने के लिए किया जाता है । |
ARP प्रोटोकॉल का उपयोग करके मैक एड्रेस को पुनः प्राप्त किया जा सकता है । | RARP प्रोटोकॉल का उपयोग करके आईपी एड्रेस को पुनः प्राप्त किया जा सकता है । |
MAC एड्रेस डेटा लिंक लेयर में काम करता है । | आईपी एड्रेस नेटवर्क लेयर में काम करता है । |
MAC एड्रेस केवल डिवाइस की पहचान करने में मदद करता है । | आईपी एड्रेस नेटवर्क पर डिवाइस के कनेक्शन की पहचान करता है । |
MAC एड्रेस हार्डवेयर ओरिएंटेड है । | आईपी एड्रेस सॉफटवेयर ओरिएंटेड है । |
प्रोटोकॉल के प्रकार (Types of Protocol in Hindi)
कंप्यूटर नेटवर्किंग के लिए सॉफ्टवेर तथा हार्डवेयर लेवल पर कई प्रकार के प्रोटोकॉल उपयोग किये जाते हैं जिनमे से कुछ common network protocols कुछ इस प्रकार से हैं:
TCP (Transmission Control Protocol):
इसका काम इन्टरनेट पर data transfer करने के लिए होता है। यह डाटा को छोटे-छोटे पैकेट्स में विभाजित करके नेटवर्क के जरिये destination तक send कर देता है जहाँ इसे वापस जोड़ लिया जाता है।
IP (Internet Protocol):
आपने IP address के बारे में आपने जरूर सुना होगा यह TCP के साथ मिलकर काम करता है packets को ट्रान्सफर करने के लिए IP का उपयोग एक तरह से addressing के लिए किया जाता है जिसके जरिये final destination तक data को पहुँचाया जाता है।
HTTP (HyperText Transfer Protocol):
प्रोटोकॉल के क्या फायदे हैं? (Advantages of Protocol)
- अलग-अलग hardware को नेटवर्क से जोड़ना और उनके बीच information share करना और instruction देना काफी मुश्किल काम होता है इसके लिए जरूरी है की sender और receiver दोनों एक ही language में communicate करें और यह काम प्रोटोकॉल द्वारा ही संभव है।
- इसके international standard की वजह से कई सारे computers को एक साथ जोड़ा जा सकता है और उनके बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में स्थित क्यों न हों।
- प्रोटोकॉल की वजह से maintenance और installation का काम भी आसान हो जाता है।
- जहाँ प्रोटोकॉल का international standard होना फायदेमंद हैं वहीँ इसके standard में कुछ कमियां हों तो यह एक international समस्या भी बन सकता है।
- Fixed standard होने की वजह से सभी companies और manufacturers को इसे follow करना होता है और इसकी वजह से खुद की कोई नयी technique use करने में परेशानी आ सकती है।
प्रोटोकॉल का क्या उपयोग है? (Use of Internet Protocol in Hindi)
Protocol कई प्रकार के होते हैं और सभी के काम करने का तरीका अलग-अलग होता है इसलिए जरूरत के अनुसार अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग प्रकार के प्रोटोकॉल उपयोग किये जाते हैं।
प्रोटोकॉल के कुछ common uses इस प्रकार हैं:
- नेटवर्क में दो devices आपस में कैसे जुड़ेंगे इसका निर्धारण करना
- डाटा ट्रान्सफर का ARP क्या है और यह कैसे काम करता है? ARP क्या है और यह कैसे काम करता है? method तय करना
- डाटा का structure या format निर्धारित करना
- Transmission की speed तय करना
- किसी एरर के आने पर उसे मैनेज करना
प्रोटोकॉल के प्रकार (Types of Protocol in Hindi)
कंप्यूटर नेटवर्किंग के लिए सॉफ्टवेर तथा हार्डवेयर लेवल पर कई प्रकार के प्रोटोकॉल उपयोग किये जाते हैं जिनमे से कुछ common network protocols कुछ इस प्रकार से हैं:
TCP (Transmission Control Protocol):
इसका काम इन्टरनेट पर data transfer करने के लिए होता है। यह डाटा को छोटे-छोटे पैकेट्स में विभाजित करके नेटवर्क के जरिये destination तक send कर देता है जहाँ इसे वापस जोड़ लिया जाता है।
IP (Internet Protocol):
आपने IP address के बारे में आपने जरूर सुना होगा यह TCP के साथ मिलकर काम करता है packets को ट्रान्सफर करने के लिए IP का उपयोग एक तरह से addressing के लिए किया जाता है जिसके जरिये final destination तक data को पहुँचाया जाता है।
HTTP (HyperText Transfer Protocol):
प्रोटोकॉल के क्या फायदे हैं? (Advantages of Protocol)
- अलग-अलग hardware को नेटवर्क से जोड़ना और उनके बीच information share करना और instruction देना काफी मुश्किल काम होता है इसके लिए जरूरी है की sender और receiver दोनों एक ही language में communicate करें और यह काम प्रोटोकॉल द्वारा ही संभव है।
- इसके international standard की वजह से कई सारे computers को एक साथ जोड़ा जा सकता है और उनके बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में स्थित क्यों न हों।
- प्रोटोकॉल की वजह से maintenance और installation का काम भी आसान हो जाता है।
- जहाँ प्रोटोकॉल का international standard होना फायदेमंद हैं वहीँ इसके standard में कुछ कमियां हों तो यह एक international समस्या भी बन सकता है।
- Fixed standard होने की वजह से सभी companies और manufacturers को इसे follow करना होता है और इसकी वजह से खुद की कोई नयी technique use करने में परेशानी आ सकती है।