व्यापार घाटा

आंकड़ों के अरनुसार अप्रैल-सितंबर 2022 के बीच देश से वस्तु निर्यात 231.88 अरब डॉलर रहा, जो 2021 में इसी अवधि के दौरान हुए 198.25 अरब डॉलर के निर्यात से 16.96 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है। इसी दौरान वाणिज्यिक वस्तुओं का आयात 380.34 रहा, जो एक वर्ष पहले की इसी अवधि में 274.50 अरब डॉलर के आयात के मुकाबले 38.55 फीसदी अधिक है। भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद ( ईईपीसी इंडिया ) के अध्यक्ष श्री अरुण गरोडिया ने निर्यात-आयात के इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "नवीनतम व्यापार आंकड़ों से पता चलता है कि इंजीनियरिंग सामान निर्यात सितंबर 2022 में सालाना आधार पर लगभग 11 प्रतिशत घटकर 8.39 अरब डॉलर रहा। यह गिरावट मुख्य रूप से कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मंदी और व्यापार घाटा चीन में कोविड से संबंधित प्रतिबंधों के प्रभाव को दर्शाती है। यह देखते हुए कि विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी विभिन्न एजेंसियों ने चालू वर्ष के लिए और अगले वर्ष भी विश्व अर्थव्यवस्था के आर्थिक वृद्धि के के अनुमानों में कटौती की है, निश्चित रूप से समग्र वैश्विक व्यापार पर प्रभाव पड़ेगा।"
Trade Deficit: Make in India पर जोर के बावजूद चीन से बढ़ रहा आयात, रिकॉर्ड उंचाई पर पहुंचा भारत का व्यापार घाटा
Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: September 22, 2022 13:15 IST
Photo:INDIA TV Make in India पर जोर के बावजूद चीन से बढ़ रहा आयात
Trade Deficit: चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि में भारत का व्यापारिक घाटा 124.7 अरब डॉलर था। यह किसी भी साल के इस अवधि में अब तक का सर्वाधिक घाटा है। अंतरराष्ट्रीय वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, विशेष रूप से ऊर्जा ने व्यापार घाटे को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाई है, वहीं दूसरी तरफ यह भी आशंका जताई जाती है कि चीनी आयात बढ़ रहा है। हालांकि भारत सरकार का जोर मेक इन इंडिया पर है। सरकार भारत में ही चीन से आयात होने वाली अधिकतर चीजें बनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार के तरफ से कई सारी योजनाएं भी शुरु की गई है। उसके बावजूद भी व्यापारिक घाटे को कम करने में कोई खास मदद नहीं मिल रही है।
तेल कीमतों की है बड़ी भूमिका
चूंकि कच्चा तेल भारत के सबसे बड़े आयातों में से एक है, इसलिए व्यापार खाते को हमेशा पेट्रोलियम उत्पादों के साथ ट्रैक किया जाता है। पहली छमाही के लिए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) डेटाबेस के आंकड़े बताते हैं कि 2022-23 में भारत का व्यापार घाटा सबसे अधिक है। पेट्रोलियम की खरीद पर खर्च होने वाले डॉलर व्यापार घाटे का एक बड़ा हिस्सा है। व्यापार घाटे को जीडीपी के साथ देखकर और आसानी से समझा जा सकता है, हालांकि सितंबर तिमाही के जीडीपी के आंकड़े नवंबर में उपलब्ध होंगे। अभी संभव नहीं है।
व्यापार घाटा मुख्य रुप से दो बातों पर निर्भर करता है। पहला निर्यात और दूसरा आयात। भारत के व्यापार घाटे के मामले में आयात इतनी तेजी से बढ़ा है कि भारत के व्यापारिक निर्यात में वृद्धि के बावजूद व्यापार घाटा बढ़ गया है (इसमें भारत के आईटी निर्यात से आय शामिल नहीं है, जो सेवाओं के अंतर्गत आता है)। न केवल चीनी आयात में वृद्धि हुई है बल्कि चीन को भारत का निर्यात भी गिर गया है। जहां तक चीन के साथ भारत के व्यापार संतुलन का सवाल है तो यह दोहरी मार साबित हुई है। इसे अगर आपको आसान भाषा में समझाया जाए तो मान लीजिए भारत चीन से 100 रुपये का समान खरीदता है, लेकिन उसे वापस से 100 रुपये का समान बेच नहीं पा रहा है। यही कारण है कि भारत का व्यापारिक घाटा बढ़ता जा रहा है।
चीन से भारत सबसे अधिक क्या खरीदता है?
चीन से भारत का आयात(खरीद) बास्केट दिवाली की रोशनी और घरेलू उपभोक्ता वस्तुओं जैसे सामानों की तुलना में अधिक है और इसमें पूंजीगत सामान और उच्च प्रौद्योगिकी उत्पाद भी शामिल है। इसमें से विद्युत मशीनरी और उपकरण, परमाणु रिएक्टरों के पुर्जे, और यांत्रिक उपकरण और कार्बनिक रसायन चीन में ही तैयार किए जाते हैं, जिसे भारत में आयात होता है। चीन से भारत जिन प्रोडक्ट्स को खरीदता है उनमें से टॉप-5 की आयात 70% के करीब है।
चीन को भारत के निर्यात(बेचने) में औद्योगिक इनपुट, निर्माण सामग्री और मछली जैसी कुछ खराब होने वाली वस्तुएं शामिल हैं। मुख्य रुप से भारत चीन को कॉटन यानी कपास, कॉपर यानी तांबा, हीरा और अन्य प्राकृतिक रत्न बेचता है।
व्यापार घाटे पर काबू जरूरी
विजय प्रकाश श्रीवास्तव
संचित व्यापार घाटा हमारी देनदारियों में वृद्धि करता जाएगा, देश के बजट का एक बड़ा हिस्सा इन देनदारियों को चुकाने पर खर्च करना होगा और इसका असर यह पड़ेगा कि विकास कार्यों में निवेश के लिए पैसा कम पड़ने लगेगा। अगर हम व्यापार घाटे को काबू कर लेते हैं तो इससे अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी, हम अपने सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि कर सकेंगे और रोजगार के अतिरिक्त अवसर भी पैदा कर पाएंगे।
अर्थव्यवस्था को लेकर इन दिनों मिलीझ्रजुली खबरें आ रही हैं। कभी विकास दर में वृद्धि को लेकर खुश हो लिया जाता है, तो कभी रुपए का और गिर जाना निराशाजनक तस्वीर पेश करता है। यह सही है कि कोरोना महामारी अपने में एक अभूतपूर्व घटना थी जिसने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला दिया। यह प्रभाव इतना गहरा था कि इससे उबरना कोई दो-चार महीनों की बात नहीं थी।
व्यापार घाटा क्या है यह अर्थवयवस्था को कैसे प्रभावित करता है?
व्यापार घाटा क्या है और इससे किसी देश की अर्थवयवस्था कैसे प्रभावित होती है। वैसे व्यापार घाटा किसी भी देश के निर्यात और आयात करने की क्षमता पर निर्भर करता है, इसका सीधा जुड़ाव उस देश की अर्थव्यवस्था के विकास से होता है।
व्यापार घाटा को ऐसे देख सकते है की अगर आयात बढ़ता व्यापार घाटा है, तो निर्यात कम होता है, और अगर निर्यात बढ़ता है, तो आयात कम होता है। इसलिए यह दोनों ही रूपों में अर्थवयवस्था पर असर डालता है। व्यापार घाटा को कम करने के लिए हर देश की कोशिश होती है, कि वह देश में आयात और निर्यात के बीच संतुलन को बनाये रखे।
अर्थवयवस्था को मजबूत करने के लिये व्यापार घाटा को संतुलित रखना प्रत्येक देश की यह प्राथमिकता होती है, यदि नागरिकों के लिये ज्यादातर वस्तुएं देश में ही स्थित कम्पनियों के माध्यम से मिल जाये तो व्यापार घाटा उसे विदेशी वस्तुओं को कम खरीदना पड़ेगा और इससे आयात कम करना पड़ेगा।
व्यापार घाटा क्या होता है? What is trade व्यापार घाटा deficit in hindi?
किसी भी देश का वयापार घाटा उस देश के आयात और निर्यात के अंतर पर निर्भर करता है, अर्थशास्त्र में आयात और निर्यात के संतुलन को वयापार संतुलन कहते हैं। लेकिन जब कोई देश निर्यात करने की तुलना में आयात को अधिक करने लगता है, तो उस स्थिति को वयापार घाटा (ट्रेड डेफिसिट) कहाँ जाता हैं।
व्यापार घाटा का सीधा मतलब यह होता है, कि वह देश अपने यहां नागरिको की जरूरतो को पूरा करने के लिए आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर पा रहा है, इसलिए उसे इन जरूरतों को पूरा करने के लिये दूसरे देशों से वस्तुओ और व्यापार घाटा सेवाओं का आयात करना पड़ रहा है। लेकिन इस स्थिति के उलट जब कोई देश आयात करने की तुलना में निर्यात को अधिक करता है, तो उसे व्यापार बढ़ोतरी (ट्रेड सरप्लस) कहते हैं।
व्यापार घाटा को लेकर भारत की दूसरे देशो के साथ वायापरिक स्थिति व्यापार घाटा
अगर हम भारत में वयापार बढ़ोतरी (ट्रेड सरप्लस) की बात करें तो अमेरिका के साथ हमारा ट्रेड सरप्लस सर्वाधिक (21 अरब डॉलर) है। इसका अर्थ यह है, कि हमारा देश अमेरिका से आयात कम और वहाँ निर्यात ज्यादा करता है।
इसलिये भारत और अमेरिका इन दोनों देशो का झुकाव द्विपक्षीय व्यापार संतुलन की ओर है। अगर हम इसे सीधे और सरल शब्दों में कहें तो अमेरिका से व्यापार की स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये अनुकूल है। इसी तरह बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, हांगकांग, नीदरलैंड, पाकिस्तान, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों के साथ भी भारत का ट्रेड सरप्लस है।
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व्यापार घाटा का अर्थवयवस्था पर क्या असर होता है? Impact of trade deficit on the economy
अर्थशास्त्रियों का यह मत है, कि यदि किसी देश का व्यापार घाटा कई सालो तक लगातार कायम रहता है, तो उस देश की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो जाती है, इसका सीधा और नकारात्मक असर रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर पड़ता है।
व्यापार घाटे का नकारात्मक असर चालू खाते के घाटे पर भी पड़ता है, चालू खाते में एक बड़ा हिस्सा व्यापार संतुलन के लिये होता है। इसीलिये जब व्यापार घाटा बढ़ता है, तो इसके साथ चालू खाते का घाटा भी बढ़ जाता है। चालू खाते का घाटा देश में विदेशी मुद्रा के आने और बाहर जाने के अंतर को दिखता है। विदेशी मुद्रा निर्यात के द्वारा ही अर्जित की जाती है, जबकि आयात करने से देश की मुद्रा बाहर जाती है।
वयापार घाटे की स्थिति से निपटने के लिये सरकार कई वस्तुओं पर आयात के शुल्क में बढ़ोतरी करके गैर जरूरी वस्तुओं के आयात को कम करने का प्रयास करती है। वैसे अमेरिका का व्यापार घाटा दुनिया में सबसे अधिक है, इसकी वजह यह है कि अमेरिका की अर्थवयवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और डॉलर को पूरी दुनिया में रिजर्व करेंसी के रूप में रखा जाता है।
व्यापार घाटा बढ़कर 25.71 अरब डॉलर पंहुचा: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार भारत का वाणिज्यक वस्तुओं का निर्यात सितंबर 2022 माह में सालाना आधार पर 4.82 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 35.45 अरब डॉलर और आयात 8.66 प्रतिशत बढ़कर 61.61 अरब डॉलर पर पहुंच गया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार आलोच्य माह के दौरान व्यापार घाटा भी बढ़कर 25.71 अरब डॉलर हो गया। सितंबर 2022 में भारत का कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं सहित) 61.10 अरब डॉलर होने का अनुमान है, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 10.24 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, जबकि सितंबर 2022 में कुल आयात (वस्तुओं और सेवाओं को मिला कर ) अरब 76.26 बिलियन होने का अनुमान है, जो सितंबर 2021 की तुलना में 10.73 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।
व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर
देश में व्यापार घाटा (Trade Deficit) रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है. आंकड़ों के मुताबिक मई में व्यापार घाटा बढ़कर 23.33 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पिछले साल मई के महीने में व्यापार घाटा 6.52 अरब डॉलर था. इसका मुख्य कारण था कि कोरोना महामारी के कारण भारत ने दूसरे देशों से आयात कम किया था.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक इन आंकड़ों को लेकर भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि सोने के आयात में वृद्धि के कारण व्यापार घाटा बढ़ा है, जो चिंता का विषय है.
व्यापार घाटा क्या होता है?
जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है तो उसे व्यापार घाटे (Trade Deficit) का सामना करना पड़ता है. मतलब, वह देश अपने यहां लोगों की मांग के अनुरूप वस्तुओं और सेवाओं का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पा रहा है, इसलिये उसे अन्य देशों से इनका आयात करना पड़ रहा है.
मई में आयात 56.14 प्रतिशत बढ़कर 60.62 अरब डॉलर रहा है. जो पिछले साल के इसी महीने में 38.83 अरब डॉलर रहा था.
मई 2022 में पेट्रोलियम और कच्चे तेल का आयात 91.6 प्रतिशत उछलकर 18.14 अरब व्यापार घाटा डॉलर पर पहुंच गया है. इस दौरान कोयला, कोक और ब्रिकेट्स का आयात बढ़कर 5.33 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले साल के इसी महीने में दो अरब डॉलर रहा था.
China नहीं,अब USA भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार- पर ड्रैगन से चिंता बढ़ी
निर्यात में बढ़ोतरी
देश में मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पाद का (52.71 फीसदी), इलेक्ट्रॉनिक्स सामान (41.46 फीसदी) व्यापार घाटा और टेक्सटाइल क्षेत्र (22.94 फीसदी) के अच्छे प्रदर्शन से निर्यात बढ़ा है.
मंत्रालय ने बताया कि "वित्त वर्ष 2023 के पहले दो महीने यानी अप्रैल और मई में देश का कुल एक्सपोर्ट 22.26 फीसदी बढ़कर 77.08 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. पिछले वित्त वर्ष के पहले दो महीने में निर्यात का आंकड़ा 63.05 अरब डॉलर रहा था."
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल इंडिया के चेयरमैन महेश देसाई ने कहा कि "वैश्विक बाधाओं के बावजूद, भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात मई में 9.29 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 7.84 प्रतिशत अधिक है. यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र मजबूती से खड़ा है और चुनौतियों का सामना कर सकता है."
वैश्विक व्यापार वृद्धि का अनुमान 3 फीसदी
अप्रैल में विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष और चीन में कोविड -19 प्रतिबंधों के कारण 2022 में अपने वैश्विक व्यापार पूर्वानुमान को 4.7 प्रतिशत के अपने पिछले अनुमान से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया था. WTO ने कहा था कि यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था की संभावनाएं धूमिल हो गई हैं.
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