व्यापार श्रेणी

१. कुम्हार,
२. रेशम बुनने वाला,
३. सोनार (सुवर्णकार),
४. रसोइया (सूवकार),
५. गायक (गन्धब्ब),
६. नाई (कासवग),
७. मालाकार,
८. कच्छकार (काछी),
९. तमोली,
१०. मोची (चम्मपरु),
११. तेली (जन्तपीलग),
१२. अंगोछे बेचने वाले (गंछी),
१३. कपड़ा छापने वाले (छिम्प),
१४. ठठेरे (केंसकार),
१५. दर्जी (सीवग),
१६. ग्वाले (गुआर),
१७. शिकारी (भिल्ल) तथा
१८. मछुये।
श्रेणी की मंडी, व्यापार के नाम पर जीरो
श्रेणीके रूप में घोषित कस्बे की कृषि उपज मंडी व्यापार के लिहाज से जीरो साबित हो रही है। कुछ बड़े व्यापारियों की मनमानी मंडी प्रशासन की अनदेखी से यहां व्यापार नहीं हो पा रहा है। बड़े व्यापारी अपनी उपज समीपवर्ती मध्यप्रदेश में बेच रहे हैं, वहीं बिना टैक्स चुकाए एमपी से भी किराना अन्य सामग्री यहां रही है।
रबी की सरसों, लहसुन, पोस्तादाना आदि की उपज एमपी की नीमच मंडी में ले जाई जा रही है। यहां मंडी बंद पड़ी हुई तथा व्यापार ठप है। काफी समय से खुली बोली नहीं लग पाने से किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उपज बाहर ले जाकर बड़े व्यापारी सरकार को लाखों रुपए टैक्स का चूना लगा रहे हैं। मंडी चलाने और टैक्स के नाम पर कुछ बड़े व्यापारी केवल मक्का का व्यापार होना बताकर अपने आवास, फर्मों पर व्यापार कर रहे हैं। जबकि मंडी सूनी रहती है। क्षेत्र की उपज बाहर बेचकर टैक्स की चोरी कर रहे हैं और किराना व्यापारी एमपी से शक्कर, तेल, कपास्या, खल, चाय आदि मंगवा रहे हैं। मनमानी से छोटे व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। छोटे व्यापारी प्रकाश जैन, अनिल नागौरी, फूलचंद, राजेश नाहर, मुकेश जैन आदि ने बताया कि मंडी चलने से किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा, क्षेत्र का भी विकास होगा। इन व्यापारियों ने मंडी चालू करने की मांग की है। मंडी में व्यापार शुरू करने के छह महीने पहले विधायक सुरेश धाकड़ ने भी निर्देश दिए, लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया।
छाया-पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं
मंडीमें किसानों के लिए छाया-पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। मंडी सचिव के मुख्यालय पर नहीं रहने और अन्य मंडी का चार्ज संभालने से मंडी व्यापार प्रभावित हो रहा है। मंडी कार्यालय में पांच कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। पेयजल टंकी कई साल से नाकारा पड़ी है।
^कृषि मंडी चलाने के प्रयास किए गए थे। थोड़े दिन खुली बोली भी लगी, लेकिन सीजन ऑफ हो जाने से व्यापार मंदा हो गया। व्यापार श्रेणी अब वापस सरसों और गेहूं की खरीद शुरू करेंगे। कुंदनदेवल, सचिव कृषि उपज मंडी बेगूं
^अधिकारियोंकर्मचारियों की लापरवाही से मंडी नहीं चल रही है। कई बार किसानों-व्यापारियों से चर्चा हुई, लेकिन प्रशासन का नियंत्रण नहीं होने से मंडी में कारोबार शुरू नहीं हो पाया। टैक्स की चोरी हो रही है। देवीलालधाकड़, अध्यक्ष कृषि मंडी बेगूं
व्यापार श्रेणी
शिल्पियों एवं व्यापारियों का संगठन
याज्ञवल्क्य के अनुसार विभिन्न वृत्तियाँ बनाकर एक ही नगर अथवा ग्राम में निवास करने वाले विभिन्न जाति के लोगों का वर्ग ''पूग'' था। इस प्रकार ""श्रेणि'' अथवा ""पूग'' संस्थायें जाति- पाति और ऊँच- नीच के बंधन से मुक्त होकर एक ही ग्राम अथवा नगर में निवास करती थी तथा अपने हितों की सुरक्षा स्वयं करती थी। रमेशचंद्र मजूमदार के अनुसार श्रेणि समाज के भिन्न जाति के परंतु समान व्यापार और उद्योग अपनाने वाले लोगों का संगठन है।
उद्योग और वाणिज्य से संबंधित लोगों का एक अन्य संगठन निगम था। श्रेणि और निगम में क्या अंतर था, इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं प्राप्त होता। परमेश्वरी लाल गुप्त का अनुमान है कि, ""निगम किसी एक व्यवसाय के लोगों का संघटन न होकर अनेक व्यवसायों के समूह का संघटन था।'' इसमें मुख्य रुप से तीन वर्गों के लोग सम्मिलित थे। उद्योग का काम करने वालों का पहला वर्ग निगम था, जो ""कुलिक'' कहे जाते थे। दूसरा निगम देश- विदेश से माल लाने वाले ""सार्थवाह'' लोगों का था और तीसरा निगम ""श्रेष्ठि'' लोगों का था, जो संभवतः एक स्थान पर अपनी दुकान खोलकर स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे। श्रेष्ठि, सार्थवाह और कुलिक तीनों ने सम्मिलित रुप से ""श्रेष्ठि- साथवाह- कुलिक निगम'' की स्थापना की थी। जिस प्रकार शिल्पी श्रेणी में संगठित होकर अपने संबंधित विषयों पर कानून बनाते थे और शिल्प को नियंत्रित करते थे, उसी प्रकार निगम में संगठित व्यापारी अपने व्यापार के संबंध में व्यवस्था करते थे।
ये संगठन क्रय- विक्रय, माल में मिलावट तथा नाप- तौल में अव्यवस्था पर नियंत्रण रखते थे तथा आवश्यता पड़ने पर दंड व्यापार श्रेणी व्यवस्था का भी प्रावधान था। जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में इस काल की १८ श्रेणियों का उल्लेख मिलता है --
१. कुम्हार,
२. रेशम बुनने वाला,
३. सोनार (सुवर्णकार),
४. रसोइया (सूवकार),
५. गायक (गन्धब्ब),
६. नाई (कासवग),
७. मालाकार,
८. कच्छकार (काछी),
९. तमोली,
१०. मोची (चम्मपरु),
११. तेली (जन्तपीलग),
१२. अंगोछे बेचने वाले (गंछी),
१३. कपड़ा छापने वाले (छिम्प),
१४. ठठेरे (केंसकार),
१५. दर्जी (सीवग),
१६. ग्वाले (गुआर),
१७. शिकारी (भिल्ल) तथा
१८. मछुये।
श्रेणियों का संवैधानिक रुप
श्रेणियों का लोकतांत्रिक आधार पर विकास हुआ तथा व्यापार श्रेणी धीरे- धीरे उनका अपना संविधान निर्मित हुआ, जिसके आधार पर वे अपना कार्य करते थे। बौद्ध साहित्य में कहा गया है कि श्रेणि संगठनों का प्रमुख सेट्ठि (श्रेष्ठि) अपने समुदाय और राज्य के लिए अनेक कार्य करता था। बृहस्पति स्मृति से पता चलता है कि श्रेणि संगठन की एक प्रबंधकारी समिति होती थी, जिसकी सहायता के लिए दो- तीन या पाँच सदस्य होते थे। उस समिति का एक प्रधान या अध्यक्ष होता था। नारद स्मृति में ही कहा गया है कि,""राजा को चाहिए कि वह श्रेणियों तथा अन्य नियमों की प्रथाओं को मान्यता दे, उनके जो भी कानून (धार्मिक कर्तव्य), उपस्थिति के नियम और जीवन- निर्वाह के विशेष परिपाटी हो, उन सबको राजा स्वीकार करे।'' संगठन के सदस्यों में फूट
डालने वाले को दण्ड देने की व्यवस्था की गयी थी। यद्यपि श्रेणि संगठनों को अपने कार्यों में पर्याप्त स्वतंत्रता थी, किंतु उनमें आपस में मतभेद होने पर राजा को हस्तक्षेप करने तथा उन्हें अपने धर्म में स्थापित करने का अधिकार प्राप्त था। नारद के अनुसार मुख्यों और समूहों के बीच विवाद उत्पन्न हो, तो व्यापार श्रेणी राजा ऐसे प्रश्नों को निबटारा श्रेणियों के विशिष्ट नियमों के अनुसार करता था।
मालवा की श्रेणियों ने अपनी व्यापार श्रेणी व्यावसायिक व्यवस्था के साथ- साथ अन्य सार्वजनिक कार्य में भी योगदान दिया। मंदसोर प्रस्तर अभिलेख के अनुसार, तंतुवाय श्रेणी दशपुर में फूली- फली और ई. सन. ४३६ ई. में उनसे अपनी संचित धनराशि से सूर्य का एक विशाल मंदिर बनवाया। कुछ समय बद मंदिर का एक भाग जीर्ण- शीर्ण हो गया, जिसकी मरम्मत उसी श्रेणी में ४७२ ई. में करवायी।
मंदसौर प्रस्तर अभिलेख में पट्टवायों की श्रेणी के सदस्यों को विविध विषयों का ज्ञाता कहा गया है। उसी अभिलेख में उनके सैन्यकर्म का भी उल्लेख मिलता है। अतः परमेश्वरी लाल गुप्त की धारणा है कि ,""श्रेणियाँ अपने में से कुछ लोगों को सैनिक शिक्षा भी देती थीं, जो अपने समाज के सदस्यों के धन, जन और वणिज की रक्षा करते थे। संभवतः इस प्रकार के लोग सार्थ के रक्षार्थ साथ जाते रहे होंगे।
श्रेणी की मंडी, व्यापार के नाम पर जीरो
श्रेणीके रूप में घोषित कस्बे की कृषि उपज मंडी व्यापार के लिहाज से जीरो साबित हो रही है। कुछ बड़े व्यापारियों की मनमानी मंडी प्रशासन की अनदेखी से यहां व्यापार नहीं हो पा रहा है। बड़े व्यापारी अपनी उपज समीपवर्ती मध्यप्रदेश में बेच रहे हैं, वहीं बिना टैक्स चुकाए एमपी से भी किराना अन्य सामग्री यहां रही है।
रबी की सरसों, लहसुन, पोस्तादाना आदि की उपज एमपी की नीमच मंडी में ले जाई जा रही है। यहां मंडी बंद पड़ी हुई तथा व्यापार ठप है। काफी समय से खुली बोली नहीं लग पाने से किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उपज बाहर ले जाकर बड़े व्यापारी सरकार को लाखों रुपए टैक्स का चूना लगा रहे हैं। मंडी चलाने और टैक्स के नाम पर कुछ बड़े व्यापारी केवल मक्का का व्यापार होना बताकर अपने आवास, फर्मों पर व्यापार कर रहे हैं। जबकि मंडी सूनी रहती है। क्षेत्र की उपज बाहर बेचकर टैक्स की चोरी कर रहे हैं और किराना व्यापारी एमपी से शक्कर, तेल, कपास्या, खल, चाय आदि मंगवा रहे हैं। मनमानी से छोटे व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। छोटे व्यापारी प्रकाश जैन, अनिल नागौरी, फूलचंद, राजेश नाहर, मुकेश जैन आदि ने बताया कि मंडी चलने से किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा, क्षेत्र का भी विकास होगा। इन व्यापारियों ने मंडी चालू करने की मांग की है। मंडी में व्यापार शुरू करने के व्यापार श्रेणी छह महीने पहले विधायक सुरेश धाकड़ ने भी निर्देश दिए, लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया।
छाया-पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं
मंडीमें किसानों के लिए छाया-पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। मंडी सचिव के मुख्यालय पर नहीं रहने और अन्य मंडी का चार्ज संभालने से मंडी व्यापार प्रभावित हो रहा है। मंडी कार्यालय में पांच कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। पेयजल टंकी कई साल से नाकारा पड़ी है।
^कृषि मंडी चलाने के प्रयास किए गए थे। थोड़े दिन खुली बोली भी लगी, लेकिन सीजन ऑफ हो जाने से व्यापार मंदा हो गया। अब वापस सरसों और गेहूं की खरीद शुरू करेंगे। कुंदनदेवल, सचिव कृषि उपज मंडी बेगूं
^अधिकारियोंकर्मचारियों की लापरवाही से मंडी नहीं चल रही है। कई बार किसानों-व्यापारियों से चर्चा हुई, लेकिन प्रशासन का नियंत्रण नहीं होने से मंडी में कारोबार शुरू नहीं हो पाया। टैक्स की चोरी हो रही है। देवीलालधाकड़, अध्यक्ष कृषि मंडी बेगूं
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को मिला पद्म भूषण, बोले- भारत मेरा हिस्सा है, जहां जाता हूं इसे ले जाता हूं
गूगल के सीईओ को व्यापार और उद्योग श्रेणी में साल 2022 के लिए प्रतिष्ठित पद्म भूषण अवार्ड मिला. पद्म भूषण देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है. मदुरै में जन्मे पिचाई ने शुक्रवार को सैन फ्रांसिस्को में परिवार के करीबी सदस्यों की उपस्थिति में पुरस्कार प्राप्त किया.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 03 दिसंबर 2022,
- (अपडेटेड 03 दिसंबर 2022, 8:37 AM IST)
गूगल और अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई को अमेरिका के लिए भारतीय दूत व्यापार श्रेणी ने प्रसिद्ध पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया. पुरस्कार ग्रहण करते हुए पिचाई ने कहा, "भारत मेरा एक हिस्सा है और मैं जहां भी जाता हूं, इसे अपने साथ लेकर जाता हूं."
गूगल के सीईओ को व्यापार और उद्योग श्रेणी में साल 2022 के लिए प्रतिष्ठित पद्म भूषण अवार्ड मिला. पद्म भूषण देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है. मदुरै में जन्मे पिचाई ने शुक्रवार को सैन फ्रांसिस्को में परिवार के करीबी सदस्यों की उपस्थिति में पुरस्कार प्राप्त किया.
50 वर्षीय पिचाई ने अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू से पुरस्कार स्वीकार करते हुए कहा, “मैं इस अपार सम्मान के लिए भारत सरकार और भारत के लोगों का बहुत आभारी हूं. मुझे आकार देने वाले देश द्वारा इस तरह से सम्मानित किया जाना अविश्वसनीय रूप से सार्थक है." उन्होंने कहा, "भारत मेरा एक हिस्सा है. मैं जहां भी जाता हूं, इसे अपने साथ ले जाता हूं. इस खूबसूरत पुरस्कार को मैं कहीं सुरक्षित रखूंगा."