विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत

विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण

विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण
बच्चे को आक्सीजन की कमी थी, इसके बावजूद रेफर करते समय अस्पताल प्रशासन व चालक ने एंबुलेंस में मौजूद आक्सीजन सिलेंडर की जांच नहीं की। एंबुलेंस में बच्चे की देखरेख के लिए स्टाफ भी मौजूद नहीं था। स्वजन का कहना है कि एंबुलेंस में मौजूद आक्सीजन सिलेंडर का मीटर भी खराब था। अस्पताल के कर्मचारियों ने इस ओर चालक का ध्यान भी आकर्षित कराया था, लेकिन चालक ने कहा कि सिलेंडर में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन है। आराम से दिल्ली पहुंच जाएंगे।

भारत का घटता विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण विदेशी मुद्रा भंडार

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है। हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार के स्वर्ण आरक्षित घटक में बढ़ोतरी देखने को मिली है, लेकिन विदेशी मुद्रा भण्डार के अन्य घटकों, जैसे- विशेष आहरण अधिकार (SDR), विदेशी परिसंपत्तियों और IMF के पास “रिज़र्व ट्रेंच” आदि में गिरावट दर्ज की गई है।

गिरावट का मुख्य कारण:

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में गिरावट की वजह से मुद्रा भंडार में कमी हुई है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुखभाग होती है।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?

  • विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें।
  • यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं। ज्यादातर डॉलर और कुछ सीमा तक यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल होता है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है।
  • पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
  • यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण है।
  • इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति,स्वर्ण के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

दुखद घटना- महज 15 किलोमीटर भी नहीं चला एंबुलेस का ऑक्सीजन सिलेंडर, 4 माह के मासूम ने तड़प तड़पकर दे दी जान

देश की राजधानी दिल्ली में मेडिकल एंबुलेंस में खामी का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। पलवल से दिल्ली के लिए आ रही एंबुलेंस में 15 किलोमीटर बाद ही ऑक्सीजन खत्म हो गई जिससे चार महीने के बच्चे की मौत हो गई।

महज 15 किलोमीटर भी नहीं चला एंबुलेस का ऑक्सीजन सिलेंडर, 4 माह के मासूम ने तड़प तड़पकर दे दी जान

नई दिल्ली/पलवल। पलवल शहर के ओल्ड सोहना रोड स्थित सचिन अस्पताल और एंबुलेंस चालक की लापरवाही के कारण चार महीने के बच्चे की मौत हो गई। आरोप है कि बच्चे को इलाज के लिए दिल्ली के कलावती अस्पताल ले जाते समय रास्ते पर एंबुलेंस वैन में मौजूद सिलेंडर में आक्सीजन खत्म हो गई। आक्सीजन की कमी के कारण बच्चे विनायक की मौत हो गई। शहर थाना अंतर्गत हथीन गेट चौकी प्रभारी प्रीतम सिंह के अनुसार मामले में अभी 174 की कार्रवाई की गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार 547.25 अरब डॉलर पर पहुंचा, जानें कितने का हुआ इजाफा?

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18 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.54 अरब डॉलर बढ़कर 547.25 अरब डॉलर हो गया है। आरबीआई ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 18 नवंबर को समाप्त सप्ताह में लगातार दूसरे हफ्ते भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.537 अरब डॉलर बढ़कर 547.252 अरब डॉलर हो गया। पिछले रिपोर्टिंग सप्ताह में अगस्त 2021 के बाद से उच्चतम साप्ताहिक वृद्धि के बाद यह 14.721 बिलियन अमरीकी डालर बढ़कर 544.715 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया था।

उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। उसके बाद केंद्रीय बैंकों की ओर से लगातार ब्याज दरें बढ़ाने और वैश्विक दबाव के कारण इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई। बता दें कि केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये की रुपये को मजबूत बनाए रखने के लिए फॉरेक्स रिजर्व का इस्तेमाल करता है।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : निर्यात व व्यापार घाटे की चुनौती

इस समय वैश्विक मंदी के डर से घटी हुई वैश्विक मांग का असर भारतीय निर्यात पर भी दिखने लगा है। जहां यूरेाप और अमेरिका सहित अधिकतर विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीतियों को सख्त बनाए जाने से लोगों के हाथों में गैर-जरूरी खर्च के लिए कम धनराशि होने से भारतीय निर्यात की मांग कम हुई है, वहीं विकासशील देशों में लोगों की आमदनी में भारी कमी के कारण भी भारत से निर्यात में बड़ी गिरावट आई है और ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण भारत का व्यापार घाटा बढ़ा है ।

चूंकि आने वाले महीनों में वैश्विक आर्थिक मंदी और भू-राजनीतिक तनाव में सुधार की तत्काल संभावनाएं कम हैं, अतएव भारत के लिए निर्यात के लिहाज से हालात अत्यधिक चुनौती भरे हो सकते हैं। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से 15 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार देश से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात अक्टूबर 2022 में 16.65 फीसदी घटकर 29.78 अरब डॉलर रहा, जो 20 माह विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण में सबसे कम है। भारत से जिन 10 देशों को सबसे अधिक निर्यात किए जाते हैं, उनमें से 7 देशों अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, बांग्लादेश, ब्रिटेन, सऊदी अरब और हांगकांग में भारत से निर्यात में भारी कमी आई है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अप्रैल-अक्टूबर 2022 की अवधि में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 173.46 विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण अरब डॉलर हो गया, जो कि 2022 की इस अवधि में 94.16 अरब डॉलर था। गौरतलब है कि चीन में शून्य कोविड नीति और रियल एस्टेट संकट के कारण भारत से निर्यात में चिंताजनक कमी आई है और चीन से भारत का व्यापार घाटा तेजी से बढ़ा है। हाल ही में चीन के कस्टम विभाग की ओर से प्रकाशित भारत-चीन के द्विपक्षीय व्यापार के आंकड़ों के मुताबिक दोनों देशों के बीच जनवरी 2022 से सितंबर 2022 के बीच नौ महीनों के दौरान द्विपक्षीय कारोबार 103.63 अरब डॉलर का हुआ है। इस अवधि में चीन से भारत के लिए निर्यात 89.66 अरब डॉलर रहा है। इसमें 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, इस अवधि में भारत से चीन के लिए केवल 13.97 अरब डॉलर का निर्यात हुआ है और इसमें 36.4 प्रतिशत की गिरावट रही है। ऐसे में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 75.69 अरब डालर रहा है। पिछले वर्ष दोनों देशों के विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण बीच पूरे वर्ष में 125 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ था। बीते वर्ष चीन का भारत के लिए निर्यात 46.2 प्रतिशत बढ़कर 97.52 अरब डॉलर रहा था, जबकि भारत से चीन के लिए निर्यात 34.2 प्रतिशत बढ़कर 28.14 अरब डॉलर रहा था। इस अवधि में भारत का व्यापार घाटा 69.38 अरब डॉलर रहा था। ऐसे में स्पष्ट है कि इस वर्ष 2022 में चीन से व्यापार घाटा और बढ़ेगा। जहां चीन को भारत से निर्यात घटा है, वहीं चीन से भारत आने विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण वाले कई उत्पादों का आयात बढ़ा है। चीन से भारत के द्वारा किए कुल आयात का एक बड़ा हिस्सा पशु या वनस्पति वसा, अयस्क, लावा और राख, खनिज ईंधन, अकार्बनिक रसायनयांत्रिक उपकरण और फर्नीचर से संबंधित है। खासतौर से एक ऐसे समय में जब डॉलर की तुलना में रुपया निचले स्तर पर दिखाई दे रहा है और देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी बड़ी कमी आ रही है। ऐसे में चीन को भारत से निर्यात घटना और बढ़ता व्यापार घाटा बढ़ना देश की बड़ी आर्थिक चुनौती है। अब एक ओर चीन से आयात घटाने के लिए, तो दूसरी ओर भारत के द्वारा जी-20 की कमान संभालने के बाद मेक इन इंडिया और अब मेक फॉर ग्लोबल की डगर तेजी से आगे बढ़ाकर चीन सहित दुनिया के विभिन्न देशों को निर्यात बढ़ाने के लिए नए रणनीतिक कदम जरूरी हैं।

चीन का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खत्म हो रहा है, उसकी गिरती विश्वसनीयता से भी कई गुना तेज

विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और ग्लोबल फैक्ट्री का तमगा लिए बैठी चीनी अर्थव्यवस्था तेजी से पतन की ओर उन्मुख है। चीन में ऊर्जा संकट बहुत अधिक बढ़ गया है, साथ ही चीन के ऊपर ऋण भी बहुत अधिक बढ़ चुका है। अपने ऊर्जा संकट और कर्ज के बोझ से छुटकारा पाने के लिए चीन अपने फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स (विदेशी मुद्रा भंडार) को खर्च करने पर मजबूर है।

चीन के पास विश्व का सबसे बड़ा फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व है और उसके आर्थिक प्रभुत्व का एक महत्वपूर्ण कारण फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व ही है। सितंबर माह में चीन के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स में 31.5 बिलियन डॉलर की कमी आई है, वर्तमान में चीन के पास 3.2006 ट्रिलियन डॉलर फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व है।

चीन के लिए उसका विदेशी मुद्रा भंडार इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन खनिज संसाधनों के मामले में बहुत समृद्ध देश नहीं है। विशेष रुप से अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए चीन पूरी तरह से निर्यात पर निर्भर है। चीन अपने विदेशी मुद्रा भंडार का एक बड़ा हिस्सा कोयला, तेल और नेचुरल गैस खरीदने में खर्च करता है।

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