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भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में 9 अरब डॉलर से अधिक की वृद्धि

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते लगी तमाम पाबंदियों के बीच भारत के लिए अच्छी खबर है। जानकारी के मुताबिक 30 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में 9.427 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक सांख्यिकीय पूरक के मुताबिक 23 जुलाई को समाप्त सप्ताह के लिए रिपोर्ट किए गए विदेशी मुद्रा भंडार में ये वृद्धि देखने के मिली है। इसके साथ ही भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 611.149 अरब डॉलर से भंडार बढ़कर 620.576 अरब डॉलर हो गया है।

भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि

RBI ने कहा, आर्थिक विकास दर 9.5 फीसदी तक रह सकती है

क्या है भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार

बता दें कि साप्ताहिक आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक एफसीए 8.596 अरब डॉलर बढ़कर 576.224 अरब डॉलर हो गया। गौरतलब है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा संपत्ति (FCE), स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ देश की आरक्षित स्थिति शामिल है।

इसके साथ ही देश के सोने के भंडार का मूल्य 760 मिलियन डॉलर बढ़कर 37.644 अरब डॉलर हो गया। वहीं एसडीआर मूल्य 60 लाख डॉलर बढ़कर 1.552 अरब डॉलर हो गया है। अगर आईएमएफ की बात करें तो आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति 6.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.156 अरब डॉलर हो गई।

डॉलर के सामने गिरता रुपया, आम लोगों की जेब पर क्या होगा असर

डॉलर (सांकेतिक तस्वीर)

पिछले कुछ दिनों में इस बात पर भी चिंता जताई जा रही है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार कम होता जा रहा और कई हफ़्तों से चल रही गिरावट की वजह से ये 600 अरब डॉलर से नीचे पहुंच चुका है.

सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, "मोदी जी जब रुपया गिरता था तो आप मनमोहन जी की आलोचना करते थे. अब रुपया अपने अब तक के सबसे कम मूल्य पर है. लेकिन मैं आंख मूंदकर आपकी आलोचना नहीं करूंगा. गिरता हुआ रुपया निर्यात के लिए अच्छा है बशर्ते हम निर्यातकों को पूंजी के साथ समर्थन दें और रोज़गार सृजित करने में मदद करें. हमारी अर्थव्यवस्था के प्रबंधन पर ध्यान दें, न कि मीडिया की सुर्खियों पर."

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा, "भारत के इतिहास में आज - रूपया ICU में है, - ₹ मार्गदर्शक मंडल की उम्र कब की पार कर चुका, - NPA 75 साल में सबसे ज़्यादा है, - सर्वाधिक बेरोज़गारी है, - महंगाई की मार ने कमर तोड़ दी है, - सर्वाधिक महँगा पेट्रोल और डीज़ल है, मोदी है तो मुमकिन है."

2014 के लोक सभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की लगातार आलोचना की थी. सोमवार को रुपये में आई भरी गिरावट के बाद कांग्रेस ने एक पुराना वीडियो भी ट्वीट किया जिसमें मोदी रूपए में आ रही गिरावट के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते दिख रहे हैं.

कैसे गिरा रूपया?

पिछले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व की 50-आधार-बिंदु दर वृद्धि और आने वाले महीनों में और अधिक दरों में बढ़ोतरी के संकेत के बाद वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर में उछाल को रुपये में गिरावट का एक बड़ा कारण माना जा रहा है.

साथ ही विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से अपने निवेशों को खींच लेना भी रूपए के विदेशी मुद्रा समाचार गिरने के कई कारणों में से एक माना जा रहा है.

ये भी कहा जा रहा है कि दुनिया के प्रमुख देशों में मौद्रिक नीति के सख्त होना, आर्थिक मंदी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बना भू-राजनीतिक तनाव भी निवेशकों में चिंता बढ़ा रहा है और ये रुपये में आई गिरावट का एक कारण हो सकता है.

प्रोफेसर मुनीश कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय में वित्त अध्ययन विभाग के प्रमुख हैं.

वे कहते हैं, "जैसे ही अंतरराष्ट्रीय वित्त बाजारों में कोई दहशत होती है, लोग विदेशी मुद्रा समाचार डॉलर की तरफ भागते हैं और डॉलर की मांग बढ़ती है. उसका भी एक असर होता है. कुछ विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारत से विनिवेश किया जिस वजह से स्टॉक मार्केट गिरा. और इस वजह से काफी पैसा बाहर चला गया."

प्रोफेसर मुनीश कुमार का मानना है कि रुपयेए का गिरना एक अस्थायी बात है और आने वाले दिनों में ये स्थिर हो जायेगा. वे कहते हैं, "एफडीआई का निवेश आने की वजह से भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार हैं."

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क्या हैं मायने?

गिरते रुपये का सबसे बड़ा असर यह है कि आयात अधिक महंगा हो जाता है और निर्यात सस्ता हो जाता है. इसकी वजह ये है कि आयात की समान मात्रा का भुगतान करने में अधिक रुपये लगते हैं और निर्यात की समान मात्रा का भुगतान करने के लिए खरीददार को कम डॉलर लगते हैं.

तो रुपये में गिरावट का अधिक असर उन आयातकों पर पड़ता है जो रुपये की कीमत प्रति डॉलर बढ़ जाने से बुरी तरह प्रभावित होते हैं. हालांकि रुपये का गिरना निर्यातकों के लिए सकारात्मक साबित होता है क्योंकि उन्हें डॉलर के बदले अधिक रुपया मिलता है.

भारत के लिए चिंता

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भारत अपने कुल तेल का करीब 80 फीसदी तेल आयात करता है. जैसे-जैसे रुपया गिरेगा कच्चे तेल का आयात बिल बढ़ेगा और इस वजह से पेट्रोल और डीज़ल दोनों की कीमतों में बढ़ोतरी होगी. इसका सीधा असर परिवहन की लागत पर पड़ेगा और माल की कीमतों में वृद्धि होने से महंगाई बढ़ने की संभावना है.

प्रोफेसर मुनीश कुमार कहते हैं, "आम आदमी के लिए बड़ी समस्या तेल को लेकर है. पेट्रोल की कीमत पहले ही डॉलर में बढ़ गई. और क्यूंकि भारतीय रूपए की कीमत गिर गई तो भारत के लिए रूपए के मामले में पेट्रोल और मंहगा हो गया. आम आदमी पर इसी बात का सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा."

पिछले कुछ हफ़्तों से लगातार बढ़ रही तेल की कीमतों की वजह से पहले ही मंहगाई बढ़ने की आशंका जताई जा रही थी. अब चूंकि भारत को तेल आयात करना और मंहगा पड़ेगा इसलिए बड़ी चिंता इसी बात को लेकर है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें और ऊपर चली जाएँगी जिसका सीधा असर आवश्यक चीज़ों के परिवहन की लागत पर पड़ेगा और मंहगाई और बढ़ेगी.

रूपए में आयी गिरावट का एक सीधा असर उन छात्रों पर पड़ेगा जो पढाई के लिए विदेश जाने की योजना बना रहे हैं. डॉलर के मुक़ाबले रूपए के कमज़ोर होने से भारतीय छात्रों के लिए विदेशों में शिक्षा ले पाना मंहगा हो जायेगा.

निर्यातकों के लिए रुपये का गिरना फायदे का सौदा है क्यूंकि उन्हें विदेशी मुद्रा भुगतान को भारतीय रुपये में परिवर्तित करने पर ज़्यादा राशि प्राप्त होगी. माना जा रहा है कि रुपये में गिरावट से आईटी और फ़ार्मा कंपनियों की कमाई में तेज़ी आएगी.

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रूपए में गिरावट, क्या हैं वजहें?

आर्थिक मामलों के जानकार और जेएनयू के पूर्व प्राध्यापक प्रोफेसर अरुण कुमार का मानना है कि रुपये में आई गिरावट की मुख्य वजह ये है कि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था काफी कमज़ोर है.

वे कहते हैं, "कोविड महामारी के बाद अमेरिका की अर्थव्यवस्था काफी मज़बूत हो गई थी. कहने के लिए तो भारत की अर्थव्यवस्था ठीक हो रही है लेकिन वो अभी भी 2019 के स्तर पर नहीं पहुँच पाई है और उसकी वजह है कि भारत की अर्थव्यवस्था में डिमांड कम है और सरकार उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रही है. सरकार का कहना है कि विकास दर अच्छी है और भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है लेकिन क्यूंकि इसमें असंगठित क्षेत्र के आंकड़े नहीं आते हैं इसलिए सरकार के दावे के मुताबिक विकास दर नहीं है. इसीलिए खपत की मांग कम है. जब तक डिमांड नहीं होगी तब तक विकास दर अच्छा हो नहीं सकता."

प्रोफेसर अरुण कुमार के मुताबिक मंहगाई बहुत तेज़ी से बढ़ रही है, मगर मंहगाई के आंकड़े भी पूरी तरह से सही नहीं होते क्योंकि इसमें सर्विस सेक्टर पूरी तरह रिफ्लेक्ट नहीं होता है. वे कहते हैं, "जैसे मेडिकल खर्चे और शिक्षा से जुड़े खर्चे बहुत बढ़ गए हैं लेकिन वो मंहगाई के आंकड़ों में पूरी तरफ रिफ्लेक्ट नहीं होते हैं. इस सब का असर लोगों की खरीदने की शक्ति पर पड़ा है और खपत कम हुई है. जब तक खपत कम रहेगी तब तक उद्योग पुनर्जीवित नहीं होगा. चूँकि कैपेसिटी यूटिलाइजेशन कम है तो निवेश कम हो जाता है और जब निवेश कम हो जाता है तो विकास दर कम हो जाती है."

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उनके अनुसार चूंकि अर्थव्यवस्था कमज़ोर है और मंहगाई तेज़ी से बढ़ रही है तो इसका असर इस बात पर पड़ेगा की भारत की अर्थव्यवस्था को किस नज़र से देखा जा रहा है.

प्रोफेसर अरुण कुमार दुनिया भर में अनिश्चितता की बात भी करते हैं. वे कहते हैं, "महामारी की वजह से और यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से आपूर्ति में बाधा आ गई है. ये सारी दुनिया में अव्यवस्था पैदा कर रहा है. जब अनिश्चितता का समय होता है तो लोग सुरक्षित ठिकाना खोजते हैं और डॉलर को एक सुरक्षित ठिकाना माना जाता है."

वे कहते हैं कि दुनिया भर में दाम बढ़ गए हैं और विश्व व्यापार अस्त व्यस्त हो गया है और भारत का चालू खाता घाटा बहुत बढ़ गया है.

वे कहते हैं, "विदेशी निवेशक देश से बाहर जा रहे हैं और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बहुत गिरा है. डॉलर की मांग बढ़ गई है और रुपये की मांग कम हो गई है. इससे ये डर पैदा होता है कि अब रूपया गिरेगा. ऐसी अटकलों और अनिश्चितता से स्थिति और बिगड़ती है."

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भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में 9 अरब डॉलर से अधिक की वृद्धि

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते लगी तमाम पाबंदियों के बीच भारत के लिए अच्छी खबर है। जानकारी के मुताबिक 30 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में 9.427 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक सांख्यिकीय पूरक के मुताबिक 23 जुलाई को समाप्त सप्ताह के लिए रिपोर्ट किए गए विदेशी मुद्रा भंडार में ये वृद्धि देखने के मिली है। इसके साथ विदेशी मुद्रा समाचार ही भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 611.149 अरब डॉलर से भंडार बढ़कर 620.576 अरब डॉलर हो गया है।

भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि

RBI ने कहा, आर्थिक विकास दर 9.5 फीसदी तक रह सकती है

क्या है भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार

बता दें कि साप्ताहिक आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक एफसीए 8.596 अरब डॉलर बढ़कर 576.224 अरब डॉलर हो गया। गौरतलब है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा संपत्ति (FCE), स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ देश की आरक्षित स्थिति शामिल है।

इसके साथ ही देश के सोने के भंडार का मूल्य 760 मिलियन डॉलर बढ़कर 37.644 अरब डॉलर हो गया। वहीं एसडीआर मूल्य 60 लाख डॉलर बढ़कर 1.552 अरब डॉलर हो गया है। अगर आईएमएफ की बात करें तो आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति 6.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.156 अरब डॉलर हो गई।

विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट, 572 अरब डॉलर से भी आया नीचे

डॉलर के मुकाबले रुपये में उतार चढ़ाव के बीच विदेशी मुद्रा भंडार घटा है। विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों का घटना है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

विदेशी मुद्रा भंडार में आई बड़ी गिरावट, 572 अरब डॉलर से भी आया नीचे

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर रह गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब डॉलर रह गया था।

डॉलर के मुकाबले रुपये में उतार चढ़ाव के बीच विदेशी मुद्रा भंडार घटा है। विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों का घटना है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक भारत के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.426 अरब डॉलर घटकर 510.136 अरब डॉलर रह गयी।

डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है।

गोल्ड रिजर्व बढ़ा: आंकड़ों के मुताबिक सप्ताह में गोल्ड रिजर्व का मूल्य 14.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.502 अरब डॉलर हो गया। सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.963 अरब डॉलर हो गया। आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 2.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.96 अरब डॉलर हो गया।

दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा देश का विदेशी मुद्रा भंडार

Indian Foreign researve

यूक्रेन संकट के बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में $80 बिलियन से अधिक की कमी दर्ज हुई है. अकेले वर्तमान हफ्ते में $ 2 बिलियन से ज्यादा की गिरावट सामने आई है. इसकी मुख्य वजह डॉलर के भाव को 80 रुपए प्रति डॉलर से ऊपर जाने से रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से मुद्रा बाजार में डॉलर की बिकवाली को बताया जा रहा है. इसके साथ ही इसकी दूसरी वजह देश के चालू खाते के घाटा भी है, जिसकी वजह से देश का विदेशी मुद्रा रोकने में मदद नहीं मिल सकी. आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 9 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार $ 2.234 बिलियन गिरकर $550.871 बिलियन ही रह गया है, जो एक सप्ताह पहले $553.105 बिलियन था. देश का विदेशी मुद्रा भंडार इस वक्त दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.

फरवरी 2022 के अंत में रूस की ओर से यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद 29 सप्ताह में से 23 हफ्तों में लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट गिरावट दर्ज हुई है, इस दौरान मात्र 6 हफ्ता ही ऐसा रहा, इस दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज हुई थी. इस दौरान डॉलर आधारित संपत्तियों में भारी मात्रा में निवेश की वजह से डॉलर के मूल्य में तेजी के साथ इजाफा होने लगा. लिहाजा, रुपए की कीमत को स्थिर रखने के लिए आरबीआई को खुले बाजार में डॉलर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसकी वजह से देश की विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. यही वजह है कि पिछले साल अक्टूबर में देश के विदेशी मुद्रा भंडार के मुकाबले इस वक्त 90 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा समाचार से अधिक नीचे है.

एक साल एक डॉलर के मुकाबले रुपया 74 के मुकाबले 80 पर पहुंचा
देश के बाजारों में विदेशी पूंजी के निरंतर प्रवाह के बावजूद बढ़ते चालू खाते के घाटे की वजह से देश का विदेशी मुद्रा रोकने में मदद नहीं मिल सकी. दरअसल, डॉलर के मुकाबले रुपया इस साल नाटकीय रूप से लगभग 74 से गिरकर 80 प्रति डॉलर के कमजोर रिकॉर्ड स्तर पर आ गया है. लिहाजा, आरबीआई ने रुपए की कीमत को स्थिर रखने के लिए भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा समाचार डॉलर को खुले बाजार में बेच दिया, जिससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से नीचे आ गया है. शुक्रवार को जारी आरबीआई ताजा मासिक बुलेटिन से भी इसकी पुष्टि हो रही है. इसमें दिखाया गया कि केंद्रीय बैंक ने जुलाई में हाजिर विदेशी मुद्रा बाजार में शुद्ध $ 19.05 बिलियन की बिक्री की. जानकार इस बात की आशंका जता रहे हैं कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट अभी कुछ और समय के लिए बनी रहेगी, क्योंकि डॉलर अब भी नए विदेशी मुद्रा समाचार शिखर पर पहुंच रहा है, जो कि अधिकांश प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले दो दशकों में नहीं देखा गया है.

रुपया कमजोर होने से शेयर बाजार में आई भारी गिरावट
गौरतलब है कि भारतीय रुपए का शुक्रवार को पिछले पांच सप्ताह में सबसे खराब रहा, क्योंकि फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना को देखते हुए नए रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया और विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने बढ़ती मुद्रास्फीति पृष्ठभूमि के साथ आर्थिक विकास को धीमा करने की चेतावनी दी है. यही वजह है कि शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई.

पड़ोसियों से बेहतर है भारत की स्थित
विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं के मूल्य वृद्धि या मूल्यह्रास को डॉलर के संदर्भ में व्यक्त विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में शामिल किया गया है। लेकिन सोने के भंडार का मूल्य 340 मिलियन डॉलर बढ़कर 386.44 बिलियन डॉलर हो गया. समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 63 मिलियन डॉलर घटकर 17.719 अरब डॉलर हो गया, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में देश की आरक्षित स्थिति 8 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.91 अरब डॉलर हो गई. गौरतलब है कि विदेशी मुद्रा समाचार इस साल विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट दर्ज हुई है. इसके बावजूद देश अब भी अपने उभरते बाजार के साथियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहा है. गौरतलब है कि भारत के कई पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा भंडार संकट के स्तर तक गिर गया है.

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