ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है

स्टॉप-लॉस ऑर्डर आपको कैसे लाभ पहुंचा सकता है?
खरीदने के लिए स्टॉक का आकलन करते समय, वास्तव में, देखने और जांच करने के लिए असंख्य पहलू हैं। हालाँकि, ऐसा करते समय, छोटी, छोटी चीज़ों को याद करना बहुत आसान हो जाता है। और, उन छोटी-छोटी बातों में एक स्टॉप-लॉस ऑर्डर गिना जाता है।
अधिकांश व्यापारियों और निवेशकों को यह एहसास नहीं हो सकता है कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर पूरे व्यापार में काफी अंतर ला सकता है। और जो चीज इसे अधिक ध्यान देने योग्य बनाती है वह यह है कि यह लगभग किसी को भी पर्याप्त लाभ प्राप्त करने में मदद कर सकती है। इसे खोजने के लिए आगे पढ़ें।
स्टॉप-लॉस ऑर्डर को परिभाषित करना
स्टॉप लॉस अर्थ को ब्रोकर के पास खरीदने के लिए या स्टॉक के एक विशिष्ट मूल्य पर पहुंचने के बाद दिए गए ऑर्डर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर की पूरी अवधारणा को किसी के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया हैइन्वेस्टर सुरक्षा स्थिति पर।
उदाहरण के लिए, यदि आप स्टॉप-लॉस ऑर्डर को 10% कम कीमत पर सेट करते हैं, तो जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा है, वह आपके नुकसान को 10% तक सीमित कर सकता है।
स्टॉप लॉस ऑर्डर कैसे दें?
अनिवार्य रूप से, यह एक स्वचालित व्यापार आदेश है जो एक निवेशक ब्रोकरेज को देता है। एक बार जब स्टॉक की कीमत एक विशिष्ट स्टॉप प्राइस पर गिर जाती है, तो व्यापार निष्पादित हो जाता है। इस तरह के स्टॉप-लॉस ऑर्डर मूल रूप से उस नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जो एक निवेशक को किसी पोजीशन पर हो सकता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप एक निश्चित कंपनी के 10 शेयरों पर एक लंबी स्थिति के मालिक हैं और आपने उन्हें रुपये की कीमत पर खरीदा है। 300 प्रति शेयर। अब शेयर रुपये पर कारोबार कर रहे हैं। 325 प्रत्येक। जिस तरह आप भविष्य में मूल्य वृद्धि में भाग ले सकते हैं, आप इन शेयरों को जारी रखने का निर्णय लेते हैं।
हालाँकि, दूसरी ओर, आप अब तक अर्जित किए गए लाभों को खोना भी नहीं चाहते हैं। चूंकि आपने अभी तक शेयर नहीं बेचे हैं, इसलिए आपके लाभ की वसूली नहीं होगी। एक बार जब वे बिक जाते हैं, तो वे बन जाते हैंवास्तविक लाभ. कंपनी के डेटा की एक संक्षिप्त समीक्षा के बाद, आप यह तय कर सकते हैं कि कीमतों में गिरावट के मामले में शेयरों को रखना या बेचना है या नहीं।
नज़र रखने के बजायमंडी लगातार, आप कीमतों पर नजर रखने के लिए बस स्टॉप ऑर्डर खरीद सकते हैं।
स्टॉप-लॉस ट्रेडिंग के लाभ
शुरू करने के लिए, स्टॉप-लॉस ट्रेडिंग के महत्वपूर्ण लाभों में से एक यह है कि इसे लागू करने के लिए एक बम खर्च नहीं होता है। एक नियमित कमीशन तभी लिया जाएगा जब स्टॉक स्टॉप-लॉस मूल्य पर पहुंच गया हो, और स्टॉक को बेचना होगा।
यहां निर्णय लेना भावनात्मक प्रभावों से पूरी तरह मुक्त है। चूंकि स्टॉप-लॉस ऑर्डर स्टॉक को एक और मौका नहीं देता है, इसलिए नुकसान की राह की ओर जाना संभव विकल्प नहीं होगा।
इस ट्रेडिंग के साथ, लगभग कोई भी रणनीति काम कर सकती है। हालाँकि, केवल तभी जब आप इस बात से अवगत हों कि किसी एक के साथ कैसे रहना है और आप अपने दिमाग से अधिक काम करते हैं; अन्यथा, स्टॉप-लॉस ऑर्डर बेकार के अलावा कुछ नहीं होगा।
साथ ही, आपको हर दिन स्टॉक के प्रदर्शन पर नजर रखने की जरूरत नहीं है। यदि आप किसी और चीज़ में व्यस्त हैं या छुट्टी पर हैं तो यह बेहद सुविधाजनक हो जाता है।
नुकसान
शेयर बाजार में स्टॉप लॉस का एक प्राथमिक नुकसान यह है कि स्टॉक की कीमत में एक छोटा सा उतार-चढ़ाव भी स्टॉप प्राइस को सक्रिय कर सकता है।
जहां तक प्लेसमेंट के स्तर का संबंध है, आपके पास कोई कठोर नियम नहीं है। यह केवल आपके निवेश की शैली पर निर्भर करता है; इस प्रकार, हानि या लाभ की गारंटी नहीं है।
इन आदेशों में संभावित जोखिम हैं। जबकि वे एक मूल्य सीमा का आश्वासन दे सकते हैं
निष्कर्ष
स्टॉप-लॉस ऑर्डर एक सहज उपकरण है; हालांकि, कई निवेशकविफल इसका अधिकतम लाभ उठाने के लिए। नुकसान को रोकने के लिए या मुनाफे को लॉक-इन करने के लिए, इस व्यापार के लिए निवेश की लगभग हर शैली उपयुक्त है। लेकिन, सभी सही चीजों और फायदों के अलावा, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर इस बात की गारंटी नहीं देते कि आप बाजार में कोई पैसा कमा रहे होंगे। इस प्रकार, आपको बुद्धिमानी से और सावधानी से निर्णय लेने होंगे जबकिनिवेश. यदि नहीं, तो आपको लाभ से अधिक हानि हो सकती है।
Stop Loss Meaning In Hindi
Stop – Loss यह सुन कर आपके मन में एक सवाल जरुर आया होंगा की क्या सच में स्टॉक मार्केट में ऐसा हो सकता हैं तो मे आपको बता दू की यह टोपिक (stop loss meaning in hindi) शेयर बाज़ार के किसी टिप्स या सुचन पर बेस्ड नहीं है बल्कि यह आर्टिकल स्टॉक मार्केट की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि Stop – Loss के बारेंमे है जिसे SL के शोर्ट नाम से भी जाना जाता हैं, वैसे आपने इसके बारेंमे जरुर सुना होंगा मगर आज हम इसे पूर्ण विस्तार से समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं
स्टॉपलॉस क्या होता हैं :-
तो दोस्तों ‘स्टॉपलॉस’ यह ट्रेडिंग की एक विशेष प्रकार की सुविधा है जो केवल हमें इस ‘इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म’ के माध्यम से देखने को मिली हैं, इसके नाम से ही पता चलता है की यह हमारे ट्रेडिंग लोस को रोकता है जिनसे हम हमारी नुकसानी को कम कर सकते हैं
इसको आगे हम इनके कुछ उदाहरणों के साथ भी समजेंगे फिलहाल, हमें यह समजना होंगा की यह होता क्या है और स्टॉक मार्केट में इसको कैसे प्रयोग करें
‘स्टॉपलॉस’ का इस्तेमाल ज्यादातर Intraday Trading में किया जाता हैं, यह शेयरों की खरीदी और बिकवाली दोनों पर अप्लाई किया जा सकता हैं, इसमें एक बात का अवश्य ध्यान रखे की हम इस टोपिक में केवल BSE/NSE के Cash Market की बात कर रहे है नाकी Future & Option Trading की तो चलिए इसीके साथ ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है आगे बढ़ते हैं
पहले तो इसका इस्तेमाल हमारें ब्रोकर्स के द्वारा या खुद मोबाइल ट्रेडिंग के जरिये भी कर सकते हैं, तो स्टॉपलॉस का इस्तेमाल खरीदी और बिकवाली दोनों पोजीशन पर किया जा सकता हैं
स्टॉपलॉस ऑर्डर का एक विशेष महत्व है और वो ये की स्टॉपलॉस ऑर्डर पहले तो हमारें पुराने ऑर्डर की नुकसानी को बढ़ने से रोकता हैं और दूसरा प्रोफिट को बढ़ने के लिए मार्केट क्लोज़ होने तक सीमीत रखता हैं
Stop – Loss की प्रेक्टिकल समज :-
‘स्टॉपलॉस’ को ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है थोडा प्रेक्टिकली समजते है मानलीजिये किसी स्टॉक को हमने इंट्राडे पर ख़रीदा है जिनसे मार्केट खत्म होने से पहले उसे बेचना जरुरी होना मगर हम उस स्टॉक पर मार्केट क्लोजिंग तक रुकना चाहते है
साथ ही हमने यह भी नक्की किया है की इस स्टॉक पर यदि लोस होंगा तो वो केवल इतनाही होंगा तो इसके लिए हमें स्टॉक खरीदने के तुरंत बाद उसको बेचने का स्टॉपलॉस लगा देना चाहिए
अब एक बात का अवश्य ध्यान रखे की Pending Order (Limit) और Stop – Loss Order (Limit) दोनों एक सिक्के के दो पहलु हैं, अब मार्केट सौदे के अलावा यह दोनों ऑर्डर Limit कहे जायेंगे
अब उस स्टॉक पर स्टॉपलॉस की प्राइस कैसे नक्की की जाती हैं तो उस स्टॉक के Current Market Price (CMP) के हिसाबसे स्टॉपलॉस प्राइस चुनी जाती है अब इसके लिए हमें लिमिट ऑर्डर को समजना होंगा
यदि किसी स्टॉक को बेचने की लिमिट CMP या उनसें आगे (ज्यादा) की होंगी वैसे ही किसी स्टॉक को खरीदने की लिमिट CMP या उनसे पीछें (कम) की होंगी तो यह एक फंडा तो क्लीयर हैं
तो अब आते है स्टॉपलॉस प्राइस पर तो यह बिल्कुल सिम्पल है इसमें मिलित प्राइस से बिल्कुल विपरीत की प्राइस डाली जाती हैं, इसे भी विस्तार से समजते है
स्टॉपलॉस ऑर्डर कभी भी मार्केट ऑर्डर नहीं कहलाता है क्योंकि स्टॉपलॉस ऑर्डर की लिमिट सबमिट की जाती है न की मार्केट प्राइस पर सौदा किया जाता हैं
अब किसी स्टॉक को बेचने के स्टॉपलॉस ऑर्डर में CMP से कम की दो कीमतों को डाला जाता हैं इसे आगे उदाहरण के माध्यम से विस्तार से समजेंगे, अब वैसे ही किसी स्टॉक को खरीदने के स्टॉपलॉस ऑर्डर में CMP से ज्यादा की दो कीमतों को डाला जाता हैं
Stop – Loss का उदाहरण :-
चलिए अब ‘स्टॉपलॉस’ को उदाहरण के माध्यम से विस्तारपूर्वक समजते हैं, इसमें हम दो उदाहरणों का इस्तेमाल करेंगे और दोनों ही इंट्राडे ट्रेडिंग पर बेस होंगे जिसमे एक तो होंगा खरीदी के समय बिकवाली का स्टॉपलॉस कैसे लगाए और दूसरा बिकवाली के समय खरीदी का स्टॉपलॉस कैसे लगाए तो चलिए इन दोनों उदाहरणों को वन बाय वन समजते हैं
उदाहरण नंबर 1
मानलीजिये Tata Steel के 100 शेयर Rs.1200 में ख़रीदे हैं जिसे केवल इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए यानि मार्केट क्लोस होने से पहले स्क्वेरअप (Sell) कर लिया जायेंगा
इस स्टॉक में नुकसानी करने की मेरी क्षमता केवल Rs.20 है जिनसे इस स्टॉक की स्टॉपलॉस प्राइस होंगी Rs.1180 और Rs.1181 इन दोनों प्राइस के बिच की दूरी को इसके CMP स्टैंड के मुताबिक नक्की कर सकते हैं और इसमें जो बड़ी प्राइस होती है उसे Trigger Price कहा जाता हैं
अब इसमें दो बातें होती है –
- पहलीं यदि हमारा यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर पास हो जाता है तो हमारे शेयर्स के मुताबिक Rs.2000 का तकरीबन लोस होंगा
- दूसरी बात यदि यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर पास नहीं होता है जिसका मतलब स्टॉक की प्राइस Rs.1180 के ऊपर ही है और Rs.1200 के ऊपर हुए फिर तो प्रोफिट ही हैं जिसे मार्केट क्लोजिंग से पहले स्क्वेरअप कर लिया जाता हैं और उस स्टॉपलॉस के ऑर्डर को रद्द कर दिया जाता हैं
उदाहरण नंबर 2
मानलीजिये TCS के 50 शेयर Rs.3700 में बेचे हैं अब जबकि हम इंट्राडे ट्रेडिंग की बात कर रहे हैं ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है तो इस सौदे को Short Selling कहा जायेंगा जिनसे मार्केट क्लोस होने से पहले इस सौदे को स्क्वेरअप (Buy) करना जरुरी हो जाता हैं
अब इस स्टॉक में नुकसानी करने की मेरी क्षमता केवल Rs.50 है जिनसे इस स्टॉक की स्टॉपलॉस प्राइस होंगी Rs.3750 और Rs.3755 इसमें जो बड़ी प्राइस होती है उसे Trigger Price कहा जाता हैं
अब इसमें भी दो बातें होती है –
- पहलीं तो यदि हमारा यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर पास हो जाता है तो हमारे शेयर्स के मुताबिक लगभग Rs.2500 की नुकसानी होंगी
- दूसरी बात यदि यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर नहीं भी पास होता है तब इसका यह मतलब होंगा की प्राइस Rs.3750 के नीचें ही है और यदि Rs.3700 के नीचें है फिर तो प्रॉफिट ही हैं जिसे मार्केट क्लोजिंग से पहले अनिवार्य रूप से स्क्वेरअप कर लिया जाता हैं और उस स्टॉपलॉस के ऑर्डर को रद्द कर दिया जाता हैं
निष्कर्ष :-
तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (stop loss meaning in hindi) में स्टॉपलॉस क्या होता हैं और इसे स्टॉक मार्केट में कैसे इस्तेमाल किया जाता है इसकी संपूर्ण इन्फोर्मेशन प्राप्त की साथ ही इसे प्रेक्टिकल रूप से भी जाना और इसके दो उदाहरणों को देखा जिसमे हमने समजा की शेयर्स की खरीदी करने के बाद उसका Selling का Stop – Loss कैसे रखा जाता है और साथ ही किसी स्टॉक में बिकवाली यानि शोर्ट सेल्लिंग करने के बाद उसका Buying का Stop – Loss कैसे सबमिट किया जाता हैं यही हमारा यह टोपिक समाप्त होता हैं, आप का धन्यवाद
शेयर बाज़ार में स्टॉप लॉस क्या है | Stop Loss Meaning in Hindi
यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं, तो आपने स्टॉप लॉस के बारे में जरूर सुना होगा और यदि आप शेयर बाजार में अभी नए-नए हैं, तो आप को स्टॉप लॉस के बारे में जानना काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसके मदद से आप शेयर बाजार में अपने होने वाले लॉस को बचा सकते हैं.
शेयर बाजार में Stock को दो प्रकार से एक्सेक्यूट (Execute) करा सकते हैं पहला मार्केट ऑर्डर (Market Order) और दूसरा लिमिट ऑर्डर (Limit Order).
Table of Contents
What is Stop Loss in Share Market in Hindi
Stop Loss का प्रयोग Stock Execute होने के बाद ही किया जाता है. स्टॉप लॉस के मदद से मार्केट में होने वाले नुकसान से आप बच सकते हैं.
स्टॉप लॉस का प्रयोग आप चाहे डे ट्रेडिंग (Day trading) या इंट्राडे (Intraday) या फिर स्कल्पिंग (Scalping) Trading के लिए कर सकते हैं.
शेयर बाजार में स्टॉक का प्राइस ऊपर–नीचे होता रहता हैं. इसका मतलब है कि मार्केट में स्टॉक का प्राइस अचानक ऊपर की ओर चला जायेगा. जिससे आपको प्रॉफिट भी हो सकता है, लेकिन प्राइस नीचे की ओर भी आ सकता है जिसे आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए एक अच्छा ट्रेडर बनने के लिए आपको हमेशा स्टॉपलॉस का प्रयोग करना चाहिए.
Advantage of Stop Loss (स्टॉप लॉस लगाने के फायदे)
- Stop Loss ऑप्शन के मदद से अपने risk को कम कर सकते हैं.
- Stop Loss के मदद से एक trader अपने capital को भी बचा सकता हैं,
- Stop Loss को trail करके अपने profit भी secure कर सकते हैं.
- Stoploss के मदद से आप trading में काफ़ी ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है समय तक टीक भी सकते हैं.
- Stop Loss एक risk management का हिस्सा भी हैं.
Disadvantage of Stop Loss (स्टॉप लॉस लगाने के नुकसान)
- Stop Loss के नियम जानें बिन यदि आप stop loss लगाते हैं, तो स्टॉप लॉस जल्दी-जल्दी hit होगा.
- स्टॉप लॉस सिर्फ intraday के लिए ही सही है, होल्डिंग स्टॉक के लिए नहीं.
- शेयर बाजार में यदि ज्यादा volatility (उतार-चढ़ाव) हैं, तो stop loss hit होने का संभावना काफी ज्यादा रहता हैं.
स्टॉप लॉस कैसे लगाएं
चलिए हम एक उदाहरण से जानते हैं कि स्टॉप लॉस का प्रयोग कैसे करते हैं.
उदाहरण के लिए, मान लीजिए की अनिल प्रति शेयर ₹500 की दर से ABC कंपनी में 100 शेयर खरीदता है. अचानक शेयर की कीमत प्रति ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है शेयर के हिसाब से ₹10 गिर जाता है. शेयर की कीमत ₹490 हो जाता हैं. अनिल अपने नुकसान को सीमित करना चाहता है, तो वह ₹450 रुपए पर एक स्टॉप लॉस ऑर्डर लगा देता है, अगर कीमत ₹450 रुपए से नीचे भी गिर जाता है, तो अनिल का स्टॉपलॉस हिट कर जाएगा और उसे एक सीमित नुकसान होगा. यानी अनिल का जो Broker होगा. वह ₹450 की कीमत पर शेयर को बेच देगा और आगे होने वाले नुकसान को रोक लेगा.
दूसरी ओर यदि शेयर की कीमत बढ़ जाती है ₹550 रुपए प्रति शेयर हो जाता. तो अनिल अपने शेयर को बेच कर मुनाफा कमा सकता है या फिर stop-loss को ट्रेल कर अपने प्रॉफिट को secure कर सकता है.
शेयर मार्केट में ट्रिगर प्राइस क्या हैं (What is Trigger Price)
शेयर मार्केट में दो प्रकार से आर्डर को एग्जीक्यूट किए जाते हैं. पहला Buy और दूसरा Sell. ट्रिगर प्राइस का प्रयोग मार्केट में buy ओर sell के आर्डर को एक्टिवेट करने ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है के लिए उपयोग करते हैं।
ट्रिगर प्राइस को आप buy करने के लिए या फिर sell करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। जब किसी शेयर पर स्टॉप लॉस लगाते हैं, तो वहां पर ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल किया जाता है.
यदि आप कोई शेयर buy या sell करना चाहते हैं तो उसमें स्टॉप लॉस लगाते समय आप ट्रिगर प्राइस भी लगा सकते हैं।
Trigger price meaning in Hindi
जब आप शेयर पर स्टॉप लॉस लगाने जाएंगे, तो वहां पर आपको तो ऑप्शन मिलेगा. पहला ट्रिगर प्राइस (Trigger Price) दूसरा लिमिट प्राइस (Limit Price). अब ट्रिगर प्राइस ऑप्शन में आपको एक प्राइस दर्ज करना है. जोकि लिमिट प्राइस से अधिक और मार्केट प्राइस से कम यानी कि दोनों वैल्यू के बीच का कोई एक प्राइस दर्ज करना है. जैसे ही शेयर का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंचता है. आपका stop-loss ऑर्डर सिस्टम के द्वारा एक्टिवेट कर दिया जाएगा. और जब भी मार्केट प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस तक पहुंचता है आपका stop-loss आर्डर एग्जीक्यूट हो जाएगा ।
इसमें एक बात और भी ध्यान रखिएगा. की जब तक स्टॉक का प्राइस दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता तब तक ऑर्डर आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहेगा। इस ऑर्डर को एक्सचेंज तक नहीं भेजा जायेगा।
FAQ’s
Q1. शेयर खरीदते समय स्टॉप लॉस कैसे लगाएं ?
Ans. शेयर खरीदते समय आपको अपने risk और reward पॉइंट्स जैसे 1:2 को तय कर लेना चाहिए. उसके अनुसार स्टॉपलॉस लगाए।
Q2. ट्रिगर प्राइस क्या होता है ?
Ans. ट्रिगर प्राइस का प्रयोग मार्केट में buy ओर sell के आर्डर को एक्टिवेट करने के लिए उपयोग करते हैं।
Q3. ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस में क्या अंतर है ?
Ans. ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस को एक्टिवेट करता है और लिमिट प्राइस स्टॉक को Execute करता है|
what is stop loss in share market ? शेयर बाजार में स्टॉप लॉस क्या है
अपने मूवी में सुना होगा रिस्क है तो इश्क है लेकिन रिस्क लेने की कैपेसिटी हर आदमी की अपनी अपनी होती है ।आपकी रिस्क लेने की कैपेसिटी कितनी है लेकिन रिस्क कितना लिया जाए शेयर मार्केट में इसकी कोई लिमिट नहीं है आप कभी हीरो कभी जीरो होते हैं ।और अधिकतर देखा गया है जब ट्रेडिंग में लोग अपने पैसे को जीरो जरूर कर लेते हैं यहां पर आपकी रिस्क को कम करने के लिए स्टॉप लॉस का यूज किया जाता है।
जब आप का खरीदा हुआ स्टॉक प्राइस गिरता है तो उसको कब तक गिरने देना है कहां पर स्टॉप करना है यह स्टॉप लॉस के जरिए किया जा सकता है ।चलिए हम जानते हैं कि स्टॉपलॉस क्या होता है।
What is stop loss ?| स्टॉप लॉस क्या होता है ?
शेयर मार्केट में आपके रिस्क को कम करने की एक डिजिटल विधि है stop loss एक आर्डर की तरह काम करता है जिसे आप अपनी ब्रोकर के ऐप में या ऑनलाइन डिजिटल के रूप में लगाते हैं उदाहरण के लिए मान लीजिए आपने रिलायंस का कोई शेयर ₹2600 के भाव पर खरीदा है लेकिन आपको लग रहा है कि यह नीचे भी आ सकता है आप अपने इस डर को कम करने के लिए स्टॉपलॉस का यूज कर सकते हैं।
मान लीजिए आप इस शेयर पर ₹200 तक का नुकसान सहन कर सकते हैं उससे ज्यादा नुकसान आप नहीं उठाना चाहते इस स्थिति में आप दो काम कर सकते हैं या तो आप रेगुलर ली स्टॉक को देखते रहिए जैसे ही वह गिरता है तो आप सेल कर सकते हैं या फिर आप पहले से ही एक स्टॉपलॉस लगा सकते हैं जो ₹2400 के भाव पर लगेगा जिसमें आपको रेगुलर देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी जैसे ही भाव ₹200 गिरता है आपका stock सेल हो जाएगा
Types of stop loss | स्टॉप लॉस के प्रकार
सेल स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग लॉन्ग पोजीशन को प्रोटेक्ट करने के लिए किया जाता है आपने किसी शेयर में लॉन्ग पोजीशन बना रखी है वहां पर आप सेल स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग करते हैं उदाहरण के लिए आपने किसी कंपनी का शेयर ₹100 में खरीदा है आपके प्रोडक्शन के हिसाब से यह शेयर ₹150 जाएगा इस पोजीशन को हम लोग पोजीशन कहते हैं इस पोजीशन को प्रोटेक्ट करने के लिए आप सेल स्टॉपलॉस आर्डर लगा सकते हैं
2. Buy-Stop Orders
Buy-Stop Orders वैचारिक रूप से सेल-स्टॉप ऑर्डर के समान हैं। हालांकि, उनका उपयोग शॉर्ट पोजीशन की सुरक्षा के लिए किया जाता है। एक खरीद-स्टॉप ऑर्डर की कीमत मौजूदा बाजार मूल्य से ऊपर होगी और अगर कीमत उस स्तर से ऊपर उठती है तो ट्रिगर होगी
On which position to put stop loss? |स्टॉप लॉस किस पोजीशन पर लगाये ?
Technical analysis उन स्तरों को निर्धारित करने के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है जिन पर stop loss सेट किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक long term के लिए, स्टॉक के लिए प्रमुख समर्थन स्तरों का पता लगाना नकारात्मक जोखिम का अनुमान लगाने के लिए उपयोगी हो सकता है। यहां आधार यह है कि एक बार एक प्रमुख समर्थन स्तर के टूटने के बाद, यह स्टॉक के लिए अतिरिक्त नुकसान का संकेत दे सकता है। हालाँकि, झूठे ब्रेकआउट से सावधान रहें। सुनिश्चित करें कि आप अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में प्रवेश करने से पहले तकनीकी विश्लेषण और अन्य उपकरणों का उपयोग करते हुए, स्टॉप-लॉस स्तरों पर लगन से शोध करते हैं।
how can put a stop loss on existing shares ? | मौजूदा शेयरों पर स्टॉप लॉस कैसे लगाया जा सकता है?
यदि आपने पहले कोई शेयर खरीद रखा है .आप उस शेयर पर स्टॉप लॉस लगा सकते है .इसके लिए आपको अपने एप्प के शेयर सेल्ल ऑप्शन पर जाकर सेल स्टॉप लोस्स आर्डर लगाना पड़ेगा
नीचे आपको ज़ेरोढा एप्प का उद्धरण दिया है
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शेयर बाजार में अक्सर स्टॉपलॉस और टारगेट की बात होती है? ये क्या है?
स्टॉप-लॉस आपके नुकसान को सीमित रखता है जबकि टारगेट आपके प्रॉफिट को सीमित रखता है. स्टॉप लॉस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप बड़े नुकसान से बच सकें. टारगेट का इस्तेमाल इसलिए होता है ताकि जो प्रॉफिट हो रहा है वो नुकसान में या कम न हो जाए. तो चलिए स्टॉप लॉस और टारगेट को विस्तार से समझते हैं.
शेयरों में जोखिम को कम करने और प्रॉफिट बुक करने के लिए स्टॉप लॉस और टारगेट का काफी इस्तेमाल होता है. स्टॉप लॉस और टारगेट का ज्यादातर इस्तेमाल इंट्राडे ट्रेडिंग में होता है, लेकिन अगर आप लॉन्ग टर्म निवेश कर रहे हैं तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. स्टॉप-लॉस आपके नुकसान को सीमित रखता है जबकि टारगेट आपके प्रॉफिट को सीमित रखता है. स्टॉप लॉस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप बड़े नुकसान से बच सकें. टारगेट का इस्तेमाल इसलिए होता है ताकि जो ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है प्रॉफिट हो रहा है वो नुकसान में या कम न हो जाए. तो चलिए स्टॉप लॉस और टारगेट को विस्तार से समझते हैं.
जैसा ही ऊपर हमने बताया है कि स्टॉप लॉस का इस्तेमाल नुकसान को सीमित करने के लिए किया जाता है. इसे एक उदाहरण से समझते है. मान लीजिए आपने इंट्राडे के लिए किसी कंपनी के 100 शेयर 100 रुपए के भाव पर खरीदे. यानी 10,000 रुपए का निवेश आपने किया. आपने सोचा की शेयर की कीमत बढ़ेगी और आप अच्छा खासा मुनाफा कमा लेंगे. लेकिन हुआ कुछ उल्टा और शेयर की कीमत बढ़ने के बजाय घटकर 90 रुपए हो गई. यानी आपको एक शेयर पर 10 रुपए के हिसाब से 1000 रुपए का घाटा होने लगा. मार्केट में इस तरह के बदलाव इतनी तेजी से होते है कि की बार ट्रेडर को इसका पता ही नहीं चलता.
अब आपके पास दो ऑप्शन है या तो इन शेयरों को होल्ड कर आने वाले दिनों में कीमत बढ़ने का इंतजार किया जाए या घाटा बुक किया जाए. ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए ही स्टॉपलॉस काम आता है. ये कैसे काम करता है समझते है. स्टॉपलॉस को आप शेयर खरीदने के तुरंत बाद ही लगा सकते हैं. ऊपर दिए उदाहरण में ट्रेडर को 10 रुपए का नुकसान हो रहा था लेकिन अगर उसने स्टॉपलॉस लगाया होता तो नुकसान सीमित हो सकता था. स्टॉपलॉस वह मूल्य होता है जिसे लगाने पर आपके शेयर उस मूल्य पर ऑटोमेटिक बिक जाते हैं. इसे आप अपनी नुकसान की क्षमता और टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर लगा सकते हैं.
यानी ट्रेडर ने अगर 100 रुपए के भाव पर शेयर खरीदने के बाद नीचे की तरफ 98 रुपए या 95 रुपए जो भी स्टॉपलॉस लगाया होता तो उसके शेयर स्टॉपलॉस मूल्य पर अपने आप बिक जाते और उसे घाटा कम होता. अगर उसने 98 रुपए पर इसे लगाया होता तो जहां पहले 10 रुपए प्रति शेयर का नुकसान हो रहा था वो 2 रुपए तक सीमित हो जाता. वहीं अगर स्टॉपलॉस 95 रुपए का होता तो घाटा 5 रुपए प्रति शेयर तक सीमित हो जाता. यानी इससे साफ है कि स्टॉप लॉस प्राइस पर शेयर बेच देने से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं. वहीं अगर आप शॉर्ट सेलिंग करते हैं यानी पहले शेयर को बेचते हैं और बाद में खरीदते हैं तो भी स्टॉपलॉस लगाया जा सकता है.
टारगेट का मतलब लक्ष्य. इसका इस्तेमाल प्रॉफिट बुकिंग के लिए होता है. इसे भी एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपने इंट्राडे के लिए किसी कंपनी के 100 शेयर 100 रुपए के भाव पर खरीदे. यानी 10,000 रुपए का निवेश आपने किया. अब ये शेयर बढ़कर 105 रुपए पर पहुंच गया, लेकिन कुछ देर बाद वापस ये शेयर 100 रुपए पर आ गया या उससे नीचे 99 रुपए पर आ गया. जब ये शेयर 105 रुपए पर गया था तब आप इसे किसी कारण से बेच नहीं पाए. यानी आप प्रॉफिट बुक नहीं कर पाए. अब आपको उसी शेयर के नीचे आ जाने के कारण नुकसान हो रहा है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही टारगेट काम आता है.
टारगेट में आप पहले से ही आपके खरीदे शेयर को बेचने का ऑर्डर लगा सकते है. यानी अगर आपको लगता है कि ये शेयर 105 रुपए तक जा सकता है तो आप 105 रुपए का टारगेट प्राइस के लिए सेलिंग ऑर्डर लगा सकते हैं. जब शेयर उस भाव पर पहुंचेगा तो अपने आप ही वो बिक जाएगा और प्रॉफिट बुक हो जाएगा.