विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत

आम सवाल क्रिप्टो के बारे में

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विकेंद्रीकरण

सरकार ने क्रिप्टो से होने वाली आय पर लगाया टैक्स, क्रिप्टो निवेशकों को बजट से क्या मिला? जानें

कहते हैं नो रिस्क नो गेम. यानि बिना जोखिम लिए मुनाफा नहीं होता. ऐसा ही एक निवेश का माध्यम है क्रिप्टो करेंसी. जिसमें जोखिम तो काफी है लेकिन मुनाफा तगड़ा है. दुनिया के अलग अलग देशों में क्रिप्टो करेंसी को अलग अलग नियम हैं. भारत में इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. इसको लेकर शीतकालीन सत्र में सरकार एक बिल लाने वाली थी, लेकिन वो बिल संसद में पेश नहीं हो सका. इधर सरकार ने आज बजट के दौरान क्रिप्टो निवेशकों के लिए एक बड़ी घोषणा कर दी. ऐसे में सात सवाल इसी मुद्दे पर होंगे.

The government made a big announcement for crypto investors during the budget. The government decided to tax the income from crypto. Watch full video for full details.

विराग गुप्ता का कॉलम: क्रिप्टो संपत्ति नहीं है, यह सट्टेबाजी की तरह अवैध है, फिर टैक्स लगाकर इसे वैधता क्यों दी जा रही है?

विराग गुप्ता, लेखक और वकील - Dainik Bhaskar

सरकार व संसद के सामने क्रिप्टो का संकट बड़ा बन गया है। आम बजट में आभासी संपत्ति यानी क्रिप्टो और एनएफटी पर 30 फीसदी टैक्स लगाने के साथ सरकारी आभासी मुद्रा जारी करने की बात की गई है। बजट के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर ने क्रिप्टो को संपत्ति मानने से इंकार कर दिया तो फिर टैक्स लगाकर उसको वैधता देने की क्या तुक है?

बजट के बाद सीबीडीटी के मुखिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि इनकम टैक्स विभाग पिछले 5 सालों से क्रिप्टो के कारोबार पर नजर रखे है। अगर सरकार को इसकी 5 सालों से जानकारी थी तो खरबों डॉलर के कारोबार पर टैक्स लगाने का सिस्टम क्यों नहीं बनाया गया? अब 30 फीसदी के टैक्स और एक फीसदी टीडीएस के कानून से क्रिप्टो के पुराने व्यापार को भी वैधता मिलने से कारोबारियों की मनमांगी मुराद पूरी हो गई।

इस मसले पर दो बड़े सवाल हैं? क्रिप्टो संपत्ति नहीं है, इसकी कोई वैल्यू नहीं है, यह पोंजी स्कीम व सट्टेबाजी की तरह अवैध है तो टैक्स लगाकर इसे वैधता क्यों दी जा रही है? दूसरा यदि सरकार ने इसे संपत्ति का दर्जा दे दिया है तो 50 फीसदी से ज्यादा संपत्ति कर लगाकर सरकारी खजाने की आमदनी क्यों नहीं बढ़ाई जाती? आम लोगों को आयकर के साथ वित्तीय लेनदेन और संपत्ति के हस्तांतरण पर जीएसटी देना पड़ता है।

भारत में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग 458 क्रिप्टो एक्सचेंज के माध्यम से 17436 क्रिप्टो करेंसीज में खरबों डॉलर का सालाना कारोबार करते हैं। लेकिन उनसे जीएसटी वसूली का सिस्टम नहीं बना। क्रिप्टो के कई एक्सचेंजों के खिलाफ हवाला और मनी लांड्रिंग की प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा है। लेकिन सरकार के पास ना तो कोई आंकड़ा है और ना ही कोई रेगुलेटरी हस्तक्षेप।

27 जुलाई 2021 को राज्यसभा में सुशील कुमार मोदी के सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकार के पास क्रिप्टो एक्सचेंज की अवैध गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के नए नियम के अनुसार शादी और धार्मिक शोभायात्रा में शामिल होने के लिए घोड़ागाड़ियों को लाइसेंस लेने के साथ तीसरे पक्ष का बीमा कराना भी जरूरी है।

लोगों की हिफाजत के लिए केंद्र सरकार ने वाहन कंपनियों को कार की सभी सीटों पर 3 पॉइंट सीट बेल्ट लगाने का आदेश दिया है। लेकिन खरबों डॉलर के क्रिप्टो कारोबार से अर्थव्यवस्था और निवेशकों को सुरक्षित रखने के लिए रजिस्ट्रेशन और नियमन की ठोस व्यवस्था नहीं बनाई गई है। उसके बजाय क्रिप्टो के धुरंधर कारोबारियों ने सेल्फ रेगुलेशन बनाकर देश के संविधान और गणतंत्र को ठेंगा दिखाने का काम किया है।

क्रिप्टो के खिलाफ कानून नहीं बनाने के पीछे दो बड़ी दलीलें दी जा रही हैं। पहला ब्लाॅकचेन टेक्नोलॉजी देश के लिए उपयोगी है। शिक्षा के साथ ई-गवर्नेंस, जीएसटी और मेडिकल क्षेत्रों में ब्लॉकचेन के इस्तेमाल के लिए नीति आयोग और आईटी मंत्रालय काम कर रहे हैं। लेकिन क्रिप्टो के नियमन या बैन करने से ब्लॉकचेन टेक्नॉलॉजी पर प्रतिबंध तो नहीं लग जाएगा।

कुछ लोग इंटरनेट की तर्ज पर क्रिप्टो की तरफदारी करते हैं लेकिन क्रिप्टो का कारोबार इंटरनेट की तरह पारदर्शी और जवाबदेह नहीं है। क्रिप्टो का नियमन नहीं आम सवाल क्रिप्टो के बारे में करने के पक्ष में दूसरा तर्क है कि यह इंटरनेट आधारित मुद्रा या संपत्ति है। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को नियमन की पहल करना चाहिए। यह तर्क निराधार और गलत है। यूरोप और अमेरिका में नग्नता, वेश्यावृत्ति, सट्टेबाजी और शराब के विज्ञापन आदि कानूनी तौर पर वैध हैं।

इसके बावजूद भारत में उनके खिलाफ अनेक प्रतिबंध हैं। भारत एक सार्वभौमिक देश और संवैधानिक गणतंत्र है, जहां पर आयात, निर्यात और मुद्रा के लिए अनेक नियम-कानून बने हैं। देशवासियों और अर्थव्यवस्था के हित में क्रिप्टो के खिलाफ भारत को उचित नियमन और प्रतिबंध लगाने का पूरा हक है। उसके बावजूद डार्क नेट और ऑनलाइन से क्रिप्टो का व्यापार यदि हो तो उसके खिलाफ रिजर्व बैंक, आईटी मंत्रालय और प्रवर्तन निदेशालय को सख्त कदम उठाना होगा।

बजट में सरकार ने सरकारी डिजिटल मुद्रा जारी करने का ऐलान किया है। इसे जारी करने से पहले अनेक कानूनों में बदलाव भी करना होगा, जिसके बारे में रिजर्व बैंक या सरकार के पास कोई स्पष्टता या रोडमैप नहीं है। तकनीकी दृष्टि से देखें तो क्रिप्टो का विकेंद्रीकृत होना जरूरी है, इसलिए सरकार-नियंत्रित मुद्रा को क्रिप्टो नहीं कहा जा सकता। सरकारी आभासी मुद्रा लाने के पीछे अगर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने का मकसद है तो उसके लिए यूपीआई, पेटीएम, गूगल-पे और फोन-पे खूब तरक्की कर रहे हैं।

वैसे भी सरकारी कर्मचारियों को अभी तक एनआईसी का सरकारी ईमेल नहीं मिला तो सरकार या रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी को कैसे मैनेज करेगी? सुप्रीम कोर्ट के जज खानविलकर ने पीएमएलए के हालिया मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पैसा बिजली से तेज दौड़ता है, इसलिए धन शोधन के मामलों की तेज जांच होनी चाहिए। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, वित्त सचिव और आरएसएस प्रमुख आदि अलग-अलग प्लेटफार्म से क्रिप्टो को अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक बता चुके हैं।

बजट के बाद आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने तो पोंजी से खतरनाक बताते हुए क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। तत्कालीन वित्त सचिव गर्ग ने 2019 में क्रिप्टो को बैन करने के लिए कानून का मसौदा भी बनाया था। फिर देश की अर्थव्यवस्था से खिलवाड़ करने वाले क्रिप्टो को बैन नहीं करने के पीछे बहुमत की सरकार की क्या लाचारी हो सकती है?

बढ़ रही है मंदी और असमानता
टाइम मैगजीन की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के पिछले दो सालों के आर्थिक संकट के दौर में अमीरों की संपत्ति में 50 गुना और आमदनी में 10 गुना इजाफा हुआ है। कानून और टैक्स के मोर्चे पर सरकार की विफलता का फायदा उठाकर रईस व भ्रष्ट लोगों ने स्विस खातों की तर्ज पर क्रिप्टो से अकूत लाभ और संपत्ति बनाने का जो खेल शुरू किया है, उससे मंदी व असमानता दोनों बढ़ रहे हैं।

Cryptocurrency पर वित्त मंत्री का बड़ा बयान, कहा- क्रिप्टो पर कर लगाने का मतलब यह नहीं, इसे वैध किया गया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को क्रिप्टो करेंसी पर बड़ा बयान दिया है. निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो पर सरकार की पॉलिसी को स्पष्ट करते हुए कहा कि क्रिप्टो पर टैक्स लगाने का मतलब यह नहीं है कि इसे वैध कर दिया गया है.

Finance Minister Nirmala Sitharaman

Crypto Currency In India वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को क्रिप्टो करेंसी पर बड़ा बयान दिया है. निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो पर सरकार की पॉलिसी को स्पष्ट करते हुए कहा कि क्रिप्टो पर टैक्स लगाने का मतलब यह नहीं है कि इसे वैध कर दिया गया है. बजट पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार ने सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी से प्रॉफिट पर टैक्स लगाया है. सरकार ने इसे वैध बनाने, प्रतिबंध लगाने या रेगुलेट करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

क्रिप्टो पर कर लगाना सरकार का संप्रभु अधिकार

बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब बजट में क्रिप्टो पर टैक्स के एलान के बाद इसके वैध होने का अनुमान लगाया जा रहा था. वित्त मंत्री ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन से होने पर लाभ पर कर लगाना सरकार का संप्रभु अधिकार है. उन्होंने यह भी कहा कि इस पर पाबंदी के बारे में निर्णय विचार-विमर्श से निकलने वाले निष्कर्ष के आधार पर किया जाएगा.

क्रिप्टो पर कर लगाना सरकार का संप्रभु अधिकार

निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में आम बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मैं इस समय क्रिप्टो करेंसी को वैध बनाने या पाबंदी लगाने नहीं जा रही हूं. प्रतिबंध लगेगा या नहीं, इस बारे में निर्णय जारी विचार-विमर्श से निकलने वाले निष्कर्ष के आधार पर किया जाएगा. क्रिप्टो करेंसी से होने वाले लाभ पर कर के बारे में उन्होंने कहा कि इसे वैध बनाया जाएगा या नहीं, यह अलग सवाल है. लेकिन, क्रिप्टो पर कर लगाया गया है, क्योंकि कर लगाना सरकार का संप्रभु अधिकार है. कांग्रेस की छाया वर्मा के क्रिप्टो करेंसी पर उठाये गये सवाल का जवाब देते हुए निर्मला सीतारमण ने उक्त बातें कहीं.

क्रिप्टो करेंसी पर 1 प्रतिशत टीडीएस का प्रावधान 1 जुलाई 2022

गौर हो कि निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद में अपने बजट भाषण में कहा था कि केवल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल रुपी को ही डिजिटल मुद्रा की मान्यता दी जाएगी. सरकार एक अप्रैल से किसी भी डिजिटल संपत्ति या क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन से होने वाले लाभ पर 30 प्रतिशत कर लगाएगी. वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में एक साल में 10 हजार रुपये से अधिक ऑनलाइन डिजिटल मुद्रा मद में भुगतान पर एक प्रतिशत टीडीएस (TDS) लगाने का भी प्रस्ताव है. क्रिप्टो करेंसी पर 1 प्रतिशत टीडीएस का प्रावधान एक जुलाई, 2022 से, जबकि लाभ पर कर एक अप्रैल से प्रभाव में आएगा.

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क्रिप्टोकरेंसी: बजट के बाद क्रिप्टो बाजार में बूम, बिटक्वाइन में 71 हजार से ज्यादा का उछाल

बिटक्वाइन के दाम 71,981 तक बढ़ गए। तो वहीं इथेरियम में भी जबरदस्त उछाल देखा गया। इथेरियम में जहां 7.26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इसके अलावा Tether के कोराबार में गिरावट दर्ज की गई। यह 1.21 प्रतिशत लुढ़क गया।

बिटक्वाइन

आम बजट पेश होने के साथ ही क्रिप्टोकरेंसी में उछाल देखने को मिली। बजटीय भाषण खत्म होने के बाद बिटक्वाइन में 2.40 प्रतिशत का उछाल हुआ और इसके दाम 71,981 तक बढ़ गए। तो वहीं इथेरियम में भी जबरदस्त उछाल देखा गया। इथेरियम में जहां 7.26 प्रतिशत का उछाल हुआ। तो वहीं इसके दाम 14,811 की बढ़ोतरी हुई। बिटक्वाइन की मार्केट कैप 52.5 खरब तो वहीं इथेरियम की मार्केट कैप 22.6 खरब पहुंच गई। बजट के बाद बाइनेन्स क्वाइन में 1.78 प्रतिशत का उछाल देखा गया। इसके दाम 30 हजार के पार चले गए। वहीं डॉजक्वाइन में 3.23 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

इनमें आई गिरावट
इसके अलावा Tether के कोराबार में गिरावट दर्ज की गई। यह 1.21 प्रतिशत लुढ़क गया। वहीं यूएसडी क्वाइन में भी 1.26 की गिरावट आई। बाइनेंस यूएसडी में भी गिरावट आई है। यह 0.34 फीसद तक गिर गया। इसके बाद बाइनेंस यूएसडी का मार्केट कैप 1.1 खबर रह गया।

बजट के बाद एकदम आया उछाल
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में आभाषी मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ा एलान किया। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि अब क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन को लेकर कर लगाने का फैसला किया गया है। इसके तहत क्रिप्टो से होने वाली आय पर 30 फीसदी का टैक्स देना होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि वर्चुअल डिजिटल असेट्स के टैक्सेशन में बदलाव किया गया है। ऐसी किसी भी प्रॉपर्टी के ट्रांसफर पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा। कोई छूट नहीं मिलेगी। वित्त मंत्री के इस एलान के बाद ये सवाल खड़ा होता है कि क्या देश में क्रिप्टो को अनुमति दे दी गई है।

विस्तार

आम बजट पेश होने के साथ ही क्रिप्टोकरेंसी में उछाल देखने को मिली। बजटीय भाषण खत्म होने के बाद बिटक्वाइन में 2.40 प्रतिशत का उछाल हुआ और इसके दाम 71,981 तक बढ़ गए। तो वहीं इथेरियम में भी जबरदस्त उछाल देखा गया। इथेरियम में जहां 7.26 प्रतिशत का उछाल हुआ। तो वहीं इसके दाम 14,811 की बढ़ोतरी हुई। बिटक्वाइन की मार्केट कैप 52.5 खरब तो वहीं इथेरियम की मार्केट कैप 22.6 खरब पहुंच गई। बजट के बाद बाइनेन्स क्वाइन में 1.78 प्रतिशत का उछाल देखा गया। इसके दाम 30 हजार के पार चले गए। वहीं डॉजक्वाइन आम सवाल क्रिप्टो के बारे में में 3.23 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

इनमें आई गिरावट
इसके अलावा Tether के कोराबार में गिरावट दर्ज की गई। यह 1.21 प्रतिशत लुढ़क गया। वहीं यूएसडी क्वाइन में भी 1.26 की गिरावट आई। बाइनेंस यूएसडी में भी गिरावट आई है। यह 0.34 फीसद तक गिर गया। इसके बाद बाइनेंस यूएसडी का मार्केट कैप 1.1 खबर रह गया।

बजट के बाद एकदम आया उछाल
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में आभाषी मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ा एलान किया। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि अब क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन को लेकर कर लगाने का फैसला किया गया है। इसके तहत क्रिप्टो से होने वाली आय पर 30 फीसदी का टैक्स देना होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि वर्चुअल डिजिटल असेट्स के टैक्सेशन में बदलाव किया गया है। ऐसी किसी भी प्रॉपर्टी के ट्रांसफर पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा। कोई छूट नहीं मिलेगी। वित्त मंत्री के इस एलान के बाद ये सवाल खड़ा होता है कि क्या देश में क्रिप्टो को अनुमति दे दी गई है।

5 क्रिप्टो करेंसी के नुकसान – सरकार करना चाहती है बैन ( Crypto currency ke nuksan )

दोस्तों, आखिर क्यों दुनिया भर की सरकारें “क्रिप्टो करेंसी के नुकसान” ( Crypto currency ke nuksan ) को बता कर इसे बैन करना चाहती हैं. क्या आपने कभी सोचा हैं? इसी सवाल का जबाब ढूंढने की कोशिश करेंगे इस पोस्ट में. तो, दिल थाम कर इस पोस्ट को पढ़ते रहें.

दोस्तों, भारत में जब से क्रिप्टो करेंसी की लहर चली हैं. तभी से हम सब देख रहे हैं की लगातार सरकार और RBI यानि रिसर्ब बैंक ऑफ़ इंडिया के तरफ से इसे बैन करने का सलाह दिया जा रहा हैं. हालाँकि सरकार के द्वारा क्रिप्टो के खरीद बिक्री पर 30% का टैक्स भी लगाया जा चूका हैं. परन्तु फिर भी RBI के गवर्नर के तरफ से इसे बैन करने की लगातार सिफारिशें आती रही हैं.

क्या सच में क्रिप्टो करेंसी देश के लिए खतरा हैं? क्या सच में क्रिप्टो करेंसी से सरकार को नुक्सान हैं? या फिर क्या क्रिप्टो करेंसी से आम लोगो का नुक्सान हैं. ये सभी सवाल हमारे मन में आक्सर गुजती रहती हैं.

आप क्रिप्टो करेंसी के नुक्सान सर्च करके यदि यहाँ आये हैं तो आप क्रिप्टो के बारे में जानकारी थोरा बहुत रखते हैं. लेकिन यदि आपके पास किसी और तरीके से ये पोस्ट पहुची हैं तो शायद हो सकता है की आपको क्रिप्टो करेंसी की ज्यादा जानकारी न हों. परन्तु घबराने की जरुरत नही हैं. कई लोग क्रिप्टो करेंसी को बिटकॉइन मान लेते हैं.

परन्तु एसा नही हैं. बिटकॉइन बस एक प्रकार का क्रिप्टो कॉइन हैं, और इसके जैसे अभी तक पूरी दुनिया भर में 350 से भी ज्यदा प्रकार की क्रिप्टो करेंसी मौजूद हैं. ये बस एक डिजिटल या आभासी करेंसी अथवा मुद्रा हैं, जो blockchain टेक्नोलॉजी पर काम करता हैं.

बिटकॉइन के जैसे और कई सारे क्रिप्टो करेंसी हैं. जैसे – इथेरियम, शीबा इनु, कोटी कॉइन, बिग बुल, Loopring Crypto इत्यादि. ये सब क्रिप्टो करेंसी ही हैं.

Table of Contents

क्रिप्टो करेंसी के नुकसान ( Crypto currency ke nuksan ) Disadvantage of crypto currency

#1 विकेंद्रीकरण ( Decentralization )

जैसा की आप हर न्यूज़ में सुनते होंगे की क्रिप्टो करेंसी एक विकेंद्रित मुद्रा ( Decentalized Currency ) हैं. जो न तो किसी सरकार के अन्दर हैं और न ही किसी संस्था की अधीन. बहुत से लोग इसको क्रिप्टो करेंसी का सबसे बड़ा फायेदा बताते हैं. परन्तु ये सरकार के लिए सबसे बड़ी नुकसान हैं.

विकेंद्रीकरण का अर्थ – इसको हम एक उदहारण से समझने की कोशिश करते हैं. जैसे की हम लोग आज पैसे भेजने और किसी से पैसे लेने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन लें देन करते हैं. हम जब पैसे भेजते हैं तो वो पैसा हमारे बैंक से उस दुसरे व्यक्ति के बैंक में जाता हैं, फिर उस व्यक्ति को उसके बैंक से पैसे मिलते हैं.

क्रिप्टो करेंसी के नुकसान ( Crypto currency ke nuksan ) Disadvantage of crypto currency

विकेंद्रीकरण

ऐसे में आपके और दुसरे व्यक्ति के बिच में अथवा केंद्र में बैंक आता हैं, जो आपके लेन-देन को मैनेज करता हैं. इस प्रकार हम इसे केंद्रीकरण कह सकते हैं. परन्तु, क्रिप्टो करेंसी में लेन-देन करने के लिए बिच या केंद्र में ना तो बैंक आती है ना ही सरकार, पैसे आपके और दुसरे व्यक्ति के बिच ही हो जाता हैं. इसको उस blockchain में उपलब्ध सभी कम्पुटर के द्वारा मैनेज किया जाता हैं.

इसी को peer-to-peer transaction कहा जाता हैं. इसी को विकेद्रिकरण भी कहा जाता हैं. अब आपही बताईये,

सरकार एक एसी मुद्रा अथवा करेंसी को कैसे स्वीकार कर सकती हैं जिसको वो control नही कर सकती हैं. क्रिप्टो करेंसी को बैन करने का सबसे पहला कारण यही हैं. पहल क्रिप्टो करेंसी के नुकसान ये हैं.

#2 कीमत का निर्धारण ( Not a fixed rate )

क्रिप्टो करेंसी का सबसे बड़ा नुकसान और फायेदा दोनों ही कीमत का निर्धारण ना होना भी हैं. आप सबने सुन रखा होगा की कुछ साल पहले 1 बिटकॉइन की कीमत 10000 भारतीय रुपये हुआ करती थी. जबकि आज के तारीख में 1 बिटकॉइन की कीमत लगभग 4000000 भारतीय रुपये के आस पास हैं. बिच में आम सवाल क्रिप्टो के बारे में इसकी कीमत 5000000 भारतीय रुपये तक पहुच गया था.

अतः यदि आप आज के तारीख में 1 बिटकॉइन खरीदते हैं 4000000 भारतीय रुपये में तो ये जरुरी नही हैं की आपका पैसा आगे चल के आम सवाल क्रिप्टो के बारे में भी इतना ही रहे. ये 50% सम्भावना है की आपका पैसा 5000000 भारतीय रुपये हो जाये और 50% ये भी सम्भावना है की आपका पैसा 2000000 भारतीय रुपये भी हो जाये.

एक उदहारण से समझते हैं, भारत में रहते हैं तो आपने देखा होगा की हर नोट के ऊपर उसकी कीमत लिखी होती हैं. जैसे 100 रुपये का नोट, 500 रुपये का नोट, 2000 का नोट, इन सभी की कीमत निर्धारित हैं. चाहे इसे आप खर्च करे या फिर आने वाले भविष्य में 10 साल बाद, इसकी कीमत न तो घटेगी और न ही बढ़ेगी.

अतः क्रिप्टो करेंसी के कीमतों का निर्धारण न होना एक बहुत बड़ा नुकसान और फायेदा दोनों हैं. अतः आपके पैसे हमेशा खतरा में रहेंगे. ये क्रिप्टो करेंसी के नुकसान दूसरा पॉइंट हैं.

#3 आतंकवादी/अंडरवर्ल्ड/ड्रग माफिया फंडिंग की सम्भावना ( Terror Funding Possibility )

क्रिप्टो करेंसी खरीदने और बेचने वाले व्यक्ति की सही पहचान करना अभी तक तो संभव नही हैं. शायद भविष्य में इसकी कोई विकल्प ढूंढा जा सके. परन्तु, आज तक ये संभव नही हुआ हैं.

अतः क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कौन कर रहा है?, किसके लिए कर रहा हैं? और क्यों कर रहा हैं? इसका कोई जबाब नही मिल पाया हैं. इसके कारण सरकारों की चिंता जायज़ हैं. सरकारों की तो है हिन् साथ में हमारे लिए भी चिंता का विषय हैं.

मान लीजिये मेरे पास 1 बिटकॉइन हैं. और मैं इसे बेचना चाहता हूँ. तो मैं इसको सेल करने के लिए लिस्ट कर दूंगा. और वो बिटकॉइन कौन खरीदता हैं मुझे नही आम सवाल क्रिप्टो के बारे में पता. हो सकता हैं वो कोई आतंकवादी हो, और उस बिटकॉइन का उपयोग वो किसी दुसरे व्यक्ति को हमारे देश में अस्थिरता पैदा करने के लिए दे.

उस स्थिथि में एक तरह से हम उस आतंकवादी की मदद ही कर रहे हैं. ये क्रिप्टो करेंसी के नुकसान का तीसरा पॉइंट हैं.

#4 माइनिंग से इनकी फंडिंग का खतरा ( Terror Funding Possibility by mining of crypto currency )

हम सब को पता हैं की क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग करने के लिए किसी भी प्रकार के सत्यता की जाँच नही होती हैं. अभी तक के तारीख में कोई भी व्यक्ति क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग कर सकता हैं. हो सकता है कोई आतंकवादी भी किसी क्रिप्टो करेंसी की माइनिंग कर रहा हो. अब उसके वॉलेट में भी कुछ क्रिप्टो करेंसी जमा हुयी होगी. अब वो इस क्रिप्टो करेंसी को बेच कर अपना फण्ड जमा कर सकते हैं.

तो इसके खतरे को भी नज़र अंदाज़ नही किया जा सकता हैं. ये क्रिप्टो करेंसी के नुकसान का चौथा पॉइंट हैं.

#5 आम आदमी के पैसों की सुरक्षा का खतरा ( Money Safety of common आम सवाल क्रिप्टो के बारे में people )

दोस्तों, क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल मुद्रा हैं और हम सबको पता है की डिजिटल लेन-देन में बहुत बार हमें फ्रौड लोगो का सामना करना पड़ा हैं. इस स्थिथि में भी बहुत से लोगो के साथ फ्रौड हो सकता हैं.

चुकी दुनिया में बहुत से लोग हैं जिन्हें डिजिटल वर्ल्ड का उतना ज्ञान नही होता हैं. एसे में फ्रौड के लिए ये लोग आसन सा टारगेट बन सकते हैं.

आमतौर पर जब हमारे साथ फ्रौड होता हैं तो हम पुलिस complaint करते हैं. सरकार अथवा पुलिस उसको ढूंड कर हमारे पैसे वापस करवाने की कोशिश करती हैं. अथवा हमारे साथ फ्रौड होता है तो हम सरकार पर भी दबाव बना सकते हैं.

परन्तु क्रिप्टो करेंसी के लिहाज़ से हम किससे complaint करेंगे. चुकी इसमें लेन-देन के लिए कोई भी व्यक्तिगत रूप से जिमेवार नही हैं. आप स्वयं ही अपने हानि और फायेदे के लिए जिम्मेवार हैं. और ये क्रिप्टो करेंसी के नुकसान का अंतिम पॉइंट हैं.

तो दोस्तों, इन 5 कारणों से हम क्रिप्टो करेंसी के नुकसान को समझ सकते हैं. यदि आपके मन में कोई और प्रश्न हो तो हमें निचे कमेंट बॉक्स में लिख भेजिए. हमारे इस प्रयाश से लोगो को जागरूक करने के लिए इस पोस्ट को शेयर कीजिये. पोस्ट पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद!

पंकज कुमार कश्यप
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