सिग्नल प्रदाता

केबल नहीं, सीधे सेटेलाइट से मिलेगा इंटरनेट, स्पेस एक्स के साथ-साथ कई और खिलाड़ी मैदान में तैयार
इंटरनेट के माध्यम से कनेक्टिविटी अब एक ‘विकल्प’ नहीं बल्कि सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। बिलों का भुगतान, यात्रा, किराने का सामान, भोजन, टेक्सटिंग और भी बहुत कुछ इंटरनेट पर निर्भर है। जरूरत बढ़ी है तो उसको भरोसेमंद बनाने का कोशिशें भी शुरू हो गई हैं।
आज भी देश में कई इलाके हैं, जहां पर इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है। इसी कमी को पूरा करने के लिए अब सैटेलाइट इंटरनेट। जिसके जरिए सुदूर इलाकों से लेकर पहाड़ों और घाटियों में भी इंटरनेट उपलब्ध हो सकेगा। सबसे महत्वपूर्ण यह भी है कि इसके लिए किसी केबल की जरूरत नहीं होगी। यह टेलिकॉम कंपनियों की सबसे बड़ी मुश्किल भी है, क्योंकि हर इलाके में केबल को बिछाना संभव नहीं होता है।
क्या है सैटेलाइट इंटरनेट
सरल शब्दों में सैटेलाइट इंटरनेट का अर्थ है कि इंटरनेट सेवा प्रदाता (आइएसपी) अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट को डेटा सिग्नल भेजता है। फिर यह आपके घर या किसी अन्य रिसेप्टर में एक डिश पर वापस बाउंस करता है। परंपरागत रूप से केबल की सहायता से इंटरनेट प्रदान किया जाता है। लेकिन सैटेलाइट इंटरनेट में केबल की आवश्यकता नहीं सिग्नल प्रदाता रहेगी। ऐसे में आप हमेशा ऑनलाइन रहने के लिए सैटेलाइट इंटरनेट पर भरोसा कर सकते हैं।
सैटेलाइट इंटरनेट के बड़े खिलाड़ी
स्पेसएक्स: एलन मस्क की कंपनी ने 4400 उपग्रहों के जरिए अमरीका और कनाडा में स्टारलिंक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस देना शुरू कर दिया है।
अमेजन: ई-कॉमर्स कंपनी को अमरीकी सरकार से 3,200 से अधिक उपग्रह कक्षा में छोडऩे की अनुमति मिल गई है। अमेजन इस पहल पर 10 अरब डॉलर खर्च सिग्नल प्रदाता करेगी। कंपनी ने इसे ‘प्रोजेक्ट कुइपर’ नाम दिया है।
एयरटेल- सैटेलाइट स्टार्टअप वनवेब के जरिए 2022 से ग्लोबल स्तर पर ब्रॉडबैंड सेवाएं देना शुरू कर देगा। वनवेब की योजना 648 स्पेसक्राफ्ट ऑर्बिट में भेजने की है। इसमें से अब तक 74 स्पेसक्राफ्ट ऑर्बिट में भेज दिए हैं।
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट
केन्द्र सरकार ने ‘भारतनेट’ परियोजना के तहत सीमा क्षेत्रों और नक्सल प्रभावित राज्यों तथा द्वीपीय क्षेत्रों की 5,000 ग्राम पंचायतों को सैटेलाइट ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोडऩे के लिए ह्यूजेज कम्युनिकेशंस का चयन का किया है। इन ग्राम पंचायतों को मार्च, 2021 तक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड से जोड़ा जाएगा। ह्यूजेज कम्युनिकेशंस ने बताया कि ये 5,000 ग्राम पंचायतें पूर्वोत्तर राज्यों मसलन मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश के अलावा पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी तथा अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप में स्थित हैं। सरकार का अगस्त, 2021 तक सभी 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को द्रुत गति की ब्रॉडबैंड सेवा से जोडऩे का लक्ष्य है।
सैटेलाइट इंटरनेट की खूबियां
- उपग्रह इंटरनेट का सबसे बड़ा फायदा एक यह है कि यह हर जगह उपलब्ध है।
- सैटेलाइट इंटरनेट केबल पर निर्भर नहीं है, ऐसे में जहां भी सिग्नल के रिसेप्टर्स हैं, वहां सैटेलाइट इंटरनेट मौजूद होगा।
- सैटेलाइट इंटरनेट की गति पिछले सिग्नल प्रदाता कुछ वर्षों में बढ़ गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ उपग्रह इंटरनेट प्रदाताओं ने उपयोगकर्ताओं को 25 एमबीपीएस डाउनलोड गति प्रदान करना शुरू कर दिया है।
- प्राकृतिक आपदाओं के मामलों में सैटेलाइट इंटरनेट वरदान साबित होगा। केबल इंटरनेट कनेक्शन के साथ ऐसा नहीं है क्योंकि, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान इंटरनेट केबल गंभीर रूप से सिग्नल प्रदाता क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
- दूर-दराज के लोगों, ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों और दुर्गम स्थानों पर तैनात सैनिकों के लिए सैटेलाइट इंटरनेट वरदान से कम नहीं होगा।
सैटेलाइट इंटरनेट की खामियां
- जो लोग हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्शन चाहते हैं, सैटेलाइट इंटरनेट उनके लिए थोड़ा निराशाजनक हो सकता है।
- फेयर यूज पॉलिसी की सीमाएं बहुत कठोर हैं।
- सैटेलाइट इंटरनेट केबल इंटरनेट की तुलना में अधिक महंगा है।
- इंटरनेट कनेक्शन धीमा होने के कारण केवल बुनियादी चीजें इसके माध्यम से की जा सकती हैं।
- ऑनलाइन गेमिंग और 4जी स्ट्रीमिंग अभी भी दूर की कौड़ी है।
- सैटेलाइट इंटरनेट वर्चुअल प्राइवेट नेटवक्र्स (वीपीएन) को सपोर्ट नहीं करता है।
2022 की पहली छमाही के दौरान भारतीय आईटी सर्विस मार्केट 8.1% की रफ्तार से बढ़ा : IDC
साल 2022 की पहली छमाही यानी (जनवरी-जून) के दौरान भारतीय घरेलू आईटी और बिजनेस मार्केट का मूल्य 7.15 बिलियन डॉलर था। इंटरनेशनल डेटा कॉर्पोरेशन (IDC) के मुताबिक, 2021 की पहली छमाही से तुलना करें तो साल-दर-साल इसमें 7.4% की वृद्धि दर्ज की गई।
IDC Analysis on IT Services Market: साल 2022 की पहली छमाही यानी (जनवरी-जून) के दौरान भारतीय घरेलू आईटी और बिजनेस मार्केट का मूल्य 7.15 बिलियन डॉलर था। इंटरनेशनल डेटा कॉर्पोरेशन (IDC) के मुताबिक, 2021 की पहली छमाही (6.4%) से तुलना करें तो साल-दर-साल इसमें 7.4% की वृद्धि दर्ज की गई। यह बढ़ोतरी भारतीय उद्यमों के बीच डिजिटल ट्रांसफॉर्मेंशन इन्वेस्टमेंट की वजह से हुई है।
आर्थिक संकट के बावजूद आईटी सर्वि मार्केट में वृद्धि :
सीनियर मार्केट एनालिस्ट, आईटी सर्विसेज, हरीश कृष्णकुमार के मुताबिक, मौजूदा वैश्विक आर्थिक संकट और सिग्नल प्रदाता रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद, भारतीय आईटी सर्विस मार्केट ने मजबूत वृद्धि दर्ज की है। इसकी वजह उद्यमों द्वारा अपनी आईटी सर्विस इन्वेस्टमेंट को इम्प्रूव करने की दिशा में किया गया काम है। इसके लिए कंपनियों ने कस्टमर की संतुष्टि में बढ़ोतरी के साथ ही प्रोडक्ट डेवलपमेंट में तेजी लाने जैसे कई काम किए हैं। डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन इनीशिएटिव के अलावा सोच-समझकर किए जाने वाले खर्च में भी वृद्धि हुई है, जिससे कोरोना महामारी के चलते रुके आईटी निवेश एक बार फिर शुरू हो गए हैं।
2021 छमाही की तुलना में इस साल हुई बढ़ोतरी :
आईटी और बिजनेस सर्विसेज बाजार में, आईटी सर्विस मार्केट ने 78.5% का योगदान दिया। इसके साथ ही 2021 की पहली छमाही (जनवरी-जून) में 7.3% की तुलना में 2022 की पहली छमाही में 8.1% की वृद्धि दर्ज की। IDC के मुताबिक, आईटी और बिजनेस सर्विसेज बाजार आने वाले सालों में मजबूत वृद्धि दर्ज करने की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनियों से लगातार डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन इन्वेस्टमेंट बने रहने की उम्मीद है और इसके चलते उद्योगों को आर्थिक मंदी का भी सामना नहीं करना पड़ेगा। बता दें सिग्नल प्रदाता कि 2021-2026 के बीच आईटी और बिजनेस सर्विसेज मार्केट 8.3% CAGR से बढ़ने की उम्मीद है। वहीं, 2026 के आखिर तक यह 20.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
किस प्राइमरी मार्केट में रही कितनी ग्रोथ :
IDC आईटी और बिजनेस सर्विसेज मार्केट को तीन प्राइमरी मार्केट्स में बांटता है। ये हैं प्रोजेक्ट-ओरिएंटेड, मैनेज्ड सर्विसेज और सपोर्ट सर्विसेज। 2022 की पहली छमाही (जनवरी-जून) के लिए प्रोजेक्ट ओरिएंटेड सर्विसेज ने 8.1% की हाइएस्ट ग्रोथ दर्ज की। इसके बाद मैनेज्ड सर्विसेज में 7.3% और सिग्नल प्रदाता सपोर्ट सर्विसेज में 6% की वृद्धि दर देखी गई। प्रोजेक्ट ओरिएंटेड सर्विस मार्केट सिस्टम इंटीग्रेशन सर्विस की मांग से चलता है। साथ ही आईटी कंसल्टिंग की डिमांड भी बढ़ रही है। दरअसल, उद्योग इस बात को इंश्योर करने की कोशिश करते हैं कि उनके आईटी इन्वेस्टमेंट उनके द्वारा भविष्य में चाहे गए बिजनेस आउटकम से मेल खाते हों।
आईटी सेवाओं की मांग बढ़ी है :
IDC की सॉफ्टवेयर एंड आईटी सर्विस मार्केट की सीनियर रिसर्च मैनेजर नेहा गुप्ता के मुताबिक, उद्योग बेहतरीन अनुभव और लचीलेपन के लिए उन्नत तकनीकों को अपना रहे हैं, जिससे पारंपरिक रूप से संगठनात्मक सीमाएं हल्की होती जा रही हैं। बदलते कारोबारी परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए संगठन अपने ऑपरेटिंग मॉडल को बदल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप आईटी सेवाओं की मांग इतनी है, जो पहले कभी नहीं रही। IDC फ्यूचर एंटरप्राइज रेजिलियंसी एंड स्पेंडिंग सर्वे वेव 2 सिग्नल प्रदाता के मुताबिक, 60% से ज्यादा भारतीय संगठन एक सर्विस प्रोवाइडर के रूप में पेशेवर सेवा प्रदाताओं से अनुबंधित सभी बिजनेस और आईटी सेवाओं में अपना बजट बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। हम इस ट्रेंड के बने रहने की उम्मीद करते हैं क्योंकि भारतीय उद्योग आने वाले समय में अपने सर्विस प्रोवाइडर के उद्यम बनने के लक्ष्य की ओर देख रहे हैं।
IDC ट्रैकर्स क्या है?
IDC (International Data Corporation) ट्रैकर दुनियाभर के 100 से ज्यादा देशों के सैकड़ों आईटी बाजारों, दूरसंचार और कस्टमर टेक्नोलॉजी मार्केट का सटीक डेटा, कंपनी शेयर और पूर्वानुमान देता है। प्रोपराइटरी टूल्स और रिसर्च प्रोसेस के जरिए आईडीसी ट्रैकर्स को तिमाही, छमाही और मासिक आधार पर अपडेट किया सिग्नल प्रदाता जाता है। इसके बाद क्लाइंट्स को यूजर फ्रेंडली रिजल्ट प्रोवाइड कराए जाते हैं। IDC ट्रैकर चार्ट ऐप यूजर्स को अपने iPhone और iPad पर IDC ट्रैकर प्रोडक्ट्स के ताजा डेटा चार्ट को देखने की अनुमति देता है।
क्या है IDC?
इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) दुनिया भर में 1,100 से ज्यादा विश्लेषकों के साथ 110 से सिग्नल प्रदाता ज्यादा देशों में आईटी रुझानों पर वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय विशेषज्ञता उपलब्ध कराता है। IDC का विश्लेषण आईटी प्रोफेशनल्स, बिजनेस एग्जीक्यूटिव्स और इन्वेस्टमेंट कम्युनिटी को फैक्ट बेस्ड टेक्नोलॉजी पर आधारित फैसले लेने और उनके व्यावसायिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। 1964 में स्थापित, IDC दुनिया की अग्रणी टेक मीडिया, डेटा और मार्केटिंग सेवा कंपनी है।