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वोलैटिलिटी का इस्तेमाल

वोलैटिलिटी का इस्तेमाल
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Option Signal - Stocks Options

ऑप्शन सिग्नल स्टॉक और ऑप्शन निवेशकों के लिए एक उन्नत ऐप है। बड़े आंदोलनों के बारे में पता करें क्योंकि वे होते हैं और उन पर कार्रवाई करने के लिए उपकरण होते हैं। विकल्प संकेत आपको बाजार के शीर्ष पर बने रहने में मदद करता है और आप जहां भी हों, अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं। ढ़ेरों सुविधाओं के साथ विकल्प अलर्ट के साथ तैरें, और हर समय और भी बहुत कुछ आ रहा है।

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विकल्प बाजार वोलैटिलिटी का इस्तेमाल बहुत तेजी से चलता है, हमारे पुश अधिसूचना समारोह के साथ, आप अजीब गतिविधि का पता लगाएंगे और उस दिशा को बल देने वाले बड़े प्रवाह वोलैटिलिटी का इस्तेमाल से भरेंगे। उन गतिविधियों के बारे में सतर्क रहें जिन पर आप कार्रवाई कर सकते हैं, शोर नहीं।

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अपनी पसंद के स्टॉक पर होने वाले सभी स्टॉक मूवमेंट और असामान्य प्रवाह प्राप्त करें। स्टॉप लॉस, ऑप्शन प्रॉफिट कैलकुलेटर तक पहुंचें और कम कीमत वाले उच्च संभावित शेयरों के लक्ष्य खरीदें और बेचें, और अपने निवेश का लाभ उठाने के लिए सापेक्ष विकल्प सिग्नल सेट करें। अच्छे रिवॉर्ड रिस्क सेट अप वाले स्टॉक, पेनी स्टॉक और विकल्पों का पता लगाएं और टिकर वॉल्यूम, तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण के साथ दोबारा जांच करें। सिग्नल में स्विंग सिग्नल, लॉन्ग टर्म सिग्नल, डे ट्रेड सिग्नल और पेनी स्टॉक सिग्नल शामिल हैं।

--स्क्रीनर और स्कैनर
नई ट्रेडिंग रणनीतियों को उजागर करने के लिए सभी विकल्प ट्रेडिंग प्रवाह श्रृंखलाओं और इतिहास पर विकल्प श्रृंखलाओं और डेटा का अन्वेषण करें। अब शेयर बाजार में असामान्य कॉल और पुट ऑप्शन गतिविधियों का पता लगाने के लिए उन्नत फिल्टर और मानदंड का उपयोग करके असामान्य विकल्प अलर्ट का पता लगाएं। आप ओपन इंटरेस्ट, एक्सपायरी डेट, वॉल्यूम, इंप्लाइड वोलैटिलिटी आदि जैसे कुछ सामान्य विकल्प कारकों का त्वरित ब्रेकडाउन देख सकते हैं।

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असीमित व्यक्तिगत वॉचलिस्ट, स्टॉक ट्रैकर और जितने चाहें उतने अन्य उपकरण बनाएं, अपने पोर्टफोलियो का परीक्षण करने और रणनीतियों को निवेश करने के लिए इन वॉचलिस्ट का नाम बदलें। मल्टी वोलैटिलिटी का इस्तेमाल टाइम फ्रेम दृष्टिकोण का उपयोग करके स्टॉक रुझानों पर स्टॉक विश्लेषण में आपकी सहायता के लिए वॉचलिस्ट पर मिनी चार्ट की समय सीमा बदलें।

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कैसे ठग डीमैट अकाउंट से उड़ा रहे हैं पैसे, धोखाधड़ी से बचने के लिए सुनिए जेरोधा फाउंडर की बात

अपने ट्रेडिंग खाते के लॉग इन डिटेल्स भी शेयर नहीं करने चाहिए.

कुछ लोग मार्केट एक्‍सपर्ट बन निवेशक का विश्‍वास हासिल कर उसकी लॉग इन डिटेल हासिल कर लेते हैं. फिर पेनी स्‍टॉक्‍स या इलिक्विड ऑप्शंस का इस्तेमाल करके निवेशक के डीमैट अकाउंट में फर्जी नुकसान दिखाकर खाते में पड़े पैसों को निकाल लेते हैं.

  • News18Hindi
  • Last Updated : वोलैटिलिटी का इस्तेमाल July 12, 2022, 11:36 IST

हाइलाइट्स

इलिक्विड ऑप्शन्स का यूज़ करके निवेशक के डीमैट में फर्जी नुकसान दिखाया गया और फिर पैसे उड़ा लिए जाते हैं.
इस तरह के कई मामले सामने आए हैं. बड़ी बात ये है कि निवेशकों को बहुत बाद में इसका पता चलता है.
नितिन कामत ने कहा है कि अपने डीमैट अकाउंट के लॉगिन डिटेल्स किसी के साथ शेयर ना करें.

नई दिल्‍ली. देश की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्म जेरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर और वोलैटिलिटी का इस्तेमाल सीईओ नितिन कामत (Nithin Kamath) ने खुलासा किया है कुछ लोग निवेशकों के डीमैट अकाउंट से पैसे उड़ा रहे हैं. ठग इतने शातिर हैं कि अकाउंट होल्‍डर को ठगे जाने का पता भी बहुत देर से चलता है. धोखाधड़ी करने वाले स्‍वयं को शेयर मार्केट एक्‍सपर्ट बनकर निवेशकों को अपने जाल में फंसाते हैं और डीमैट अकाउंट की लॉग इन डिटेल्‍स हासिल कर लेते हैं.

नितिन कामत ने एक ब्‍लॉग पोस्‍ट में लिखा है कि ऐसे कई मामले आए हैं, जहां पेनी शेयरों या इलिक्विड ऑप्शंस का इस्तेमाल करके निवेशक के डीमैट में फर्जी नुकसान दिखाया गया और फिर उसके खाते में पड़े पैसों को निकाल लिया गया. निवेशक को काफी समय के बाद समझ में आता है कि वह फ्रॉड का शिकार हो गया है.

ऐसे करते हैं धोखाधड़ी
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, नितिन कामथ ने ब्लॉग में लिखा है, “जब हमें नुकसान होता है तब हम किसी की भी सलाह मान लेते हैं. बाजार में बहुत सारे सलाहकार हैं जो निवेशक की मदद करते हैं. इनके बीच ही ऐसे कई धोखेबाज भी हैं जो सोशल मीडिया पर मार्केट एक्सपर्ट होने का दावा वोलैटिलिटी का इस्तेमाल करते हैं और किसी निवेशक का शिकार करने की फिराक में रहते हैं.”

कामथ ने लिखा है कि ये धोखेबाज आपकी मदद के नाम आपके डीमैट अकाउंट का लॉग-इन डिटेल्स ले लेंगे. इसके बाद ये आपके अकाउंट में गैर-वास्तविक ट्रेड्स का उपयोग करके एक नुकसान पैदा कर देते हैं और आपके पैसे को किसी अन्य ट्रेडिंग अकाउंट में भेज देते हैं. इससे आपके लिए यह पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि आपके अकाउंट में घोटाला हो चुका है.

यह है बचने का तरीका
नितिन कामथ का कहना है कि निवेशक इसलिए ठगे जाते हैं, क्‍योंकि वे अपने अकाउंट का लॉग इन डिटेल्‍स दूसरों को दे वोलैटिलिटी का इस्तेमाल देते हैं. निवेशक के ट्रेडिंग अकाउंट से पैसे निकालने के लिए इलिक्विड ऑप्शंस या पेनी स्टॉक का इस्तेमाल करके फर्जी नुकसान दिखाया जा सकता है. जैसे अपने बैंक खाते से जुड़े लॉगिन डिटेल्स हम किसी के साथ शेयर नहीं करते, वैसे ही अपने ट्रेडिंग खाते के लॉग-इन पासवर्ड भी शेयर नहीं करने चाहिए. कामत का कहना है कि डीमैट अकाउंट से छेड़छाड़ का एक दूसरा तरीका फिशिंग फ्रॉड है. इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप आधिकारिक ब्रोकर वेबसाइटों और ऐप के अलावा कहीं भी लॉग इन डिटेल्स न भरें.

इन बातों का रखें ध्‍यान

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LIC को मार्केट में 'आंधी' थमने का इंतजार, मई के मध्य में आ सकता है वोलैटिलिटी का इस्तेमाल वोलैटिलिटी का इस्तेमाल IPO

केंद्र सरकार, लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) के मेगा इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) को मई मध्य तक लाने की योजना बना रही है। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद मार्केट में अस्थिरता है, उम्मीद की जा रही है कि उस.

LIC को मार्केट में 'आंधी' थमने का इंतजार, मई के मध्य में आ सकता है IPO

केंद्र सरकार, लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) के मेगा इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) को मई मध्य तक लाने की योजना बना रही है। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद मार्केट में अस्थिरता है, उम्मीद की जा रही है कि उस समय तक मार्केट वोलैटिलिटी घट जाएगी। यह बात ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कही गई है। इस साल अब तक बीएसई सेंसेक्स में 2500 प्वाइंट से ज्यादा की गिरावट आई है।

IPO के लिए मई तक वैलिड है इम्बेडिड वैल्यू
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में एक व्यक्ति ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया है कि आईपीओ के लिए लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) की पब्लिश्ड इम्बेडिड वैल्यू नियमों के मुताबिक मई तक के लिए वैध है। उन्होंने बताया कि इस डेडलाइन के आगे देरी का मतलब है कि एलआईसी को लेटेस्ट फाइनेंशियल्स के आधार पर इम्बेडिड वैल्यू को कैलकुलेट करना होगा।

15 के करीब का मार्केट वोलैटिलिटी इंडेक्स होगा कंफर्टेबल
रिपोर्ट में एक व्यक्ति ने बताया है कि आईपीओ लॉन्च के खातिर 15 के करीब का मार्केट वोलैटिलिटी इंडेक्स सरकार के लिए कंफर्टेबल लेवल होगा। सोमवार को मुंबई में इंडिया NSE वोलैटिलिटी इंडेक्स करीब 26 पर था। वहीं, पिछले साल यह औसतन 17.9 के लेवल पर रहा। इस फाइनेंशियल ईयर में 24 फरवरी को इंडेक्स ने 31.98 के हाइएस्ट लेवल को छुआ था। LIC में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर सरकार करीब 8.5 बिलियन डॉलर जुटाना चाहती है।

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2 जुलाई: हफ्ते के आखिरी दिन संभला बाजार, जाने वजह; हर बड़ी खबर

निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 0.51% चढ़ा. निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 1.07% मजबूत हुआ.

2 जुलाई: हफ्ते के आखिरी दिन संभला बाजार, जाने वजह; हर बड़ी खबर

भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार 2 जुलाई को मजबूती के साथ बंद हुआ. बाजार बंद होते समय BSE सेंसेक्स और NSE निफ्टी इंडेक्स करीब 0.3% चढ़ा. मार्केट में लगातार चार दिन की कमजोरी के बाद बाजार हरे निशान मे बंद हुआ. स्मालकैप और बैंक सेक्टर के स्टॉक्स में तेजी रही.

2 जुलाई के कारोबार की बड़ी बातें-

BSE सेंसेक्स में 166 प्वाइंट्स की मजबूती रही. वहीं, NSE निफ्टी 50 इंडेक्स 42 प्वाइंट्स चढ़ा.

बाजार बंद होते समय सेंसेक्स पैक के 30 में से 14 शेयर लाल निशान में रहे. वहीं, निफ्टी पैक के 50 में 28 शेयर चढ़े.

निफ्टी पैक में डिवीस लैब्स और डॉ रेड्डी लैब्स के शेयरों ने अपना 52 हफ्तों का नया शिखर बनाया.

निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 0.51% चढ़ा. निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 1.07% मजबूत हुआ.

वोलैटिलिटी इंडेक्स (VIX) 5.84% की गिरावट के बाद 12.09 पर आ गया है.

बाजार की चाल-

बाजार में मजबूती की क्या रही वजह?

बाजार में लगातार गिरावट के बात हफ्ते के आखिरी ट्रेडिंग दिन बुल्स ने आखिरकार मार्केट मे पकड़ बनाई. Zydus कैडेला ने अपने तीन डोज़ वाले कोविड वैक्सीन के लिए DCGI से इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अप्रूवल माँगा है. ये भारत की पहली वैक्सीन है जिसने 12-18 उम्र के लोगो पर भी ट्रायल किया है. उम्मीद है की इसे जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी. विदेशी बाजारों में कमजोर स्थिति से भी बाजार टूटा. घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की तरफ से बाजार में लगातार खरीदारी देखनी को मिल रही है. आने वाले दिनों में तिमाही नतीजे बाजार की दिशा तय करेंगे.

किस सेक्टर ने किया कैसा प्रदर्शन?

निफ्टी के ज्यादातर सेक्टर आधारित इंडेक्स गुरुवार को हरे निशान में बंद हुए. निफ्टी बैंक और फिन सर्विस के इंडेक्स में करीब 0.35% की मजबूती देखी गई. वहीं, रियेलटी, मीडिया और फार्मा मे 0.5% की तेजी रही. निफ्टी मेंटल मे 1.5% की गिरावट देखी गयी. वही IT और FMCG के इंडेक्स फ्लैट बंद हुए.

फैक्टर इन्वेस्टिंग के कॉन्सेप्ट को समझें

फैक्टर्स इन्वेस्टिंग से पोर्टफोलियो के परिणामों में सुधार, वोलैटिलिटी को कम करने और डायवर्सिफिकेशन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

  • nupur praveen
  • Publish Date - October 3, 2021 / 11:50 AM IST

फैक्टर इन्वेस्टिंग के कॉन्सेप्ट को समझें

यहां, फैक्टर फंड के फंड मैनेजर, फैक्टर-बेस्ड निफ्टी इंडेक्स को पैसिवली ट्रैक करते हैं जो एक्टिवली मैनेज होते हैं

म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों में से एक यह है कि क्या कोई इक्विटी म्यूचुअल फंड की जगह अपने पूरे इन्वेस्टमेंट का चार्ज खुद ले सकता है? इसका उत्तर साफ तौर से हां है लेकिन ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स अक्सर इस सवाल वोलैटिलिटी का इस्तेमाल के समाधान के रूप में फैक्टर इन्वेस्टिंग (Factors Investing) की ओर इशारा करते हैं. फैक्टर इन्वेस्टिंग (Factors Investing) एक इन्वेस्टमेंट अप्रोच है जिसमें एसेट क्लास में रिटर्न के स्पेसिफिक ड्राइवर्स को टारगेट करना शामिल है. दो खास तरह के फैक्टर हैं जिनमें मैक्रोइकोनॉमिक्स और स्टाइल शामिल हैं.

“फैक्टर्स इन्वेस्टिंग (Factors Investing) से पोर्टफोलियो के परिणामों में सुधार, वोलैटिलिटी को कम करने और डायवर्सिफिकेशन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है. प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटीज के रिसर्च डायरेक्टर अविनाश गोरक्षकर ने कहा, ये फैक्टर्स निवेशकों को रिटर्न जनरेट करने, रिस्क कम करने और डायवर्सिफिकेशन में सुधार करने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.”

फैक्टर्स इन्वेस्टिंग के पीछे आयडिया खास तौर से यह है – आपके इन्वेस्ट यूनिवर्स की सभी कंपनियों को एक पोर्टफोलियो बनाने के लिए एक स्पेसिफिक एट्रीब्यूट के आधार पर रैंक किया जाता है. इन्वेस्टर को हाई रैंकिंग वाले शेयरों में अधिक और कम रैंकिंग वाले शेयरों में कम निवेश करना चाहिए.

फैक्टर एसेट रिटर्न को प्रभावित और ड्राइव दोनों कर सकते हैं. पिछले 50 सालों में, एकेडमिक रिसर्च ने स्टॉक रिटर्न को प्रभावित करने वाले सैकड़ों फैक्टर्स की पहचान की है.

इन फैक्टर्स को जानने और अपने पोर्टफोलियो में इनके इस्तेमाल से निवेशकों को अल्फा जनरेट करने में मदद मिल सकती है. फैक्टर्स के उदाहरण हैं इकोनॉमिक ग्रोथ, इन्फ्लेशन, कॉर्पोरेट की क्रेडिट स्टैंडिंग, इंटरेस्ट रेट में परिवर्तन, यील्ड, आदि.

गोरक्षकर ने समझाया, “इकोनॉमिक ग्रोथ के दौरान, यह अधिक संभावना है कि उपभोक्ता खर्च में वृद्धि के कारण कंपनियां अपने मुनाफे में वृद्धि करेंगी. हालांकि, हमेशा ऐसा नहीं होता है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में मंदी के दौरान, कंपनियों को स्टॉक की कीमतों में गिरावट के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इस बीच, इन्फ्लेशन स्टॉक की कीमतों को प्रभावित करता है क्योंकि यह मुख्य रूप से लोगों की खर्च करने वोलैटिलिटी का इस्तेमाल की क्षमता को प्रभावित करता है. इसलिए जब भी वस्तुओं की कीमतें
अधिक होती हैं, तो उपभोक्ताओं के पैसे खर्च करने की संभावना कम होती है. नतीजतन, यह बिजनेस पर नेगेटिव इम्पैक्ट डालता है.”

कॉरपोरेट्स की क्रेडिट स्टेंडिंग और इंटरेस्ट में बदलाव

कंपनी के क्रेडिट के आधार पर फैक्टर इन्वेस्टिंग में उन शेयरों में निवेश करना शामिल है जो निवेशक को डिफॉल्ट रिस्क वाले स्टॉक रखने की क्षतिपूर्ति करते हैं. विभिन्न प्रकार के बांड डिफॉल्ट रिस्क की अलग-अलग डिग्री के साथ आते हैं, इसलिए निवेशकों को मार्केट रिस्क के एक्सपोजर के साथ स्पेसिफिक बांड चुनना चाहिए.

बढ़े हुए इंटरेस्ट रेट ने बिजनेस और इंडिविजुअल को पैसे उधार लेने या बैंक से लोन लेने से रोक दिया है. इस वजह से, उपभोक्ता खर्च भी प्रभावित होता है और आर्थिक गतिविधि भी प्रभावित होती है. यील्ड भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है जो हाई डिविडेंड यील्ड वाले शेयरों के एक्सेस रिटर्न को कैप्चर करता है.

बैलेंस्ड स्ट्रेटजी

गोरक्षकर ने बताया, “इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स और एक्टिव मैनेजर्स दशकों से पोर्टफोलियो को मैनेज करने के लिए फैक्टर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. आज, डेटा और टेक्नोलॉजी ने सभी निवेशकों को रिटर्न के इन हिस्टोरिकल ड्राइवर्स तक पहुंच प्रदान करने के लिए फैक्टर इन्वेस्टिंग को लोकतांत्रिक बना दिया है. पोर्टफोलियो एक्सपोजर के रिस्क को कम करना सबसे अच्छा एडवानटेज हो सकता है जो कि फैक्टर इन्वेस्टिंग के जरिए मिलता है. यह खास तौर से प्रोवाइड किए गए डायवर्सिफिकेशन के
बेनिफिट से संबंधित है”

स्टाइल और मैक्रोइकोनॉमिक्स फैक्टर इकोनॉमिक साइकिल में विभिन्न स्थितियों को कवर करते हैं, और वो डायवर्सीफिकेश की क्वालिटी इम्प्रूव करते हैं. बैलेंस्ड स्ट्रेटजी की वजह से फैक्टर इन्वेस्टिंग हाई प्रॉफिट और रिटर्न से लिंक्ड है.

इन्वेस्टर्स पर प्रभाव

फैक्टर परफॉर्मेंस ट्रेंड साइक्लिकल (चक्रीय) होता है, लेकिन ज्यादातर फैक्टर रिटर्न आम तौर पर एक दूसरे के साथ ज्यादा कोरिलेटेड नहीं होते हैं, इसलिए इन्वेस्टर्स मल्टीपल फैक्टर एक्सपोजर के कॉम्बिनेशन से डायवर्सिफिकेशन का बेनिफिट उठा सकते हैं. फैक्टर-बेस्ड स्ट्रेटजी इन्वेस्टर्स को कुछ इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव को पूरा करने में मदद कर सकती हैं जैसे कि संभावित रूप से रिटर्न में सुधार या लंबी अवधि में रिस्क को कम करना.

गोरक्षकर ने कहा, “फैक्टर-बेस्ड इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी सिस्टमैटिक एनालिसिस, सिलेक्शन, भार और पोर्टफोलियो के रीबैलेंसिंग पर आधारित होती है, कुछ विशेषताओं वाले शेयरों के पक्ष में जो समय के साथ रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं. आमतौर पर, इन्वेस्टर क्वांटिटेटिव, एक्टिव रूप से मैनेज्ड फंड या कस्टम इंडेक्स को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किए गए रूल-बेस्ड ETF का इस्तेमाल करते हैं.”

फैक्टर-बेस्ड इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी आकर्षक विकल्प हो सकती हैं क्योंकि ये इन्वेस्टर्स को फैक्टर एक्सपोजर के लिए टारगेटेड और स्ट्रीमलाइन एक्सेस देती हैं. फैक्टर अप्रोच ने लोकप्रियता हासिल की है क्योंकि वैल्यू, क्वालिटी, साइज, मूमेंटम या वोलैटिलिटी फैक्टर का इस्तेमाल करके इनडेक्स ने लंबी अवधि में बेहतर प्रदर्शन किया है.

फैक्टर इन्वेस्टिंग का विकल्प किसे चुनना चाहिए?

फैक्टर इन्वेस्टिंग का नजरिया भारत में अपेक्षाकृत नया है, लेकिन म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में अपनी जगह बना रहा है. ये इंस्टीट्यूशनल और रिटेल इन्वेस्टर्स दोनों के लिए उपयोगी है. यहां, फैक्टर फंड के फंड मैनेजर, फैक्टर-बेस्ड निफ्टी इंडेक्स को पैसिवली ट्रैक करते हैं जो एक्टिवली मैनेज होते हैं.

निफ्टी वैल्यू 20 इंडेक्स, निफ्टी क्वालिटी लो-वोलैटिलिटी 30, निफ्टी 100 लो वोलैटिलिटी 30, निफ्टी 200 मोमेंटम 30 और निफ्टी अल्फा लो-वोलैटिलिटी 30 कुछ व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले फैक्टर इंडेक्स हैं. ऊपर के पांच फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करके, शेयर सिलेक्ट किए जाते हैं.

फैक्टर इन्वेस्टिंग का परफॉर्मेंस

गोरक्षकर ने कहा, “ग्रोथ, क्वालिटी, वैल्यू और मोमेंटम जैसे सभी फैक्टर्स ने साबित कर दिया है कि भारत में फैक्टर प्रीमियम मौजूद है. पूर्वानुमान के साथ फंडामेंटल रिसर्च को बेहतर परिणाम देने के लिए क्वानटेटिव फैक्टर्स के साथ मिलाया जाना चाहिए. इस तरह, एक क्वानटेटिव अप्रोच (क्वानटेटिव + फंडामेंटल) को समय के साथ बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए. ” इसलिए, यदि आप अपना खुद का पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं और एक स्मार्ट स्ट्रेटजी की तलाश में हैं तो यह एक अच्छा विकल्प है.

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