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क्रिप्टोबो फैसले

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क्रिप्टो बाजार को नियंत्रित करने के लिए आज कई बड़े फैसले ले सकते हैं पीएम मोदी, डाले एक नजर

अब दो दिन बाद सोमवार को इस पर फिर से पीएम बैठक करेंगे। जिसमें रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अधिकारी शामिल रहेंगे। सरकार पहले ही इस मुद्दे पर दुनियाभर के विशेषज्ञों से परामर्श कर चुकी है।

क्रिप्टो बाजार अनियंत्रित है। साथ ही इसका पूरा हिसाब भी सरकार के पास नहीं रहता, जिस वजह से चिताएं बढ़ गई हैं। भारत में भी बहुत से डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, जहां पर क्रिप्टो को आसानी से खरीदा और बेचा जा रहा है। इसके मुनाफे पर टैक्स भी नहीं लग रहा।

क्रिप्टो करेंसी एक तरह की वर्चुअल करेंसी है, जो आपके डिजिटल वॉलेट में रहती है। आम रुपये की तरह आप इसे नोट या सिक्के के रूप में नहीं रख सकते हैं। ये पूरी तरह से ऑनलाइन है।टेरर फंडिंड, काला धन और फिरौती में भी इसका काफी इस्तेमाल हो रहा है।

केंद्र सरकार जल्द ही लॉन्च करेगी डिजिटल Cryptocurrency, सभी निजी Cryptocoins पर लगेगा प्रतिबंध

क्रिप्टोकरेंसी में वैश्विक उछाल के बीच केंद्रीय वित्त मंत्रालय जल्द ही राज्य द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी पर फैसला करेगी। हालांकि सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे।

IMAGE: PTI

क्रिप्टोकरेंसी में वैश्विक उछाल के बीच केंद्रीय वित्त मंत्रालय जल्द ही राज्य द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी पर फैसला करेगी। हालांकि सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे। वीएचपी नेता गिरीश भारद्वाज (Girish Bharadwaj) को 10 नवंबर को लिखे एक पत्र में केंद्रीय उप निदेशक (मुद्रा) संजू यादव ने इस बात की पुष्टि की है कि सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को अभी भी भारत में कानूनी निविदा या सिक्का नहीं माना जाता है। चिट्ठी में ये भी क्रिप्टोबो फैसले कहा गया कि सरकार भारत में एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा (digital currency) पेश कर सकती है। वीएचपी नेता ने आतंकवाद, ड्रग्स और अन्य 'राष्ट्र विरोधी गतिविधियों' के लिए इसके इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए सभी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

चिट्ठी में लिखा है, "आभासी मुद्राओं (वीसी) से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने के लिए सचिव आर्थिक मामलों की अध्यक्षता में गठित अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि इस मामले में लिए जाने वाले विनिर्देशों का प्रस्ताव है कि राज्य द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसियों को छोड़कर सभी निजी क्रिप्टो भारत में प्रतिबंधित है। इसके अलावा समिति का विचार था कि भारत में एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा की शुरूआत के संबंध में सलाह दी जाएगी। सरकार की सिफारिश पर निर्णय लिया जाएगा आईएमसी और विधायी प्रस्ताव, यदि कोई हो तो वह प्रक्रिया के बाद संसद में पेश किया जाएगा।"

सोमवार को वित्त पर संसदीय स्थायी समिति ने उद्योग संघों और विशेषज्ञों के साथ 'क्रिप्टोफाइनेंस: अवसर और चुनौतियां' मामले पर एक बैठक की। इस बैठक में यह निष्कर्ष निकाला कि क्रिप्टोकरेंसी को रोका नहीं जा सकता है लेकिन इसे विनियमित किया जाना चाहिए। सांसदों द्वारा उठाई गई सबसे गंभीर चिंता निवेशकों के पैसे की सुरक्षा थी। सभी सांसदों में से किसी एक ने राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों में पूरे पृष्ठ के क्रिप्टोकरेंसी विज्ञापनों पर भी चिंता व्यक्त की। विशेषज्ञों ने कहा कि क्रिप्टो निवेशकों के लोकतंत्र का एक प्रकार है। सरकार क्रिप्टोक्यूरेंसी को विनियमित करने और इसे केंद्र के कर ढांचे के तहत लाने की योजना बना रही है। बीते दिन पीएम मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी और संबंधित वित्तीय मुद्दों के लिए विशेषज्ञों के साथ एक बैठक भी की है। इस जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग पर चर्चा की गई है। वर्तमान में भारत में दो क्रिप्टो यूनिकॉर्न CoinSwitch, Kuber और CoinDCX हैं।

केंद्र पिछले दो सत्रों से संसद में आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 के क्रिप्टोकरेंसी और विनियमन को पेश करने की योजना बना रहा है। विधेयक का उद्देश्य सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करना और "आधिकारिक डिजिटल मुद्रा" के लॉन्च के लिए नियामक ढांचा तैयार करना है। यह व्यापार, खनन और क्रिप्टो जारी करने पर प्रतिबंध लगाने से पहले 3-6 महीने की निकास अवधि भी निर्धारित करेगा। आरबीआई राज्य द्वारा जारी क्रिप्टोकॉइन को विनियमित करने के लिए डीएलटी (डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी) का उपयोग करने की योजना बना रहा है। विधेयक पर अभी भी चर्चा चल रही है और इसे अभी कैबिनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है।

Crypto पर सरकार का रुख नपा-तुला, बोले पूर्व वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा

आज तक लोगो

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क्रिप्टो पर टैक्स लगाने के सरकार के फैसले पर लोगों के बीच एक बहस छिड़ी हुई है. इस बीच बिजनेस टुडे के क्रिप्टो कॉनक्लेव में संसद की वित्त स्थायी समिति के मौजूदा अध्यक्ष और पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सरकार के इस रुख को काफी नपा-तुला बताया, जबकि विपक्ष के कई नेता इससे अलग राय पेश करते नजर आए.

दुनिया के साथ कदमताल की जरूरत

जयंत सिन्हा ने कहा कि क्रिप्टो को लेकर सरकार जो अभी रुख वो काफी नपा-तुला है. साथ ही ये पूरी तरह से वैध है. उन्होंने कहा कि क्रिप्टो को लेकर वैश्विक परिदृश्य तेजी से साफ हो रहा है. ऐसे में हम ऐसा कुछ क्रिप्टोबो फैसले भी नहीं कर सकते हैं जो बाद में दुनिया में होने वाले बदलाव के साथ वापस लेना पड़े. इसलिए हमें दुनिया के साथ मिलकर चलना होगा.

जयंत सिन्हा के अलावा इस कार्यक्रम में शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा और कांग्रेस के पूर्व सांसद राजीव गौड़ा भी शामिल हुए.

'क्रिप्टो का लाभ उठाने से चूक रहा भारत'

क्रिप्टो पर सरकार के रुख की आलोचना करते हुए शिवसेना क्रिप्टोबो फैसले नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा सरकार अपनी सतर्कता वाली एप्रोच से क्रिप्टो का लाभ उठाने का मौका चूक रही है. इससे भारत की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा मिल सकता है. उन्होंने सरकार के क्रिप्टो पर टैक्स लगाने पर भी अपनी राय रखी. प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार ने अभी तक ये साफ नहीं किया कि क्रिप्टो का लीगल स्टेटस क्या है, इसका कहां और कैसे उपयोग हो सकता है, लेकिन इस पर टैक्स लगा दिया है.

प्रियंका के साथ-साथ विपक्ष के अन्य नेताओं ने भी सरकार के रुख को ज्यादा ही सावधानी भरा करार दिया. प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि इस वजह से क्रिप्टो एक्सचेंज देश से बाहर जा रहे हैं और ये सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए. वहीं राजीव गौड़ा ने कहा कि सरकार में क्रिप्टो को लेकर काफी कंफ्यूजन है. सरकार के इस रवैये का नुकसान ये होगा कि हमारे देश से प्रतिभा और संस्थान बाहर जाने लगेंगे.

'इंटरनेट को बैन करने जैसा क्रिप्टो को रोकना'

पिनाकी मिश्रा ने कहा कि अब क्रिप्टो पर बैन लगाने का उल्टा नुकसान हो. ये बिलकुल इंटरनेट को बैन करने जैसा होगा. सरकार क्रिप्टो ट्रेडिंग को 'अहितकर गतिविधि' के तौर पर देखती है. उसने इसे जुअे और शराब की लत की तरह मान लिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को क्रिप्टो को लेकर अन्य देशों के अच्छे कदमों के बारे में सोचना चाहिए और इस बात से कोई इंकार नहीं कर रहा कि इसका रेग्युलेशन समय की जरूरत है.

सीमा विवाद पर क्यों भिड़ गए बीजेपी शासित राज्य, अब दिल्ली दरबार से होगा फैसला!

पूर्वोत्तर भारत में असम और मेघालय में सीमा को लेकर संघर्ष हो गया. तो दक्षिण में महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बॉर्डर को लेकर एक बार फिर से विवाद हो गया है. इस सभी राज्यों में बीजेपी सत्ता में है, इसके बाद भी इन राज्यों की सरकार एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं.

CM Bommai-JP Nadda

पूर्वोत्तर भारत हो या दक्षिण भारत बीजेपी शासित राज्यों में सीमा को लेकर विवाद शुरू हो गया है. पूर्वोत्तर भारत में असम और मेघालय में सीमा को लेकर संघर्ष हो गया. तो दक्षिण में महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बॉर्डर को लेकर एक बार फिर से विवाद हो गया है. असम-मेघालय सीमा पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को रोकने पर हिंसा हो गई, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई. कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद को लेकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं.

बीजेपी शासित राज्यों में सीमा विवाद

इस सभी राज्यों में बीजेपी सत्ता में है, इसके बाद भी इन राज्यों की सरकार एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद के मुद्दे को उठाया कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने और हवा दी महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने. जिसके बाद बयानबाजी शुरू हो गई और दोनों राज्यों में तनाव हो पैदा हो गया.

सीएम बोम्मई के समर्थन में रैली

महाराष्ट्र में कर्नाटक के सीएम बोम्मई के पोस्टरों पर कालिख पोतकर प्रदर्शन किया गया, तो कर्नाटक की सीमा से सटे जत तालुका के तिकोंडी गांव के ग्रामीणों ने कर्नाटक के सीएम बोम्मई के समर्थन में रैली निकाली. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की तरफ से उन्हें पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं. रैली में भाग लेने वाले सोमलिंग चौधरी ने कहा कि हम 40 से अधिक गांवों में पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं. हमें म्हैसल परियोजना से पानी का वादा किया गया है. हालांकि, चार दशकों के बाद भी हमें पानी नहीं मिला.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ये विवाद

अब ये विवाद पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय में बुधवार (30 नवंबर) से सुनवाई शुरू होने वाली है. सुनवाई से पहले दोनों सरकारें इस मामले को लड़ने के लिए अपनी कानूनी टीमों को तैयार करने की प्रक्रिया में लगी हैं. इस बीच सीएम बोम्मई ने कहा कि मैं 29 नवंबर को दिल्ली जाऊंगा और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के साथ मामले से जुड़ी हर चीज के बारे में विस्तार से चर्चा करूंगा.

कर्नाटक के CM का दिल्ली दौरा

इस विवाद के बीच अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री दिल्ली जाने वाले हैं. दिल्ली में वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात करेंगे. सूत्रों के अनुसार पार्टी अध्यक्ष से मिलकर सीएम बोम्मई इस मुद्दे पर अपना स्पष्टीकरण देंगे. बता दें कि दोनों राज्यों के बीच दशकों से सीमा विवाद चल रहा है. हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र में पड़ने वाले सांगली जिले के जत तालुका के 40 गांवों पर अपना दावा ठोंका था. जिसका महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विरोध किया था.

दशकों से चल रहा है सीमा विवाद

बता दें कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच दशकों से ही सीमा विवाद चल रहा है. 1960 में अपने गठन के बाद से ही महाराष्ट्र का बेलगाम (बेलगावी) जिले और 80 फीसदी मराठी भाषी गांवों को लेकर कर्नाटक से विवाद है. कर्नाटक के बोम्मई ने महाराष्ट्र में पड़ने वाले सांगली जिले के जत तालुका के जिन 40 गांवों पर अपना दावा ठोंका है, वहां कन्नड़ भाषियों की तादाद अधिक है. इसी वजह से सीएम बोम्मई ने दावा किया कि वे लोग कर्नाटक में शामिल होना चाहते हैं. इस बात को लेकर के महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कड़ी प्रतिक्रिया दे दी है. उन्होंने कहा कि एक भी गांव जाने नहीं देंगे.

क्या दिल्ली दरबार से होगा फैसला?

असम-मेघालय बॉर्डर विवाद के बाद विवादित क्षेत्र में हालात सुधरने पर असम ने मेघालय बॉर्डर को खोल दिया है. असम पुलिस ने बॉर्डर खोलते हुए मेघालय के बीच यात्रा प्रतिबंध को हटा दिया है. हालांकि असम पुलिस ने पड़ोसी राज्य की यात्रा करने से बचने की सलाह दी है. वहीं कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद को लेकर दोनों ही राज्यों के नेताओं की बयानबाजी जारी है. ये विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. अदालत में दोनों राज्यों की सरकारें अपना-अपना पक्ष रखेंगी.

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