विदेशी मुद्रा व्यापारी असम

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गुवाहाटी क्षेत्र के तहत असम राज्य में 11 प्रस्तावित शाखाओं के लिए आवश्यक परिसर
बैंक ऑफ महाराष्ट्र कभी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस के माध्यम से किसी भी उद्देश्य हेतु बैंक खाते के ब्यौरे नहीं विदेशी मुद्रा व्यापारी असम मांगता।
बैंक सभी ग्राहकों से अपील करता है कि ऐसे किसी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस का उत्तर न दें, और किसी से भी, किसी भी उद्देश्य हेतु अपने बैंक खाते के ब्यौरे साझा न करें। किसी से भी अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड का सीवीवी/पिन साझा न करें।
भारत के विदेशी ऋण में 8.2% की सालाना वृद्धि
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने भारत के बाहरी ऋण 2021-22 ,पर स्थिति रिपोर्ट के 28वें संस्करण को जारी करते हुए कहा कि भारत के विदेशी ऋण का प्रबंधन विवेकपूर्ण और टिकाऊ है। श्रीलंका जैसी स्थिति का कोई डर नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार क्रॉस-कंट्री परिप्रेक्ष्य में भारत का विदेशी ऋण मामूली है, और विश्व स्तर पर भारत 23वें स्थान पर है।
देश का कुल बाह्य ऋण
मार्च 2022 के अंत में देश का कुल विदेशी ऋण 620.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि इसी अवधि में यह पिछले साल 573.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। इसमेंपिछले साल की तुलना में 8.2% की वृद्धि हुई।
कुल विदेशी ऋण में दीर्घकालीन और अल्पकालिक ऋण हिस्सेदारी
लंबी अवधि के कर्ज का अनुमान 499.1 अरब अमेरिकी डॉलर था। दीर्घकालीन ऋण का अर्थ है ऐसे ऋण जिनकी अवधि एक वर्ष या उससे अधिक है।
कुल विदेशी कर्ज में लंबी अवधि के कर्ज की हिस्सेदारी 80.4 फीसदी थी।
कुल ऋण में दीर्घकालीन ऋण का अनुपात अधिक होना किसी देश के लिए एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी असम संकेत है।
अल्पकालिक ऋण 121.7 बिलियन अमरीकी डालर था। कुल विदेशी ऋण में अल्पावधि ऋण का हिस्सा कुल ऋण का 19.6 प्रतिशत था। अल्पकालिक व्यापार ऋण मुख्य रूप से व्यापार ऋण (96 प्रतिशत) वित्तपोषण आयात के रूप में था।
अल्पकालिक ऋण का मतलब है कि इसकी मैच्योरिटी अवधि एक साल से कम की है।
अनुकूल ऋण संकेतक
सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में बाहरी ऋण मार्च 2022 के अंत तक गिरकर 19.9 प्रतिशत हो गया, जो एक साल पहले 21.2 प्रतिशत था।
विदेशी ऋण के अनुपात के रूप में विदेशी मुद्रा भंडार एक साल पहले के 100.6 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2022 के अंत में 97.8 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि भारत के पास अपने पूरे कर्ज का भुगतान करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा है।
संप्रभु उधार (भारत सरकार द्वारा उधार लिया गया धन) का हिस्सा 130.7 बिलियन अमरीकी डालर था। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 17.1 प्रतिशत की वृद्धि मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा 2021-22 के दौरान विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) के अतिरिक्त आवंटन के कारण हुआ।
दूसरी ओर, गैर-संप्रभु ऋण (कंपनियों द्वारा लिया गया उधार), मार्च 2021 के अंत के स्तर पर 6.1 प्रतिशत बढ़कर 490.0 बिलियन अमरीकी डालर हो गया।
वाणिज्यिक उधार, एनआरआई जमा और अल्पकालिक व्यापार ऋण गैर-संप्रभु ऋण के तीन सबसे बड़े घटक हैं, जो 95.2 प्रतिशत के बराबर है। एनआरआई जमा 2 प्रतिशत घटकर 139.0 बिलियन अमरीकी डालर, वाणिज्यिक उधारी 209.71 बिलियन अमरीकी डालर और अल्पकालिक व्यापार ऋण 117.4 बिलियन अमरीकी डालर क्रमशः 5.7 प्रतिशत और 20.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
भारत के कुल विदेशी ऋण का 53.2 प्रतिशत अमेरिकी डॉलर में मूल्यवर्गित है और भारतीय रुपया रुपये के मूल्य वर्ग का ऋण 31.2 प्रतिशत अनुमानित था जो दूसरी सबसे बड़ी राशि है।
ऋण सेवा अनुपात वर्तमान प्राप्तियों में उछाल और ऋण सेवा भुगतान में कमी के कारण वर्ष 2020-21 में 8.2 प्रतिशत था जो 2021-22 के दौरान घटकर 5.2 प्रतिशत हो गया।
विभिन्न परीक्षाओं के लिए अक्टूबर रिवीजन-2
Q1. अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने विदेशी मुद्रा व्यापारियों की देखरेख करने के लिए वैश्विक बैंकिंग कंपनी_______पर $ 175 मिलियन का जुर्माना लगाया है, जो गोपनीय ग्राहक सूचना का दुरुपयोग करते और प्रतिस्पर्धी बैंकों में व्यापारियों के साथ मिले हुए थे.
Q2. संयुक्त राष्ट्र महासभा (संकल्प 45/106 द्वारा) ने_________ को वृद्ध व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया है.
Answer: Stepping into the Future: Tapping the Talents, Contributions and Participation of Older Persons in Society
Q5. भारत के राष्ट्रपति द्वारा हालिया फेरबदल के अनुसार, असम के राज्यपाल बानोवरलाल पुरोहित अब _____________ के नए राज्यपाल होंगे.
Q8. तीन अमेरिकी जेफरी सी हॉल, माइकल रॉबबैश और माइकल डब्लू. यंग को उनकी खोजों के लिए संयुक्त रूप से फिजियोलॉजी या मेडिसिन में 2017 नोबेल पुरस्कार दिया गया है
Q9. हाल ही में फिजियोलॉजी या मेडिसिन में 2017 नोबेल पुरस्कार प्रदान किउए गये थे. यह पुरस्कार ______________ बार दिया गया है.
Q10. भारत के राष्ट्रपति द्वारा हालिया फेरबदल के अनुसार, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बी.डी. मिश्रा को _________________ के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है.
Q11. पहली बार, भारत ने निम्न में से किस देश के साथ, राष्ट्रीय उद्यानों, जंगलों और संरक्षित क्षेत्रों में बाघों की संयुक्त गणना करने का निर्णय लिया?
Q14. ई-कॉमर्स कंपनी को नाम बताइए जिसने हाल ही में अपने प्लेटफार्म पर हॉस्पिटैलिटी फर्म की इन्वेंट्री लाने के लिए OYO के साथ समझौता किया.
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- विभिन्न परीक्ष.
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- विभिन्न विदेशी मुद्रा व्यापारी असम परीक्ष.
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- 'AYUSH' को अंग्रेजी .
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विदेशी मुद्रा भंडार: सोना यानी डॉलर पर कम निर्भरता का विकल्प
भारतीय रिजर्व बैंक पिछले चार साल से लगातार सोने की खरीद कर रहा है। इससे स्पष्ट है कि यह अपनी उन सम्पत्तियों में विविधता लाने को लेकर गंभीर हैं, जिनमें देश का विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) का सोना खरीदना कोई नई परम्परा नहीं है। आरबीआइ कई सालों से छोटी-छोटी मात्रा में सोना खरीदता आया है। राजस्व वर्ष 2022 सोने की खरीद की मात्रा के लिहाज से कुछ अहम हो जाता है। कारण यह कि इस साल बैंक ने अपने स्वर्ण भंडार में 65.11 टन सोने का इजाफा किया। एक राजस्व वर्ष में यह सोने की अब तक की दूसरी सबसे बड़ी खरीद है। इससे पहले राजस्व वर्ष 2010 में देश ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) से 200 टन सोना खरीदा था।
केंद्रीय बैंक द्वारा सोना खरीदने के कुछ खास कारण हैं। एक बात तय है कि सोना खरीदने का उपक्रम अकेला भारत का केंद्रीय बैंक नहीं कर रहा है बल्कि दुनिया भर के देशों के केंद्रीय बैंक पिछले कई सालों से लगातार अपने स्वर्ण भंडार भर रहे हैं। आइएमएफ के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं। आरबीआइ द्वारा सोना खरीदने के कई कारणों में से एक मुख्य कारण यह हो सकता है उन सम्पत्तियों में विविधता लाना, जिनमें देश का विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है। दरअसल,रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही डॉलर से हटकर विदेशी विनिमय सम्पत्तियों को विविधता देने का चलन बढ़ गया है।
इसका एक महत्त्वपूर्ण कारण यह कि इस युद्ध के बाद रूस पर प्रतिबंध लगने की आशंकाएं बढ़ती गईं। उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) से संबद्ध देशों ने भी तय किया है कि रूसी केंद्रीय बैंक की क्षमताओं को इतना सीमित कर दिया जाए कि वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल ही न कर पाए। रूस के केंद्रीय बैंक में विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा अंश डॉलर के रूप में संग्रहित है। इसी के मद्देनजर रूस पर लगे प्रतिबंधों का सीधा असर उसके विदेशी मुद्रा भंडार को इस्तेमाल करने की क्षमता कम होने के रूप में सामने आया और रूस अपनी मुद्रा रूबल को गिरने से नहीं बचा सका। इसलिए विविधतापूर्ण सम्पत्तियों का भंडार रखना केंद्रीय बैंकों के लिए एक विवेकपूर्ण आदत है।
इसके अलावा विदेशी मुद्रा भंडार में निवेश करते हुए आरबीआइ अपने 'एसएलआर' सिद्धांत का भी पालन करता है। यहां 'एस' का मतलब है सेफ्टी यानी सुरक्षा, 'एल' का मतलब है लिक्विडिटी यानी तरलता और 'आर' से आशय है रिटर्न यानी प्रतिफल। सही ही है, केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता है सम्पत्तियों एवं उनकी तरलता की सुरक्षा। और सोना इन दोनों ही मानदंडों पर खरा उतरता है। कारण कि सोना सभी प्रकार की वित्तीय सम्पत्तियों में सर्वाधिक तरल सम्पत्ति माना जाता है।
वर्ष 2008 में आए आर्थिक संकट के बाद अमरीका में बड़े पैमाने पर दिवालियापन देखा गया। डॉलर के प्रभाव पर सवाल उठने लगे। भले ही डॉलर सीमा पार व्यापार और निवेश में मुख्य मुद्रा रहे, लेकिन वैकल्पिक मुद्रा
का विचार कई बार सुझाया जाता रहा है। चीन भी अपनी स्वदेशी मुद्रा के विश्व व्यापार में इस्तेमाल पर समय-समय पर जोर देता रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य अपनी मुद्रा युआन को विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल करवाना रहा है। पिछले चार सालों में विदेशी मुद्रा भंडार में युआन के अंश में अच्छा खासा इजाफा देखा भी गया है। परन्तु अब भी यह डॉलर से काफी कम है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद खास तौर पर एशिया के केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का अंश कम करने या यों कहें डॉलर पर निर्भरता कम रखने के प्रयास में जुटे हैं। आरबीआइ विदेशी मुद्रा भंडारों में अलग-अलग देशों की मुद्रा के अंशों की जानकारी उपलब्ध नहीं करवाता है। जैसा कि ज्ञात है कि आरबीआइ एकमात्र ऐसा केंद्रीय बैंक नहीं है, जो स्वर्ण भंडार एकत्र कर रहा है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में ब्राजील, थाइलैंड, जापान सहित कई अन्य देशों ने सोना खरीदा है। थाइलैंड ने अपने स्वर्ण भंडार में 90 टन सोना और बढ़ा लिया, जो कि उभरते बाजार में ऊंची खरीद मानी जाएगी।
रूस भी पिछले एक दशक से सोना खरीदने में जुटा है। 2021 मेे भारत सोना खरीदने वाला तीसरा सबसे बड़़ा खरीददार देश था। इस वर्ष जनवरी से मार्च के बीच की अवधि में सोना खरीदने वाले देशों की सूची में यह चौथे स्थान पर रहा। इस दौरान सोना बेचने वाले देश रहे -कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कतर, फिलीपींस और पोलैंड। केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीद के समाचार सुर्खियों में भले ही आ जाएं, लेकिन इसका आशय यह नहीं है कि इससे बाजार में इस कीमती धातु के दाम और बढ़ जाएंगे। डॉलर में उछाल स्थायी रहने के बाद हाल ही सोने की कीमतों में गिरावट आई। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्रास्फीति के चलते सोने की खरीददारी में रुझान बना रहा। चूंकि भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं बढ़ती जा रही हैं, केंद्रीय बैैक अपने स्वर्ण भंडार बढ़ाना जारी रखेंगे ताकि वित्तीय व आर्थिक स्थिरता सुरक्षित की जा सके। आखिरकार दुनिया भर में सोने को तीसरी सबसे बड़ी संरक्षित सम्पत्ति माना जाता है।