मुख्य Indices

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस सूरत के लिए राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि नेता कुर्सी मुख्य Indices की जोड़तोड़ में इस तरह उलझे रहते हैं कि भूख जैसी बुनियादी समस्या उनके एजेंडे से बाहर बनी रहती है। अभी भी जबकि ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट से बिगड़ती स्थिति पर रोशनी पड़ी है, तमाम दल चुनावी बिसात सजाने में लगे हुए हैँ। चुनाव प्रचार के दौरान कहीं भी ये मुद्दा उठते नहीं देखा गया है। जबकि इस दिशा में तुरंत कदम उठान की जरूरत है।
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Global Drug Policy Index में भारत का रैंक : मुख्य बिंदु
ग्लोबल ड्रग पॉलिसी इंडेक्स दुनिया भर में दवा नीतियों और उनके कार्यान्वयन का डेटा-संचालित विश्लेषण है। इस सूचकांक में 75 संकेतक शामिल हैं और इसमें दवा नीति के मुख्य Indices पांच व्यापक आयाम शामिल हैं – आपराधिक न्याय, स्वास्थ्य और नुकसान में कमी, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रित दवाओं तक पहुंच, चरम प्रतिक्रियाएं और विकास।
Global Hunger Index: नेपाल पर मंडरा रहा भूख-कुपोषण की समस्या के गंभीर होने का खतरा, जानें क्या कहते हैं आंकड़े
नेपाल में गरीबी और कुपोषण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैँ। हालांकि ये स्थिति मुख्य Indices बीते कई वर्षों के दौरान अधिक गंभीर हुई है, लेकिन इस पर चर्चा हाल में ताजा ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी होने के बाद तेज हुई है। इस इंडेक्स में नेपाल को 19.1 अंक प्राप्त हुए। यह इस बात का संकेत है कि नेपाल भूख की समस्या गंभीर स्थिति के करीब पहुंच गई है।
इस इंडेक्स में अगर किसी देश को 10 से कम अंक मिलें, तो उसका मतलब यह समझा जाता है कि वहां भूख की स्थिति अपेक्षाकृत कम है। 10 से 19 अंक तक समस्या को हलका माना जाता है। 20 से 34.9 अंक के बीच आने वाले देश गंभीर श्रेणी में माने जाते हैं, जबकि 35 से 49.9 अंक तक को खतरनाक और 50 से ऊपर अंक मिलने को बेहद खतरनाक स्थिति कहा जाता है।
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नेपाल में गरीबी और कुपोषण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैँ। हालांकि ये स्थिति बीते कई वर्षों मुख्य Indices के दौरान अधिक गंभीर हुई है, लेकिन इस पर चर्चा हाल में ताजा ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी होने के बाद तेज हुई है। इस इंडेक्स में नेपाल को 19.1 अंक प्राप्त हुए। यह इस बात का संकेत है कि नेपाल भूख की समस्या गंभीर स्थिति के करीब पहुंच गई है।
इस इंडेक्स में अगर किसी देश को 10 से कम अंक मिलें, तो उसका मतलब यह समझा जाता है कि वहां भूख की स्थिति अपेक्षाकृत कम है। 10 से 19 अंक तक समस्या को हलका माना जाता है। 20 से 34.9 अंक के बीच आने वाले देश गंभीर श्रेणी में माने जाते हैं, जबकि 35 से 49.9 अंक तक को खतरनाक और 50 से ऊपर अंक मिलने को बेहद खतरनाक स्थिति कहा जाता है।
पोषण विशेषज्ञ डॉ. अतुल चीर ने कहा है- ‘अगर अतीत से तुलना करें, तो स्थिति सुधरी है। लेकिन इस पर खुश होने का कोई कारण नहीं है। हम अभी उस हाल में हैं, जिसमें भूख की समस्या गंभीर रूप ले सकती है।’ चीर ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘देश में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं, जिन्हें पोषण के लिहाज से पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है।’
AWEB: सीईसी कुमार ने उठाए सवाल, कहा- लोकतांत्रिक सूचकांकों के मूल्यांकन के लिए मापकों की समीक्षा की जरूरत
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मतदाताओं को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया के प्रयोग और उसके दुष्प्रभावों और चुनौतियों पर चर्चा की। बुधवार को उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में एसोसिएशन मुख्य Indices ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज (AWEB) की 5वीं महासभा के उद्घाटन समारोह में संबोधन दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मतदाता जुड़ाव के लिए सोशल मीडिया का लाभ उठाना एक सकारात्मक विशेषता है, लेकिन इसका दुरुपयोग और दुष्प्रचार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स चुनाव प्रबंधन निकायों और दुनिया भर के सामने एक वास्तविक चुनौती है। इस दौरान उन्होंने देश के लोकतांत्रिक सूचकांक की रेटिंग 'एकतरफा और अवैध मानकों' के आधार पर किए जाने पर भी सवाल खड़े किए।
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देश मुख्य Indices के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मतदाताओं को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया के प्रयोग और उसके दुष्प्रभावों और चुनौतियों पर चर्चा की। बुधवार को उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज (AWEB) मुख्य Indices की 5वीं महासभा के उद्घाटन समारोह में संबोधन दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मतदाता जुड़ाव के लिए सोशल मीडिया का लाभ उठाना एक सकारात्मक विशेषता है, लेकिन मुख्य Indices इसका दुरुपयोग और दुष्प्रचार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स चुनाव प्रबंधन निकायों और दुनिया भर के सामने एक वास्तविक चुनौती है। इस दौरान उन्होंने देश के लोकतांत्रिक सूचकांक की रेटिंग 'एकतरफा और अवैध मानकों' के आधार पर किए जाने पर भी सवाल खड़े किए।
लोकतांत्रिक सूचकांकों के मूल्यांकन के मापदंडों मुख्य Indices पर खड़े किए सवाल
AWEB की पांचवीं महासभा के उद्घाटन के मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा उपयोग किए जा रहे लोकतांत्रिक सूचकांकों के मूल्यांकन के लिए मापदंडों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। इस दौरान दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा भी कार्यक्रम में मौजूद थे। सीईसी राजीव कुमार की यह टिप्पणी उन रिपोर्ट्स के खिलाफ आई है जिनमें दावा किया गया था कि हाल के वर्षों में लोकतंत्र सूचकांक में भारत के स्तर और स्कोर में गिरावट आई है। हालांकि भारत सरकार ने उन खबरों को पहले ही खारिज कर दिया था।
SHAALA DARPAN- Email- [email protected] (For Website,PIS & SIS Only.)
अच्छी गुणवत्ता वाली आधुनिक शिक्षा प्रदान करना-जिसमें संस्कृति का एक मजबूत घटक, मूल्यों का समावेश, पर्यावरण के प्रति जागरूकता, साहसिक गतिविधियाँ और शारीरिक शिक्षा- मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिभावान बच्चों को उनके परिवार की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के संबंध में शामिल हैं।