ऑटोमेटेड ट्रेडिंग

ऑटोमेटेड ट्रेडिंग
Welcome to ##CURRENT_LICENSE##. Some products and services listed on this website are not available to ##CURRENT_COUNTRY## clients. Please redirect to ##BY_COUNTRY_LICENSE## if you are a ##CURRENT_COUNTRY## resident.
शुरू करें
ऑटोमेटेड ट्रेडिंग को चालू करने के लिए एक लाइव अकाउंट के साथ Currency.com REST या WebSocket API से कनेक्ट करें.
हमारे API का इस्तेमाल करने के लिए आपको सिर्फ:
- एक अकाउंट बनाना होगा
- हमारे प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग करने के बारे में और जानना होगा
- अपनी 'API की' जेनरेट करनी होगी
- कोडिंग करना शुरू करना होगा
एक अकाउंट बनाएं
Currency.com अकाउंट के लिए साइन अप करें.
अगर आपके पास कोई सवाल हों, तो हमारी सहायता टीम से बेझिझक सम्पर्क करें और हमारे अक्सर पूछे जाने वाले सवालों को पढ़ें.
हमारे प्लेटफॉर्म के अंदर ट्रेडिंग के बारे में और जानें
ट्रेडिंग के बारे में और जानने के लिए बेझिझक हमारे 'Currency.com प्लेटफॉर्म पर ट्रेड कैसे करें पेज और अक्सर पूछे जाने वाले सवाल पढ़ें.
अपनी API key जेनरेट करें
आपके द्वारा विकसित किए गए हर एप्लिकेशन के लिए आपको एक API key की ज़रूरत होगी. API key आपके एप्लिकेशन की पहचान करती है और इसके उपयोग को अधिकृत करती है.
अपनी लाइव API key बनाने के लिए:
- अपने लाइव अकाउंट क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल कर हमारे वेब-आधारित प्लेटफॉर्म में लॉग इन करें;
- सेटिंग्स > API इंटीग्रेशन > नई key जेनरेट करें पर जाएं;
- दो-फैक्टर औथेनटीकेशन (2FA) चालू करें;
- अपना key लेबल दर्ज करें, अनुमतियां सेट करें, अपना IP एड्रेस और समाप्ति की तिथि जोड़ें;
- जनरेट key बटन पर क्लिक करें.
अगर आपके पास कोई सवाल बाकी हैं तो आप हमारे API के अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के पेज को भी देख सकते हैं
कोडिंग शुरू करें
हम Swagger API डॉक्युमेंटेशन इस्तेमाल करना का सुझाव देते हैं, ताकि वह REST और WebSocket API के साथ इंटरैक्ट करने में आपकी मदद कर सके.
कुछ प्रतिबंध लागू हैं
- रिक्वेस्टों को प्रति सेकंड 10 बार से ज़्यादा नहीं भेजा जाने चाहिए. *ध्यान दें कि जेनेरल पब्लिक API के लिए token_crypto प्रकार की रेट सीमा 2000 रिक्वेस्ट प्रति मिनट से ज़्यादा है;
- ट्रेड इतिहास में सिर्फ 1000 आखरी ट्रेड उपलब्ध हैं;
- कम्पनी टोकन, टोकनाइज़्ड बॉन्ड, KARMA.cx टोकन और टोकनाइज़्ड एसेट को छोड़ के, हॉन्ग-कॉन्ग बाज़ारों के सभी टोकनाइज़्ड एसेट हमारे API के पहले वर्ज़न (v1) में उपलब्ध हैं. दूसरे API वर्ज़न (v2) में भी हॉन्ग-कॉन्ग के बाज़ार उपलब्ध हो गए;
- API के अंदर लेवरेज ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध एसेटों की सूची यहां मिल सकती है.
Troubleshooting
We hereby warn about the following risks:
1. Digital signs (tokens) (hereinafter referred ऑटोमेटेड ट्रेडिंग to as “tokens”) are not legal tender and are not required to be accepted as a means of payment.
2. Tokens are not backed by the state.
3. Acquisition of tokens may lead to complete loss of funds and other objects of civil rights (investments) transferred in exchange for tokens (including as a result of token cost volatility; technical failures (errors); illegal actions, including theft).
4. The distributed ledger technology (blockchain), other distributed information system and similar technologies are innovative and constantly updated, which implies the need for periodic updates (periodic improvement) of the information system of Dzengi Com CJSC and the risk of technical failures (errors) in its operation.
5. Certain tokens sold by Dzengi Сom сlosed joint stock company may be of value only when using the information system of Dzengi Com CJSC and (or) the services rendered by Dzengi Com CJSC.
6. As the attitude of different states (their regulators) to token transactions (operations) and approaches to their legal regulation differ from jurisdiction to jurisdiction, there is a risk that contracts between Dzengi Com CJSC and its ऑटोमेटेड ट्रेडिंग clients or their particular terms and conditions may be invalid and (or) unenforceable in certain states.
Dzengi Сom сlosed joint stock company is a cryptoplatform operator (cryptoexchange) and carries out activities using tokens.
Currency Com Global LLC is a limited liability company registered in St. Vincent & the Grenadines under company number 1291 LLC 2021 with its registered office at First Floor, First St. Vincent Bank Ltd Building, James Street, Kingstown, St. Vincent & the Grenadines.
Currency Com Limited is a private company limited by shares incorporated in Gibraltar under company number 117543, having its registered address at Madison Building, Midtown, Queensway, GX11 1AA, Gibraltar. The merchant location address is located at Unit 5.25, World Trade Center, 6 Bayside Road, Gibraltar, GX11 1AA. The company is authorised by the Gibraltar Financial Services Commission as a DLT Provider under the Financial Services Act 2019. Licence No. 25032.
ऑप्शन ट्रेडिंग में अब मुनाफा होगा ऑटोमैटिक, जानिए क्या हैं ट्रेडिंग एपीआई के फायदे
Trading API ऐसे टूल्स होते हैं जो ट्रेडिंग सिस्टम के साथ संपर्क बनाने में आपकी मदद करते हैं और आपके लिए automatic trading सिस्टम तैयार करते हैं। इसके साथ आप अल्गो ट्रेंडिग की दुनिया में कदम रख सकते हैं।
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। कैसा हो कि आपके सामने ऐसा जरूरी काम आ जाए जिसकी वजह से आप चाहकर भी बाजार पर लगातार नजर नहीं रख पाएं, लेकिन वहीं आपको पूरी उम्मीद भी हो कि इसी समय में बाजार में कमाई का ऐसा मौका भी मिलेगा जिसका इंतजार आपको कई दिनों से था। ऐसे में आप क्या करेंगे. अपना जरूरी काम छोड़ेंगे. या फिर कमाई का मौका, या फिर किसी दूसरे से अपनी रणनीति साझाकर टेंशन में रहेंगे कि वो सही समय पर कदम उठा पाता है या नहीं।
यकीन मानिए, आपको इसमें से कुछ करने की जरूरत नहीं है। अपना काम निपटाइए और अपनी रणनीति पर अमल होते देखिए वो भी पूरी तरह से automatic. स्वागत है आपका Trading API की दुनिया में।
आज ही शुरू करें अपना शेयर मार्केट का सफर, विजिट करें- https://bit.ly/3n7jRhX
अगर आप बाजार में गंभीरता के साथ काम करते हैं और आपको अपनी रणनीतियों पर भरोसा है तो ये खास सुविधा आपके लिए ही है। 5paisa की मदद से बाजार में गंभीरता से ट्रेड करने वालों के लिए इस automatic रूट का इस्तेमाल अब काफी आसान हो गया है। जो न केवल ये सुनिश्चित करता है कि आपका कमाई का कोई भी मौका न छूटे..साथ ही ऑटोमैटिक तरीके से सौदे निपटा कर ये आपको उसी वक्त अगले ट्रेड के लिए रणनीतियां बनाने और रिसर्च करने का समय भी देता है।
5paisa के ये फीचर्स है ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए खास, देखें वीडियो-
क्या होते हैं ट्रेडिंग एपीआई
Trading API ऐसे टूल्स होते हैं जो ट्रेडिंग सिस्टम के साथ संपर्क बनाने में आपकी मदद करते हैं और आपके लिए automatic trading सिस्टम तैयार करते हैं। इसके साथ आप अल्गो ट्रेंडिग की दुनिया में कदम रख सकते हैं और अपनी manual trading को पूरी तरह से ऑटोमैटिक ट्रेडिंग में बदल सकते हैं। यानी आपको अपनी रणनीति के आधार पर सौदों की शर्तें तय करनी होती है।
API इन शर्तों के आधार पर एंट्री या एग्जिट के लिए मौके का इंतजार करते हैं और ऐसा मौका मिलते ही वो खुद ही सौदे पूरे कर देते हैं, भले ही आप सिस्टम पर बैठे हों या न बैठे हों। इसके साथ ही आपको बाजार के रियल टाइम या फिर पिछले आंकड़े लगातार मिलते हैं। आप इसके साथ अपने सौदों पर नजर रख सकते हैं और उनकी जानकारी पा सकते हैं। अगर आप ट्रेडिंग एपीआई के बारे में और जानकारी पाना चाहते हैं और इसका फायदा उठाना चाहते तो आप 5paisa एप डाउनलोड कर सकते हैं, वहां इससे जुड़ी सभी जानकारियां पा सकते हैं।
क्यों है 5paisa का ट्रेडिंग एपीआई खास?
5paisa का ट्रेडिंग एपीआई आपको कई सुविधाएं देता है और आपको तकनीक की मदद से ऑटोमेटेड ट्रेडिंग की दुनिया का हिस्सा बनाता है, लेकिन इसके लिए आपसे कोई शुल्क नहीं लिया जाता। 5paisa अल्गो ट्रेडिंग के लिए डेवलपर एपीआई का इस्तेमाल मुफ्त है। वहीं 5paisa ऑटोमेटेड ट्रेडिंग डेवलपर एपीआई की मदद से बेहद आसानी के साथ आप अपने ऑर्डर बाजार में भेज सकते हैं, बाजार के आंकड़े और रिपोर्ट्स को रियल-टाइम देख सकते हैं।
डेवलपर्स एपीआई अल्गो ट्रे़डिंग सेटअप के लिए आने वाली अधिकांश चुनौतियों को हल करता है। 5paisa के साथ आप अपने ट्रेड को ऑटोमैटिक तरीके से पूरा कर सकते हो जिसमें आप खुद ही exit ऑटोमेटेड ट्रेडिंग और entry की शर्ते तय कर सकते हैं। इसकी मदद से आपको पुराने आंकड़े, बाजार की जानकारियां और real-time data मिलता है।
Explainer : क्या है अल्गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?
सेबी ने अल्गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.
सेबी ने हाल में ही अल्गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST
हाइलाइट्स
पिछले सप्ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्टॉक की खरीद-फरोख्त पूरी तरह कंप्यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.
नई दिल्ली. अग्लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्सेप्ट है लेकिन इसका इस्तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.
अल्गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.
कैसे होती है अल्गो ट्रेडिंग
अल्गो ट्रेडिंग में स्टॉक की खरीद-फरोख्त पूरी तरह कंप्यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.
इस सिस्टम का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्टम किसी स्टॉक की भविष्य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.
क्यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्द ही अल्गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
क्या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में स्टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.
सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्य किसी माध्यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.
क्या सच में फायदेमंद है अल्गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्गो ट्रेडिंग का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्यादा ब्रोकर इसी का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्टॉक की हिस्ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.
क्यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्मक प्रभाव में कमी : अल्गो ट्रेडिंग में किसी स्टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्यादा रणनीति का सृजन : कंप्यूटर एल्गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्यादा रिटर्न कमाने के कई रास्ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.
इसके नुकसान भी हैं
-अल्गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्योंकि बाजार की वास्तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
अब ‘अल्गो ट्रेडिंग’ को रेगुलेट करने की तैयारी, SEBI लाया नए नियम, जानिए इससे जुड़ी सभी काम की बातें
भारत में अल्गो ट्रेडिंग का दौर 2008 में ही शुरू हो गया था, लेकिन इसका फायदा वे ही लोग उठाते रहे हैं जो कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग में दक्ष हों. रिटेल में स्टॉक खरीदने-बेचने का काम लोगों ने कुछ ही साल पहले शुरू किया है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: Ravikant Singh
Updated on: Dec 14, 2021 | 1:52 PM
अल्गो ट्रेडिंग का नाम भले नया हो, लेकिन ट्रेडिंग के कद्रदान इसका फायदा बहुत पहले से उठा रहे हैं. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया या SEBI अब इसे रेगुलेट करने की तैयारी में है. एक आंकड़ा बताता है कि भारत में होने वाली ट्रेडिंग का तकरीबन 50 फीसदी हिस्सा अल्गो ट्रेडिंग से ही संपन्न हो रहा है. ऐसे में सेबी की निगाह पड़ना लाजिमी है. दरअसल, अल्गो ट्रेडिंग का मतलब अल्गोरिदम से जुड़ा है जो पूरी तरह से कंप्यूटर से जरिये पूरा किया जाता है. अल्गो ट्रेडिंग में भी यही काम होता है. इसमें कंप्यूटर के जरिये ही स्टॉक की खरीद-बेच की जाती है. इसका दूसरा नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग भी है. आइए इस नए प्रकार की ट्रेडिंग के बारे में जानते हैं.
अल्गो ट्रेडिंग कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से की जाती है. कंप्यूटर में पहले से पैरामीटर्स, स्टॉक खरीद-बिक्री के निर्देश, मार्केट का पैटर्न और शर्तें फीड की गई रहती हैं. बस आपको स्टॉक खरीदने या बेचने के लिए कंप्यूटर का बटन दबाना होता है और काम पूरा हो जाता है. भारत में अल्गो ट्रेडिंग का दौर 2008 में ही शुरू हो गया था, लेकिन इसका फायदा वे ही लोग उठाते रहे हैं जो कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग में दक्ष हों. रिटेल में स्टॉक खरीदने-बेचने का काम लोगों ने कुछ ही साल पहले शुरू किया है.
कैसे होती है अल्गो ट्रेडिंग
अल्गो ट्रेडिंग शुरू करने के पीछे मकसद ये था कि ट्रेडिंग में समय बचे और अधिक तेजी से बिजनेस हो. अगर आप खुद किसी स्टॉक को सेलेक्ट करें और खरीदें या बेचें तो उसमें अधिक समय लगेगा जबकि कंप्यूटर यह काम कुछ ही सेकंड में पूरा कर देता है. अल्गो ट्रेडिंग में कोई ब्रोकर कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिये शेयर पहले ही सेलेक्ट कर लेता है और बाजार खुलते ही ट्रेडिंग शुरू हो जाती है. अल्गो ट्रेडिंग का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है. इसलिए ट्रेडिंग की हर जानकारी स्टॉक एक्सचेंज के साथ अपडेट होती रहती है.
अल्गो से ट्रेडिंग पूरी होने के पहले रिटेल ट्रेडर का या तो अपने ब्रोकर को फोन करना होता है या ब्रोकर के ऑफिस में जाना होता है. अल्गो ट्रेडिंग में ही मोबाइल ट्रेडिंग का प्रोसेस भी आता है जिसमें मोबाइल के जरिये स्टॉक खरीदे या बेचे जाते हैं. इसमें मोबाइल ऐप के द्वारा ऑर्डर दिए जाते हैं. अल्गो ट्रेडिंग का एक एडवांस्ड वर्जन भी है जिसमें बिना किसी इंसानी दखलंदाजी के काम होता है.
सेबी की क्यों लगी निगाह
सेबी ही स्टॉक एक्सचेंज का रेगुलेटर है और यही सभी ब्रोकर टर्मिनल को मॉनिटर करता है. लेकिन ट्रेडर्स के अल्गो प्रोग्राम के लिए एक्सचेंज की कोई मंजूरी नहीं ऑटोमेटेड ट्रेडिंग चाहिए होती है. अल्गो की मॉनिटरिंग के लिए कोई रूल भी नहीं है. लेकिन सेबी को अब यह लगता है कि बिना रेगुलेशन वाले अल्गो से मार्केट या स्टॉक एक्सचेंज को खतरा हो सकता है.
बिना रेगुलेशन वाले अल्गो से मार्केट में छेड़छाड़ की भी आशंका है. यह भी हो सकता है कि जिन अल्गो की मॉनिटरिंग नहीं होती, वे ग्राहकों को भारी मुनाफा या रिटर्न का झांसा देकर फंसा दें. ट्रेडिंग फेल होने पर ग्राहकों का भारी नुकसान हो सकता है. 2015 में ऐसा एक विवाद हो चुका है जिसमें पता चला कि एनएसई ने कुछ चुनिंदा अल्गो ट्रेडर्स को बिजनेस में तरजीह दी थी. इन वजहों को देखते हुए सेबी अल्गो ट्रेडिंग को रेगुलेट करने की तैयारी में है.