एक मुद्रा कैरी ट्रेड की मूल बातें

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है
इस संबंध में जम्मू-कश्मीर हैंडीकैप वेलफेयर एसोसिएशन के एक सदस्य अजय कुमार शर्मा कहते हैं कि 60 प्रतिशत दिव्यांग हुकुमचंद से बात करने पर पता लगा कि उन्हें अभी मात्र 1000 रू ही मासिक पेंशन दी जा रही है, जो पर्याप्त नहीं है. ऐसे में एसोसिएशन इसे बढ़ाकर 6000 रुपए की मांग करता अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है है. ताकि ऐसे लोग सम्मानजनक जीवन जी सकें.

Horoscope For 3 December: इस राशि वालों की खुलने वाली है किस्मत, जानिए अपना शुभ रंग और उपाय

कैसा रहेगा आपका पूरा दिन ? पढ़ाई, प्रेम, विवाह, व्यापार जैसे मोर्चों पर कैसी रहेगी ग्रहदशा ? क्या वैवाहिक जीवन में क्लेश से मिलेगी निजात ? पढ़ाई में बच्चों का मन नहीं लग रहा, क्या करें उपाय ? जानिए मध्य भारत के ज्योतिषाचार्य शिव मल्होत्रा (Shiv Malhotra) से आज का राशिफल.

मेष राशि
शुभ रंग: हरा रंग
भाग्य: 81%
आज का दिन अच्छा रहेगा सभी सोचें काम पूर्ण होंगे, दांपत्य जीवन में नोकझोंक हो सकती है, प्रॉपर्टी एवं वाहन संबंधित विवाद से आज बचे, छोटे भाई-बहन एवं कर्मचारी का सहयोग मिलेगा, यात्रा हो सकती है, नृत्य डांस से जुड़े जातक आज लाभान्वित होंगे,लव लाइफ के लिए समय ठीक रहेगा.
उपाय: अपने इष्टदेव को आटे के हलवा का भोग लगाएं और खुद भी खा कर निकले.

अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस : शारीरिक और मानसिक होने से ज्यादा हमारी सोच में है दिव्यांगता

हर वर्ष 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांग व्यक्तियों का दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। इसकी शुरुआत 1992 मे संयुक्त राष्ट्रीय संघ द्वारा की गई थी। यह दिवस दिव्यांगों के प्रति करुणा, आत्मसम्मान और उनके जीवन को बेहतर बनाने अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है के उद्देश्य से मनाया जाता है।

अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस का एक और उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में विकलांग लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देना भी है। इसके अलावा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में उनके बारे में जागरूकता बढ़ाना है। संयुक्त राष्ट्र में दिव्यांगों के अधिकारों का कन्वेंशन 2006 में अपनाया गया।

संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 1983 से 1992 तक उनके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के दशक की घोषणा की थी। ताकि वह सरकार और संगठनों को विश्व अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है कार्यक्रम में अनुशासित गतिविधियों को लागू करने के लिए एक लक्ष्य प्रदान कर अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है सकें। इसके बाद 1992 से हर वर्ष 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय विकलांग (दिव्यांग) दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

चीन समुद्री सीमा में भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है : पेंटागन

NewDelhi : एलएसी के बाद अब चीन समुद्री सीमा में भी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है. हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी भारतीय नौसेना के लिए परेशानी का कारण बन रही है. अमेरिका द्वारा हाल ही में चीन को लेकर डिफेंस एनुअल रिपोर्ट जारी की गयी है. पेंटागन की तरफ से जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2035 तक चीन के पास 1500 से ज्यादा खतरनाक परमाणु हथियार होंगे. रिपोर्ट में उस जिबूती बेस का भी जिक्र किया गया है, जहां से चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा सकता है.

एनडीटीवी ने अपनी एक रिपोर्ट में इसी बेस की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की थीं, जिनमें देखा गया था कि यहां चीन ने एक विशालकाय जहाज तैनात किया है, जो युद्ध के नजरिए से चीन की सेना के लिए काफी अहम है. अब अमेरिका की चीन को लेकर इस रिपोर्ट में भी बताया गया है कि इस साल मार्च में FUCHI II क्लास का एक समुद्री जहाज जिबूती बेस पर मौजूद था, जिससे ये साबित होता है कि ये बेस पूरी तरह से ऑपरेशनल है.

हिंद महासागर में चीनी घुसपैठ के मामले असामान्य नहीं हैं

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत पर अपने ताजा बयान में भारतीय नौसेना ने इसका जिक्र किया है. बुधवार 30 नवंबर को नौसेना द्वारा कहा गया कि हिंद महासागर में चीनी घुसपैठ के मामले असामान्य नहीं हैं. नेवी ने कहा कि वो इस रणनीतिक क्षेत्र में देश के हितों की रक्षा के अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है लिए प्रतिबद्ध है. साउदर्न नेवल कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल एम ए हंपीहोली ने कहा कि भारतीय नौसेना सैटेलाइट्स और समुद्री विमानों की मदद से इस क्षेत्र में नजर रखती है. इससे पहले चीन के जासूसी जहाज ने लगातार दो बार हिंद महासागर क्षेत्र में घुसपैठ की थी.

पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी सेना की तरफ से जिबूती में जो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है, उसमें किसी भी एयरक्राफ्ट कैरियर और सबमरीन को तैनात किया जा सकता है. चीन पिछले काफी वक्त से लगातार एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में जुटा है, जिनसे तमाम तरह के लड़ाकू विमानों को ऑपरेट किया जा सके. अभी चीन के पास तीन ऐसे एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, जिनकी अलग-अलग क्षमताएं हैं. वहीं अगर भारतीय नौसेना की बात करें तो यहां सिर्फ दो ही बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. जिनमें एक रूस में बना आईएनएस विक्रमादित्य है और दूसरा आईएनएस विक्रांत है. जिसे पूरी तरह से ऑपरेशनल होने में अभी कुछ महीने और लग सकते हैं.

हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत के शांति प्रयास

हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत द्वारा किए जा रहे शांति प्रयास महत्वपूर्ण हैं। विश्व स्तर पर इन प्रयासों की सराहना हो रही अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है है। इस मसले पर चीन अकेला पड़ता जा रहा है। अमेरिका ने इस क्षेत्र में भारत के साथ साझा प्रयास करने का संकल्प व्यक्त किया। इसके बाद आसियान देशों का भी भारत को समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गणतंत्र दिवस पर आसियान देशों को आमंत्रित कर चुके हैं। आसियान के दस राष्ट्राध्यक्ष गणतंत्र दिवस में मुख्य समारोह के गवाह बने थे। यह विदेश नीति का नायाब प्रयोग था। इसने आसियान के साथ भारत के आर्थिक, राजनीतिक, व्यापारिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्तों का नया अध्याय शुरू किया था। महत्वपूर्ण यह था कि सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भारत के निमंत्रण को स्वीकार किया। एक्ट ईस्ट की नीति कारगर ढंग से आगे बढ़ी। चीन विश्वास के लायक नहीं है। इसलिए मोदी ने आसियान देशों के साथ रिश्ते सुधारने पर बल दिया। मोदी की इस नीति से चीन के वर्चस्ववादी रुख को धक्का लगा। इनमें से अनेक देश चीन की विस्तारवादी नीति को पसंद नहीं करते। यह बात आसियान में सामान्य सहमति का विषय है।

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केवल इसके लिए किसी को पहल करने की आवश्यकता थी। मोदी ने साहस के साथ पहल की। भारत और आसियान देशों के बीच अति प्राचीन सामाजिक व सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं। कई आसियान देशों में बौद्ध बहुसंख्यक हैं। सिंगापुर में तो नब्बे प्रतिशत आबादी बौद्धों की है। इसके अलावा इन सभी देशों में रामकथा व्यापक रूप से प्रचलित है। यहां के राजकीय प्रतीकों में रामायण से संबंधित चिह्न मिलते हैं। इंडोनेशिया के मुसलमान भी रामायण संस्कृति पर विश्वास करते हैं। उन्होंने उपासना पद्धति बदली है, लेकिन अपनी सांस्कृतिक विरासत को नहीं छोड़ा। रामलीला का मंचन वहां लोकप्रिय है। ये सब भारत और आसियान देशों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है बीच रिश्तों को मजबूत बनाने वाले हैं।

एक्ट ईस्ट नीति की एक अन्य कारण से भी आवश्यकता थी। वह यह कि आसियान का विस्तार भारत के पूर्वोत्तर राज्यों अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है की सीमा तक हो गया था। म्यांमार, कम्बोडिया,लाओस और वियतनाम आसियान के सदस्य बने थे। इससे आसियान भारत के ज्यादा करीब हो गया। स्थापना के समय भारत से इसकी सीमा दूर थी। तब इंडोनेशिया, मलेशिया,फिलीपींस, थाईलैंड, सिंगापुर इसके सदस्य थे। ब्रुनेई, वियतनाम,म्यांमार बाद में सदस्य बने थे। इसीलिए मोदी ने आसियान को लेकर नीति में बदलाव किया।

कब से कब तक मिली भारत को G20 की अध्यक्षता ?

• भारत 1 दिसंबर, 2022 से अगले साल 30 नवंबर तक एक वर्ष के लिए G20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत देशभर में कई स्थानों पर 32 विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 200 बैठकें आयोजित करेगा। अगले साल आयोजित होने वाला G20 शिखर सम्मेलन भारत द्वारा आयोजित की जाने वाली सर्वोच्च-प्रोफाइल अंतर्राष्ट्रीय सभाओं में से एक होगा।

• G20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी मंच है। इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, यूएसए और यूरोपीय संघ शामिल हैं। सामूहिक रूप से, G20 का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 75 प्रतिशत और विश्व जनसंख्या का दो-तिहाई हिस्सा है, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच बनाता है।

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