वर्चुअल मनी

Sat, 17 Feb 2018 12:03 AM
Explained: आ गई RBI की वर्चुअल करेंसी, 1 नवंबर से चलेगा Digital RUPEE, नोटों की तरह होगा, बिना इंटरनेट भी होगा पेमेंट
RBI Digital Rupee: रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर से बड़े ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले डिजिटल रुपी के लिए कुल 9 बैंकों का चयन किया है. डिजिटल रुपी (Digital Rupee) का इस्तेमाल बड़े पेमेंट और सेटलमेंट के लिए किया जाएगा.
डिजिटल रुपी मौजूदा करेंसी नोट की व्यवस्था को खत्म करने के लिए नहीं आ रहा है. बल्कि लोगों को लेनदेन में एक और ऑप्शन देगा. (Photo: Zeebiz)
Digital Rupee: आखिरकार अपनी डिजिटल करेंसी यानि वर्चुअल करेंसी Digital RUPEE की शुरुआत हो गई है. 1 नवंबर 2022 से होल्सेल ट्रांजैक्शन में इसका इस्तेमाल होगा. हालांकि, अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है. डिजिटल रूपी की शुरुआत होने के साथ ही हमें भी यह वर्चुअल मनी समझना जरूरी है कि ये क्या है और कैसे काम करेगा? Digital Rupee अब आपकी पॉकेट में नहीं होगा. लेकिन, वर्चुअल वर्ल्ड में इसका इस्तेमाल आपके जरिए ही होगा. ये नोट की तरह जेब में रखने के लिए नहीं मिलेगा. प्रिंट भी वर्चुअल मनी नहीं होगा. बल्कि टेक्नोलॉजी के जरिए आपके काम आएगा. जैसे- क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Cryptocurrency Bitcoin) का इस्तेमाल होता है. सरकार इसे पूरी तरह से लीगल टेंडर बनाएगी और मानेगी भी. इसमें निवेश भी आसान होगा. अच्छी बात ये है कि इसे हमारी सरकार, RBI रेगुलेट करेगा. इसलिए पैसा डूबने का खतरा नहीं होगा.
कब तक आएगा डिजिटल Rupee?
रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर से बड़े ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले डिजिटल रुपी के लिए कुल 9 बैंकों का चयन किया है. डिजिटल रुपी (Digital Rupee) का इस्तेमाल बड़े पेमेंट और सेटलमेंट के लिए किया जाएगा. रिजर्व बैंक के मुताबिक, इसका इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटीज यानि सरकारी बॉन्ड की खरीद बिक्री पर होने वाले निपटारे की रकम के तौर पर होगा. रिजर्व बैंक ने ये भी कहा है वर्चुअल मनी कि महीने भर के भीतर रिटेल ट्रांजैक्शन के लिए भी इसको इस्तेमाल लाया जाएगा.
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के जाल से बचाने के लिए सेंट्रल बैंक (RBI) ने अपनी डिजिटल करेंसी इंट्रोड्यूस की है. इसका नाम CBDC- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है. डिजिटल करेंसी का फायदा ये होगा कि अब नकदी का सर्कुलेशन कम होगा और वर्चुअली ट्रांजैक्शन पूरे होंगे. इससे ट्रांजैक्शन कॉस्ट में कमी आएगी. डिजिटल रुपी में फिजिकल नोट वाले सारे फीचर होंगे. लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी. अभी तक की योजना के मुताबिक, डिजिटल करेंसी के लिए अलग से बैंक खाता खुलवाने की जरूरत नहीं होगी.
कैसे काम करेगा Digital Rupee?
डिजिटल रूप में जैसे हम अपने बैंक अकाउंट में कैश देखते हैं, वॉलेट में अपना बैलेंस चेक करते हैं. कुछ ऐसे ही इसे भी देख और रख सकेंगे. डिजिटल रूपी को दो तरह से लॉन्च किया जाएगा. पहला वर्चुअल मनी होलसेल ट्रांजैक्शन यानि बड़े ट्रांजैक्शन के लिए, जिसकी शुरुआत 1 नवंबर से होगी. वहीं, दूसरा रिटेल में आम पब्लिक के लिए होगा. CBDC ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा. पेपर करेंसी की तरह इसका लीगल टेंडर होगा. आप जिसे पेमेंट करना चाहेंगे उसे इससे पेमेंट कर सकेंगे और उसके अकाउंट में ये पहुंच जाएगी. CBDC इलेक्ट्रॉनिक रूप में अकाउंट में दिखाई देगा. CBDC को पेपर नोट के साथ बदला जा सकेगा. कैश के मुकाबले ट्रांजैक्शन आसान और सुरक्षित होगा. ये बिल्कुल कैश की तरह काम करेगी, लेकिन टेक्नोलॉजी के जरिए ट्रांजैक्शन पूरा होगा. एक तरह से इसे इलेक्ट्रॉनिक कैश कह सकते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है. इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता. ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं. लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है. सरकार की मंजूरी होगी. डिजिटल रुपी की क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी. जैसे बिटकॉइन की होती है. सबसे वर्चुअल मनी खास बात है RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर वर्चुअल मनी फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी. जिस तरह क्रिप्टो में करेंसी का भाव घटता-बढ़ता है, डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा. फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे. लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी.
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लोन एप से इकट्ठा रकम की क्रिप्टोकरेंसी से मनी लॉन्ड्रिंग का चीन ने वर्चुअल चक्रव्यूह बनाया है। केंद्रीय एजेंसियों की जांच क्रिप्टो एक्सचेंज से आगे नहीं बढ़ पा रही है। ईडी ने देश में एक्सचेंज चलाने वाली 10 से ज्यादा कंपनियाें की भूमिका को संदिग्ध माना है। अब तक वजीरएक्स, वाेल्ट व कॉइनस्विच कुबेर वर्चुअल मनी पर छापेमारी की है। इनमें किसी ने भी डेटाबेस का रिमोट एक्सेस ईडी को नहीं दिया।
यह पता नहीं चला कि इनकी कितनी क्रिप्टो एसेट है और इसमें से कितने की मनी लॉन्ड्रिंग चीन को हुई। हालांकि कंपनी के अधिकारियाें से पूछताछ और इनसे बरामद दस्तावेजों से विदेशी मुद्रा कानून (फेमा) के उल्लंघन का पता चला है। इन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग के मकसद से फ्लिपवोल्ट जैसे वॉलेट का इस्तेमाल किया। बता दें कि फ्लिपवोल्ट क्रिप्टोकरेंसी का एक वॉलेट है, जिससे बिना केवाईसी के लेनदेन किया जाता है।