जब शेयर मार्केट गिरता है

नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.
जब शेयर बाजार गिरता है तो कहां चला जाता है आपका पैसा, जानें इसका जब शेयर मार्केट गिरता है फंडा
बीएसई पर पिछले सात कारोबारी दिनों में कंपनियों का मूल्यांकन 17 लाख करोड़ से ज्यादा घट गया है.
शेयर बाजार में वास्तविक तौर पर कोई पैसा नहीं होता, बल्कि यह कंपनियों के मूल्यांकन के लिहाजा से तय होता है. अगर किसी कंपनी का भविष्य बेहतर नजर आता है, तो उसका मूल्यांकन भी तेजी से चढ़ने लगता है. इसी तरह, स्टॉक की खरीद-फरोख्त के साथ उसकी कीमतों में भी उतार-चढ़ाव आता रहता है.
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- Last Updated : January 27, 2022, 15:31 IST
नई दिल्ली. अक्सर हमारे सामने ऐसी खबरें आती हैं कि शेयर बाजार में गिरावट से निवेशकों के लाखों करोड़ डूबे. पर आपने सोचा है कि डूबकर ये पैसे किसके पास जाते हैं. क्या आपको होने वाला नुकसान किसी और के पास मुनाफे के रूप में जाता है. जवाब है नहीं, ये पैसा गायब हो जाता है. जी, सही पढ़ा आपने और यह खबर आपको बाजार के पर्दे के पीछे की पूरी कहानी बताएगी.
दरअसल, किसी शेयर का मूल्य उसकी कंपनी के प्रदर्शन और घाटे-मुनाफे के आकलन पर टिका होता है. अगर निवेशकों और बाजार विश्लेषकों को लगता है कि भविष्य में कोई कंपनी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, तो उसके शेयरों की खरीदारी में तेजी आ जाती है और बाजार में उसकी मांग भी बढ़ने लगती है. इसी तरह, अगर किसी कंपनी के बारे में यह अनुमान लगे कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा या कारोबार में सुस्ती आएगी तो उसके शेयरों का खेल बिगड़ जाता है और कम कीमत पर बिकवाली शुरू हो जाती है. चूंकि, बाजार डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले जब शेयर मार्केट गिरता है पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है.
आर्थिक मंदी में गिरता क्यों है शेयर बाजार? मंदी में कैसी होनी चाहिए निवेश की रणनीति
लम्बी अवधि के निवेशक जानते हैं कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं रह सकती.
एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं? गिरावट में पैसा लगाना सुरक्षित रहेगा क्या? लम्बी अवधि के निवेशक जानते हैं कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं रह सकती, जब मंदी हटेगी तो स्टॉक मार्केट भागेगी.
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- Last Updated : July 29, 2022, 16:51 IST
एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं?
प्रॉफिट मार्जिन नहीं बढ़ता है तो शेयरों के भाव भी गिरने लगते हैं.
शेयर बाजार में किसी भी कारण गिरावट आती है तो शेयर खरीदने का अच्छा मौका होता है.
नई दिल्ली. अगर शेयर बाजार ऊपर भाग रहा हो तो भी निवेशक डरे रहते हैं कि खरीदें या नहीं, क्योंकि मार्केट में किसी भी समय गिरावट आ सकती है. और अगर बाजार लगातार गिर रहा हो तो भी निवेशक डरते हैं, पता नहीं कहां तक गिरेगा? जब आर्थिक मंदी के हालात हों तो बाजार की गिरावट का कोई स्तर नहीं होता. मंदी की भी कोई निश्चित अवधि नहीं होती.
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जानिए अगले हफ्ते कैसा रहेगा शेयर बाजार
इस हफ्ते के बड़े इवेंट
इस सप्ताह के दौरान भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) सुर्खियों में थी, जो 7.79% के साथ 8 साल के उच्च स्तर पर आ गई। यह पिछले महीने के आंकड़े 6.95% से काफी अधिक थी। आरबीआई ने Q1FY23 मुद्रास्फीति को 6.3% पर अनुमानित किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से आगामी जून एमपीसी बैठक में संशोधन होगा। इस मुद्रास्फीति को देखते हुए, रेपो दर में काफी वृद्धि की गुंजाइश है।
1.5 से 2 फीसद तक बढ़ सकती हैं ब्याज दरें
आरबीआई ने पहले ही एक आश्चर्यजनक घोषणा में रेपो दरों (Repo Rates) में 40 बीपीएस की बढ़ोतरी की है और यह भी संकेत दिया है कि वे रेपो दर को पूर्व-कोविड स्तरों पर वापस लाने का इरादा रखते हैं। यह संकेत देता है कि लगभग 75 बीपीएस की एक और बढ़ोतरी तय है। इसके अलावा, यूएस फेड (US Fed) सहित अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने प्रमुख ब्याज दर में लगभग 2% से 2.5% की वृद्धि का संकेत दिया है। इसलिए समानता के लिए, हमारे रेपो को 6% -6.5% के बीच कहीं होना चाहिए। इस प्रकार अगले 12 से 18 महीनों में लगभग 150-200 बीपीएस की अतिरिक्त दर वृद्धि की आवश्यकता है। इसलिए जून की बैठक में रेपो में न्यूनतम 25 बीपीएस की बढ़ोतरी की जाएगी।
टेक्निकल आउटलुक
निफ्टी-50 इस सप्ताह जोरदार गिरावट के साथ बंद हुआ और भारतीय बाजार के साथ ही प्रमुख वैश्विक सूचकांक शॉर्ट टर्म में ओवरसोल्ड (Oversold) हो गए। निफ्टी वर्तमान में 15,700 के मजबूत सपोर्ट जोन (Support Zone) के आसपास ट्रेड कर रहा है, जो नीचे की ओर झुके हुए चैनल का निचला सिरा है। बैंक निफ्टी इंडेक्स (Bank Nifty index) भी मार्च 2020 के निचले स्तर से बढ़ते ट्रेंड लाइन सपोर्ट के आसपास ट्रेड कर रहा है। इसलिए निफ्टी और बैंक निफ्टी में तत्काल उछाल से इंकार नहीं किया जा सकता है। अत्यधिक आक्रामक ट्रेडर्स 15,700 के ठीक नीचे एक सख्त स्टॉप लॉस (Stop Loss) बनाए रखते हुए लॉन्ग पोजीशन ले सकते हैं। निफ्टी के लिए तत्काल प्रतिरोध अब 16,600 पर रखा गया है।
इस सप्ताह के लिए उम्मीदें
नतीजों का सीजन (Quarterly Results) अपने आखिरी चरण के करीब है, इसलिए दलाल स्ट्रीट अपनी दिशा निर्धारित करने के लिए वैश्विक संकेतों पर ध्यान केंद्रित करेगा। भारत में, WPI के आंकड़े जारी होने की उम्मीद है और बहुप्रतीक्षित LIC IPO को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया जाएगा। मौजूदा बाजार परिदृश्य को देखते हुए, यह संभावना है कि एलआईसी डिस्काउंट पर या अपने ऊपरी बैंड के करीब लिस्ट हो। इसके अलावा, अगर अगले सप्ताह कोई सकारात्मक उत्प्रेरक नहीं होता है, तो सूचकांक के दबाव में रहने का अनुमान है, क्योंकि बाजारों ने 'सेल ऑन राइज' मानसिकता को अपनाया है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे साइडलाइन रहें, क्योंकि ऐसे कठिन समय में नीचे मछली पकड़ने के बजाय तूफान खत्म होने का इंतजार करना बेहतर होता है।
जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर जब शेयर मार्केट गिरता है 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
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ज्यादातर बड़ी कंपनियां लाल
आज के कारोबार में बाजार को कभी भी संभलने का मौका नहीं मिला. सेंसेक्स की ज्यादातर कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा. 30 कंपनियों में से महज 03 सन फार्मा, टाटा स्टील और आईटीसी ही फायदे में रहे. पावरग्रिड कॉरपोरेशन के शेयरों में तो 7.93 फीसदी की गिरावट आई. इसके अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा में तीन फीसदी की गिरावट आई. एसबीआई, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, एनटीपीसी, एचडीएफसी, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, टाइटन, आईसीआईसीआई बैंक जैसे बड़े शेयरों में 2-2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई. कारोबार समाप्त होने के बाद सेंसेक्स 1,020.80 अंक (1.73 फीसदी) गिरकर 58,098.92 अंक पर बंद हुआ. निफ्टी 302.45 अंक (1.72 फीसदी) के नुकसान के साथ 17,327.35 अंक पर रहा.
ऐसा रहा है इस सप्ताह का हाल
इससे पहले गुरुवार को सेंसेक्स 337.06 अंक (0.57 फीसदी) के नुकसान के साथ 59,119.72 अंक पर बंद हुआ था. निफ्टी 88.55 अंक (0.50 फीसदी) गिरकर 17,629.80 अंक पर रहा था. बुधवार को कारोबार समाप्त होने के बाद सेंसेक्स 262.96 अंक (0.44 फीसदी) गिरकर 59,456.78 अंक पर और निफ्टी 97.जब शेयर मार्केट गिरता है 90 अंक (0.55 फीसदी) लुढ़ककर 17,718.35 अंक पर रहा था. मंगलवार को सेंसेक्स 578.51 अंक (0.98 फीसदी) की बढ़त के साथ 59,719.74 अंक पर और निफ्टी 194 अंक (1.10 फीसदी) मजबूत होकर 17,816.25 अंक पर बंद हुआ था. सप्ताह के पहले दिन सोमवार के कारोबार में उथल-पुथल के बाद बाजार ने शानदार रिकवरी की जब शेयर मार्केट गिरता है थी. एक समय बाजार ठीक-ठाक गिरावट में था, लेकिन कारोबार समाप्त होने के बाद सेंसेक्स 300.44 अंक यानी 0.51 फीसदी मजबूत होकर 59,141.23 अंक पर बंद हुआ था. निफ्टी 91.40 अंक (0.52 फीसदी) की बढ़त लेकर 17,622.25 अंक पर रहा था.