ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए प्लेटफार्म

किस ब्रोकर का उपयोग करना है

किस ब्रोकर का उपयोग करना है
प्रतिकारात्मक तस्वीर

भास्कर एक्सप्लेनर: आप शेयर ट्रेडिंग करते हैं तो यह जानना आपके लिए जरूरी है; एक सितंबर से बदल रहा है मार्जिन का नियम

शेयर बाजार में एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं। अब वे ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर आशंकित है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है यह नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा?

सबसे पहले, यह मार्जिन क्या है?

  • शेयर मार्केट की भाषा में अपफ्रंट मार्जिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है। यह वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है।
  • वास्तव में यह राशि या सिक्योरिटी, बाजारों की ओर से ब्रोकरेज से अपफ्रंट वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। यह इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग से पहले वसूली जाती है।
  • इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर ब्रोकरेज हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह मार्जिन ब्रोकरेज हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।
  • इसे ऐसे समझिए कि निवेशक ने एक लाख रुपए के स्टॉक्स खरीदे हैं। इसके बाद भी ब्रोकरेज हाउस उसे एक लाख से ज्यादा के स्टॉक्स खरीदने की अनुमति देते थे।
  • अपफ्रंट मार्जिन में दो मुख्य बातें शामिल होती हैं, पहला वैल्यू एट रिस्क (वीएआर) और दूसरा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम)। इसी के आधार पर किसी निवेशक की मार्जिन भी तय होती है।

अब तक क्या है मार्जिन लेने की प्रक्रिया?

  • मार्जिन दो तरह की होती है। एक तो है कैश मार्जिन। यानी आपने जितना पैसा आपके ब्रोकर को दिया है, उसमें कितना सरप्लस है, उतने की ही ट्रेडिंग आप कर सकते हैं।
  • दूसरी है स्टॉक मार्जिन। इस प्रक्रिया में ब्रोकरेज हाउस आपके डीमैट अकाउंट से स्टॉक्स अपने अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं और क्लियरिंग हाउस के लिए प्लेज मार्क हो जाती है।
  • इस सिस्टम में यदि कैश मार्जिन के ऊपर ट्रेडिंग में कोई नुकसान होता है तो क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क किए स्टॉक को बेचकर राशि वसूल कर सकता है।

नया सिस्टम किस तरह अलग होगा?

  • सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है। अब तक प्लेज सिस्टम में निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी। वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे।
  • नए सिस्टम में स्टॉक्स आपके अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इससे ब्रोकर के अकाउंट में स्टॉक्स नहीं जाएंगे। मार्जिन तय करना आपके अधिकार में रहेगा।
  • प्लेज ब्रोकर के फेवर में मार्क हो जाएगी। ब्रोकर को अलग डीमैट अकाउंट खोलना होगा- ‘टीएमसीएम- क्लाइंट सिक्योरिटी मार्जिन प्लेज अकाउंट’। यहां टीएमसीएम यानी ट्रेडिंग मेंबर क्लियरिंग मेंबर।
  • तब ब्रोकर को इन सिक्योरिटी को क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के फेवर में री-प्लेज करना होगा। तब आपके खाते में अतिरिक्त किस ब्रोकर का उपयोग करना है मार्जिन मिल सकेगी।
  • यदि मार्जिन में एक लाख रुपए से कम का शॉर्टफॉल रहता है तो 0.5% पेनल्टी लगेगी। इसी तरह एक लाख से अधिक के शॉर्टफॉल पर 1% पेनल्टी लगेगी। यदि लगातार तीन दिन मार्जिन शॉर्टफॉल रहता है या महीने में पांच दिन शॉर्टफॉल रहता है तो पेनल्टी 5% हो जाएगी।

नई व्यवस्था में आज खरीदो, कल बेचो (बीटीएसटी) का क्या होगा?

पूंजी में बढ़ोतरी करने के लिए सही ब्रोकर का करें चुनाव

ज्यादातर निवेशकों के पास बाजार को ट्रैक करने के लिए वक्त और संसाधनों की कमी होती है.

आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट और हेड (प्रोडक्ट्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन) विनीत अरोड़ा के मुताबिक, 'अगर आप फोन पर ऑर्डर प्लेस करना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि ब्रोकर आपकी कॉल को सुने और उस पर प्रतिक्रिया दे।' दूसरा, आपको यह भी समझने की जरूरत है कि क्या आप अपने निवेश संबंधी फैसले खुद ले सकते हैं या इनके लिए आपको किसी की मदद चाहिए। ज्यादातर निवेशकों के पास बाजार को ट्रैक करने के लिए वक्त और संसाधनों की कमी होती है। ऐसे में लोग चाहते हैं कि उन्हें निवेश संबंधी फैसले करने में सलाह दी जाए। ऐसे मामले में यह जरूरी हो जाता है कि आप ऐसे ब्रोकिंग हाउस के पास जाएं जिसके पास अच्छी रिसर्च टीम हो और जो आपकी जरूरतों को समझ सके। शेयरखान के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट आर कल्याणरमण के मुताबिक, 'ब्रोकर के पास यह क्षमता होनी चाहिए कि वह बिना किसी पक्षपात के रिसर्च और सेवाएं मुहैया करा सके।'

सेवा देने की क्षमता: अपने ब्रोकर का चयन करने के लिए यह एक बेहद जरूरी चीज है। जिस ब्रोकिंग फर्म का आप चयन कर रहे हैं, उसके पास आपकी जरूरतों के हिसाब से सेवाएं देने और आपकी जरूरतें समझने की क्षमता होनी चाहिए। अगर आप इलेक्ट्रॉनिक कॉपी के बजाय बिलों की फिजिकल कॉपी में ज्यादा सुविधाजनक महसूस किस ब्रोकर का उपयोग करना है करते हैं तो ब्रोकिंग फर्म ऐसी होनी चाहिए जो आपको बिल की फिजिकल कॉपी मुहैया करा सके। अगर शेयरों की बिक्री के बाद आप चेक चाहते हैं तो फर्म को इसे उस दिन आपके पास पहुंचाने की क्षमता होनी चाहिए। ये छोटी चीजें हैं, लेकिन इनसे आपको अपने ब्रोकर का चयन करने में आसानी होगी।

कल्याणरमण के मुताबिक, 'ब्रोकरेज हाउस किस तरह से आपको सेवा दे रहा है यह किसी दूसरे ब्रोकरेज हाउस का चयन करने का अहम आधार होता है।' ऐसे में, अगर आपको बिल को लेकर कोई दिक्कत है या आपको किसी खास ट्रेड के बारे में जानकारी चाहिए तो ब्रोकिंग हाउस के पास ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर होना चाहिए कि वह आपकी दिक्कत दूर कर सके। यह इंफ्रास्ट्रक्चर ब्रांच, बैक ऑफिस या कॉल सेंटर के रूप में हो सकता है। कुछ ब्रोकिंग हाउस के पास कई भाषाओं वाले कॉल सेंटर होते हैं। ऐसे में अगर आप अपनी मूल भाषा में ऑर्डर देते हैं या कोई दिक्कत बताते हैं तो उसे ब्रोकरेज हाउस आसानी से हल कर पाता है। इसके अलावा आजकल कई ब्रोकरेज हाउस ऐसे भी हैं, जो दिन के अंत में अपने क्लाइंट के पास ट्रेड की पुष्टि करने वाले, पैसा एकाउंट में डेबिट करने वाले टेक्स्ट मैसेज भी भेजते हैं। हालांकि, आप अगर अपने ट्रेड संबंधी फैसले खुद करने में यकीन रखते हैं तो आपको ऑनलाइन ब्रोकिंग या मोबाइल बैंकिंग का सहारा लेना चाहिए। अपने ब्रोकर को कॉल करने और फोन पर अपने टर्न के आने का इंतजार करने के अलावा आपको बैंक में चेक जमा करने और दूसरी दिक्कतों से भी राहत मिल जाती है। आज शेयरों के अलावा ब्रोकर पोस्ट ऑफिस स्कीमें और आईपीओ में आवेदन करने में मदद करने जैसे काम भी कर रहे हैं। बैंकों की ब्रोकरेज सेवाओं के साथ जुड़ने पर एक फायदा होता है कि आपका पैसा तभी खाते से जाता है, जब उससे ट्रांजैक्शन होता है। ऑनलाइन कारोबार के लिए ब्रोकर आपके सौदे प्लेस करने के लिए आपसे मार्जिन चेक की मांग करते हैं। आदर्श तौर पर, आपके ब्रोकर को आपके खाते के तीन जरियों से एक्सेस की सेवा ऑफर करनी चाहिए। पहला ऑनलाइन के जरिए, दूसरा- सेंट्रलाइज्ड कॉल सेंटर के जरिए और तीसरा- नजदीकी शाखा के रिलेशनशिप मैनेजर के जरिए। इस तरह की व्यवस्था से काफी आसानी होती है।

कमिशन और ब्रोकरेज: अक्सर छोटे ब्रोकरेज हाउस निवेशकों को लुभाने के लिए कम ब्रोकरेज चार्ज लेते हैं। कुछ ब्रोकर्स ऐसे भी हैं, जो क्लाइंट के ऑनलाइन ट्रेडिंग करने पर कम ब्रोकरेज चार्ज लेते हैं, लेकिन कॉल सेंटर या रिलेशनशिप मैनेजर के जरिए होने वाले सौदों पर ज्यादा फीस लेते हैं। ऐसे में, हर तरीके से लगने वाले चार्ज के बारे में आपको भली-भांति पता कर लेना चाहिए। ब्रोकर के साथ जुड़ने से पहले अगर आप डेमो देख लें कि किस तरह से ट्रेडिंग की जा सकता है तो और भी अच्छा होगा, लेकिन कई बार सुस्त इंटरनेट कनेक्शन की वजह से ऑनलाइन ट्रेडिंग में ज्यादा दिक्कत हो सकती है। साथ ही, कुछ ट्रेडिंग टर्मिनलों पर तेज स्पीड वाले ब्रॉडबैंड कनेक्शन की भी जरूरत पड़ सकती है। चूंकि आप अपने वित्तीय ब्योरे और मेहनत से कमाई गई पूंजी का इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में सिस्टम की सिक्युरिटी काफी पुख्ता होनी चाहिए। अच्छे ब्रोकिंग हाउस अपने यहां टर्मिनलों पर सिक्युरिटी को नियमित अंतराल पर चेक करते रहते हैं।

आखिरी बात यह है कि निवेशक को यह देखना चाहिए कि ब्रोकिंग हाउस अपने हितों से भी ऊपर अपने क्लाइंटों के हितों को रखे।

Explainer : क्‍या है अल्‍गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्‍या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने हाल में ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई किस ब्रोकर का उपयोग करना है रेगुलेश नहीं था. इसके बाद जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने भी अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर बयान दिया, जिसके बाद यह चर्चा उठी कि आखिर अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर सेबी को क्‍या संशय है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST

हाइलाइट्स

पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

नई दिल्‍ली. अग्‍लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्‍सेप्‍ट है लेकिन इसका इस्‍तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.

अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्‍गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्‍होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.

कैसे होती है अल्‍गो ट्रेडिंग
अल्‍गो ट्रेडिंग में स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्‍टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्‍यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्‍ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्‍यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्‍टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

इस सिस्‍टम का लिंक स्‍टॉक एक्‍सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्‍टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्‍गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्‍टम किसी स्‍टॉक की भविष्‍य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.

क्‍यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्‍द ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.

क्‍या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्‍ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्‍गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष किसी भी रूप में स्‍टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्‍य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्‍पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्‍गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.

सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्‍य किसी माध्‍यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्‍गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्‍लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्‍य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.

क्‍या सच में फायदेमंद है अल्‍गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्‍गो ट्रेडिंग का इस्‍तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्‍यादा ब्रोकर इसी का इस्‍तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्‍गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्‍टॉक की हिस्‍ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्‍क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.

क्‍यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्‍ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्‍टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्‍य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्‍यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्‍गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्‍यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्‍य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्‍टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्‍मक प्रभाव में कमी : अल्‍गो ट्रेडिंग में किसी स्‍टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्‍योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्‍यादा रणनीति का सृजन : कंप्‍यूटर एल्‍गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्‍यादा रिटर्न कमाने के कई रास्‍ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्‍गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्‍म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्‍गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.

इसके नुकसान भी हैं
-अल्‍गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्‍यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्‍यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्‍तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्‍यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्‍यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्‍ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्‍योंकि बाजार की वास्‍तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.

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यह है भारत के उन्नत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म

ट्रेडिंग प्लेटफॉर्

भारत के श्रेष्ठ स्टॉक ब्रोकर्स की सूची नीचे दी गई है:

    : खास तौर पर मोबाइल से ट्रेडिंग करने के लिए

एंजेल ब्रोकिंग – Angel Broking

एंजेल ब्रोकिंग रेटिंग:

एंजेल ब्रोकिंग भारत में उन शुरुआती कंपनियों में से एक है जिन्होंने उस दौरान रिटेल निवेशकों को सस्ता एवं उन्नत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करना शुरू कर दिया था। 2.15 मिलीयन ग्राहकों के साथ एंजेल ब्रोकिंग आज भारत का श्रेष्ठ स्टॉक ब्रोकर बन चुका है।

एंजेल ब्रोकिंग डैशबोर्ड

एंजेल ब्रोकिंग

मैं एंजेल ब्रोकिंग ऐप का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं जो कि प्रयोग करने में सरल है और आसान सुविधाओं से लैस है। जब कभी भी मैं घर से बाहर होता हूं या अपने लैपटॉप से दूर होता हूं उस समय ट्रेडिंग के लिए मैं इस ऐप का उपयोग करता हूं। उनका ऐप आधारित प्लेटफार्म यकीनन ही उन्नत है एवं सभी तरह के उन्नत ट्रेडिंग टूल्स तथा इंडिकेटर से लैस है।

मोबाइल से ट्रेडिंग करने के लिए मैं एंजेल ब्रोकिंग का पुरजोर समर्थन करता हूं।

मैं यह महसूस करता हूं कि उनका वेब आधारित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, उनके ऐप के समकक्ष नहीं है और उन्हें इस पर अत्यधिक मेहनत करने की आवश्यकता है ताकि वह भारत के अन्य डिस्काउंट ब्रोकर्स का मुकाबला कर सकें।

मैं सोचता हूं वे इस पर बड़ी जोर शोर से कार्य कर रहे हैं क्योंकि मैं उनके वेबसाइट सेक्शन (उदाहरण के तौर पर रियल टाइम में प्रॉफिट एंड लॉस अपडेट) में और एंजेल ब्रोकिंग ऐप में भी कई सुधार देख चुका हूं।

मैं नहीं जानता क्यों परंतु मुझे उनके प्लेटफार्म पर ट्रेडिंग करना पसंद है,शायद इस कारण कि यह मेरे द्वारा प्रयोग किया गया सबसे पहला ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है।

एंजेल ब्रोकिंग रियल टाइम डाटा के साथ सबसे अग्रणी निवेश सुझाव आधारित सेवा है। ARQ के द्वारा ग्राहक स्टॉक से संबंधित बाय ओर सेल अलर्ट प्राप्त करते हैं। इसकी सटीकता 60 से 70% (प्रति दस ट्रेड् में से 6-7 ट्रेड लाभ संबंधित और तीन ट्रेड जोखिम संबंधित) है, जोकि ट्रेडिंग कम्युनिटी में बहुत ही प्रभावशाली मानी जाती है।

एंजेल ब्रोकिंग की हमारे देश में अन्य डिस्काउंट ब्रोकर की तुलना में बड़ी संख्या में भौतिक शाखाएं हैं। एंजेल ब्रोकिंग डीमैट अकाउंट ओपन करने की प्रक्रिया का वीडियो देखने के लिए क्लिक कीजिए।

  • यह प्रयोग में आसान और उन्नत टूल्स तथा इंडिकेटर से लैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है।
  • बाय तथा सेल ऑर्डर के लिए एक समान दर से ₹20 ब्रोकरेज।
  • वार्षिक मेंटेनेंस शुल्क ₹450 (करो को छोड़कर)।
  • डिलीवरी ऑर्डर के लिए कोई ब्रोकरेज नहीं (अर्थात यदि आप स्टॉक खरीदते हैं और उसको एक लंबे अंतराल के लिए होल्ड करते हैं तो ऐसे स्टॉक को खरीदने व बेचने के लिए आप पर ब्रोकरेज शुल्क लागू नहीं होता है)। विशेषता के साथ डायरेक्ट म्युचुअल फंड निवेश का ऑप्शन।
  • निवेश सिखाने के लिए निशुल्क वेबीनार।
  • एंजेल ब्रोकिंग रोबो ऑर्डर सुविधा, तुरंत बाय, सेल तथा स्टॉप लॉस ऑर्डर करने में आपकी मदद करता है। यह नौकरी पेशा लोगों के लिए बहुत ही सुविधाजनक है।

नुकसान

  • वेब आधारित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में सुधार की आवश्यकता है।
  • कई बार ग्राहक सेवा एजेंट्स और रिलेशनशिप मैनेजर व्यस्त समय के दौरान ग्राहकों की समस्याओं का समाधान प्रदान करने के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं।

जीरोधा – Zerodha

जीरोधा रेटिंग:

बिना हिचकिचाहट यह भारत का उन्नत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। जीरोधा अपनी आधुनिक सेवाओं और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के कारण भारत की डिस्काउंट श्रेणी का श्रेष्ठ शेयर मार्केट ब्रोकर बन चुका है। अधिकांश रिटेल इन्वेस्टर्स तथा संस्थाएं जीरोधा को अपने डिफॉल्ट ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में पसंद करते हैं।

जीरोधा अकाउंट को ओपन करने की क्रमबद्ध प्रक्रिया की जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़िए।

जीरोधा Zerodha

यह ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म उन्नत चार्टिंग सेवाओं से लैस है। इस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में चार्ट को अध्ययन करने के लिए दो ऑप्शन है: Tradingview और ChartIQ। दोनों ही चार्टिंग प्लेटफार्म बहुत उन्नत हैं और ट्रेडिंगव्यू तो मेरा पसंदीदा है।

इस प्लेटफार्म की 2010 में शुरुआत करने के बाद इसके संस्थापक नितिन कामत इसको और अधिक ऊंचाइयों पर ले गए और भारतीय ट्रेडिंग समुदाय को एक किफायती ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान किया। यह भारत के सफलतम स्टार्टअप्स में से एक है।

जीरोधा के 3 मिलियन किस ब्रोकर का उपयोग करना है से अधिक ग्राहक है और उनमें से अधिकतर रिटेल श्रेणी से संबंध रखते हैं। संपूर्ण भारत में, रिटेल ट्रेडिंग में जीरोधा का अपना स्वयं का 15% का योगदान है जो कि अत्यंत सराहनीय है।

जीरोधा डीमैट अकाउंट के साथ आप अनेक ट्रेडिंगव्यू पेड टूल्स में प्रवेश कर सकते हैं जैसे कि उसी स्क्रीन पर उपलब्ध मल्टी टाइम फ्रेम विंडो। ट्रेडिंग इन ऑप्शंस के लिए आप सेंसिबुल की मदद ले सकते हैं जोकि जीरोधा अकाउंट के साथ एकीकृत है।

सेंसिबुल के अनेक फीचर्स का आप निशुल्क लाभ उठा सकते हैं उदाहरण के तौर पर व्हाट्सएप में प्राइज अलर्ट। सेंसिबल पेड प्लेन का उपयोग आप सशुल्क सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

जीरोधा काईट मोबाइल ऐप को बहुत अच्छी तरह से डिजाइन किया गया है और यह आपको वेबसाइट पर उपलब्ध सभी ट्रेडिंग टूल्स में प्रवेश प्रदान करता है।

जीरोधा GTT (Good Till Trigger) सुविधा का उल्लेख करना अति आवश्यक है। यह आपको एल्गो ट्रेडिंग का अनुभव प्रदान करता है। आपको केवल बाय सेल तथा स्टॉप लॉस प्राइस को निश्चित करना है और उसके बाद निश्चिंत हो जाना है। आपको दिन भर अपने सिस्टम के सामने बैठे रहने की आवश्यकता नहीं है। इसका उपयोग करने के बाद सब स्वयं ही हो जाता है।

जीरोधा जीटीटी ऑर्डर एक सशुल्क सेवा है परंतु अकाउंट के साथ आपको प्रथम 3 महीनों के लिए GTT Order सेवा का अतिरिक्त लाभ मिलता है। अपने ट्रेडिंग अनुभव में सुधार करने के लिए आप कोई सुविधा का उपयोग करना चाहिए।

सुरक्षित रहने के लिए किस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहिए?

ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने दुनिया के सभी प्रकार के व्यापारियों के लिए आसान, त्वरित और किफायती व्यापार से लाभ उठाने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। ऐसे प्लेटफॉर्म के अस्तित्व के बिना ऑनलाइन ट्रेडिंग की कल्पना करना असंभव है। यदि आप एक नवोदित व्यापारी हैं, तो आपने कुछ लोकप्रिय और अत्यधिक विज्ञापित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म देखे होंगे। वे वित्तीय उत्पादों की आपकी पसंदीदा श्रेणियों का व्यापार करने के लिए सुविधाओं और उपकरणों की एक सूची प्रदान करते हैं।

सही ट्रेडिंग इंटरफ़ेस क्यों चुनें?

ऑनलाइन ट्रेडिंग घोटाले हर दिन कई संभावित ऑनलाइन व्यापारियों को डराते हैं। हालांकि XPro Markets जैसे कई विश्वसनीय और लंबे समय तक चलने वाले प्लेटफॉर्म हैं जो ब्रोकरेज और ऑनलाइन ट्रेडिंग कार्यक्षमता प्रदान करते हैं, घोटाले नए लोगों को झिझकते हैं। लेकिन व्यापारियों को सलाह दी जाती है कि वे हमेशा ब्रोकर की आधिकारिक XPro Markets वेबसाइट, एप्लिकेशन और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करें।

यहां कुछ संकेत दिए गए हैं जो हमें एक स्कैम ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की पहचान करने में मदद करते हैं:

  • हाल की कोई समीक्षा नहीं है।
  • उनकी उत्पत्ति अज्ञात है
  • संस्थापक टीम मौजूद नहीं है।
  • कोई बैकटेस्टिंग परिणाम उपलब्ध नहीं हैं।

अब जब हम समझ गए हैं कि स्कैम ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर कैसे नजर रखी जाए, तो कुछ प्रमुख ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से परिचित होने का समय आ गया है। ध्यान रखें कि निम्नलिखित का उपयोग सुरक्षित और आकर्षक ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए किया जा रहा है:

मेटा ट्रेडर4

प्रतिकारात्मक तस्वीर

मेटा ट्रेडर5

MetaTrader 5 या MT5, MT4 का अपग्रेड है। यह अपने पिछले किस ब्रोकर का उपयोग करना है संस्करण की सर्वोत्तम विशेषताओं को बनाए रखता है, लेकिन इसकी अपनी कुछ विशिष्टताएँ भी हैं। MT4 के एक उन्नत संस्करण के रूप में, यह ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म विशेषज्ञ-स्तर के व्यापारियों के लिए आदर्श है, जो पहले से ही उसी कंपनी, MetaQuotes द्वारा विकसित MT4 में महारत हासिल कर चुके हैं।

सीट्रेडर

स्पॉटवेयर सिस्टम्स द्वारा विकसित, cTrader एक उच्च प्रदर्शन वाला ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर है जो लाखों ऑनलाइन व्यापारियों को ECN ट्रेडिंग स्थितियों को समझने में मदद करता है। cTrader आमतौर पर शुरुआती लोगों द्वारा पसंद किया जाता है जो जमा और निकासी करना चाहते हैं। यह विशेष इंटरफ़ेस आपको बाज़ार के बारे में गहराई से जानकारी देता है और व्यापारियों को अपने विदेशी मुद्रा पदों पर कई निकास बिंदु बनाने की अनुमति देता है।

डुप्लीट्रेड

अंतिम प्रविष्टि डुप्लीट्रेड है, जो कई साझेदार दलालों के माध्यम से पेश किया जाने वाला एक अनूठा और उन्नत कॉपी ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर है। एक सरल पंजीकरण प्रक्रिया के बाद, डुप्लीट्रेड किसी भी व्यापारी को अन्य अनुभवी खिलाड़ियों का रणनीतिक रूप से अनुसरण करने और उनके व्यापारिक तर्क को शामिल करने में मदद करता है। डुप्ली ट्रेडर के रणनीति प्रदाता कई वर्षों के अनुभव के साथ स्वयं अनुभवी व्यापारी हैं।

उपरोक्त कुछ बेहतरीन रेटिंग वाले ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म हैं जिनका उपयोग कोई भी घोटालों की चिंता किए बिना कर सकता है।

(इस खबर को लोकतेज टीम ने संपादित नहीं किया है. यह पीआर एजेंसी के माध्यम से प्रकाशित की गई है।)

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