लिक्विडिटी

AP उन स्टॉक्स/सिक्यॉरिटीज़ का अधिकार लेता है, जिन्हें ETF होल्ड करना चाहता है – उदाहरण के लिए, जब कोई ETF जो निफ्टी-50 या BSE-100 को ट्रैक करता है वह बढ़ी हुई मांग के वजह से और ज्यादा ETF यूनिट्स चाहता है, तो AP संबंधित इंडिसीस के खास स्टॉक्स को खरीद लेगा ठीक उसी वेटेज में जिसमें वह इंडेक्स में हैं। AP इन स्टॉक्स को AMC को डिलिवर करेगा, जो उस विशेष ETF को रखते है, और बदले में उसी मूल्य के ETF यूनिट्स का एक ब्लॉक पाते है ।
What is the Hindi meaning of liquidity in the stock market?
लिक्विड स्टॉक्स क्या है, लिक्विड स्टॉक्स को कैसे पहचानें, स्टॉक लिक्विडिटी क्या होती है, क्या लिक्विड स्टॉक्स खरीदना सही है (What is liquid stocks in hindi, Liquid stocks kya hai, Stock liquidity in hindi, How to identify liquid stocks)
हमें अक्सर सुनने को मिलता है कि जिस स्टॉक के अंदर लिक्विडिटी नहीं है हमें उसे buy नहीं करना चाहिए लेकिन यह बात हमेशा सही नहीं होती।
हमें यह पता होना चाहिए कि अगर कोई स्टॉक लिक्विड नहीं है तो उसका क्या कारण है। आपको स्टॉक्स की लिक्विडिटी को समझना बहुत जरूरी है तभी आप एक अच्छा लिक्विड स्टॉक्स buy कर सकते हैं।
इसीलिये आज हम आपको बताने वाले हैं-
लिक्विड स्टॉक्स क्या है?
स्टॉक्स की लिक्विडिटी क्यों महत्वपूर्ण है?
अच्छे लिक्विड लिक्विडिटी स्टॉक्स कैसे ढूंढे?
स्टॉक्स की लिक्विडिटी कैसे पता करें?
लिक्विड स्टॉक्स खरीदना चाहिए या नहीं?
Stock Liquidity की परिभाषा
हम किसी भी stock को कितनी आसानी से Buy या Sell कर सकते हैं बिना उसके प्राइस को Imapact किये। मतलब हमारी Buying या Selling से उसके price पर ज्यादा असर नहीं होना चाहिए।
तो कोई भी स्टॉक आपके लिए Liquid है या illiquid यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप उसकी कितनी Quantity Buy करना चाहते हो।
Quantity का अर्थ है: Number of Shares मतलब आपने कितने शेयर्स खरीदे हैं।
Example: मान लो आपको किसी स्टॉक के केवल 100 शेयर्स ही खरीदना है तो आपको उसके ट्रेडिंग वॉल्यूम से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा भले ही उसका ट्रेडिंग वॉल्यूम कम क्यों ना हो।
लेकिन अगर आपको उस स्टॉक के 10000 या 50,000 शेयर्स खरीदने हैं तो आपको पहले ट्रेडिंग वॉल्यूम को देखना होगा।
लिक्विड स्टॉक्स क्या है?
लिक्विड स्टॉक्स का अर्थ है कि किसी स्टॉक को कितनी आसानी से खरीदा या बेचा जा सकता है बिना स्टॉक के प्राइस को impact किये। मतलब जिन स्टॉक्स में बहुत सारे buyers और sellers interested होते हैं उन्हें लिक्विडिटी लिक्विडिटी High Liquidity stocks या लिक्विड स्टॉक्स कहते हैं।
इसी तरह जिन stocks में कम लोग interested होते हैं उन्हें Low Liquidity stocks या illiquid stocks कहते हैं।
लिक्विड स्टॉक्स के चार्ट्स हमेशा smoothly चलते हैं। यानी की ग्राफ की movement के बीच में बहुत ज्यादा gap या space नहीं होता है। ये वही stocks होते हैं जिन्हें बहुत ज्यादा ट्रेड किया जाता है।
जबकि जो stocks लिक्विड नहीं होते हैं उनके price movement के chart में बहुत ज्यादा उथल-पुथल दिखाई देती है यानी कि charts कभी अचानक से ऊपर तो कभी अचानक से नीचे दिखाई देता है।
इसीलिए इनके ग्राफ की movement के बीच में space बहुत ज्यादा होता है। ऐसे stocks का प्राइस बहुत कम होता है और इन्हें हम Penny stocks या illiquid stocks भी बोलते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि केवल स्टॉक की लिक्विडिटी को देखकर ही स्टॉक्स को खरीदना चाहिए। अगर स्टॉक लिक्विडिटी कम है तो उसे नहीं खरीदना चाहिए लेकिन यह बात हर बार सच नहीं होती। आइये इसे एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं- मान लीजिए कोई High Value Stock है मतलब उसका price बहुत ज्यादा है। For Example: MRF कम्पनी का Share price 80000 के आसपास है। अब चूंकि MRF का price ज्यादा है इसलिए इसका volume कम होगा। मतलब खरीदने और बेचने वालों की संख्या कम होगी. (MRF की Average Trading Volume 10000 के आस पास ही रहती है उससे ज्यादा नहीं क्योंकि इसका प्राइस बहुत High है) यानी कि इस स्टॉक को बहुत कम लोग खरीदेंगे। चूंकि इसका Trading Volume कम है इसलिए इस स्टॉक्स की लिक्विडिटी भी कम होगी। तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक अच्छा स्टॉक नहीं है बल्कि MRF तो इंडिया की टॉप कंपनीज में से एक है। तो सिर्फ ट्रेडिंग वॉल्यूम को देखकर ही यह सोचना कि हमें इसमें निवेश नहीं करना चाहिए तो आपका यह निर्णय गलत होगा। इसीलिए स्टॉक्स की लिक्विडिटी को समझना आपके लिए बहुत जरूरी है। इसे भी पढ़े : Free Paynearby Retailer ID Registration
ETF लिक्विडिटी, क्रिएशन, और Authorised Participants का रोल
ETF ने पहले ही दुनिया में तहलका मचा दिया है और अब भारत इसे अपनाने में बढ़ोतरी देखी जा रही है क्योंकि इंवेस्टर्स अब इसके अनेक फायदों के बारे में जानने लगे हैं – जैसे कम कॉस्ट, बढ़ी हुई ट्रॉन्स्परेंसी, स्टॉक की तरह किसी भी समय लेन-देन करने की काबिलियत आदि।
फिर भी, कई भारतीय इंवेस्टर्स ETF में इंवेस्ट करने से दूर रहते हैं क्योंकि उन्हें यह लगता है कि ETF लिक्विड नहीं है – यानी ETF यूनिट्स को ट्रेड करने वाले ज्यादा लोग नहीं हैं, और इस वजह से, इंवेस्टर्स को यूनिट के NAV से अधिक भुगतान करना पड़ता है अर्थात ETF यूनिट्स को खरीदने/बेचने के लिए (ऊंची बिड/आस्क स्प्रेड)।
“ETF को चुनते समय लिक्विडिटी महत्वपूर्ण पैरामीटर्स में से एक है क्योंकि यह इंवेस्टर्स की cost of ownership को प्रभावित करता है”, लिक्विडिटी शरवान गोयल कहते हैं, जो UTI म्यूचुअल फंड में 4 ETF के फंड मैनेजर हैं, जो भारत में सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) में से एक है।
ETF लिक्विडिटी कैसे बनाई जाती है?
म्यूचुअल फंड में एक सब्सक्रिप्शन/रिडेम्पशन प्रक्रिया होती है, जिसमें आमतौर पर 1-2 दिन लगते हैं, जहां एक विशेष AMC इंवेस्टर्स को यूनिट्स इशू/रिडीम करते हैं। जबकि AMC ऐसे ETF यूनिट्स भी इशू करते हैं, जिनके पास NAV है, इन यूनिट्स को एक्सचेंज पर तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है, इस प्रकार यह तुरंत लिक्विडिटी देता है।
ETF यूनिट्स की “क्रिएशन/रिडेम्प्शन” प्रक्रिया के वजह से ETF यह लिक्विडिटी लिक्विडिटी प्रदान कर सकते हैं, जिसमें Authorised Participants (AP) नामक थर्ड पार्टीस शामिल हैं।
जब कोई AMC नए ETF यूनिट्स बनाना चाहते हैं, चाहे वह New Fund Offering (NFO) के लिए हो या मौजूदा फंड की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, यह इन थर्ड-पार्टी AP की ओर रुख करते हैं – वे ब्रोकरेज हो सकते हैं (Edelweiss Securities Ltd.), विशेषज्ञ कैपिटल-मार्केट फर्म्स (जैसे Parwati Capital Market Pvt. Ltd.) या अन्य बड़े फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन जिनके पास AMC की राय में बहुत अच्छी खरीद शक्ति है।
क्या ETF लिक्विडिटी अभी भी एक चिंता का विषय है?
2000 के दशक की शुरुआत में ETF मार्केट के शुरुआती चरणों में लिक्विडिटी निश्चित रूप से एक चिंता का विषय थी, लेकिन ETF मार्केट हाल के वर्षों में बहुत बड़ा हो गया है। “हमने बोर्ड मार्केट इंडिसीस के आधार पर ETF की लिक्विडिटी में सुधार देखा है। लगभग सभी ETF उत्पादों का हर महीने का कारोबार मई 2019 में ₹4900 करोड़ से अधिक था, जबकि अप्रैल 2012 में यह लगभग ₹1400 करोड़ था”, UTI के शारवान गोयल कहते हैं । “हालांकि, यह ग्लोबल पीयर्स की तुलना में अभी भी कम है”, उन्होंने आगे कहा।
Note: 2012 figures are only April onwards | Source: NSE & BSE Filings
रिटेल लिक्विडिटी इंवेस्टर्स को क्या करना चाहिए?
ETF में हाल के वर्षों में असाधारण बढ़त देखी गई है – जिसमें सरकार और लिक्विडिटी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation, EPFO) शामिल हैं – और म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले ETF के कई फायदों को देखते हुए यह ट्रेंड जारी रहने की संभावना है। इससे ETF की लिक्विडिटी में और भी अधिक सुधार होता रहेगा।
लेकिन यहाँ एक दिलचस्प मोड़ है – भले ही बिड\आस्क स्प्रेड NAV से थोड़ा अधिक होता है जब आपको लेनदेन करना होता है, लेकिन याद रखें कि आप केवल तभी भुगतान करते हैं यदि\जब आप लेनदेन करते हैं। अगर वह बहुत ज्यादा नहीं है, तो उन सभी पैसों के बारे में सोचिए, जो आप कम एक्स्पेंस रेश्यो में बचाएंगे।
वास्तव में, Authorised Participants की यह क्रिएशन/रिडेम्प्शन प्रक्रिया और एक्सचेंज्स पर ETF यूनिट्स की खरीद/बिक्री ETF को लॉन्ग-टर्म/बाए-एंड-होल्ड वाले इंवेस्टर्स के लिए उचित बनाते है। ETF ऐजुकेशन सीरीज़ पर हमारी अगली पोस्ट में इसके बारे में और पढ़ें।
सीआरआर या कैश रिजर्व रेशियो (नकद आरक्षित अनुपात) क्या होता है?
4 मई, 2022 को आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की बढ़ोत्तरी कर 4.5% तक ला दिया, जो एक ऐसा कदम है जिससे ब्याज दरों पर दबाव पड़ने की संभावना है। हालांकि, इस कदम के पूरे असर को समझने के लिए हमें इस बात की अच्छी समझ होनी जरूरी है कि नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर क्या होता है।
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सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यम नीति में बदलाव किया जायेगा
सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण किया जाएगा। अब सभी सरकारी सेक्टर प्राइवेट सेक्टर के लिए खुले हैं। इस कदम से व्यर्थ की लागत को कम किया जा सकेगा।
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Koushal Kumar
Wizard of Words. Experienced Writer with a demonstrated history of working in the financial services industry. Skilled in Writing, Online Content Curation, Copywriting, and लिक्विडिटी Web Content Writing. Social Media Content & Copywriting. English to Hindi translating. Testimonial Video Script writing & video Shooting Participating. Handling YouTube influencer Channel. Strong Language, Media and communication professional with a Master of Art’s, Masters of Journalism and PG लिक्विडिटी Diploma in Translation. University of Allahabad and Indian Institute of Mass Communication (IIMC) New Delhi Alumni.
होटल, रेस्टूरेंट, टूर एजेंट, बस मालिक और किराए पर कार देने वालों को सस्ता लोन, रिजर्व बैंक ने शुरू की लिक्विडिटी विंडो फैसिलिटी
RBI MPC meeting : कोरोना की पहली और दूसरी लहर में बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को अब सस्ती दरों पर लिक्विडिटी लोन मिल सकेगा. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को इस बात का ऐलान किया है कि प्रभावित क्षेत्रों को लोन उपलब्ध कराने के लिए उसकी ओर से लिक्विडिटी विंडो फैसिलिटी (LWF) की शुरुआत की गई है.
इस फैसलिटी के तहत होटल, रेस्टूरेंट्स, टूरिज्म (ट्रैवल एजेंट, टूर ऑपरेटरों और एडवेंचर और हेरिटेज फैसिलिटीज, विमानन सहायक सेवाओं) ग्राउंड हैंडलिंग, सप्लाई चेन और अन्य सेवाओं मसलन निजी बस परिचालकों, कार मरम्मत सेवाओं, किराये पर कार उपलब्ध कराने वालों, कार्यक्रम आयोजकों, स्पा क्लिनिक, ब्यूटी पार्लर और सैलून चलाने वालों की सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध कराया जाएगा.
कोरोना से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित
दरअसल, कोरोना की पहली और दूसरी लहर में अर्थव्यवस्था और आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. पहली लहर में संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रभावित उद्योग धंधों के लिए केंद्र सरकार की ओर से उपाय किए गए थे. दूसरी लहर में राज्यों में लगाए गए मिनी लॉकडाउन से प्रभावित उद्योग धंधों की आर्थिक मदद के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपना खजाना खोल दिया है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में नीतिगत दरों को तय करने के लिए बुधवार से आरबीआई मौद्रिक समिति की तीन दिवसीय बैठक में कोरोना से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों के समर्थन के लिए आरबीआई ने 15,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी विंडो फैसलिटी शुरू करने का फैसला किया है. यह सुविधा संपर्क-गहन क्षेत्र (होटल और रेस्तरां, टूरिज्म तथा विमानन सहायक सेवाओं वाले क्षेत्र) के लिए पेश की गई है.
LWF के तहत तीन साल के लिए मिलेगा लोन
आरबीआई की ओर से शुरू की गई लिक्विडिटी विंडो फैसलिटी 31 मार्च, 2022 तक रेपो रेट पर उपलब्ध 50,000 करोड़ रुपये की नकदी सुविधा के अतिरिक्त है. इसके तहत तीन साल के लिए कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा. इसकी घोषणा पांच मई को कोरोना से जुड़े स्वास्थ्य क्षेत्र को जरूरी मदद के लिए की गई थी.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि संपर्क-गहन क्षेत्रों पर दूसरी लहर के प्रतिकूल प्रभाव से उबरने के लिए 31 मार्च, 2022 तक 15,000 करोड़ रुपये की एक अलग लिक्विडिटी विंडो शुरू की जाएगी. रेपो रेट पर इसकी अवधि तीन साल की होगी.