डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है

यह नेटवर्क बहुत ही शक्तिशाली कंप्यूटरो से मिलकर बना होता है। इस नेटवर्क से जुड़े हर कंप्यूटर में ब्लॉकचेन की एक कॉपी सेव हो जाती है।
Who is a Block Chain Developer, जानिये कौन होता है ब्लॉक चेन डेवलपर
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का ग्लोबल मार्किट साल 2025 तक लगभग 20 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की आशा की जा रही है. आज सैमसंग, कैपजेमिनी, आईबीएम जैसे विभिन्न आईटी जायंट ब्लॉकचैन प्रोफेशनल्स को शानदार कैरियर के मौके प्रदान कर रहे हैं. अगर आप भी एक ब्लॉकचेन डेवलपर बनना चाहते हैं तो यह मुनासिब समय है कि जब इस फील्ड में आप अपने सफल और उद्देश्यपूर्ण करियर बनाने की दिशा में विचार कर सकते हैं.
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क्या होता है ब्लॉकचेन ?
ब्लॉकचेन दरअसल एक डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी है जो कि एक विस्तृत ओपन लेजर पर आधारित है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का अविष्कार साल 1991 में शोधकर्ताओं के एक ग्रुप के द्वारा किया गया था.
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परंतु इस टेक्नोलॉजी का सबसे अहम उपयोग साल 2009 में बिटकॉइन के प्रवर्तक सतोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन को तैयार करने के लिए किया था. समूचा ब्लॉकचेन पियर टू पियर नेटवर्क से जुड़ा होता है. ब्लॉकचेन का डिसेंट्रलाइज्ड डिजिटल लेजर दुनिया भर के हजारों कंप्यूटरों पर ट्रांजक्शन को सेव करता है. ब्लॉकचेन तकनीक सुरक्षा डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है को बढ़ाने के साथ साथ सूचना के आदान-प्रदान को अधिक पारदर्शी और मूल्यप्रभावी तरीके से गति देता है.
ब्लॉकचेन के महत्व ने जिन विभिन्न क्षेत्रों में आर्गेनाइजेशन्स का ध्यान आकर्षित किया है उसमें बैंकिंग का डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है क्षेत्र सबसे अधिक एक्टिव है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बाद से हजारों नए जॉब्स की स्थिति के साथ साथ मोबाइल पेमेन्ट सोल्यूशन से लेकर हेल्थकेयर एप्लीकेशन तक के नए स्टार्टअप का डेवलपमेंट हुआ है.
TATA Coin ने 24 घंटे में दिया 1200% का रिटर्न, जानिए क्यों खास है यह क्रिप्टोकरेंसी
TATA Coin : एक कम्युनिटी आधारित डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी (decentralised cryptocurrency) में पिछले 24 घंटों में 1,200 फीसदी की मजबूती दर्ज की गई। कॉइनमार्केटकैप से मिले डाटा से यह जानकारी सामने आई है। टाटा कॉइन (TATA Coin) का उद्देश्य डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को पूरी तरह सुरक्षित बनाना है।
यह कॉइन वर्तमान में 1200 फीसदी की मजबूती के साथ 0.09515 डॉलर पर ट्रेड कर रहा है। इसकी पूरी तरह डायल्यूटेड मार्केट कैपिटलाइजेशन (market capitalisation) 8,56,355 डॉलर है।
क्या है इस क्रिप्टो का उद्देश्य
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टाटा कॉइन (TATA Coin) का उद्देश्य डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को पूरी तरह सुरक्षित बनाना और दुनिया भर के निवेशकों सहित मल्टीनेशनल कंपनियों और संस्थानों को एक सबसे ज्यादा सुरक्षित पेमेंट सिस्टम उपलब्ध कराना है जिससे उन्हें ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) का इस्तेमाल करते हुए डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है आसान और सुरक्षित डिजिटल ट्रांजेक्शन की सुविधा मिले। साथ ही वे अपनी बहुमूल्य एसेट्स के मालिक बनने में सक्षम हों।
पूरी तरह कम्युनिटी आधारित है क्रिप्टोकरेंसी
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है ? | ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है ? | Block Chain Kya hai ? | What is Block chain in Hindi ? | How Block chain technology works in Hindi ?
सन 1991 में रिसरचर्स के एक ग्रुप ने ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को जन्म दिया।
परंतु इस टेक्नोलॉजी का सबसे अहम उपयोग सन 2009 में बिटकॉइन के जनक सतोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन को तैयार करने के लिए किया।
ब्लॉकचेन एक डिसेंट्रलाइज्ड अर्थात विकेंद्रित टेक्नोलॉजी है जोकि एक विस्तृत ओपन लेजर या वही खाते पर आधारित है। संपूर्ण ब्लॉकचेन पियर टू पियर नेटवर्क से जुड़ी होती है
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है ? (How Block chain technology works?)
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आपके पास एक डॉक्यूमेंट रखने का एक खाली फोल्डर है जब आप इसमें डॉक्यूमेंट डालते जाएंगे तो एक समय ऐसा आएगा जब यह फोल्डर फुल हो जाएगा।
तब आप एक और नया खाली फोल्डर लाएंगे और उसमें डॉक्यूमेंट रखना शुरु कर देंगे कुछ समय के बाद यह फोल्डर भी भर जाएगा।
इसी तरह से आप तीसरा फोल्डर लाएंगे और उससे भी भरने लगेंगे। इसी तरह कुछ समय में आपके पास फोल्डरो की एक चेन सी बन जाएगी जिसमें प्रथम स्थान में पहला फोल्डर दूसरे स्थान में दूसरा फोल्डर तीसरे में तीसरा फोल्डर आ जाएगा।
ठीक इसी तरह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में फोल्डर की जगह ब्लॉक होते हैं जिसके अंदर डाटा रखा जाता है।
जब यह ब्लॉक भर जाता है तब एक नए ब्लॉक का निर्माण शुरू होता है। पिछला ब्लॉक इस नए ब्लॉक से जुड़ जाता है। और इसी तरह नए ब्लॉकों का निर्माण होता है और वह एक चेन की तरह एक दूसरे से जुड़ते चले जाते हैं।
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के फायदे, ब्लॉकचेन के उपयोग (Benefits of Block chain , Usage of Block chain)
चुकी ब्लॉकचेन एक अत्यंत ही सुरक्षित एवं पारदर्शी टेक्नोलॉजी है इस वजह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी बहुत से क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
इसके कुछ उदाहरण निम्न है
- क्रिप्टो करेंसी जो कि ब्लॉकचेन पर आधारित है के उपयोग से वित्तीय क्षेत्रों में पैसों के लेनदेन में कम समय, कम फीस एवं पारदर्शिता पूर्ण लेनदेन किया जा सकता है।
- चुनाव में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर चुनाव को पूर्ण रूप से पारदर्शी प्रक्रिया बनाया जा सकता है।
- शिक्षा के क्षेत्र में ब्लॉकचेन के माध्यम से किसी भी स्टूडेंट का संपूर्ण रिकॉर्ड रखा जा सकता है जिससे शिक्षा एवं नौकरी के क्षेत्र में चीजें आसान हो जाएंगी।
- न्यायपालिका के क्षेत्र में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके न्यायपालिका को अत्यंत ही पारदर्शी ,मजबूत और तेज बनाया जा सकता है।
ब्लॉकचेन का भविष्य पर प्रभाव (Future of Block Chain)
जिस प्रकार इंटरनेट ने आज के दौर में क्रांति लादी है ठीक उसी प्रकार ब्लॉकचेन भविष्य में क्रांति लाने की क्षमता रखती है।
ब्लाकचैन टेक्नोलॉजी का भविष्य असीम संभावनाओं से भरा हुआ है इसके कुछ उदाहरण जो हमने आपको बताएं।
आशा करते हैं कि इस विषय के संबंध में आपको संतोषप्रद जानकारी प्राप्त हो चुकी होगी। इस विषय के संबंध में यदि आपके पास कोई प्रश्न या सुझाव है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर अपना संदेश भेज सकते हैं।
Blockchain Technology explainer: क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी जिस पर चलेगी देश की डिजिटल करेंसी
आरबीआई की डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी क्या है?
यह आरबीआई की अपनी तरह की पहली वर्चुअल करेंसी होगी जो हार्ड कैश की जगह लेगी। सरकार ने ऐसे वक्त में डिजिटल रुपये को जारी करने का ऐलान किया है जब मार्केट में बिटकॉइन समेत कई प्राइवेट वर्चुअल करेंसी मौजूद हैं। CBDC एक लीगल टेंडर होगी। इसके पीछे देश के केंद्रीय बैंक का बैकअप होगा। यह आम मुद्रा की तरह ही होगी, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगी। सरल शब्दों में कहें तो डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे। - क्या हैं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक प्लेटफॉर्म हैं जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्कि किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रेकॉर्ड रखा जा सकता है। आसान भाषा में कहें तो ब्लॉकचैन एक डिजिटल बहीखाता हैं। जो भी ट्रांजैक्शन इस पर होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है। इसे क्रिप्टोकरेंसीज का बैकबोन कहा जाता है। लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ क्रिप्टोकरेंसीज में ही नहीं बल्कि कई और भी क्षेत्रों में भी होता है। यह एक सुरक्षित और डीसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी है जिसे हैक कर पाना लगभग नामुमकिन है। - ब्लॉकचेन कैसे काम करती है?
ब्लॉकचेन डिजिटल जानकारी को रेकॉर्ड और डिस्ट्रीब्यूट करने की अनुमति देती है। ब्लॉकचेन लेनदेन का एक ऐसा रेकॉर्ड है जिसे बदला, हटाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है। ब्लॉकचेन को डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के रूप में भी जाना जाता है। ब्लॉकचेन पहली बार 1991 में एक रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में आया था लेकिन वर्ष 2009 में में बिटकॉइन में इसका इस्तेमाल किया गया। अब इसे क्रिप्टोकरेंसीज के साथ कई दूसरे कामों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। - डेटाबेस से यह कैसे अलग है?
ब्लॉकचेन और डेटाबेस में काफी समानता है। डेटाबेस किसी भी सिस्टम के इन्फॉर्मेशन का कलेक्शन होता है। ब्लॉकचेन भी डेटाबेस जैसा ही होता है। लेकिन यह कई कैटेगरीज के तहत जानकारी इकट्ठा रखता है। इन ग्रुप्स को ब्लॉक कहते हैं। ये ब्लॉक कई दूसरे ब्लॉक से जुड़े होते हैं, जो डेटा का एक चेन बनाते हैं। इसीलिए इस सिस्टम को ब्लॉकचेन कहते हैं। सामान्य डेटाबेस के उलट ब्लॉकचेन में कोई एक अथॉरिटी कंट्रोल नहीं होती है। इसके पीछे सोच यह थी कि इसे यूजर ही चलाएंगे। - ब्लॉकचेन नाम कैसे पड़ा?
ब्लॉकचेन दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ब्लॉक (Block) और दूसरा चेन (Chain)। ब्लॉक का मतलब ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में बहुत सारे डेटा ब्लॉक से है। मतलब इन ब्लॉक्स में की डेटा रखा जाता है। अलग-अलग बॉक्स में करेंसी यानी डेटा होते हैं, और ये एक-दूसरे जुड़े होते हैं। डेटा की एक लंबी चैन बनते जाती है। जैसे ही नया डेटा आता है, उसे एक नए ब्लॉक में दर्ज किया जाता है। ब्लॉक के भरने पर इसे नए डेटा से जोड़ दिया जाता है। इसी तरह सारे ब्लॉक्स एक-दूसरे जुड़े रहते हैं।
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