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जानिए निवेश रणनीति

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निवेश की पाठशाला: स्टॉक खरीदने से पहले कैसे करें होमवर्क, किन बातों का रखें ध्यान? जानिए जरूरी बातें

शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले निवेश की रणनीति बनाएं

Share Market: जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप में आपको उचित विश्लेषण करना चाहिए. किसी भी शेयर को खरीदने से आपको कुछ अहम बातों को ध्यान में रखना चाहिए.

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 15, 2022, 11:55 IST

हाइलाइट्स

स्टॉक खरीदने से पहले फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस जरूर करें.
विभिन्न लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश की अवधि तय करें.
बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन और बड़े निवेशकों की हिस्सेदारी के बारे में पता लगाएं.

मुंबई. शेयर बाजार में पैसा बनाना आसान है लेकिन बिना जानकारी के भारी आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है. जब भी आप निवेश के उद्देश्य से स्टॉक खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो इससे पहले होमवर्क जरूर करें. क्योंकि आप अपनी मेहनत की कमाई को बाजार में निवेश कर रहे हैं. किसी भी कंपनी का स्टॉक खरीदने के लिए दो तरह के एनालिसिस करने होते हैं. पहला फंडामेंटल और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस होता है. फंडामेंटल में कंपनी के बिजनेस और प्रॉफिट समेत कई पहलुओं का अध्ययन किया जाता है. वहीं, टेक्निकल एनालिसिस में स्टॉक के प्राइस को देखकर बाय और सेल की रणनीति बनाई जाती है.

जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के शेयरधारक बन जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि एक निवेशक के रूप में आपको उचित विश्लेषण करना चाहिए. किसी भी शेयर को खरीदने से आपको कुछ अहम बातों को ध्यान में रखना चाहिए.

निवेश की अवधि
शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने से पहले आपको अपने निवेश की अवधि तय करनी होगी. आप कम, मध्यम और लंबी अवधि के लिए किसी भी स्टॉक में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, यह अवधि आपके आर्थिक लक्ष्यों पर निर्भर करती है. ज्यादातर लंबी अवधि का निवेश स्टॉक मार्केट में बेहतर रिटर्न देता है. यह अवधि 5 से 10 साल तक हो सकती है.

कंपनी के फंडामेंटल चेक करें
हर निवेशक को शेयर खरीदने से पहले फंडामेंटल चेक कर लेना चाहिए. इसमें कंपनी का कारोबार और उसकी ग्रोथ के बारे में जानें. आखिर कंपनी क्या बिजनेस करती है और भविष्य में इस बिजनेस को लेकर क्या संभवानाएं हैं. वहीं, कंपनी इस सेक्टर में अपनी समकक्ष कंपनियों के मुकाबले कहां खड़ी है.

कंपनी के प्रोमोटर कौन हैं और उन्हें कंपनी के बिजनेस मॉडल को लेकर कितना अनुभव है. इसके अलावा कंपनी का शेयर होल्डिंग पैटर्न का अध्ययन भी करना चाहिए कि आखिर कंपनी में प्रोमोटर, रिटेल निवेशक और घरेलू व विदेशी संस्थागत निवेशकों की कितनी हिस्सेदारी है. माना जाता है कि कंपनी के शेयर होल्डिंग पैटर्न में विभिन्नता होनी चाहिए और ऐसे ही कंपनी के शेयर खरीदना चाहिए.

बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन
किसी भी शेयर को खरीदने से पहले निवेशक को यह भी देखना चाहिए कि समकक्ष कंपनियों के शेयर की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है. इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न प्लेटफॉर्म की मदद से आप यह तुलना कर सकते हैं. इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस बहुत करना जरूरी हो जाता है.

टेक्निकल एनालिसिस में शेयर के चार्ट की स्टडी करके हर रोज, साप्ताहिक और मासिक अवधि में स्टॉक के भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में पता लगाया जाता है. इसके जरिए आप शेयर के भाव की एक रेंज के बारे में जान सकते हैं कि विभिन्न अवधि में यह शेयर किसी भाव के आसपास रहता है. स्टॉक का प्राइस कहां सपोर्ट बनाता है और कहां रजिस्टेंस बनाता है. इस आधार पर किसी भी शेयर को सही कीमत पर खरीद सकते हैं और अच्छा रिटर्न मिलने पर बेच सकते हैं.

म्यूचुअल फंड और अन्य बड़े निवेशकों की खरीदी
हर रिटेल इन्वेस्टर किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले यह जानना चाहता है कि बड़े निवेशक जैसे- म्यूचुअल फंड हाउस, विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी कितनी है. दरअसल बड़े निवेशक किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले बहुत अध्ययन करते हैं इसलिए आम निवेशक को लगता है कि म्यूचुअल फंड द्वारा खरीदे गए शेयर निवेश के लिए ज्यादा सही और बेहतर होते हैं.

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पैसों को कई जगह पर लगाएं: बाजार की अस्थिरता में मल्टी असेट फंड करते हैं मदद, जानिए कैसे निवेश कर सकते हैं

2020 और 2021 शेयर बाजार निवेशकों के लिए काफी अलग साल थे। एक ऐसा समय जहां बाजार आगे जानिए निवेश रणनीति की ओर बढ़ रहे थे और पैसा कमाना काफी आसान लग रहा था। जरूरत थी तो बस निवेश करने की। इक्विटी न केवल निवेशकों के पसंदीदा असेट क्लास के रूप में उभरी, बल्कि कई तो कुछ ज्यादा ही पैसा शेयर बाजार में लगा डाले।

अब पुरानी रणनीति कामयाब नहीं है

हालांकि अब 2022 में वह रणनीति कामयाब होती नहीं दिख रही है। इक्विटी बाजार अपने रिकॉर्ड ऊंचाई से काफी नीचे हैं। बाजार में अस्थिरता हावी हो गई है। कई लोगों को अब समझ में नहीं आ रहा है कि अलोकेशन में विविधीकरण या डायवर्सिफिकेशन कितना जरूरी होता है। निवेश के समय, विविधीकरण बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसलिए अब एक मल्टी-असेट की रणनीति सफल निवेश की कुंजी बन गई है।

मल्टी असेट कई क्लास में निवेश करते हैं

ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के जोनल हेड (उत्तर भारत) पंकज जवांजल कहते हैं कि सीधे शब्दों में कहें तो मल्टी-असेट निवेश में इक्विटी, फिक्स्ड इनकम, कैश और सोने जैसे विभिन्न असेट क्लासों में निवेश करना शामिल है। अलग-अलग आर्थिक और बाजार की परिस्थितियों में विभिन्न असेट क्लास अलग-अलग व्यवहार करते हैं।

सबका अपना एक समय होता है

वे कहते हैं कि प्रत्येक असेट क्लास का प्रदर्शन करने का अपना एक समय होता है। विविधीकृत होने से निवेशकों को बाजार के विभिन्न चक्रों से लाभ उठाने में मदद मिलती है। विविधीकृत का मतलब कई सेक्टर्स या असेट में निवेश करने से है। इसके अलावा, मल्टी-असेट निवेश पोर्टफोलियो की अस्थिरता को रोकने में मदद कर सकता है।

जवांजल कहते हैं कि एक असेट क्लास में गिरावट संभावित रूप से दूसरे असेट क्लास में तेजी से संतुलित हो सकती है। लंबी अवधि के दौरान, पोर्टफोलियो को जोखिम से मुक्त करने के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है।

साल की शुरुआत में अनुमान लगाना मुश्किल

जब निवेश की बात आती है, तो किसी भी फाइनेंशियल वर्ष की शुरुआत में, कोई भी यह अनुमान नहीं लगा सकता है कि उस वर्ष कौन सा असेट क्लास बेहतर प्रदर्शन करेगा। अधिक से अधिक, एक व्यक्ति जो कर सकता है वह एक ठीक-ठाक अनुमान लगा सकता है। यह एक खेल की शुरुआत में विजेता का अनुमान लगाने जैसा है।

फीफा में भी विजेता बदलते रहते हैं

फीफा विश्व कप विजेता हो या असेट क्लास, विजेता हर साल बदलते रहते हैं। पिछले पांच फीफा विश्व कप में, पांच अलग-अलग देशों ने कप जीता है। 2002 में ब्राजील, 2006 में इटली, 2010 में स्पेन, 2014 में जर्मनी और 2018 में फ्रांस। इसी तरह भारतीय शेयर बाजार ने 2012 में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, लेकिन 2013 का साल ग्लोबल इक्विटी का रहा।

2014 दोनों के लिए अच्छा था

भारतीय इक्विटी और फिक्स्ड इनकम के लिए 2014 जानिए निवेश रणनीति एक अच्छा साल था। भारत के फिक्स्ड इनकम रिटर्न ने 2015 में कई देशों को पीछे छोड़ दिया। इंडिया इक्विटी ने 2017 में वापसी की और 2018 में लड़खड़ा गई। इसके बजाय, 2018 में सोने ने अच्छा प्रदर्शन किया। 2019 में ग्लोबल इक्विटी और गोल्ड दोनों प्रभावित हुए।

अनुमान लगाना संभव नही है

इससे यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि निवेशकों के लिए यह अनुमान लगाना संभव नहीं है कि प्रत्येक असेट क्लास साल-दर-साल आधार पर कैसा प्रदर्शन करेगी। न ही निवेशकों को इस तरह की कवायद में शामिल होना चाहिए। इसे टालने का सबसे आसान विकल्प एक अच्छे मल्टी-असेट पोर्टफोलियो के माध्यम से कई असेट क्लास में निवेश करना है।

मल्टी असेट निवेश के लिए अच्छे साधन

जवांजल कहते हैं कि अपनी विविध कैटेगरी के साथ म्यूचुअल फंड मल्टी-असेट निवेश के लिए अच्छे साधन हो सकते हैं। मल्टी-असेट अलोकेशन फंड या फंड ऑफ फंड्स, जिसमें विभिन्न असेट क्लास में निवेश किया जाता है। जैसे कि आम तौर पर इक्विटी (घरेलू और वैश्विक), फिक्स्ड इनकम, सोना और कैश और कुछ मामलों में, इनविट (इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) और Reit (रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) भी शामिल होते हैं।

कई असेट क्लास में निवेश की सुविधा

एक फंड के माध्यम से कई असेट क्लास में निवेश करने की सुविधा मिलती है। एक सफल मल्टी असेट रणनीति के प्रबंधन के जानिए निवेश रणनीति लिए व्यावहारिक रूप से सभी निवेश के कौशल की जरूरत होती है। व्यक्तिगत असेट क्लास से लेकर स्टॉक सिलेक्शन और ओवरऑल स्तर पर असेट अलोकेशन तक इसकी जरूरत होती है। चूंकि ऐसा करने के लिए कई स्किल सेट की आवश्यकता होती है जो शायद ही कभी एक व्यक्ति में पाए जाते हैं, इसलिए फंड हाउस इन्हें प्रबंधित करने के लिए कई विशेषज्ञ की टीम नियुक्त करते हैं। यह सब बहुत कम लागत पर उपलब्ध होता है।

एक्सपेंस रेशियो काफी कम

उदाहरण के लिए, ICICI प्रूडेंशियल पैसिव मल्टी असेट फंड ऑफ फंड (FoF) का एक्सपेंस रेशियो अधिकतम 1% तक है। जनवरी महीने के अंत तक, पोर्टफोलियो का निवेश घरेलू इक्विटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में 27.9%, विदेशी ETF में 25%, घरेलू डेट ETF में 34.3%, गोल्ड ETF में 4.1% और शॉर्ट टर्म डेट में 8.7% था।

पोर्टफोलियो की अस्थिरता को कम करने में मदद

मल्टी-असेट निवेश का उद्देश्य निवेशकों को पोर्टफोलियो की अस्थिरता को कम करने में मदद करना है। अंत में, मल्टी-असेट इन्वेस्टमेंट निवेशकों को रिस्क और अपेक्षाकृत सुरक्षित संपत्ति (relatively safer aset) दोनों के लिए धन आवंटित करके, रिवार्ड के साथ रिस्क को संतुलित जानिए निवेश रणनीति करने में सक्षम बनाता है। साथ ही, एक निवेशक के नजरिए से, यह निवेश प्रक्रिया को आसान भी करता है। निवेशकों को अपने फाइनेंशियल लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मल्टी-असेट निवेश के लाभों को पहचानना अच्छा होगा।

शेयर बाजार में नुकसानदायक है 'महंगा खरीदो और सस्ता बेचो' की रणनीति, मुनाफा चाहिए तो हरगिज न करें ये गलतियां

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। कुछ साल पहले एक्सिस म्यूचुअल फंड की एक स्टडी के हवाले से खबर थी कि निवेशक जिस फंड में निवेश करते हैं, उसके मुकाबले उनका अपना रिटर्न कम रहता है। सरसरी तौर पर देखने पर ये बात निवेश का गणित समझने वाले किसी भी शख्स को बेतुकी लगेगी। मगर करीब से देखेंगे तो समझ जाएंगे कि यहां क्या हो रहा है। इसे समझने का राज गणित में नहीं, बल्कि लोगों के व्यवहार में छुपा है।

Share Market Wealth by Equity (Jagran File Photo)

स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, एएमसी ने पिछले 20 साल में, मार्च 2022 तक मिलने वाले म्यूचुअल फंड रिटर्न जांचा। इस अंतराल में, सक्रिय रूप से मैनेज किए गए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 19.1 प्रतिशत सालाना रिटर्न मिला था। मगर इन फंड्स के निवेशकों ने केवल 13.8 प्रतिशत ही कमाया था। ये एक बड़ा फर्क है। पिछले 20 साल में, 19.1 प्रतिशत का मतलब है, एक लाख रुपये का निवेश बढ़कर 33 लाख रुपये हो जानिए निवेश रणनीति गया। वहीं, 13.8 प्रतिशत का मतलब है ये केवल 13.3 लाख ही हो पाया। ये जिंदगी बदल देने वाला फर्क है। इसी तरह, हाइब्रिड फंड्स ने 12.5 प्रतिशत रिटर्न दिया, मगर निवेशकों ने करीब 7.4 प्रतिशत कमाए। फिर से ये फर्क बहुत बड़ा है। एक लाख निवेश करने जानिए निवेश रणनीति पर, असल में ये फर्क 10.5 लाख और 4.2 लाख का हुआ।

उत्साह में खरीदो, घबराहट में बेचो

मेरे अनुभव में ये आम बात है। मुझे हमेशा ही लगता रहा है कि फंड को मिलने वाले असल मुनाफे के मुकाबले निवेशक कहीं कम मुनाफा कमाते हैं। पर ऐसा होता क्यों है? दरअसल, हम निवेशक अपने ही सबसे बड़े दुश्मन हैं। एक तरफ, हम निवेश के लिए बेस्ट म्यूचुअल फंड चुनने पर अमादा रहते हैं। दूसरी तरफ हम फंड्स को गलत समय पर खरीदते और बेचते हैं। और ये काम कुछ इस तरह करते हैं कि मुनाफे के कम होने की गारंटी हो जाए। नतीजा ये होता है कि हम फंड तो अच्छे चुनते हैं, पर बैंक के फिक्स्ड डिपाडिट से बेहतर रिटर्न नहीं कमा पाते। बुनियादी तौर पर, इसे 'उत्साह में खरीदो, घबराहट में बेचो' कहा जा सकता है।

इस जुमले का मतलब साफ है। लोग तभी निवेश करते हैं, जब इक्विटी मार्केट में उत्साह छाया हो। यानी जब दाम पहले ही आसमान छू रहे होते हैं। फिर बेचते तब हैं जब इक्विटी के दाम क्रैश कर रहे होते हैं। कुल मिला कर इसका मतलब हुआ, 'महंगा खरीदो, सस्ता बेचो'। ये उसके ठीक उलट है जो किया जाना चाहिए। बजाए निवेश की 'श्रेष्ठ' रणनीति पता करने के, ऐसा व्यवहार निवेश की 'निकृष्ट' रणनीति की तरफ ले जाता है।

न करें ये गलतियां

नोट करें कि यहां म्यूचुअल फंड्स की बात सिर्फ इसलिए हो रही है, क्योंकि बात शुरू ही हुई थी एक म्यूचुअल फंड कंपनी की स्टडी से। यही बात इक्विटी निवेशकों पर भी लागू होती ही। हालांकि इक्विटी में इस तरह की साफ सुथरी तुलना मुश्किल है। असल में, स्टाक में दो तरह की गलतियां होती हैं, पहली है जल्दी बेच देना और दूसरी है बेचने में बहुत देर कर देना। और हां, स्टाक निवेश एक अलग तरह का निवेश भी है।

लोग स्टाक खरीदते हैं, और जब उन्हें लगता है कि ये उतना बढ़ गया है जितना बढ़ सकता था, तब वो उसे बेच देते हैं और इस तरह से अपना मुनाफा भुना लेते हैं। असल में, उन्हें लगता है कि ऐसा न करने जानिए निवेश रणनीति से उनका मुनाफा हाथ से निकल जाएगा, या कम हो जाएगा। और बाद में पछताना पड़ सकता है या नुकसान की शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है जो बुरी बात होगी।

निवेशकों का मनोविज्ञान

मुनाफे को कुछ जल्दी भुना लेने में, निवेशक जीत पक्की करने के लिए प्रेरित होते हैं। और किसी खराब निवेश को बनाए रखने में उनकी प्रेरणा हार से बचने की होती है। काश, कह पाता कि एक बार निवेशक इस मुश्किल को समझ लेते, तो वो इन गलतियों से बचने के लिए कदम उठा सकते हैं। मगर जिन गलतियों की जड़ें निवेशकों के मनोविज्ञान से जुड़ी हों, उसे समझ जाने के बावजूद ठीक कर पाना आसान नहीं होता।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

म्यूचुअल फंड्स में निवेश की शुरुआत का सही समय क्या है? कितना जरूरी है SIP के जरिए निवेश

लंबी अवधि के लिए SIP के जरिए निवेश से कम्‍पाउंडिंग का अच्छा फायदा मिलता है. क्योंकि आपकी SIP जितनी लंबी अवधि की होगी कम्‍पाउंडिंग से रिटर्न उतना ज्यादा फायदा मिलेगा.

फाइनेंशियल गोल को पूरा करने के लिए जरूरी है सही समय पर बचत की शुरुआत. सही समय पर बचत की शुरुआत के साथ जरूरी है कि बचत की रकम किस तरह से निवेश किया जा रहा है. अगर सही रणनीति के तहत निवेश की शुरुआत हुई, तो यह रकम आपके फाइनेंशियल लक्ष्यों को पूरा करने का रास्ता आसान बना देती है. आप भी म्यूचुअल फंड्स के जरिए निवेश की शुरुआत करना चाहते है, तो इसमें ज्यादा समय न लें. ऐसे में सवाल उठता है कि म्यूचुअल फंड्स में निवेश का सही समय क्या है और इसके SIP के जरिए ही निवेश करना चाहिए?

एक साथ फंड के निवेश से बचें

म्यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए कोई तय अवधि नहीं है. जब भी आप निवेश की शुरुआत करना चाहें आप कर सकते हैं. हालांकि, यह आपके फाइनेंशियल लक्ष्यों पर निर्भर करता है. ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर पंकज मठपाल के मुताबिक अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश की योजना बना रहें हैं तो डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड चुन सकते हैं. चुंकि बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर है तो एक साथ रकम न लगाएं. रकम को टुकड़ों में निवेश करें.

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1500 रुपये हर माह 5 साल तक आरडी में जमा करने से तैयार हो जाता है 1 लाख रुपये का फंड।A fund of 1 lakh rupees is prepared by depositing Rs 1500 every month in RD for जानिए निवेश रणनीति 5 years.

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