अंतिम गाइड

CJI Lalit says he is leaving with a sense of accomplishment
गाइड: अंतिम अध्याय
राजू के आसपास जुट रही लोगों की संख्या अब हजारों में तब्दील हो चुकी थी. लेकिन राजू को अपने आसपास की दुनिया की कुछ नहीं पडी थी. देश के इस हिस्से में आज तक कभी इतना जनसैलाब नहीं उमडा. हर कोई बारिश के लिए उपवास पर बैठे स्वामी के दर्शन करना चाहता था. लोग हार्मोनियम और तबले की संगत में भजन गा रहे थे.
ग्यारहवें दिन की रात में हर किसी ने जागरण किया. बारहवें दिन की भोर में साढे पांच बजे सरकारी डॉक्टरों ने राजू की जांच करके अपना हस्ताक्षर करके हेड क्वार्टर्स में अर्जेंट टेलीग्राम भेजा: `स्वामी की तबीयत गंभीर है. ग्लूकोज और सलाइन लेने से मना कर रहे हैं. तत्काल उपवास छुडवाने की जरूरत है. कृपया सलाह दें.’
इस तार का सरकार की ओर से घंटे भर में ही जवाब आ गया: स्वामी को बचाना अत्यंत जरूरी है. उन्हें सहयोग करने के लिए अंतिम गाइड समझाइए. जान को जोखिम में न डालें. ग्लूकोज और सलाइन चढाने की कोशिश कीजिए. समझाइए कि उपवास कुछ दिन बाद फिर शुरू कीजिएगा, अभी आहार ले लीजिए.
डॉक्टरों ने स्वामी को समझाने का काम भोला को सौंपा. भोला स्वामी के पास जाकर धीमे स्वर में बोला,`डॉक्टर कह रहे हैं कि….’
जवाब में राजू ने भोला को और करीब बुलाकर कहा,`मुझे खडे होना है, थोडी मदद करो…’
भोला ने अन्य लोगों की सहायता से किसी तरह राजू को खडा किया. राजू का संतुलन बिगड रहा था. लेकिन वह हर दिन की अंतिम गाइड तरह आज भी नदी का पास गड्ढे में खडे होकर वरुण देवता से प्रार्थना करना चाहता था. धीमे कदमों से राजू आगे बढा. हर कोई उसके पीछे चल पडा. पूर्व दिशा में आकाश में लालिमा उभर रही थी. राजू नहीं चल सकता था. उसकी सांस फूल रही थी. फिर भी वह एक के बाद एक कदम आगे बढाता जा रहा था. नदी किनारे पहुंचकर उसने एक गड्ढे में पैर अंतिम गाइड रखे. उसके होठों पर प्रार्थना के शब्द बुदबुदाने लगे. भोला और एक अन्य व्यक्ति ने उसे पकड रखा था. सूर्य के प्रकाश का तेज सारे आकाश को प्रकाशित कर रहा था. राजू के पांव जवाब दे रहे थे. उसे पकडे रखना कठिन हो गया था. वह लुढकने की तैयारी में था. वह धीमी आवाज में बोला,`भोला, पहाडी पर बारिश हो रही है. इस तरफ आ रही है, मेरे पांव भीग रहे हैं…’ राजू फिसल कर नीचे गिर पडा.
मित्रो, आर.के. नारायण का उपन्यास `गाइड’ यहीं खत्म हो जाता है. आपने ध्यान दिया होगा कि फिल्म का अंत और उपन्यास का अंत अलग अलग हैं. उपन्यास में लेखक ने आपकी कल्पना पर अंत को छोड दिया है. पाठक सोच सकता है कि बारिश हुई होगी, नहीं भी हुई होगी. पाठक सोच सकता है कि राजू की मृत्यु हो गई होगी, नहीं भी हुई होगी.
फिल्म का अंत निश्चित है. बारिश होती है. राजू की मृत्यु हो जाती है. फिल्म मे रोजी तथा राजू की मां राजू के उपवास का समाचार सुनकर मिलने पहुंच जाते हैं, गफूर भी आ जाता है. उपन्यास में उपवास के समय राजू से मिलने न तो रोजी मिलने आती है, न राजू की मां. खुद राजू को रोजी या मां की याद तक नहीं आती.
फिल्म के अंत का अपना मजा है. मरने से पहले एक आखिरी बार अगर हीरो हिरोइन से मिल ले तो दर्शक के नाते हमें भी संतोष होता है. माता अपने बिछडे हुए बेटे को देख ले तो हमें अच्छा लगता है. उपवास करनेवाले बेटे की सेवा करनेवाली मां को संबोधित करते हुए देव आनंद अपने लहजे में जब कहते हैं,`मां आआआ…सेवा तो मुझे तुम्हारी करनी चाहिए. जाओ, जा कर सो जाओ.’ तब आपकी आंखें जरूर भीग जाएंगी.
लेकिन ओरिजिनल उपन्यास का अंत वास्तविक है. जिस रोजी के प्यार के कारण राजू ने बनावटी हस्ताक्षर किया था वह रोजी जेल में दो साल के दौरान एक बार भी मिलने नहीं आई. अपने शोज करके अधिक से अधिक प्रसिद्धि और धन पाती रही. जिसने उसे रोजी से मिस नलिनी बनाया उसे जेल में छोडकर अपनी जिंदगी में आकंठ डूब गई. क्या ऐसे व्यक्ति को कोई अपनी जिंदगी में दोबारा लाना चाहेगा? बिलकुल नहीं. उसे भूल जाना चाहिए. सभी मां भी बेटे के अरमानों का साथ देने के बजाय रोजी के साथ उसके जीवन बिताते समय आ रही समस्याओं के बीच बेटे के साथ रहने के बजाय मामा के घर चली जाती है और जेल के दुर्भाग्यपूर्ण दिनों में अपने सगे बेटे को भूल जाए ऐसी मां की याद भी राजू को नहीं आना स्वाभाविक है, फिर चाहे वह मां कितनी ममता-दया क्यों न रखती हो.
मित्रों, इस लंबी श्रृंखला में आपने ध्यान दिया होगा कि जो बातें फिल्म में नहीं हैं वे सारी बातें उपन्यास से चुन चुन कर उन्हें एकसूत्र में पिरोकर आपके सामने रखने की जहमत की है. पिक्चर में कर्स बातें शामिल की गई हैं, बदली अंतिम गाइड भी गई हैं. इसके बावजूद उपन्यास का सेंट्रल थीम बरकरार है. एक महान उपन्यास के आधार पर महान फिल्म बनाने का हुनर सीखने के लिए `गाइड’ उपयोगी है. उपन्यासकार आर.के. नारायण और निर्देशक-पटकथा लेखक, संवाद लेखक विजय आनंद – दोनों ही महानुभावों ने गाइड में अपनी सारी जान लगा दी है. उपन्यासकार ने अपने सृजनात्मक एकांत में जो गजब की सृष्टि रची उसे परदे पर उतारने के लिए कई नामी-अनामी लोगों ने दिन रात मेहनत की. देव आनंद ने प्रोड्यूसर और हीरो के रूप में, तथा वहीदा रहमान ने अभिनय और नृत्य द्वारा रोजी के पात्र को जीवंत कर दिया है, किशोर साहू जैसे मंजे हुए कलाकार ने मार्को की भूमिका निभाकर इस फिल्म को यादगार बनाया है. और `गाइड’ को यादगार बनाया है गीतकार शैलेंद्र तथा एस.डी. बर्मन की जोडी ने जिन्होंने इस फिल्म के लिए न भूतो, न भविष्यति गीत रचे हैं. इन सदाबहार गीतों को यदि फिल्म से हटा लिया जाए तो `गाइड’ के आधा चार्म खत्म हो जाएगा. इसीलिए, इतनी लंबी श्रृंखला के बाद कम से कम एक लेख तो लिखना ही पडेगा- गाइड के गीतों के बारे में. रविवार को `संडे मॉर्निंग’ में गाइड के कभी न भुलाए जा सकनेवाले हर गीत के बारे में बात करके इस श्रृंखला को समाप्त करेंगे.
आज का विचार
दिवाली के रॉकेट देखकर पता चला कि जीवन में ऊंचा उठना हो तो बॉटल के बिना संभव नहीं है…
CJI UU Lalit Farewell: CJI यूयू ललित को दिया गया फेयरवेल, अंतिम कार्य दिवस पर हुए भावुक, 10 हजार से ज्यादा मामले निपटाए
न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी करीब 37 साल की यात्रा को याद किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने वकील और न्यायाधीश दोनों रूप में काम किया है.
CJI यूयू ललित को दिया गया फेयरवेल, अंतिम कार्य दिवस पर हुए भावुक, 10 हजार से ज्यादा मामले निपटाए
CJI UU Lalit Farewell: चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस ललित के कार्यकाल का सोमवार को आखिरी सत्र था. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित आज रिटायर हो गए. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा उनके सम्मान में फेयरवेल का आयोजन किया गया. अपने कार्यकाल के अंतिम दिन भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों निपटाएं.
CJI Lalit says he is leaving with a sense of accomplishment
अंतिम दिन भावुक हुए चीफ जस्टिस
इस अवसर पर यू.यू. ललित भावुक हो गए. उन्होंने बार के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, "इस अदालत में मेरी यात्रा कोर्ट 1 में शुरू हुई. मैं यहां एक मामले का उल्लेख करने आया था जिसे मैं सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ के समक्ष पेश कर रहा था. मेरी यात्रा अब यहां समाप्त होती है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. मैंने अपने कार्यकाल की शुरुआत से लेकर अब तक 10,000 से अधिक मामलों को निपटाया है और इसके अलावा हमने 13,000 मामलों को निपटाया है जिनमें काफी समय से कुछ न कुछ खामियां थीं.
कई अहम मुद्दों का किया जिक्र
चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर कहा, "मैंने लगभग 37 वर्षों तक सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की है, लेकिन मैंने कभी भी दो संविधान पीठों को एक साथ बैठे नहीं देखा. लेकिन, चीफ जस्टिस बनने के बाद विशेष दिन पर तीन संविधान पीठ बैठीं. यह वह दिन भी था जब हमने लाइव-स्ट्रीमिंग शुरू की. इसलिए मैं बड़ी उपलब्धि और संतुष्टि की भावना के साथ यहां से जा रहा हूं." सीजेआई ललित ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी न्यायाधीशों को संविधान पीठ में रहने का अवसर मिले.
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कार्यकाल की अहम बातों को किया याद
चीफ जस्टिस ने कहा, "मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का जज किसी भी चीज के लिए अच्छा होता है और इस तरह वे सभी संविधान पीठ का हिस्सा हो सकते हैं." प्रथा के अनुसार, इस बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा अगले सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी भी थे, जो जस्टिस ललित के नेतृत्व वाली अंतिम डिवीजन बेंच के सदस्य थे. जस्टिस ललित इससे पहले वर्ष में द्वारा भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से पहले उन्होंने कहा था कि वह पूरे वर्ष में कम से कम एक संविधान पीठ के कामकाज की कोशिश करेंगे.
मौके पर कई लोग मौजूद
यूयू ललित को नामित सीजेआई न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने विदाई दी. औपचारिक पीठ में सीजेआई ललित, जिसकी कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया गया, मुख्य न्यायाधीश-नामित न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी अंतिम गाइड के साथ बैठे नजर आए. इस मौके पर, नामित सीजेआई न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि, भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित द्वारा अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान जिन सुधारों की शुरुआत की गई है, उनमें निरंतरता बनी रहेगी.'
मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा योजना:छात्रवृत्ति आवेदन की अंतिम तिथि 21 दिसंबर तक बढ़ाई
कॉलेज आयुक्तालय द्वारा मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा योजना, विधवा, परित्यक्ता सीएम (बीएड) संबल योजना, देव नारायण छात्रा स्कूटी एवं प्रोत्साहन योजना व काली बाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर से बढ़ाकर 21 दिसंबर कर दी गई है। एसबीके कॉलेज के प्राचार्य अशोक कुमार दलाल ने बताया कि विभागीय वेबसाइट अंतिम गाइड http//hte.rajasthan.gov.in से अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
कुनकुरी में बेसिक स्काउट मास्टर एवं गाइड कैप्टन प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न
जशपुर । भारत स्काउट गाइड जिला संघ जशपुर द्वारा आयोजित बेसिक स्काउट मास्टर एवं गाइड कैप्टन प्रशिक्षण शिविर लोयोला उ०मा०वि० कुनकुरी में विगत दिनों प्राचार्य लोयोला उ०मा०वि० कुनकुरी के उपस्थिति में समापन कार्यक्रम का सम्पन्न हुआ ।
जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती मधुलिका तिवारी पदेन जिला आयुक्त स्काउट गाइड जिला मुख्य आयुक्त हरि प्रसाद साय, जिला सचिव श्रीमती कल्पना टोप्पो (गाइड) संयुक्त सचिव सरीन राज के मार्गदर्शन में भारत स्काउट गाइड छत्तीसगढ़ रायपुर राज्य सचिव आदेशानुसार जशपुर जिले में बेसिक स्काउट मास्टर एवं गाइड कैप्टन शिविर लोयोला उ०मा०वि० कुनकुरी में आयोजित किया गया।
इस प्रशिक्षण राज्य द्वारा समय समय पर आयोजित सहासिक गतिविधियां, आपदा प्रबंधन, पर्वतारोहण जैसे आयोजित कार्यक्रमों में स्काउट गाइड को भाग लेने हेतु प्राथमिक प्रशिक्षण दिया गया । यह प्रशिक्षण 07 दिवसीय एवं पूर्ण आवासीय था प्रशिक्षाणार्थी सुबह 05.30 से रात्रि 9.30 बजे तक स्काउट गाइड अंतिम गाइड के गतिविधियों का अभ्यास किये ।
ड्यूटी कार्य शिविर उद्देशय एवं विधियां प्रर्थना, झंडा गीत, राष्ट्र गान, गणवेश की जानकारी, सीटी के इसारे स्काउटीग के इतिहास एवं कम्प फायर इन विषयों पर प्रशिक्षको द्वारा स्काउटर गाइडर को जानकारी प्रदान की गई द्वितीय दिवस में बी.पी. सिक्स से कक्षा की सुरूवात करते हुए फण्डामेन्टल नियम प्रतिज्ञा, आयु समूह की विशेषताएं अतिरूचि एवं आवश्यकताएं विकासात्मक प्रशिक्षण सैलियुट बायां हाथ मिलाना, स्थानीय संगठन, जिला संगठन, राज्य संगठन, टोली मिटिंग, गाठेह आदि के बारे में प्रशिक्षको द्वारा बारीकी पूर्ण जानकारी देते हुए अभ्यास कराया गया। तृतीय दिवस में बी.पी. सिक्स एवं व्यायाम का अभ्यास करते हुए ध्वज शिटाचार आवास व्यस्था का निराक्षण,टोली विधि में कार्य करना, द्वितीय अंतिम गाइड अंतिम गाइड सोपान की गाठे एवं लेसिंग के अभ्यास हेतु रस्सी एवं डडों की सहायता से तम्बु बनाना बर्तन स्टैण्ड बनाने का अभ्यास एवं कैम्प फायर की तैयारी करना।चतुर्थ दिवस में प्रशिक्षको के द्वारा आग के प्रकार से परिचित कराया गया। भोजन बनाना आग से सुरक्षा,जलाना, बुझाना, जैसे तरिकों से स्काउटर गाइडर को अवगत कराया गया। कम्पास की सहायता से दिशा का ज्ञान केम्पिंग, हईकिंग जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी प्रदान की गई। स्काउट गाइड में प्रयोग की जाने वाली बैज प्रणाली एवं विशव स्काउटिंग विषय पर चर्चा करते हुए विस्तृत जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के पांचवे दिन योगा, निरिक्षण, ध्वज शिष्टाचार के पश्चात दीक्षा संस्कार शिविर ज्वाल हाईक रिपोर्ट लोग बुक अनुमान लगाना जैसे विषयों पर चर्चा की गई। प्रशिक्षण के छठवे दिन में योगा स्काउटिंग और धर्म पालक शाला संबंध से शेल्टर टेन्ट प्रदर्शन दल प्रबंध एवं विशाल शिविर ज्वाल की तैयारी एवं संस्कृतिक कार्यक्रम का प्रदर्शन किया गया।।
प्रशिक्षण के अंतिम दिवस में सर्वधर्म, प्रर्थना का आयोजन किया गया। दीक्षा संस्कार का प्रदर्शन करते हुए स्काउटर गाइडर को बैच एवं स्काउट टोपी पहना कर दीक्षा संस्कार दिया गया।
सात दिवसीय स्काउट मास्टर एवं गाइड कैप्टन प्रशिक्षण शिविर में बेसिक स्काउट मास्टर हेतु शिविर संचालक
नागेश्वर साहू(ए.एल.टी.) स्काउट डी.ओ.सी. स्काउट जिला कोरिया (छ.ग.) सहायक संचालक उत्तम साहू(एच.डब्लू बी.) स्काउट कोरिया, बंश गोपाल (एच.डब्लू. बी.) स्काउट कोरिया, फादर आनंद तिर्की (एच डब्लू बी.) स्काउट कुनकुरी, अभिषेक नगिया (एडवांस) स्काउट बगीचा ने जिले के स्काउटर को प्रशिक्षित करने में अहम भूमिका रही। बेसिक गाइड कैप्टन हेतु शिविर संचालक के रूप में अनिता तिग्गा (ए.एल.टी.) गाइड दुलदुला, सहायक संचालक इसाइलि केरकेट्टा (ए.एल.टी.) गाइड, सुचिता टोप्पो (प्री.ए.एल.टी.) गाइड कोरिया, गाइड कैप्टन को प्रशिक्षित करने में योगदान रहा। कार्यक्रम को संचालन करने में श्री गुलाब चंद पैकरा स्काउटर उत्तम कुमार यादव विकासखण्ड सचिव स्काउटर, संतोष किस्पोट्टा स्काउटर ग्रेगोरी एक्का स्काउटर, श्रीमती देवेन्ती पटेल गाइडर विकासखण्ड सहसचिव गाइड. इमेरियस लकड़ा स्काउटर, कुमारी अल्का लकड़ा गाइडर, कुमारी अर्चना मिज गाइडर, श्रीमती प्रीति सुधा किस्पोट्टा जिला संगठन आयुक्त गाइड एवं श्री दुमनू गोसाई जिला संगठन आयुक्त अंतिम गाइड स्काउट का शिविर को सफल संचालन करने में विशेष योगदान रहा।इस प्रशिक्षण में विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी सीताराम साव विशेष मार्गदर्शन प्राप्त हुआ ।