एक्सपर्ट के मुताबिक आज कौन से शेयर खरीद बेच सकते हैं

यूटिलिटी डेस्क. हेजिंग की सुविधा पाते हुए अगर आप मार्केट में इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो फ्यूचर ट्रेडिंग के मुकाबले ऑप्शन ट्रेडिंग सही चुनाव होगा। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आपको शेयर का पूरा मूल्य दिए बिना शेयर के मूल्य से लाभ उठाने का मौका मिलता है। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आप पूर्ण रूप से शेयर खरीदने के लिए आवश्यक पैसों की तुलना में बेहद कम पैसों से स्टॉक के शेयर पर सीमित नियंत्रण पा सकते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट के मुताबिक आज कौन से शेयर खरीद बेच सकते हैं और फाइनांस
जानकारों का दावा है कि एआई और फाइनांस कई लिहाज़ से एक-दूसरे के लिए बने से लगते हैं। ऐसी तकनीक जो एक ऐसे पैटर्न की पहचान करना आसान बनाती हैं जिसके मामले में इंसान की आँख चूक सकती है और यह एआई के मूलभूत काम में से एक है। चूंकि फाइनांस मूलतः क्वांटिटेटिव दिखता है सो इसे ऐसे काम (डेटा एनालिसिस, प्रेडिक्शन, एरर कोडिंग) के साथ इसे न जोड़ना मुश्किल है, जिन्हें एआई आसानी से पूरा कर सकता है।
हालाँकि ये टूल 1980 के दशक से ही मौजूद रहे हैं लेकिन 21 वीं सदी में ही फिनांशियल कंपनियों ने पहली बार एआई सही तरीके से उपयोग करना एक्सपर्ट के मुताबिक आज कौन से शेयर खरीद बेच सकते हैं शुरू किया। लगभग सारी कंपनियां आज की ज़रुरत बन चुकी डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग वाले फिनांशियल एप्लीकेशन में इसका उपयोग करना चाहती हैं। जहां तक बात स्टॉक ट्रेडिंग की है, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निश्चित रूप से नई बात नहीं है, लेकिन एआई की क्षमता तक व्यापक पहुंच बड़ी फर्मों तक ही सीमित है। आइए, एआई स्टॉक ट्रेडिंग की शुरुआत और ग्रोथ के बारे में जानें।
स्टॉक मार्केट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पेश होना
इंडस्ट्री से जुड़े एक व्यक्ति के मुताबिक, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ट्रेडिंग में वही क्रांति लाई को केवमैन के जीवन में आग की खोज ने लाई।" दूसरे शब्दों में, एआई स्टॉक ट्रेडिंग मॉडर्न इन्वेस्टर के लिए गेम-चेंजर रहा है। लेकिन यह कैसे हुआ? एआई को पहली बार शेयर बाजारों एक्सपर्ट के मुताबिक आज कौन से शेयर खरीद बेच सकते हैं में कब पेश किया गया था और इसे लोगों ने कैसे लिया? शेयर बाजार में एआई की शुरुआत थ्योरेटिकल लेवल पर 1960 के दशक में रॉबर्ट श्लेफर के साथ ही हो गई थी।
1959 में, श्लेफर ने एक मौलिक किताब लिखी "प्रोबैबिलिटी एंड स्टैटिस्टिक्स फॉर बिज़नेस डिसिज़न"। इसके पब्लिश होने के बाद बिज़नेस की दुनिया में स्टैटिस्टिक्स के क्षेत्र में रिसर्च के सम्बन्ध में लोकप्रियता बढ़ी। व्यावहारिक स्तर पर, 1980 के दशक में आर्टिफीशियल नेटवर्क और फ़ज़ी सिस्टम में ग्रोथ हुई, दोनों ने फिनांशियल टूल्स को बेहतर प्रेडिक्टिव पावर दिया।
एआई स्टॉक ट्रेडिंग फिलहाल कैसा दिखता है?
1980 के दशक के बाद से फाइनेंस में एआई की एक्सपर्ट के मुताबिक आज कौन से शेयर खरीद बेच सकते हैं भूमिका एक्सपेरिमेंटल से एसेंशियल होती गई। हालाँकि ट्रेडिंग में इंसान की भूमिका बड़ी ही रही लेकिन एआई की भूमिका काफी बढ़ गई है। ब्रिटेन के रिसर्च फर्म कोएलिशन की हाल में की गई स्टडी के मुताबिक,एआई-ड्रिवन इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग का सिर्फ कैश इक्विटी ट्रेडिंग से हासिल रेवेन्यू में ही लगभग 45 प्रतिशत योगदान है। यहां तक कि इन्वेस्टमेंट के क्षेत्र जो अपने कामकाज में अधिक ऑटोमेशन नहीं चाहते हैं, जैसे हेज फंड, वे पोर्टफोलियो बनाने के लिए एआई से चलने वाले एनालिसिस टूल का उपयोग करते हैं और अपने लिए इन्वेस्टमेंट सुझाव लेते हैं।
इसके अलावा, एआई की शाखा जिसे 'मशीन लर्निंग (जिसका दायरा अपने-आप में विशाल है) एक्सपर्ट के मुताबिक आज कौन से शेयर खरीद बेच सकते हैं के रूप में जाना जाता है, इसका विकास और भी तेज गति से हो रहा है, फिनांशियल इंस्टीच्यूशन इसे सबसे तेज़ी से बना रहे हैं। वॉल स्ट्रीट के स्टैटिस्टिशियंस ने सीख लिया कि मशीन लर्निंग को फिनांस के विभिन्न पहलुओं पर कैसे लागू कर सकते हैं, जैसे एक्सपर्ट के मुताबिक आज कौन से शेयर खरीद बेच सकते हैं इन्वेस्टमें ट्रेडिंग एप्लीकेशन, और अब उन्होंने करोड़ों डाटा पॉइंट की छान-बीन रियल-टाइम एक्सपर्ट के मुताबिक आज कौन से शेयर खरीद बेच सकते हैं के आधार करने का हुनर पैदा कर लिया है। इस प्रक्रिया ने आखिरकार ऐसी जानकारी हासिल की जो पहले से मौजूद स्टैटिस्टिकल मॉडल नहीं कर सकता था।
Promoter Holding क्या है | प्रमोटर कितने शेयर रख सकता है?
आज के इस लेख में हम समझेंगे की Promoter Holding Kya एक्सपर्ट के मुताबिक आज कौन से शेयर खरीद बेच सकते हैं Hai, प्रमोटर कौन होता है, प्रमोट का मतलब क्या होता है, कंपनी का प्रमोटर वह होता है जो सुरुआत में कंपनी एक व्यक्ति या 2 व्यक्ति या ग्रुप भी हो सकता है वह कंपनी में निवेश करने के लिए जो धन जुटाते है उनको कंपनी का मालिक या प्रमोटर कहते है.
अब हम समझेंगे की पोमोटर होल्डिंग क्या होती है? इसका मतलब होता है की उस कंपनी के टोटल शेयर में प्रमोटर/मालिक का कितना प्रतिशत हिस्सा होता है. सुरुआत में 100% मालिक का ही हक़ होता है और यदि साझेदारी हो तो किसने कितने पैसे लगाये है इस हिसाब से कंपनी प्रमोटर्स को 40%, 30%, 50% की हिस्सेदारी हो सकती है.
इस तरह से आम जनता का कोई भी हिस्सा नहीं होता है जब तक कंपनी IPO नहीं लाती है या फिर आप secondary market से शेयर खरीदते है. इतना करने के बाद ही आप कंपनी के हिस्सेदार बनेंगे.
क्या प्रमोटर कंपनी के मालिक हैं (Promoter Holding Kya Hai)
प्रमोटर वह व्यक्ति होता है जो किसी कंपनी को सुरु करने के लिए निवेश करे, अब वह 1 या 2 या 3 या 4 भी हो सकते है जो एक समूह बनाकर कंपनी में निवेश करे, या फिर कोई निवेशक जो कंपनी की इक्विटी में पैसा लगाया हो. इतना ही नहीं बल्कि शेयर के मालिक होने के साथ-साथ बिज़नस में और भी जिम्मेदारियां होती है.
आप जब भी निवेश करने के लिए किसी एक्सपर्ट से सलाह लेते है तो वो भी कंपनी की प्रमोटर होल्डिंग को देखता है. आपने youtube विडियो में देखा होगा की जब कोई एक्सपर्ट शेयर मार्किट में निवेश करने की बात करता है तो वो शेयर होल्डिंग के बारे में जरुर बतायगा. इससे हमें पता चलता है की ये कितनी जरुरी है.
प्रमोटर/मालिक के पास अधिक होल्डिंग होनो चाहिए जिससे कंपनी पर उसका कंट्रोल रह और सभी फैसले प्रमोटर ले सके. यदि किसी भी प्रमोटर के पास 45%-50% शेयर होल्डिंग है तो भी ठीक है लेकिन यदि 70% लगभग है तो बहुत ही अच्छा है. लेकिन कंपनी नियम के अनुसार 70% या 75% से ज्यादा होल्डिंग रखने की अनुमति नहीं है. यदि कोई 80% प्रमोटर होल्डिंग रखता है तो उसे कुछ समय के बाद में 70% या 75% होल्डिंग तक लानी होती है.
प्लेज शेयर (pledge share) क्या है?
जब भी नई कंपनी तैयार होती है तो उसे जल्दी बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है जिसके लिए कंपनी IPO लाती है. यदि कंपनी किसी से लोन लेती है तो वह लों देने वाला कुछ सिक्यूरिटी तो मांगता है. इस स्थति में प्रमोटर अपने कुछ शेयर को गिरवी रख देता है. लोन लेने के लिए वह किसी बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट से संपर्क करते है.
मान लीजिये की कंपनी ने 50 हजार रूपए का लोन लिया और 1 शेयर की कीमत 500 है ऐसे में 100 शेयर को प्लेस करने पर 50 हजार हो जायेंगे. कंपनी लोन को चुकाने में असमर्थ रही तो बैंक इन 50 हजार गिरवी पड़े शेयर्स को बेच कर अपने लोन की भरपाई कर लेगी.
लेकिन जब भी कंपनी शेयर प्लेस करती है तो SEBI के नियमो के अनुसार मार्किट में जानकारी देनी होती है. और जैसे ही ये बात मार्किट में पता चलती है तो सभी निवेशक हडबडा जाते है. उसी समय शेयर को बेचने लगते है फिर शेयर की कीमत गिरती है. ऐसे में दूसरे निवेशक भी शेयर को खरीदने से पीछे हट जाते है.