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जोखिम मुक्त व्यापार

जोखिम मुक्त व्यापार
भारत में वर्तमान में जारी किसानों के आंदोलन ने इस ओर ध्यान आकर्षित कराया है कि किस प्रकार से सरकार की कई नीतियों के पीछे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं डब्ल्यूटीओ से संबंधित समस्याएं जुड़ी हुई हैं।

जोखिम मुक्त व्यापार

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने भारतीय किसानों एवं खाद्य सुरक्षा को जोखिम में डाल दिया है

बड़े व्यवसायों के हमलों से छोटे और मझौले किसानों को बचाने के लिए चलने वाले आंदोलन और संघर्ष कई देशों में जारी हैं। इन संघर्षों ने हर जगह किसानों के छिपे हुए दुश्मन— अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों को रेखांकित करने वाले नियमों- को बेनकब कर दिया है। इनकी शर्तें किसानों की कीमत पर बड़े व्यावसायिक हितों के पक्षपोषण के लिए बनाई गई हैं।

समस्याएं दो स्तरों पर मौजूद है – वह है विश्व जोखिम मुक्त व्यापार व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) एवं मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के नियमों में।

डब्ल्यूटीओ ने कृषि से संबंधित मुद्दों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से जोड़ दिया है। पूर्ववर्ती व्यापार व्यवस्थाओं के तहत इस प्रकार का मामला देखने में नहीं आता था। इतना ही नहीं, बल्कि इसे मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूरोपीय संघ के हितों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। हालाँकि इन देशों में कृषि, दुग्ध उत्पादन एवं अन्य सम्बंधित गतिविधियों के लिए औसत कृषि भूमि आकार भारत की तुलना में काफी अधिक है। इन क्षेत्रों में भी ज्यादातर में बेहद शक्तिशाली कृषि-व्यावसायिक हितों का वर्चस्व बना हुआ है, जो अधिक से अधिक जमीन को अपने कब्जे में कब्जे में करते जा रहे हैं।

जोखिम मुक्त व्यापार

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने भारतीय किसानों एवं खाद्य सुरक्षा को जोखिम में डाल दिया है

बड़े व्यवसायों के हमलों से छोटे और मझौले किसानों को बचाने के लिए चलने वाले आंदोलन और संघर्ष कई देशों में जारी हैं। इन संघर्षों ने हर जगह किसानों के छिपे हुए दुश्मन— अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों को रेखांकित करने वाले नियमों- को बेनकब कर दिया है। इनकी शर्तें किसानों की कीमत पर बड़े व्यावसायिक हितों के जोखिम मुक्त व्यापार पक्षपोषण के लिए बनाई गई हैं।

समस्याएं दो स्तरों पर मौजूद है – जोखिम मुक्त व्यापार वह है विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) एवं मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के नियमों में।

डब्ल्यूटीओ ने कृषि से संबंधित मुद्दों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से जोड़ दिया है। पूर्ववर्ती व्यापार व्यवस्थाओं के तहत इस प्रकार का मामला देखने में नहीं आता था। इतना ही नहीं, बल्कि इसे मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूरोपीय संघ के हितों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। हालाँकि इन देशों में कृषि, दुग्ध उत्पादन एवं अन्य सम्बंधित गतिविधियों के लिए औसत कृषि भूमि आकार भारत की तुलना में काफी अधिक है। इन क्षेत्रों में भी ज्यादातर में बेहद शक्तिशाली कृषि-व्यावसायिक हितों का वर्चस्व बना हुआ है, जो अधिक से अधिक जमीन को अपने कब्जे में कब्जे में करते जा रहे हैं।

Britain: भारत-UK के बीच FTA को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद, पाकिस्तान के लिए भी आई राहत भरी खबर

ऋषि सुनक और नरेंद्र मोदी

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

दोनों देशों की बीत मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता अक्तूबर तक पूरी होनी थी, लेकिन किसी तरह देरी हो गई। भारत और ब्रिटेन के बीच एक व्यापार समझौता है, जिसके तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है।

ये चर्चा मंत्री स्तर पर होगी या सचिव स्तर पर, यह जल्द ही तय हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

विस्तार

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जोखिम मुक्त व्यापार जाने की संभावना है। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

दोनों देशों की बीत मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता अक्तूबर तक पूरी होनी थी, जोखिम मुक्त व्यापार लेकिन किसी तरह देरी हो गई। भारत और ब्रिटेन के बीच एक व्यापार समझौता है, जिसके तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है।

ये चर्चा मंत्री स्तर पर होगी या सचिव स्तर पर, यह जल्द ही तय हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

हाल ही में वेस्ट मिडसलैंड्स के मेयर एंटी स्ट्रीट ने कहा कि भारत को मोटर वाहन उद्योग जैसे क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने के लिए विनिर्मित वस्तुओं पर शुल्क कम करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। एंडी स्ट्रीट सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य हैं।

ब्रिटेन की संसदीय समिति ने भारत के साथ FTA में जल्दबाजी को लेकर किया आगाह

पीएम मोदी और बोरिस जॉनसन (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 23 जुलाई 2022, 7:47 AM IST)
  • बोरिस जॉनसन ने अप्रैल में की थी भारत यात्रा
  • दीपावली तक हो सकता है मुक्त व्यापार समझौता

ब्रिटेन की एक संसदीय समिति ने शुक्रवार को भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को दीपावली तक पूरा करने में दिखाई जा रही 'जल्दबाजी' को लेकर आगाह किया. हाउस ऑफ कॉमन्स इंटरनेशनल एग्रीमेंट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की अप्रैल की भारत यात्रा के दौरान समझौते की दीपावली की समयसीमा पर सवाल उठाया है. समिति ने आगाह किया कि "सामग्री के ऊपर समय की महत्वाकांक्षा" निर्धारित करके जल्दबाजी में एक अच्छा सौदा छोड़ने का जोखिम हो सकता है.

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व्यापार नीति प्रकाशित करने की अपील

क्रॉस-पार्टी कमेटी का दावा है कि भारत की ऐतिहासिक रूप से संरक्षणवादी नीतियां, विभिन्न नियामक दृष्टिकोण और व्यावसायिक प्रथाओं का मतलब घरेलू कानून में बदलाव होगा, जिसे लागू करने के लिए एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है. समिति ने नोट किया कि बोरिस जॉनसन के नेतृत्व जोखिम मुक्त व्यापार वाली सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि वह एक व्यापक समझौते को समाप्त करने का इरादा रखती है, यह स्पष्ट नहीं है कि यह समझौता "भारत के चुनौतीपूर्ण नियामक और कारोबारी माहौल को देखते हुए" कितना व्यापक हो सकता है. समिति ने सरकार से एक व्यापक व्यापार नीति प्रकाशित करने की अपील भी की है, जिसके भीतर सभी वार्ताएं आयोजित की जा सकती हैं.

ब्रिटेन को मिलेगा नया प्रधानमंत्री

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा दे चुके हैं और कन्जर्वेटिव पार्टी अपना नया नेता चुनेगी. अब इस दौड़ में पूर्व चांसलर ऋषि सुनक और विदेश सचिव लिज ट्रस हैं. अब सितंबर में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद जब संसद शुरू होगी तो वहां नया प्रधानमंत्री होगा. हालांकि ब्रिटेन की ओर से कहा गया है कि प्रधानमंत्री कोई भी बने, लेकिन भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते की इस डील पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

हाईनान मुक्त व्यापार पोर्ट को विशेष क्षेत्र बनाने की तैयारी

हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह को सीमा शुल्क विभाग के पर्यवेक्षण के तहत विशेष क्षेत्र बनाने की तैयारी का काम हो रहा है। यह हाईनान मुक्त व्यापार पोर्ट के निर्माण का आधार है, जो बहुत महत्वपूर्ण है। योजना के अनुसार वर्ष 2025 से पहले विशेष क्षेत्र बनाने का कार्य पूरा होगा। उसके बाद हाईनान और दुनिया […]

हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह को सीमा शुल्क विभाग के पर्यवेक्षण के तहत विशेष क्षेत्र बनाने की तैयारी का काम हो रहा है। यह हाईनान मुक्त व्यापार पोर्ट के निर्माण का आधार है, जो बहुत महत्वपूर्ण है।

योजना के अनुसार वर्ष 2025 से पहले विशेष क्षेत्र बनाने का कार्य पूरा होगा। उसके बाद हाईनान और दुनिया के बीच संपर्क और सरल होगा, हाईनान और चीन के अन्य क्षेत्रों के बीच माल और परिवहन साधन की आवाजाही नियंत्रण में होगी और हाईनान द्वीप में व्यापार मुक्त होगा।

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