टैक्स रिक्लेम क्या हैं

ध्यान दें, आप चाहें तो इस बचे पैसे (10 लाख रुपये) को एक बार में भी निकाल सकते हैं| परन्तु आप टैक्स ज्यादा देना पड़ टैक्स रिक्लेम क्या हैं सकता है|
NPS से पैसा निकालते समय कितना टैक्स देना होता है? (NPS Tax Treatment on Maturity)
मान लीजिये आपके रिटायर होने तक आपने 50 लाख रुपये अपने NPS Tier I account में जमा कर लिए हैं| ऐसे में आपको कम से कम 20 लाख रुपये से Annuity प्लान खरीदना होगा| आप चाहें तो सारी जमा राशि Annuity प्लान खरीदने की लिए इस्तेमाल कर सकते हैं|
बची राशि को आप lumpsum निकाल सकते हैं|
NPS Tax Treatment on Maturity
Lumpsum (एक मुश्त) पैसा निकालने पर कितना टैक्स देना होगा?
जैसे की ऊपर बताया गया है, आप 60% तक राशि एक मुश्त निकाल सकते हैं|
इस राशि पर आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होगा| Lumpsum Withdrawal from NPS at retirement exempt from income tax.
यह नियम December 2018 में भारत सरकार द्वारा लाया गया है| मेरे अनुसार यह नियम 1 अप्रैल 2019 से लागू होगा|
ऊपर वाले उदाहरण को जारी रखें तो 50 लाख जमा राशि में से 20 लाख से एन्युटी प्लान खरीदा| बचे 30 लाख रुपये को आप एक मुश्त निकाल सकते हैं और उस राशि पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा|
तो कुल जमा राशि का चालीस प्रतिशत (40%) हिस्सा ही टैक्स-फ्री होगा| अगर 40% से ज्यादा पैसा lumpsum (एक मुश्त) निकाला, तो बची हुई राशि (40% के ऊपर) पर आपको टैक्स देना होगा|
ध्यान दें की हालांकि आप 60 प्रतिशत तक lumpsum (एकमुश्त) निकाल सकते हैं, केवल 40% तक की राशि पर टैक्स नहीं लगेगा|
अगर 60 साल से पहले NPS से निकले तो
अगर आप NPS से premature exit (रिटायरमेंट या 60 साल का होने से पहले) करते हैं, तो आपको कम से कम 80% जमा राशि (80% of accumulated corpus) से Annuity प्लान खरीदना होगा|
केवल 20% राशि ही lumpsum निकाल सकते हैं|
Annuity से हुई कमाई तो आपके टैक्स bracket ही हिसाब से टैक्स होगी|
जो भी पैसा आप एक मुश्त निकालेंगे, वह टैक्स फ्री होगा (क्योंकि आप केवल 20% तक निकाल सकते हैं और टैक्स छूट 40% तक राशि पर है)|
अपना घर खरीदा है. तो अब जानें, कैसे तय होगा हाउस टैक्स, और कैसे-कहां होगा जमा
यहां पढ़ें, प्रॉपर्टी टैक्स का कैलकुलेशन कैसे किया जाता है, और उसे कैसे जमा करवा सकते हैं.
ज़मीन-जायदाद खरीदना या घर खरीदना ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पैसे का इस्तेमाल काफी ज़्यादा होता है, और प्रत्येक खरीदार को बहुत ज़्यादा रकम खर्च करनी पड़ती है. लेकिन जब आप मकान, टैक्स रिक्लेम क्या हैं यानी घर के मालिक बन जाते हैं, तब भी खर्चे रुकते नहीं, क्योंकि घर के रखरखाव पर भी लगातार खर्च होता ही रहता है, भले ही वह रंगाई-पुताई पर हो, कभी-कभार होने वाली मरम्मत पर हो, एक्स्ट्रा बाल्कनी या कमरा बनवने पर हो, या सिर्फ छत पर एक झूला लगवाने पर हो.
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खैर, यह सब तो होता ही रहता है, लेकिन इन सभी के अलावा एक और खर्चा है, जिसे घर का मालिक नज़रअंदाज़ कर ही नहीं सकता, और वह है - स्थानीय नगर निगम या प्राधिकरण को दिया जाने वाला संपत्ति कर (Property Tax या प्रॉपर्टी टैक्स) या गृहकर (House Tax या हाउस टैक्स).
क्या है हाउस टैक्स.
पार्क, सीवर सिस्टम, सड़कें, स्ट्रीट लाइट जैसी बहुत-सी सुविधाओं और सामान्य ज़रूरतों को उपलब्ध कराते रहने के लिए स्थानीय नगर निकाय प्रॉपर्टी टैक्स वसूल किया करते हैं. यह टैक्स संपत्ति के मालिक से वसूला जाता है. भारत में, ऐसे खाली पड़े प्लॉटों से कोई कर या टैक्स नहीं वसूला जाता, जिनसे सटा हुआ कोई निर्माण नहीं हुआ हो. चूंकि यह टैक्स स्थानीय निकाय ही वसूल किया करते हैं, इसलिए इनकी दरें राज्यों, शहरों और इलाकों (Zones) पर निर्भर करती हैं.
इसका कैलकुलेशन कैसे किया टैक्स रिक्लेम क्या हैं जाता है.
टैक्स की दरों की ही तरह प्रॉपर्टी टैक्स का कैलकुलेशन भी विभिन्न नगर निकायों में अलग-अलग होता है. आमतौर पर तीन व्यवस्थाएं प्रचलित हैं, टैक्स रिक्लेम क्या हैं जिनसे प्रॉपर्टी टैक्स वसूल किया जाता है.
नेशनल पेंशन सिस्टम में क्या है टैक्स बेनेफिट से जुड़े लाभ? सरकारी और निजी कर्मचारियों के लिए अलग-अलग हैं नियम
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) देश के सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध एक स्वैच्छिक पेंशन कार्यक्रम है.
हाइलाइट्स
नेशनल पेंशन स्कीम में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए टैक्स रिक्लेम क्या हैं टैक्स छूट की सीमा ₹1.5 लाख है.
प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी एनपीएस टियर- II खाते में कर कटौती के लिए पात्र नहीं होंगे.
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए टियर I अकाउंट खुलवाना अनिवार्य है जबकि टियर II स्वैच्छिक अकाउंट है.
नई दिल्ली. नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) देश के सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध एक स्वैच्छिक पेंशन कार्यक्रम है. एनपीएस पेंशन अकाउंट खोलकर आप अपनी आय से हर महीने इसमें भुगतान कर सकते हैं और रिटायरमेंट के बाद एक बड़ी राशि मिलती है. NPS में कम से कम 20 साल निवेश करना जरूरी है. खाता खुलने के बाद 60 साल की उम्र तक या मैच्योरिटी तक इसमें कंट्रीब्यूट करना होता है.
एनपीएस में धारा 80सी और 80सीसीडी के तहत कर लाभ मिलता है, हालांकि, इस पेंशन योजना के तहत टैक्स कटौती से जुड़े नियम निजी कर्मचारियों और सरकारी कर्मचारियों के लिए अलग-अलग हैं.
NPS से पैसा निकालते समय कितना टैक्स देना होता है? (NPS Tax Treatment on Maturity)
मान लीजिये आपके रिटायर होने तक आपने 50 लाख रुपये अपने NPS Tier I account में जमा कर लिए हैं| ऐसे में आपको कम से कम 20 लाख रुपये से Annuity प्लान खरीदना होगा| आप चाहें तो सारी जमा राशि Annuity प्लान खरीदने की लिए इस्तेमाल कर सकते हैं|
बची राशि को आप lumpsum निकाल सकते हैं|
NPS Tax Treatment on Maturity
Lumpsum (एक मुश्त) पैसा निकालने पर कितना टैक्स देना होगा?
जैसे की ऊपर बताया गया है, आप 60% तक राशि एक मुश्त निकाल सकते हैं|
इस राशि पर आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होगा| Lumpsum Withdrawal from NPS at retirement exempt from income tax.
यह नियम टैक्स रिक्लेम क्या हैं December 2018 में भारत सरकार द्वारा लाया गया है| मेरे अनुसार यह नियम 1 अप्रैल 2019 से लागू होगा|
ऊपर वाले उदाहरण को जारी रखें तो 50 लाख जमा राशि में से 20 लाख से एन्युटी प्लान खरीदा| बचे 30 लाख रुपये को आप एक मुश्त निकाल सकते हैं और उस राशि पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा|
तो कुल जमा राशि का चालीस प्रतिशत (40%) हिस्सा ही टैक्स-फ्री होगा| अगर 40% से ज्यादा पैसा lumpsum (एक मुश्त) निकाला, तो बची हुई राशि (40% के ऊपर) पर आपको टैक्स देना होगा|
ध्यान दें की हालांकि आप 60 प्रतिशत तक lumpsum (एकमुश्त) निकाल सकते हैं, केवल 40% तक की राशि पर टैक्स नहीं लगेगा|
अगर 60 साल से पहले NPS से निकले तो
अगर आप NPS से premature exit (रिटायरमेंट या 60 साल का होने से पहले) करते हैं, तो आपको कम से कम 80% जमा राशि (80% of accumulated corpus) से Annuity प्लान खरीदना होगा|
केवल 20% राशि ही lumpsum निकाल सकते हैं|
Annuity से हुई कमाई तो आपके टैक्स bracket ही हिसाब से टैक्स होगी|
जो भी पैसा आप एक मुश्त निकालेंगे, वह टैक्स फ्री होगा (क्योंकि आप केवल 20% तक निकाल सकते हैं और टैक्स छूट 40% तक राशि पर है)|
हाइलाइट्स
टैक्स सेवर एफडी में लॉक-इन पीरियड के साथ रिटर्न भी कम है.
पीपीएफ में बेहतर रिटर्न है लेकिन लॉक-इन पीरियड लंबा है.
वीपीएफ सशर्त दोनों ही मामलों में इन निवेश विकल्पों से बेहतर है.
नई दिल्ली. अक्सर लोग टैक्स बचाने के लिए कई तरह की योजनाओं में निवेश करते हैं. वे जीवन बीमा कवर खरीदते हैं व सरकारी बचत स्कीम्स में पैसा लगाते हैं. इस मामले में पीपीएफ और 5 साल की टैक्स सेवर एफडी की सबसे पसंदीदा विकल्प हैं. हालांकि, इन दोनों से भी बेहतर एक तीसरा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है जिस पर आपको इनसे बेहतर रिटर्न मिल सकता है और आप आईटी कानून के सेक्शन 80सी के तहत छूट भी क्लेम कर सकते हैं.
हम बात कर रहे हैं वॉलेंट्री प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ) की. यह ईपीएफ से अलग होता टैक्स रिक्लेम क्या हैं है. वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए ईपीएफ में योगदान देना अनिवार्य होता है. वहीं, जैसा की नाम से जाहिर है वीपीएफ एक स्वैच्छिक बचत योजना है. आइए देखते हैं कि रिटर्न के मामले में वीपीएफ कैसे इन दोनों से बेहतर है.