व्यापार घाटा

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व्यापार घाटा (Vyapar ghata ) मीनिंग : Meaning of व्यापार घाटा in English - Definition and Translation
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उदाहरण : वर्ष 2008-09 के दौरान व्यापार घाटा बढ़ा। वर्ष 2007-08 के 356449 करोड़ की तुलना में यह 538568 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
Usage : The Trade deficit during 2008 - 09 increased to Rs. (-) 538568 crore as against Rs. (-) 356449 crore during 2007 - 08.
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' व्यापार घाटा'
व्यापार घाटा अगर बढ़ता जाएगा तो रूपए भी कमजोर होने लगेंगे. रिकॉर्ड व्यापार घाटा के लिए, जुलाई में भारतीय रुपया पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण 80 के स्तर से नीचे फिसल गया क्योंकि कड़े ग्लोबल सप्लाई के बीच कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने अमेरिकी डॉलर की मांग को बढ़ा दिया.
सरकार की तरफ से सोमवार को जारी शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, मई की तुलना में जून में निर्यात वृद्धि धीमी पड़ी. मई, 2022 में देश का निर्यात 20.55 प्रतिशत की दर से बढ़ा था.एक साल पहले जून 2021 में वृद्धि दर 48.34 प्रतिशत रही थी
2022-23 की अप्रैल-मई अवधि में आयात 42.35 प्रतिशत बढ़कर 120.81 अरब डॉलर का हो गया. इसके अलावा चालू वित्त वर्ष व्यापार घाटा के पहले दो महीनों के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 43.73 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 21.82 अरब डॉलर था.
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले साल द्विपक्षीय व्यापार 88 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था. इस बार पहले नौ महीनों में 90 बिलियन यूएस डॉलर है. लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा एक चिंता का विषय है
वित्त मंत्री ने यहां विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो इवेला से मुलाकात की. यह मुलाकात दुनिया भर में कोविड-19 टीकों और दवाओं पर बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रावधानों से अस्थायी छूट के भारत के प्रस्ताव के बीच हुई है.
एक साल पहले मार्च 2020 में यह 31.47 अरब डॉलर था. आलोच्य माह में व्यापार घाटा बढ़कर 14.12 अरब डॉलर पहुंच गया जो एक साल पहले मार्च 2020 में 9.98 अरब डॉलर था. मार्च महीने में तेल आयात 1.22 प्रतिशत बढ़कर 10.17 अरब डॉलर रहा. पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान तेल आयात 37 प्रतिशत घटकर 82.25 अरब डॉलर रहा. वहीं, आलोच्य महीने में गैर-तेल आयात 777.12 प्रतिशत उछलकर 37.95 अरब डॉलर रहा. पूरे वित्त वर्ष के दौरान आयात 10.89 प्रतिशत घटकर 306.67 अरब डॉलर रहा. सोने का आयात मार्च महीने में उछलकर 7.17 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
जेपी नड्डा ने कहा कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2004 में 1.1 अरब डॉलर का था जो बढ़कर 2013-14 में 36.2 अरब डॉलर हो गया. उन्होंने सवाल किया कि क्या इसके एवज में कांग्रेस को लाभ मिला था. साल 2004 से 2014 के बीच केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार थी.
Donald Trump: ट्रंप ने कहा, ‘‘चीन को लेकर मैं जितना सख्त हूं, और कोई नहीं है.’’ उन्होंने फिर से दोहराया कि चीन कई साल से अमेरिका का फायदा उठाता आ रहा था और जब तक वह राष्ट्रपति नहीं बने, यह होता रहा. उन्होंने कहा, ‘‘एक बार गौर करिये, एक साल में 200 डॉलर, 300 डॉलर, 400 डॉलर, 500 डॉलर. कोई भी इस तरीके से कैसे होने दे सकता है? अब यदि आप पिछले साल के आंकड़े देखेंगे तो व्यापार घाटा कम हो गया है.’’
देश के शेयर बाजारों में सोमवार को लगातार छठे कारोबारी सत्र में तेजी का सिलसिला जारी रहा. सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच विदेशी कोषों का निवेश बढ़ने तथा व्यापार घाटा कम होने से बाजार में तेजी रही.
उन्होंने कहा कि जून, 2017 में भारत का व्यापार घाटा उम्मीद से से अधिक घटकर 12.96 अरब डॉलर पर आ गया, लेकिन सोने पर आयात शुल्क बढ़ने से ‘अवैध कारोबार’ बढ़ रहा है. पद्मनाभन ने कहा कि पैन कार्ड के तहत कारोबार सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जाना चाहिए.
Indian Export: देश के निर्यात में मामूली बढ़त, पर व्यापार घाटा बढ़कर दोगुने से ज्यादा हुआ
Indian Export: अगस्त महीने में निर्यात 1.62% बढ़कर 33.92 अरब डॉलर हो गया है। इस दौरान देश का व्यापार घाटा दोगुने से ज्यादा बढ़कर 27.98 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है।
अगस्त महीने में भारत के निर्यात में मामूली बढ़त दर्ज की गई है। इस महीने में निर्यात 1.62% बढ़कर 33.92 अरब डॉलर हो गया है। इस दौरान देश का व्यापार घाटा दोगुने से ज्यादा बढ़कर 27.98 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है। बता दें कि अगस्त 2021 में व्यापार घाटा 11.71 अरब डॉलर रहा था। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में इस बात की पुष्टि की गई है। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की ओर से बुधवार (14 सितंबर) को इससे जुड़े आंकड़े जारी किए गए।
इन आंकड़ों के अनुसार अगस्त में देश का आयात 37.28 फीसदी बढ़कर 61.9 अरब डॉलर हो गया। चालू वित्तीय 2022-23 के अप्रैल से अगस्त महीनों के दौरान देश के निर्यात में 17.68 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 193.51 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंच गया। वहीं इन पांच महीनों की अवधि में आयात 45.74 प्रतिशत बढ़कर 318 अरब डॉलर हो गया। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 53.व्यापार घाटा 78 अरब डॉलर था।
विस्तार
अगस्त महीने में भारत के निर्यात में मामूली बढ़त दर्ज की गई है। इस महीने में निर्यात 1.62% बढ़कर 33.92 अरब डॉलर हो गया है। इस दौरान देश का व्यापार घाटा दोगुने से ज्यादा बढ़कर 27.98 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है। बता दें कि अगस्त 2021 में व्यापार घाटा 11.71 अरब डॉलर रहा था। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में इस बात की पुष्टि की गई है। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की ओर से बुधवार (14 सितंबर) को इससे जुड़े आंकड़े जारी किए गए।
अप्रैल से अगस्त के बीच व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हुआ
इन आंकड़ों के अनुसार अगस्त में देश का आयात 37.28 फीसदी बढ़कर 61.9 अरब डॉलर हो गया। चालू वित्तीय 2022-23 के अप्रैल से अगस्त महीनों के दौरान देश के निर्यात में 17.68 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 193.51 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंच गया। वहीं इन पांच महीनों की अवधि में आयात 45.74 प्रतिशत बढ़कर 318 अरब डॉलर हो गया। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 53.78 अरब डॉलर था।
क्या होता है व्यापार घाटा, कैसे करता है अर्थव्यवस्था को प्रभावित?
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आयात और निर्यात के अंतर व्यापार घाटा व्यापार घाटा को व्यापार संतुलन कहते हैं। जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है तो उसे ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) व्यापार घाटा कहते हैं। इसका मतलब यह है कि वह देश अपने यहां ग्राहकों की जरूरत को पूरा करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पा रहा है, इसलिए उसे दूसरे देशों से इनका आयात करना पड़ रहा है। इसके उलट जब कोई देश आयात की तुलना में निर्यात अधिक करता है तो उसे ट्रेड सरप्लस कहते हैं।
वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने लगभग 238 देशों और शासनाधिकृत क्षेत्रों के साथ कुल 769 अरब डॉलर का व्यापार (303 अरब डॉलर निर्यात और 465 अरब डॉलर आयात) किया। इस तरह इस अवधि में भारत का व्यापार घाटा 162 अरब डॉलर रहा। इनमें से 130 देशों के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस था जबकि करीब 88 देशों के साथ ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) रहा। भारत का सर्वाधिक व्यापार घाटा पड़ोसी देश चीन के साथ 63 अरब डॉलर है। इसका मतलब यह है कि चीन के साथ व्यापार भारत के हित में कम तथा इस पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अधिक फायदेमंद है। चीन की तरह स्विट्जरलैंड, सऊदी अरब, इराक, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, नाइजीरिया, कतर, रूस, जापान और जर्मनी जैसे देशों के साथ भी भारत का व्यापार घाटा अधिक है।
अगर हम ट्रेड सरप्लस की बात करें तो अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस सर्वाधिक (21 अरब डॉलर) है। इसका अर्थ है कि हमारा देश अमेरिका से आयात कम और वहां के लिए निर्यात ज्यादा करता है। इस तरह अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार संतुलन का झुकाव भारत की ओर है। सरल शब्दों में कहें तो अमेरिका से व्यापार भारतीय अर्थव्यवस्था के अनुकूल है। बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, हांगकांग, नीदरलैंड, पाकिस्तान, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों के साथ भी भारत का ट्रेड सरप्लस है।
अर्थशास्त्रियों का मत है कि अगर किसी देश का व्यापार घाटा लगातार कई साल तक कायम रहता है तो उस देश की आर्थिक स्थिति खासकर रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा। चालू खाते के घाटे पर भी व्यापार घाटे का नकारात्मक असर पड़ता है। असल में चालू खाते में एक बड़ा हिस्सा व्यापार संतुलन का होता है। व्यापार घाटा बढ़ता है तो चालू खाते का घाटा भी बढ़ जाता है।
दरअसल चालू खाते का घाटा विदेशी मुद्रा के देश में आने और बाहर जाने के अंतर को दर्शाता है। निर्यात के जरिये विदेशी मुद्रा अर्जित होती है जबकि आयात से देश की मुद्रा बाहर जाती है। यही वजह है कि सरकार ने हाल में कई वस्तुओं पर आयात शुल्क की दर बढ़ाकर गैर जरूरी वस्तुओं के आयात को कम करने का प्रयास किया है। वैसे अमेरिका का व्यापार घाटा दुनिया में सर्वाधिक है और उसने इस मत को कुछ हद तक गलत साबित किया है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और डॉलर पूरी दुनिया में रिजर्व करेंसी के रूप में रखी जाती है। भारत का ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) इस साल जुलाई में पांच साल के उच्चतम स्तर (19 अरब डॉलर) पर पहुंच गया है। यह सिर्फ एक महीने का आंकड़ा है और माना जा रहा है कि पूरे वित्त वर्ष के लिए यह पिछले साल के मुकाबले काफी अधिक होगा।
Foreign Trade: निर्यात के मोर्चे पर मिली व्यापार घाटा बुरी खबर, दोगुनाा से भी ज्यादा बढ़ा व्यापार घाटा, जानें क्यों
अगस्त 2022 में देश का आयात (Import) तेजी से बढ़ा है। यह एक साल पहले की तुलना में 37 फीसदी बढ़कर 61.68 अरब डॉलर हो गया है। इसके साथ ही निर्यात (Export) में गिरावट व्यापार घाटा का रूख है। आयात के मुकाबले निर्यात घट कर लगभग आधा, 33 अरब डॉलर रह गया है।
विदेश व्यापार घाटे में दोगुने से भी अधिक की वृद्धि (File Photo)
हाइलाइट्स
- निर्यात के मोर्चे पर बुरी खबर मिली है
- बीते अगस्त में अपना निर्यात घट कर 33 अरब डॉलर रह गया है
- इसी महीने आयात में तेज बढ़ोतरी हुई है
- इसलिए व्यापार घाटा दोगुने से भी अधिक बढ़ कर 28.68 अरब डॉलर हो गया है
निर्यात बढ़ने की उम्मीद
वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम ने संवाददाताओं से कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश का कुल निर्यात 450 अरब डॉलर के पार जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रोडक्ट एक्सपोर्ट में हम इस वित्त वर्ष में 450 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लेंगे। हालांकि मेरा आंतरिक लक्ष्य 470 अरब डॉलर का है। वहीं सेवा निर्यात 300 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। इस तरह चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात 750 अरब डॉलर रहेगा जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 676 अरब डॉलर था।’’
निर्यात में बढ़ने की थी प्रवृत्ति
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान देश का निर्यात 17.12 फीसदी बढ़कर 192.59 अरब डॉलर हो गया। वहीं आयात 45.64 फीसदी बढ़कर 317.81 अरब डॉलर हो गया। इसी अवधि में देश का व्यापार घाटा बढ़कर 125.22 अरब डॉलर हो गया जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 53.78 अरब डॉलर था।
पिछले महीने बढ़ा कच्चे तेल का आयात
आंकड़े बताते हैं कि बीते अगस्त में कच्चे तेल का आयात 86.44 फीसदी बढ़कर 17.6 अरब डॉलर हो गया। यही वजह है कि देश का व्यापार घाटा तेजी से बढ़ा। हालांकि, इसी महीने सोने का आयात 47.54 फीसदी गिरकर 3.51 अरब डॉलर रह गया। इससे थोड़ा सा संतुलन बना रहा। क्योंकि
सरकार का क्या है कहना
सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘निर्यात में रही फ्लैट बढ़ोतरी का कारण क्या है? मुद्रास्फीति को काबू में करने और कुछ उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हमने गेहूं, इस्पात और लौह अयस्क छर्रों पर पाबंदी लगाने के साथ कुछ उत्पादों पर निर्यात शुल्क लगाया है। इस सब की वजह से इन क्षेत्रों में निर्यात में कुछ कमी आई है।’’ उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों से आने वाले वर्षों में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि नई विदेश व्यापार नीति 30 सितंबर को जारी की जाएगी।