क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या नुकसान है

क्रिप्टो करेंसी की कब हुई थी शुरुआत, क्या हैं इसके फायदे और नुकसान, समझिए पूरा हिसाब
इन दिनों जिस क्रिप्टो करेंसी का जलवा है, ये डिजिटल करेंसी है. इसे आप छू नहीं सकते, लेकिन हां अमीर जरूर हो सकते हैं. आमतौर पर इसका इस्तेमाल किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है.
TV9 Hindi | Edited क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या नुकसान है क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या नुकसान है By: रोहित ओझा
Updated on: Dec 23, 2020 | 9:13 AM
डिजिटल होती दुनिया में हर चीज वर्चुअल होती जी रही है. डिजिटल पेंमेट की सुविधा ने लोगों की लाइफ को काफी आसान बना दिया है. डिजिटल होते इस वर्ल्ड में क्रिप्टो करेंसी का क्रेज बढ़ गया है. दुनिया के हर एक देश की अपनी मुद्रा है. जैसे-भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर और ब्रिटेन में पाउंड. लेकिन इन दिनों जिस क्रिप्टो करेंसी का जलवा है, ये डिजिटल करेंसी है. इसे आप छू नहीं सकते, लेकिन हां अमीर जरूर हो सकते हैं. आइए अब समझ लेते हैं इस क्रिप्टो करेंसी का पूरा हिसाब.
कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी क्रिप्टो करेंसी एक क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या नुकसान है इंडिपेंडेंट मुद्रा है. यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती. जैसे रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं का संचालन देश की सरकारें करती हैं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी का संचलान कोई भी अथॉरिटी नहीं करती. यह एक डिजिटल करेंसी होती है. इसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है. आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है.
जापान के एक इंजीनियर ने की थी शुरुआत
सबसे पहले साल 2009 में क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत हुई थी, जो बिटकॉइन थी. जापान के इंजीनियर सतोषी नाकमोतो ने इसे बनाया था. शुरुआत में इसे कोई खास सफलता नहीं मिली, लेकिन धीरे-धीरे इसकी कीमत आसमान छूने लगी और ये पूरी दुनिया में छा गया.
क्रिप्टो करेंसी के क्या हैं फायदे और नुकसान
क्रिप्टो करेंसी के कई फायदे हैं और इसके नुकसान भी हैं. पहला फायदा ये है कि डिजिटल करेंसी होने के कारण धोखाधड़ी की गुंजाइश ना के बराबर है. दूसरा ये कि इसकी कोई नियामक संस्था नहीं है. इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों असर इसपर नहीं पड़ता. क्रिप्टोकरेंसी में मुनाफा अधिक होता है और ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. इसका सबसे बड़ा नुकसान है कि वर्चुअल करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव आपके माथे पर पसीना ला देगा.
एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच साल में बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी एक ही दिन में बिना किसी चेतावनी के 40 से 50 प्रतिशत गिर गई थी. इसका सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि वर्चुअल करेंसी होने के कारण इसमें सौदा जोखिम भरा होता है. इस करेंसी का इस्तेमाल ड्रग्स सप्लाई और हथियारों की अवैध खरीद-फरोख्त जैसे अवैध कामों के लिए किया जा सकता है. , इसका एक और नुकसान यह है कि यदि कोई ट्रांजेक्शन आपसे गलती से हो गया तो आप उसे वापस नहीं मंगा सकते हैं.
क्रिप्टो करेंसी से क्या भारत में होता है लेनदेन
भारत में क्रिप्टो करेंसी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था और वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन देन की इजाजत दी थी. साल 2018 में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भारतीय रिजर्व बैंक के सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. बिटकॉइन के अलावा भी रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कोइन, वॉइस कॉइन और मोनरो कॉइन जैसी अन्य क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपलब्ध हैं.
क्रिप्टो करेंसी को लेकर भारत में क्या योजना बन रही है?
भारत सरकार ने संसद में क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफ़िशियल डिजिटल करेंसी बिल पेश करने का फ़ैसला लिया है. इस विधेयक के बारे में जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं है.
यह विधेयक भारत में क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल को क़ानूनी रूप से नियंत्रित करेगा.
क्रिप्टो करेंसी पर भारत के हर क़दम पर दुनिया की नज़र है. संसद के अगले सत्र में अगर इस विधेयक को पेश किया जाता है तो इस पर निवेशकों की क़रीबी नज़र होगी.
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साफ़ कर चुकी हैं कि सरकार की योजना क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की नहीं है. असल में सरकार क्रिप्टो करेंसी के आधार वाली तकनीक ब्लॉकचेन को रक्षा कवच देना चाहती है.
हालांकि, 25 साल की रुचि पाल की उम्मीदें अभी भी बहुत ऊंची हैं और उन्होंने क्रिप्टो करेंसी में ही व्यापार करने का फ़ैसला किया है.
वो कहती हैं, "मुझे नहीं लगता है कि सरकार इस पर प्रतिबंध लगाएगी. हां वे इसे विनियमित ज़रूर करेगी लेकिन प्रतिबंध नहीं लगाएगी. मैं सोचती हूं कि 2017 में भी ऐसा ही हुआ था जब हर कोई क्रिप्टो करेंसी पर बात कर रहा था और कुछ कार्रवाई हुई थी और फिर सबकुछ समाप्त हो गया था."
भारत सरकार जिस डिजिटल करेंसी पर विचार कर रही है उस पर वो क्या सोचती हैं? इस सवाल पर रुचि कहती हैं, "यह बहुत मुश्किल चीज़ है. इसको शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. हम इसे अंतरराष्ट्रीय लेन-देने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. यह अच्छा विचार है लेकिन हमें बिटकॉइन की तरह इसको स्वीकार करने में वक़्त लगेगा. यह हमारी ज़िंदगियों पर ख़ास असर नहीं डालेगा."
भारतीय बड़ी संख्या में क्रिप्टो करेंसी ख़रीद क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या नुकसान है रहे हैं लेकिन इसको लेकर कोई आधिकारिक डाटा नहीं है. वे पर्याप्त लाभ कमाने के मौक़े को छोड़ना नहीं चाहते हैं.
क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वाले एक व्यक्ति बिना नाम सार्वजनिक किए हुए कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि अगर कोई प्रतिबंध लगने वाला है तो मैं उसके होने से पहले अच्छा लाभ कमाऊं. मैं पैसा बनाने का मौक़ा छोड़ना नहीं चाहता हूं."
Digital Currency: क्रिप्टो करेंसी से कितना अलग होगा डिजिटल रुपया? जानिए क्या होंगे इसके फायदे और नुकसान
एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़े एलान किए। डिजिटल इंडिया की तरफ एक और कदम बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल करेंसी को लॉन्च करेगा। वित्त मंत्री के मुताबिक आरबीआई की तरफ से डिजिटल रुपया को जारी किया जाएगा। वैसे तो डिजिटल करेंसी क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या नुकसान है का कॉन्सेप्ट नया नहीं है। दुनिया में पहले से ही बिटकॉइन समेत अन्य डिजिटल या वर्चुअल करेंसी की खरीद-फरोख्त हो रही है। लेकिन वित्त मंत्री की घोषणा के बाद डिजिटल रुपया को लेकर चारों तरफ चर्चा हो रही है। हर कोई ये जानना चाहता है कि डिजिटल क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या नुकसान है रुपया क्या है, कैसे काम करेगा, इसके फायदे और नुकसान क्या होंगे? दरअसल, डिजिटल रुपया भी बिटकॉइन या अन्य वर्चुअल करेंसी की तरह ही होगा। बस इसे आरबीआई की ओर से जारी किया जाएगा। आइए आसान शब्दों में समझते हैं डिजिटल रुपया की कुछ अच्छी और बुरी बातें.
Bitcoin-Ether नुकसान में, स्टेबलकॉइंस ने कमाया मुनाफा, जानें कैसा है क्रिप्टो मार्केट का हाल
अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर बिटकॉइन ने थोड़ी बड़ी गिरावट दर्ज की. यह 24,088 डॉलर (लगभग 19 लाख रुपये) पर कारोबार कर रहा था.
3.88 फीसदी के नुकसान के साथ ETH की कीमत वर्तमान क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या नुकसान है में 2,055 डॉलर (लगभग 1.63 लाख रुपये) है.
खास बातें
- शीबा इनु, पॉलीगॉन, यूनिस्वैप, लाइटकॉइन, चेनलिंक को भी नुकसान
- बिनेंस USD, USD कॉइन और टीथर ने कमाया थोड़ा मुनाफा
- डॉजकॉइन, बिनेंस कॉइन और रिपल भी फायदे में
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की कीमतों में अस्थिरता का दौर जारी है. दुनिया की सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) ने मंगलवार को 1.37 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार शुरू किया. भारतीय एक्सचेंज कॉइनस्विच कुबेर के अनुसार बिटकॉइन की कीमत 25,837 डॉलर (लगभग 20 लाख रुपये) है. अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर बिटकॉइन ने थोड़ी बड़ी गिरावट दर्ज की. Binance और CoinMarketCap के अनुसार 3.31 फीसदी की गिरावट के साथ बिटकॉइन 24,088 डॉलर (लगभग 19 लाख रुपये) पर कारोबार कर रहा था.
दुनिया की दूसरी सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी ईथर (Ether) भी बिटकॉइन की राह पर चलती हुई दिखाई दी. गैजेट्स 360 के क्रिप्टो प्राइस ट्रैकर के अनुसार, 3.88 फीसदी के नुकसान के साथ ETH की कीमत वर्तमान में 2,055 डॉलर (लगभग 1.63 लाख रुपये) है.
शीबा इनु, पॉलीगॉन, यूनिस्वैप, लाइटकॉइन, चेनलिंक और कॉसमॉस को भी नुकसान हुआ है. हालांकि बिनेंस USD, USD कॉइन और टीथर जैसे स्टेबलकॉइन थोड़ा मुनाफा देखने में कामयाब रहे हैं. डॉजकॉइन, बिनेंस कॉइन और रिपल को भी मामूली फायदा हुआ है. CoinMarketCap के अनुसार, ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट कैप वर्तमान में 1.14 ट्रिलियन डॉलर है, जो पिछले दिन की तुलना में 3.30 फीसदी कम है.
सोमवार को देश ने 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया, क्रिप्टो कम्युनिटी के अंदरुनी सूत्रों ने सरकार और देश के लोगों से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दिमाग खुला रखने का अनुरोध किया. गैजेट्स 360 से बात करते हुए Unocoin के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और क्रिप्टो-फोकस्ड फिनटेक फर्म GoSats के मौजूदा प्रमुख रोशन मोहम्मद ने कहा कि वह देश में सकारात्मक नियमों का मसौदा तैयार करने के लिए नियामकों में विश्वास करते हैं.
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार तेजी से बढ़ा है. भारत में पिछले वर्ष सात प्रतिशत से अधिक लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर डिजिटल करेंसी थी. संयुक्त राष्ट्र की ट्रेड से जुड़ी संस्था UNCTAD के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान विकासशील देशों सहित दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल बढ़ा है. हालांकि, इस सेगमेंट में टैक्स की चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी समस्याएं भी हैं.
बीते दिनों UNCTAD ने पिछले वर्ष क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या नुकसान है डिजिटल करेंसीज रखने वाले टॉप 20 देशों का डेटा जारी किया है. इसमें यूक्रेन पहले स्थान पर है. यूक्रेन की लगभग 12.7 प्रतिशत जनसंख्या के पास डिजिटल करेंसी थी. भारत इस लिस्ट में सातवें पायदान पर है. हालांकि, UNCTAD का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसीज एक अस्थिर फाइनेंशियल एसेट है और इससे सामाजिक जोखिमों के साथ ही वित्तीय नुकसान भी हो सकता है.