ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं?

अब इस ईटीएफ में निवेश को लेकर विस्तार से जानते हैं :
Bharat Bond ETF: बिना जोखिम बेहतर रिटर्न
फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स (fixed income instruments) में निवेश को तरजीह देने वाले निवेशकों को फिर से भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) में निवेश का मौका मिल सकता है क्योंकि सरकार दिसंबर में देश के इस पहले कॉरपोरेट बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की चौथी सीरीज/चरण लॉन्च करने की योजना बना रही है। वर्ष 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ लॉन्च की गई थी। फिलहाल इस स्कीम के पांच इश्यू उपलब्ध हैं जो कमश: 2023, 2025, 2030, 2031, और 2032 में मैच्योर होंगे। ये सारे इश्यू सरकार के ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं? द्वारा 3 चरणों में लॉन्च किए गए हैं। 5 और 10 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2023 और 2030 में मैच्योर होंगे पहले चरण के अंतर्गत दिसंबर 2019 में लॉन्च किए गए थे। जबकि 5 और 11 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2025 और 2031 में मैच्योर होंगे दूसरे चरण में जुलाई 2020 में लॉन्च किए गए थे। 2032 में मैच्योर होने वाले 11 वर्षीय इश्यू तीसरे चरण के अंतर्गत दिसंबर 2021 में लॉन्च किए गए। एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट (Edelweiss Asset Management) इस ETF को मैनेज करता है।
भारत-22 ETF में निवेश का मौका ! क्या भारत-22 ETF में बनेगा पैसा
निवेश करने के कई तरीकें हैं, लेकिन आपके लक्ष्यों के मुताबिक, आपके जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार, आपको निवेश का विकल्प चुनना है। योर मनी के जरिए हम आपको आपके मतलब का निवेश ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं? बताते हैं। ताकि आपके आर्थिक लक्ष्यों को पाने में कोई देर ना हो जाए।
3 OCTOBER को Bharat 22 ETF का चौथा चरण लॉन्च किया जाएगा। सरकार की इस इश्यू से 8000 करोड़ जुटाने की योजना है। रिटेल इनवेस्टर 4 अक्टूबर से इसमें निवेश कर सकते हैं। इन्हे 3 प्रतिशत डिस्काउंट मिलेगा। Bharat 22 ETF में हर स्टॉक पर 15 प्रतिशत कैपिंग और सेक्टर पर 20 प्रतिशत एक्सपोजर कैपिंग है।
क्या है भारत 22 ETF
भारत 22 ETF एक पेसिव स्कीम है। भारत 22 इंडेक्स को ETF मेप करता है। फंड मैनेजर इंडेक्स के अनुसार रणनीति बनाता है। ETF में कुल 22 कंपनियों के शेयर शामिल हैं। केंद्र सरकार की कंपनियां, SUUTI, PSU बैंक शेयर शामिल हैं। निवेशकों को 3 प्रतिशत का डिस्काउंट मिलेगा। 6 कोर सेक्टर की 22 कंपनियां शामिल हैं।
Bharat Bond ETF: ‘AAA’ रेटिंग वाली PSU कंपनियों में पैसा लगाने का मौका, सरकार ने पेश किया भारत बांड ईटीएफ
Bharat Bond ETF केवल सरकारी कंपनियों के ‘AAA’ रेटिंग वाले बॉन्ड में निवेश करता है.
Bharat Bond ETF 4th Tranche Open Today: अगर आप निवेश के लिए किसी नए और सुरक्षित विकल्प की तलाश में हैं तो आज से अच्छा मौका है. भारत के पहले कॉर्पोरेट बॉन्ड ईटीएफ ‘भारत बॉन्ड’ के चौथे चरण को भारत सरकार आज यानी शुक्रवार को लॉन्च कर रही है. इस ईटीएफ का प्रबंधन इडेलवाइस म्यूचुअल फंड की ओर से किया जाएगा. यह ईटीएफ रिटेल निवेशकों के लिए 2 दिसंबर से लेकर 8 दिसंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा.
क्या करना चाहिए निवेश
BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि यह एक पैसिव फंड की तरह है और निवेश का सुरक्षित विकल्प है. इसके लिए सिर्फ ‘AAA’ रेटिंग वाले बॉन्ड में निवेश किया जाता है, इसलिए यह सेफ है. अभी हाई यील्ड 7.5 फीसदी है तो इसमें निवेश करने का फायदा मिलेगा. इस ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज से आसानी से खरीद सकते हैं. अगर डीमैट अकाउंट नहीं है तो म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश कर सकते हैं. फिलहाल बिना कोई जोखिम लिए फिक्स्ड इनकम में निवेश करने वालों के लिए यह अच्छा विकल्प है.
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Bharat Bond ETF: मैच्योरिटी और यील्ड
भारत बॉन्ड ईटीएफ के चौथे चरण में जारी किए जाने वाले बॉन्ड की अवधि अप्रैल 2033 तक पूरी होगी. इसका यील्ड टु मैच्योरिटी 7.5 फीसदी है. चौथे चरण में सरकार की ओर से 1000 करोड़ रुपये के बेस के साथ 4000 करोड़ रुपये के ग्रीन शो ऑप्शन के जरिए पैसे जुटाए जा रहे हैं. पिछले साल दिसंबर में सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये की तीसरी किस्त जारी की थी. तब उस इश्यू को 6.2 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था.
भारत बॉन्ड ईटीएफ केवल सरकारी कंपनियों के ‘AAA’ रेटिंग वाले बॉन्ड में निवेश करता है. साल 2019 में बॉन्ड ईटीएफ की पहली पेशकश की गई थी. सीपीएसई को इसके जरिये 12,400 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिली. इसने दूसरे और तीसरे चरण में : 11,000 करोड़ रुपये और 6,200 करोड़ रुपये जुटाए थे. ईटीएफ ने अबतक अपनी तीन पेशकशों में 29,600 करोड़ रुपये जुटाए हैं.
गोल्ड ETF की ओर आकर्षित हो रहे हैं निवेशक, सितंबर तिमाही में किया करोड़ों का निवेश
कोरोना वायरस महामारी के चलते निवेशक जोखिम भरे साधनों में निवेश करने से परहेज कर रहे हैं। इस कारण सितंबर तिमाही में स्वर्ण ईटीएफ में 2,400 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध निवेश हुआ है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की समान तिमाही में निवेशकों ने स्वर्ण ईटीएफ में 172 करोड़ रुपये लगाए थे। निवेशकों के लिए यह श्रेणी पूरे साल बढ़िया प्रदर्शन कर रही है।
आकर्षित हो रहे हैं निवेशक
इसमें अब तक निवेशकों ने 5,957 करोड़ रुपये लगाए हैं। आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर 2020 को समाप्त तिमाही में निवेशकों ने स्वर्ण ईटीएफ में 2426 करोड़ रुपये निवेश किए। ग्रीन पोर्टफोलियो के सह-संस्थापक दिवम शर्मा ने कहा कि पिछले एक साल में स्वर्ण ईटीएफ ने जिस तरह का राजस्व सृजित किया है, उससे निवेशक इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 18, 2022 16:46 IST
Photo:INDIA TV Gold ETF vs sovereign gold bond
Gold ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लेकर निवेशकों में हमेशा कनफ्यूजन की स्थिति होती है। एक बार फिर से RBI सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज 22 अगस्त से शुरू करने जा रहा है। इसमें निवेशक 26 अगस्त तक निवेश कर पाएंगे। अब सवाल उठता है कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना बेहतर होगा या सॉवरेन बॉन्ड? अगर आपके मन में भी यह सवाल हैं तो हम उसका पूरा समाधान यहां दे रहे हैं।
दोनों उत्पाद में निवेश की सीमा
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ, दोनो में निवेशकों प्रति 1 ग्राम गोल्ड की कीमत से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, गोल्ड ईटीएफ में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। यानी आप अपनी मर्जी के अनुसार निवेश कर सकते हैं, जबकि सॉवरेन बॉन्ड में एक व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने की कीमत के बराबर ही निवेश कर सकता है।
गोल्ड ईटीएफ को आप स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर कैश ट्रेडिंग के लिए निर्धारित समय के दौरान कभी भी खरीद या बेच सकते हैं। लेकिन सॉवरे गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई समय-समय पर जारी करती है। ऐसे में जब चाहें इसे बेच नहीं सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड आठ वर्ष की है। लेकिन पांचवें, छठे और सातवें वर्ष में बॉन्ड को बेचने का विकल्प यानी एग्जिट ऑप्शन है। वहीं, डीमैट फॉर्म में इस बॉन्ड को लेने वाले इसे स्टॉक ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं? एक्सचेंज पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान कभी भी बेच सकते हैं। ऐसे में अगर आप वैसे निवेशक हैं जो कभी भी अपना पैसा निकालने में यकीन रखते हैं तो आपके लिए गोल्ड ईटीएफ बेहतर होगा।
डीमैट अकाउंट की जरूरत?
गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। वहीं, साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा, जिसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सबस्क्रिप्शन के दौरान ही आपको सॉवरिन बॉन्ड फिजिकल फॉर्म (सर्टिफिकेट) के अतिरिक्त डीमैट फार्म में भी लेने का विकल्प मिलता है।
निवेश पर किसमें ज्यादा जोखिम
साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। इसलिए इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है। ऐसे में इसमें डिफॉल्ट का खतरा होता है लेकिन वह काफी कम होता है।
किस पर कितना ब्याज
साॅवरेन बॉन्ड पर 2.5 फीसदी की दर से सालाना ब्याज मिलता है। यह हर 6 महीने में देय होता है। अंतिम ब्याज मैच्योरिटी पर मूलधन के साथ दिया जाता है। ब्याज की रकम टैक्सेबल होती है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर आपको कुछ भी ब्याज नहीं मिलता। यानी आप ब्याज से इनकम चाहते हैं और सोने की बढ़ी कीमत का लाभ तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक बेहतर उत्पाद है।
गोल्ड ईटीएफ मैनेज करने के एवज में म्यूचुअल फंड हाउस निवेशक से टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) चार्ज वसूलते हैं। जब भी आप यूनिट खरीदते या बेचते हो ब्रोकर को ब्रोकरेज चार्ज देना होता है। जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इस तरह का कोई अतिरिक्त एक्सपेंस नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन बॉन्ड को एक्सचेंज पर खरीदोगे या बेचोगे तो आपको ब्रोकरेज चार्ज देना होगा। जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर यह सुविधा नहीं है।