निवेश के अवसर

निवेश सुविधा सेल
इस सेल विषयों की एक विशाल रेंज पर आवश्यक जानकारी प्रदान करता है,जैसे कि मंत्रालयों और राज्य सरकारों की नीतियों, विभिन्न प्रोत्साहन योजनाएं और निवेशकों को निवेश के फैसले लेने के लिए सुविधाजनक अवसर प्रदान करता है। यह सेल भारत में निवेश channelize मदद करने के लिए बनाया गया है।
पहली छमाही में शेयरों में MF कंपनियों का निवेश चार गुना बढ़कर 39,500 करोड़ रुपये
मार्च के महीने में ही 30,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 05, 2020 12:32 IST
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Mutual fund investment
नई दिल्ली। म्यूचुअल फंड कंपनियों ने निवेश के अवसर चालू साल 2020 की पहली छमाही में शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से करीब 39,500 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले करीब चार गुना अधिक है। शेयर बाजारों में व्यापक रूप से उतार-चढ़ाव और ‘करेक्शन’ की वजह से यह निवेशकों के लिए निवेश का एक अच्छा अवसर है। विशेषज्ञों ने कहा कि सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) के इक्विटी फंड में सतत प्रवाह से फंड मैनेजरों के पास गुणवत्ता वाली कंपनियों में खरीदारी के लिए पर्याप्त पूंजी उपलब्ध है। शेयर बाजारों में म्यूचुअल फंड कंपनियों का निवेश ऐसे समय बढ़ा है जबकि कोरोना वायरस संकट की वजह से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इसके चलते मार्च, 2020 में शेयर बाजारों में बिकवाली का सिलसिला चला था।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा जनवरी-जून, 2020 के दौरान शेयरों में शुद्ध रूप से 39,478 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। यह आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि में 8,735 करोड़ रुपये रहा था। इसमें से अकेले 30,000 करोड़ रुपये का निवेश मार्च में हुआ। उस समय शेयर बाजारों में जबर्दस्त बिकवाली का सिलसिला चला था। मॉर्निंगस्टार इंडिया के निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव और करेक्शन की वजह से निवेशकों को निवेश का अच्छा अवसर मिला।’’ उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद इस साल इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड में अच्छा निवेश देखने को मिला है। यह दर्शाता है कि निवेशक अब परिपक्व हो गया है निवेश के अवसर और वह ‘करेक्शन’ को जोखिम नहीं बल्कि अवसर के रूप में देखता है। उन्होंने कहा कि फंड में अच्छे प्रवाह और आकर्षक मूल्यांकन की वजह से म्यूचुअल फंड कंपनियां बाजार में अधिक निवेश कर पाई हैं। उन्होंने निवेश के इस अवसर का लाभ उठाया है। आंकड़ों के अनुसार म्यूचुअल फंड कंपनियों ने इस साल जनवरी में शेयरों में 1,384 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। फरवरी में 9,863 करोड़ रुपये और मार्च में 30,285 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं अप्रैल में उन्होंने 7,965 करोड़ रुपये की निकासी की। इसके बाद मई में उन्होंने फिर 6,522 करोड़ रुपये का निवेश किया। जून में उन्होंने 612 करोड़ रुपये की निकासी की।
छोटा है पर दमदार है
स्मॉल-कैप फंड्स में निवेश जोखिम भरा निवेश के अवसर हो सकता है लेकिन उनमें निवेश करने का एक अच्छा पहलू भी है कि वे धन सृजन की महत्वपूर्ण रणनीति हो निवेश के अवसर सकते हैं
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 04 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 04 अक्टूबर 2022, 4:23 PM IST)
नारायण कृष्णमूर्ति
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए बस यह चुनना होता है कि कितने बड़े कारोबार में निवेश किया जाए. बहुत बड़े कारोबारों की खबरें नियमित रूप से आती रहती हैं जिनसे नए लोगों को भी उनके बारे में पहले से मालूम होता है. लेकिन शेयर बाजारों की स्मॉल-कैप श्रेणी में आने वाले कई कारोबारों के बारे में यह बात सही नहीं हो सकती. छोटी कंपनियां खास तरह के कारोबार पर ही ध्यान देती हैं, लेकिन लंबे अरसे में उन बड़ी कंपनियों के मुकाबले उनका राजस्व और मुनाफा बढ़ने की संभावना रहती है, जिन्होंने कई तरह के कारोबार में विविधीकरण कर लिया हो. जो निवेशक जोखिम उठा सकते हैं, वे स्मॉल-कैप फंड को मोटा मुनाफा कमाने का अवसर मान सकते हैं.
सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के म्यूचुअल फंड वर्गीकरण के अनुसार स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड वे फंड हैं जो अपनी कुल संपत्ति का कम से कम 80 फीसद स्मॉल-कैप कंपनियों में निवेश करते हैं. सेबी के फ्रेमवर्क के अनुसार, बाजार पूंजीकरण के आधार पर शीर्ष 100 स्टॉक्स को लार्ज-कैप के रूप में परिभाषित किया गया है; अगले 150 मिड-कैप हैं; और बाकी स्मॉल-कैप. इसलिए बाजार पूंजीकरण के आधार पर सूची में 250वें स्थान के बाद आने वाली कंपनियां स्मॉल-कैप स्टॉक हैं, जिनमें स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड मुख्य रूप से निवेश करते हैं.
स्मॉल-कैप फंड ही क्यों?
इक्विटी में निवेश का सरोकार ग्रोथ और मुनाफा कमाने से है. लार्ज-कैप फंड उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनके पास छोटी फर्मों की तुलना में विविध कारोबारी संरचनाएं हैं. इनमें साल-दर-साल अपने राजस्व और ग्रोथ में अस्थिरता और उतार-चढ़ाव के आसार कम होते हैं. लेकिन छोटे कारोबारों में उनके आकार और व्यवसाय चक्र के चरण के कारण बहुत तेजी से ग्रोथ की क्षमता होती है जो निवेशक अपने निवेश में तेजी से वृद्धि चाहते हैं, वे इन्हीं फंडों में निवेश करना पसंद करते हैं. उन्हें इक्विटियों में अपने समग्र आवंटन का अवसर मिलता है.
अगर आप पिछले चार साल में एसऐंडपी बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स और एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स की ओर से दिए गए रिटर्न पर गौर करें तो काफी कुछ समझ आ सकता है. इससे अंदाजा लग सकता है कि स्मॉल-कैप और लार्ज-कैप कंपनियां कैसा प्रदर्शन करती हैं (देखें: आकार की अहमियत). पिछले चार साल के ग्रोथ के साथ-साथ कोविड महामारी के निवेश के अवसर कारण आर्थिक चक्र में गिरावट के भी गवाह रहे हैं. इससे यह भी पता चला है कि विभिन्न बाजार चक्रों में बड़ी और छोटी कंपनियां कैसा प्रदर्शन करती हैं. बाजार में तेजी के दौरान, छोटी कंपनियों का रिटर्न बड़ी कंपनियों की तुलना में बहुत ज्यादा होता है और जब बाजार में गिरावट आती है तो उनकी गिरावट भी उतनी ही तेज होती है.निवेश के अवसर
पोर्टफोलियो में भूमिका
किसी पोर्टफोलियो में लार्ज-या स्मॉल-कैप की भूमिका बहुत जरूरी नहीं होती क्योंकि लार्ज-कैप फंडों का भी अपने पोर्टफोलियो में स्मॉल-कैप शेयरों में कुछ एक्सपोजर या निवेश हो सकता है. अलबत्ता अपने पोर्टफोलियो में स्मॉल-कैप जोड़ना पोर्टफोलियो तैयार करने में रणनीतिक फैसले के साथ ही उन जोखिमों का भी मामला है जो कोई निवेशक उनमें निवेश करते समय ले सकता है. पहले से ही अच्छी तरह से विभिन्न तरह के शेयरों में पैसा लगा चुके निवेशक अपने पोर्टफोलियो रिटर्न को समग्र रूप से बढ़ावा देने के लिए इनमें निवेश कर सकते हैं. वे बाजार पूंजीकरण के आधार पर विविधता लाने के लिए स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड में पैसा लगा सकते हैं.
अपने इक्विटी आवंटन में स्मॉल-कैप फंड जोड़ते वक्त निवेशकों में धैर्य और जोखिम लेने की क्षमता (देखें: स्मॉल कैप का दूसरा पहलू) होना भी जरूरी है. इन फंडों में निवेश करने में जोखिम अधिक हैं, लेकिन इनमें रिटर्न की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. इसके अलावा, स्मॉल-कैप फंडों की दुनिया में चुनने के लिए कई योजनाएं हैं और उनमें से प्रत्येक एक अलग निवेश और स्टॉक चयन प्रक्रिया का पालन करती है. निवेशकों के लिए यह समझ लेना बेहतर होगा कि निवेश के लिए फंड का चयन कैसे किया जाता है, किस आधार पर स्टॉक को छांटा जाए और स्मॉल-कैप कंपनियों में किस तरह निवेश किया जाए. इसी तरह, इसमें केवल स्टॉक का चयन ही नहीं करना होता है; इसमें सेक्टरों में आवंटन बढ़ाना और घटाना भी होता है तथा उन शेयरों को चुनना भी होता है जो स्मॉल-कैप सेगमेंट पर ध्यान केंद्रित करने वाली म्यूचुअल फंड योजनाओं के प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं. ये फंड अनुभवी निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं. अनुभवी निवेशक अपने प्रोफाइल के आधार पर अपने निवेश पोर्टफोलियो के इक्विटी कंपोनेंट के भीतर स्मॉल-कैप में 15-20 फीसद का आवंटन कर सकते हैं. उन्हें यह भी मालूम होना चाहिए कि ज्यादा रिटर्न की वजह से इस श्रेणी के फंड में बहुत ज्यादा जोखिम भी होता है.
इस श्रेणी में फंड चुनते वक्त, फंड के पोर्टफोलियो में जाकर यह समझने की कोशिश करें कि उसने किस तरह की कंपनियों में निवेश किया है और वह फंड किस तरह से शेयरों का चयन करता है. अक्सर इस श्रेणी में निवेश के लिए एक दशक या उससे अधिक समय तक निवेशित रहने के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहने की जरूरत होती है. एसआइपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए इन फंडों में निवेश का विकल्प रहता है लेकिन बाजार गिरने के साथ ही ग्रोथ चक्र का अवसर आने पर एकमुश्त निवेश करना भी अच्छी रणनीति है.
कोई ऐसा फंड चुनिए जो मजबूत स्टॉक चयन तंत्र को अपनाता है और बदलती आर्थिक परिस्थितियों के साथ तालमेल के लिए स्टॉक चयन की अपनी प्रक्रिया को अपडेट करता है. निवेश के लिए फंड का चयन करते वक्त उन्हें चुनें जो अलग-अलग बाजार चक्रों में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं. फंड मैनेजर आर्थिक परिस्थितियों, सरकार की नई नीतियों और विभिन्न कारोबारों की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निवेश करेंगे ताकि अच्छे नतीजे निकलें. इस श्रेणी में निवेश करते वक्त लंबी अवधि के एसआइपी के बारे में सोचें और उन छोटे व्यवसायों को चुनने की प्रक्रिया को आउटसोर्स करें जिनमें धन सृजन की क्षमता हो.
इन शेयरों में 1 लाख का निवेश 10 साल में बन गया 1 करोड़ रुपये
ऐसी कई कंपनियां हैं, जिन्होंने तेजी के दौर में तमाम चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए निवेशकों को कई गुना रिटर्न देकर मालामाल कर दिया है.
आने वाले 10 सालों में शेयर बाजार पर निवेश के कई अवसर बनेंगे और ऐसी ही चमकदार सितारों की नई खेप तैयार होगी.
उन्होंने कहा, "इस शेयर ने कई ऐसे निवेशकों की जिंदगी बदल दी, जिन्होंने शुरुआती दौर में इसमें निवेश किया था. मैं भी उनमें से एक था." हालांकि, पिछले साल कंपनी की लागत बढ़ी और उत्पादन घटा. इस वजह से इसके शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी.
मलानी ने कहा, "हालात स्थिर हो गए हैं और अब बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद हैं. यह एक शानदार कंपनी है." ऐसी कई कंपनियां हैं, जिन्होंने तेजी के दौर में तमाम चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए निवेशकों को कई गुना रिटर्न देकर मालामाल कर दिया है.
NBFC सेक्टर की दिग्गज बजाज फाइनेंस के शेयरों ने भी निवेशकों को करोड़पति बनाया है. इस शेयर ने 10 साल पहले 1 लाख रुपये के निवेश को 12 जून 2019 तक 2.33 करोड़ रुपये बना दिया है. इसी तरह कूलर कंपनी सिम्फनी ने भी निवेशकों की दौलत को 2.11 करोड़ रुपये बना दिया.
चक्रवृद्धि रिटर्न के पैमाने पर देखें तो इन दोनों शेयरों ने 67 से 71 फीसदी प्रतिवर्ष के हिसाब से रिटर्न दिया है. हालांकि, पुराना प्रदर्शन भविष्य के प्रदर्शन का मापदंड नहीं हो सकता, मगर विश्लेषकों का मानना है कि इन शेयरों में अब भी काफी दम बाकी हैं.
एडलवाइज प्रोफेशनल रिसर्च अवंती फीड्स को लेकर आश्वस्त है. ब्रोकरेज ने इस शेयर के लिए 480 रुपये का टार्गेट प्राइस दिया है. बुधवार को यह शेयर 364 निवेश के अवसर रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा था. वित्त वर्ष 09 से वित्त वर्ष 19 के दौरान कंपनी का 7 निवेश के अवसर करोड़ रुपये नेट लॉस 465.60 करोड़ रुपये के मुनाफे में बदल गया.
सिम्फनी कूलर बाजार में सबसे बड़ा खिलाड़ी है, जिसके पास संगठित बाजार की 48 फीसदी हिस्सेदारी है. औद्योगिक और घरेलू कूलिंग सेगमेंट में नए अवसर तलाश करने के लिए कंपनी ने मैक्सिको, चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में भी अधिग्रहण किए हैं. ICICIडायरेक्ट ने इसे 1,530 रुपये का टार्गेट प्राइस दिया है.
अन्य दो शेयर जिन्होंने निवेशकों को करोड़पति बनाया है, उनमें रिलैक्सो फुटवीयर और प्लास्टि प्रोडक्ट उत्पादक एस्ट्रल पॉली टेक्निक शामिल हैं. इन दोनों शेयोरं ने बीते एक दशक में 10,000 फीसदी से अधिक तक छलांग लगाई.
रिलैक्सो फुटवीयर के शेयर 12 जून 2009 को 5.10 रुपये के थे, जो 14 जून 2019 को 825.80 रुपये पर पहुंच गए. इसी तरह एस्ट्रल पॉलीटेक्निक के शेयरों ने 11.40 रुपये से 1,350 रुपये तक का सफर तय किया है. ब्रोकरेज आनंदी राठी को अब भी एस्ट्रल पॉली टेक्निक के शेयरों पर विश्वास है.
ला ओपाला आरजी, अजंता फार्मा, विनती ऑग्रेनिक्स, अतुल, आयशर मोटर्स, टीटीके प्रेस्टीज और सेरा सैनिट्रिवेयर जैसी बीएसई 500 इंडेक्स की कंपनियों ने बीते 10 सालों में 50 गुना तक का रिटर्न दिया है. जून 2009 के बाद से सेंसेक्स ने 150 फीसदी तक का छलांग लगाई है.
गौरतलब है कि आने वाले 10 सालों में शेयर बाजार पर निवेश के कई अवसर बनेंगे और ऐसी ही चमकदार सितारों की नई खेप तैयार होगी. इस दौरान भी निवेशक के कई बेहतरीन मौके बनेंगे. मलानी ने कहा कि बेहतर प्रबंदन, कीमतों, ग्रोथ और प्रदर्शन के दम पर बढ़ने वाले शेयरों पर दांव खेल सकते हैं.
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