हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम

निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
University Grants Commission (Minimum Standards and Procedures for Award of Ph.D. Degree) Regulations, 2022 notified. As, per the new regulations, candidates with a 4 years Undergraduate degree with a minimum CGPA of 7.5 can enroll for PhD admissions. The UGC NET Final Result for merged cycles of December 2021 and June 2022 was released on 5th November 2022. Along with the results UGC has also released the UGC NET Cut-Off. With tis, the exam for the merged cycles of Dec 2021 and June 2022 have conclude. The notification for December 2022 is expected to be out soon. The UGC NET CBT exam consists of two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions. By qualifying this exam, candidates will be deemed eligible for JRF and Assistant Professor posts in Universities and Institutes across the country.
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हेज फंडों को मिलेगी मंजूरी!
बाजार नियामक सेबी ने अपनी सलाहकार समिति कमोडिटी डेरिवेटिव्ज एडवाइजरी कमेटी (सीडीएसी) की सिफारिशों हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम के बाद जिंस डेरिवेटिव्ज में तीसरी श्रेणी के वैकल्पिक निवेश फंडों यानी हेज फंडों को मंजूरी देने का प्रस्ताव रखा है। बाजार से जुड़े लोगों और विचार-विमर्श की प्रक्रिया में शामिल सूत्रों ने कहा कि हेज फंडों के प्रवेश से जिंस वायदा और ऑप्शन में तरलता लाने में मदद मिलेगी। यह कदम जिंस डेरिवेटिव्ज में संस्थागत निवेशकों को लाने की शुरुआत है। हालांकि शुरुआत में उन्हें गैर-कृषि जिंसों में ही भागीदारी की मंजूरी दी जाएगी। कृषि जिंसों में अब भी सरकारी दखल की संभावनाएं हैं।
हेज फंड भले ही वे घरेलू या विदेशी हों, उनके पास कम लागत का फंड होता है। वहीं इस उद्योग से जुड़े वे लोग जो वास्तव में वायदा प्लेटफॉर्म पर अपने जोखिम की हेजिंग कर रहे हैं, वे कर्ज लेते हैं। एक जोखिम सलाहकार कंपनी कॉमट्रेंड्ज के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'वैश्विक स्तर पर हेज फंडों की जिंसों में भागीदारी इक्विटी से 10 गुना ज्यादा है और बहुत बार वे बाजार में हलचल पैदा करते हैं। भारत में भी कारोबार बढ़ाने में उनकी अहम भूमिका होगी।'
तीसरी श्रेणी के वैकल्पिक निवेश फंडों की स्थापना के लिए भारत में कंपनी खोलना और सेबी में पंजीकरण जरूरी है। इसके अलावा हेज फंडों के नियम उन्हें डेरिवेटिव हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम पोजिशन लेने की मंजूरी देेते हैं, इसलिए उन्हें जिंसों में भागीदारी की मंजू्री देना आसान था। इस मसले पर हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम विचार-विमर्श में शामिल सूत्रों ने बताया कि भारत में ऐसे फंड कोई विदेशी कंपनी भी बना सकती है, इसलिए यह कदम जिंस डेरिवेटिव्ज में विदेशी निवेशकों का परोक्ष प्रवेश भी हो सकता है।
सेबी के लिए ऐसे फंडों को मंजूरी देना ज्यादा आसान है क्योंकि उनके लिए निर्धारित प्रावधानों में कहा गया है कि ये फंड संरक्षकों की निगरानी में काम करेंगे और इसलिए स्वीकृत स्तर से अधिक उधारी होने पर उसे संरक्षक के स्तर पर निपटाया जा सकता है। हेज फंडों को मंजूरी पर परामर्श पत्र जारी करने से पहले सेबी ने ऐसे फंडों के प्रायोजकों, संरक्षकों, एक्सचेंजों और अन्य बाजार भागीदारों के साथ कई दौर की बातचीत की थी। सेबी ने शेयरों की तरह किसी एक जिंस में अधिकतम 10 फीसदी पॉजिशन का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा विभिन्न भागीदारों के साथ बैठक में संरक्षकों की भूमिका की बात भी निकलकर सामने आई। ये संरक्षक फंडों के सीमा पार करने पर नजर रखेंगे। हालांकि तकनीकी रूप से यह संभव है कि हेज फंड विभिन्न जिंसों में 10 फीसदी तक पॉजिशन रखें और जिंस विशेष के लिए अलग फंड भी बना सकते हैं।
इस चर्चा का हिस्सा रहे उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, 'विदेशी फंड भी भारत में कंपनी बना सकते हैं और वैकल्पिक फंड नियमन के तहत सेबी की मंजूरी हासिल कर सकते हैं। वर्तमान फंड भी अपने निवेशकों के सामने जिंस डेरिवेटिव में पॉजिशन लेने के लिए प्रॉस्पेक्टस में संशोधन का प्रस्ताव रख सकते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि प्रमुख निवेश बैंकों, निजी इक्विटी फंडों और ब्रोकिंग हाउसों द्वारा स्थापित फंड सबसे पहले जिंस डेरिवेटिव में प्रवेश कर सकते हैं।
जहां तक शेयर बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग का सवाल है, संस्थागत निवेशक मुख्य रूप से विदेशी निवेशक ज्यादातर पैसा बनाते हैं क्योंकि वे ऑप्शन बेचते हैं। आमतौर पर ऑप्शन विक्रेता सबसे ज्यादा जोखिम लेते हैं और इसलिए हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम सबसे ज्यादा पैसा कमाते हैं। तीसरी श्रेणी के वैकल्पिक निवेश फंडों या हेज फंडों के प्रवेश से वे ऑप्शन बेच पाएंगे और बाजार को विभिन्न पॉजिशनों वाले निवेशक मिलेंगे।
'डिस्ट्रेस्ड डेट' क्या है, बाजार से इसका क्या कनेक्शन है?
फाइनेंशियल हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम मार्केट में तमाम ऐसे तकनीकी शब्द आते हैं, जिनका मतलब समझ नहीं आता है. ऐसे ही तकनीकी शब्दों में एक हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम है 'डिस्ट्रेस्ड डेट'. हाल में तमाम कंपनियों के दिवालिया होने की खबरों के साथ यह शब्द भी आपके सामने बार-बार आया होगा. आइए, यहां हम इसका आसान शब्दों में मतलब समझते हैं.
डिस्ट्रेस्ड डेट का आशय ऐसी कंपनी के बॉन्ड या कर्ज से है जो दिवालिया हो चुकी है या इसकी कगार पर है. इन कंपनियों पर कर्ज का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि इनके लिए अपना कामकाज जारी रखना मुश्किल हो जाता है. बिजनेस फेल हो जाने की यह मुख्य वजह होती है.
डिस्ट्रेस्ड डेट को काफी डिस्काउंट के साथ खरीदा जा सकता है. कारण है कि इनके मूल्यहीन या बेकार हो जाने का जोखिम होता है. कुछ निवेशकों को डिस्ट्रेस्ड एसेट खरीदने में महारत होती है. ये कंपनी पर नियंत्रण पाने के मकसद से उसके डिस्ट्रेस्ड एसेट को तब खरीदते हैं जब वह दिवालिया प्रक्रिया में प्रवेश कर जाती है.
जब हेज फंड जैसे निवेशक कंपनी के डिस्ट्रेस्ड डेट को खरीदते हैं तो उनके हाथों में कंपनी के बिजनेस का काफी हद तक कंट्रोल चला जाता है. दरअसल, जब कंपनी अपने डिस्ट्रेस्ड डेट को बेचती है तो वह उसे खरीदने वाले की देनदार बन जाती है. कंपनी अगर इस देनदारी को अदा नहीं कर पाती है तो उसे इस कर्ज को खरीदने वाले निवेशकों को कंपनी का कंट्रोल देना पड़ सकता है.
निवेशक या संस्थान डिस्ट्रेस्ड डेट को तभी खरीदते हैं जब उन्हें यकीन हो जाता है कि कंपनी अपनी स्थिति से उबर नहीं पाएगी. इसका मतलब हुआ कि खरीदारों के पास अंत में कंपनी का कंट्रोल आ जाएगा. यह निवेशकों के लिए अपेक्षाकृत छोटा निवेश होता है. अगर कंपनी का कायाकल्प हो जाता है तो ये डेट डिस्ट्रेस्ड नहीं रह जाता है. इनका मूल्य काफी बढ़ जाता है. इससे निवेशकों को खासा मुनाफा होता है.
यह हाई-यील्ड लोन मार्केट का हिस्सा है. इसकी रेटिंग 'इंवेस्टमेंट ग्रेड डेट' से नीचे होती है. अगर खरीदारों को लगता है कि कर्जमुक्त होने के बाद कंपनी अच्छा करेगी तो वे डिस्ट्रेस्ड डेट को खरीदने में दिलचस्पी दिखाते हैं. फिर दिवालिया होने पर उस कंपनी का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेते हैं. इसके बाद वे उस कंपनी की सूरत बदलने में जुट जाते हैं.
(इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.)
अपने भविष्य को मंहगाई से बचाने के लिए सोने में निवेश करें
निवेश अपने पैसों को मूल्य वृद्धि और धन निर्माण और सुरक्षा के लिए विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में वितरित करने का विज्ञान और कला है। विवाह, पहले और दूसरे घर की खरीद, बच्चों की शिक्षा आदि जैसे खर्चों के लिए प्रावधान करने के अलावा, आपका निवेश सेवानिवृत्ति के बाद आपकी आय का एकमात्र स्रोत होगा। हर निवेश दो प्रकार के प्रतिलाभ देगा- कम और वास्तविक।
एक 10 लाख रु. मूल्य की 10% की एफडी 1 लाख रु. प्रतिवर्ष का मामूली रिटर्न्स देगी। हालाँकि, इस निवेश का असली रिटर्न आपकी खरीदने की क्षमता की वास्तविक वृद्धि पर निर्भर करेगा। मंहगाई या अर्थव्यवस्था में 8% की दर से मूल्य वृद्धि होने पर, एफडी से वास्तविक रिटर्न मात्र रु. 20,000 अर्थात् 2% होगा। अगर टैक्सेशन के साथ जोड़ा जाए तो आपके निश्चित-आय निवेश शून्य या यहाँ तक कि नकारात्मक वास्तविक रिटर्न भी पैदा कर सकते हैं।
दीर्घावधि निवेशों को मंहगाई से बचाना
जहाँ इक्विटी या अचल संपत्ति में निवेश जैसे जोखिम भरे विकल्प मंहगाई को पीछे छोड़ सकते हैं, वहीँ कम जोखिम वाले निवेश जैसे बांड्स, डिबेंचर्स, एफडीस, पीएफ खाते मंहगाई के दौर में बहुत ही खराब परिणाम देते हैं। चूँकि निश्चित-आय वाले उत्पाद केवल दीर्घावधि निवेश योजना के लिए उचित हैं, इसलिए ऐसे विकल्पों की पहचान करना आवश्यक है जो पूँजी की हानि के कम जोखिम के साथ आपको आकर्षक रिटर्न्स को अर्जित करने में सहायता करेंगे।
सोना मंहगाई के विरुद्ध एक ढाल है क्योंकि इसका मूल्य अंतर्निहित है। सिक्योरिटीज़ और वित्तीय साधन, कंपनी के प्रदर्शन या देश की अर्थव्यवस्था जैसे हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम बाहरी कारणों से अपना मूल्य निश्चित करते हैं। पैसे की क्रय शक्ति में गिरावट के साथ शेयरों के मूल्यों में समकालीन वृद्धि शून्य धन निर्माण का परिणाम देगी। दूसरी ओर मंहगाई के कारण सोना, भूमि, तेल, और अन्य वस्तुओं या अचल संपत्तियों के मूल्य में गिरावट होने की संभावना कम होती है।
सोना - स्वतंत्र माँग और आपूर्ति
कोई ब्लू-चिप कंपनी नए शेयर जारी कर सकती है। सरकारें अधिक मुद्रित नोट्स छाप सकती हैं। पर सोने का निर्माण कोई भी ऐसे ही नहीं कर सकता है। सोना पृथ्वी से खनन कर प्राप्त की जाने वाली एक अनमोल धातु है और इसकी आपूर्ति सीमित है।
इसके अलावा, सोने की माँग भी आर्थिक मापदंडों पर निर्भर नहीं है। कुछ औद्योगिक उपयोगों के अलावा, सोने का उपयोग मुख्य रूप से आभूषणों और निवेश प्रयोजनों के लिए ही किया जाता है। जबकि मंहगाई उत्पादों और सेवाओं की माँग को आघात पहुँचा सकती है और फलस्वरूप इक्विटी और ऋण बाजारों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, वहीँ सोने की आपूर्ति के अनोखे पहलू इसे अपेक्षित रूप से मंहगाई के नकारात्मक प्रभावों के प्रति अप्रभावित बनाते हैं।
दीर्घावधि से मंहगाई के विरुद्ध बचाव (हेज)
यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि सोना मुख्य रूप से मंहगाई के हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम विरुद्ध एक दीर्घावधि बचाव (हेज) है। यदि आप चाहते हें कि आपके सेवानिवृत्ति फंड का एक हिस्सा मंहगाई के प्रकोपों से सुरक्षित रहे, तो सोने में निवेश करना एक अच्छा कदम है। मंहगाई और ब्याज दर में बदलाव अल्पावधि में सोने के मूल्य में उतार चढ़ाव का कारण हो सकते हैं। हालाँकि, भारत में और दुनिया भर में पिछले 50-60 वर्षों में सोने का पिछला प्रदर्शन दर्शाता है कि जब पैसे की क्रय शक्ति में किसी प्रकार की कमी से निवेशों की रक्षा करने की बात आई है तो कोई भी अन्य संपत्ति इतनी प्रभावशाली नहीं हुई जितना कि सोना हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम है।
आर्थिक परेशानियों के दौरान सुरक्षित ठिकाना
संख्याएँ एक तरफ, पर अपनी दीर्घावधि निवेश की रणनीति में सोने को शामिल करने के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर विचार करना भी महत्वपूर्ण है। हज़ारों वर्षों में दुनिया ने कई प्रलयंकारी परिवर्तनों को देखा है। फिर भी, एक बात जो स्थिर बनी हुई है वह है सोने के साथ मानव जाति की आसक्ति।
जबकि सरकारें चूक सकती है और ब्लू-चिप कंपनियाँ दिवालिया हो सकती हैं, पर भविष्य में किसी भी समय सोने का अपनी कीमत को गवाँ देना संभव नहीं है। और यही बात सोने को बुरे वक्त में निवेशकों के लिए पसंदीदा सुरक्षित ठिकाना बनाती हेज फंड में निवेश करने का मुख्य जोखिम है। एक निवेश रणनीति जो सिर्फ इक्विटी और ऋण साधनों पर ही केंद्रित रहती है वो मंहगाई और मंदी के वर्षों के दौरान नकारात्मक वास्तविक रिटर्न्स उत्पन्न कर सकती है। धीमे और स्थिर ढंग से सोने की खरीददारी, यह सुनिश्चित करने में सहायता करेगी कि आपके निवेश पोर्टफोलियो को बहुत अधिक हानि न भुगतनी पड़े। सोने में निवेश आपको धन की आश्वस्त तरलता का आनंद लेने में आपकी सहायता करेगा, भले ही आप एक मंदी के माहौल में पैसा निवेश करना शुरू करें।
सोने के निवेश पर ब्याज अर्जित करने के लिए गोल्ड मॉनेटाइज़ेशन जैसे नए विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, जमा खाते की अवधि के आधार पर ब्याज को सोने के रूप में या नकद के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। एक आदर्श परिस्तिथि में, मंहगाई कोई समस्या नहीं होगी और केवल निवेश करते रहना ही धन पैदा करने के लिए पर्याप्त होगा। चूँकि सिर्फ कामना कर के मंहगाई को दूर नहीं किया जा सकता है, इसलिए अपने फंड के एक हिस्से का वास्तविक या डीमैट सोने में निवेश करना ही सबसे समझदार विकल्प होगा।