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मौजूदा रुझान

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चुने हुए उम्मीदवारों को सिविल सर्वेंट्स के समान प्रारम्भिक प्रशिक्षण के लिये लालबहादुर शास्त्री अकादमी में भेजा जाता है जहाँ उन्हें इतिहास, विधि, लोक प्रशासन, कार्मिक प्रबंधन तथा कम्प्यूटर जैसे विषयों की जानकारी दी जाती है।

इंदौर की 4100 छतों पर सूर्य की बिजली

इंदौर। मालवा-निमाड़ में छतों पर सौर ऊर्जा की पैनल लगाकर बिजली बनाने में इंदौर सबसे आगे है। अभी तक 4100 छतों से सौर ऊर्जा की पैनल लगाकर सूरज मौजूदा रुझान की किरणों से बिजली पैदा की जा रही है। डेढ़ महीने में 200 नए लोगों ने सौर ऊर्जा में रुझान दिखाया और 50 छतों पर पैनल भी लगवाई गई है।

सौर ऊर्जा के प्रति इंदौर शहर में रूचि सबसे ज्यादा है। शहरी सीमा में लगभग 4100 स्थानों पर रूप टॉप सोलर नेट मीटर के माध्यम से बिजली उत्पादन हो रहा है, वहीं मालवा के सभी 11 जिलों में 6000 स्थानों पर, निमाड़ के चार जिलों में करीब 510 स्थानों पर बिजली उत्पादन हो रहा है। प्रति माह सूरज की किरणों से बिजली उत्पादन करने वालो की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। नवंबर अंत तक यह संख्या 6510 पार कर गई है। एक वर्ष के दौरान अपने घर, दुकान, दफ्तर, बहुमंजिला इमारतों आदि पर पैनल्स लगाकर बिजली बनाने वालों की संख्या में लगभग 1500 की वृद्धि दर्ज की गई है। यह ग्रीन एनर्जी के प्रति आम लोगों, मौजूदा रुझान मौजूदा बिजली उपभोक्ताओं में रूचि को दर्शाता है। एमडी अमित तोमर ने बताया कि समय-समय पर पात्रतानुसार सोलर पैनल्स लगाने वालों को शासन सब्सिडी भी प्रदान करता है। कोई भी निम्नदाब व उच्चदाब का उपभोक्ता सोलर पैनल्स लगाकर अपने परिसर से बिजली उत्पादित कर सकता है।

इंदौर में पहला आयुर्वेद पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार - विदेशी वेद भी आएंगे

बिना एनेस्थेसिया दांत निकालने से लेकर सर्जरी का लाइव डेमो भी इंदौर। शहर में एलोपैथिक चिकित्सकों की तो निरंतर कॉन्फ्रेंस आयोजित होती है, वहीं पहली बार आयुर्वेद को लेकर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार और कॉलेज का स्वर्र्ण मौजूदा रुझान जयंती समारोह मनाया जा रहा है। सरकारी अष्टांग आयुर्वेदिक कॉलेज के 50 साल पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर […]

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अब दूध नहीं, चिकन का सूप पी रहे हैं नन्हे शावक

जू में शेरनी मेघा ने दोनों बच्चों को दूध पिलाना बंद किया तो कर्मचारी दे रहे हैं आहार इन्दौर। करीब सवा दो माह पहले प्राणी संग्रहालय (Zoological Museum) की शेरनी मेघा (lioness megha) ने तीन शावकों ( three cubs) को जन्म दिया था और एक के कमजोर होने पर शेरनी खुद खा गई थी। अब […]

नितिन गडकरी जेब में नहीं रखते है पर्स, जानिए वजह

इंदौर। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) के जीवन पर आधारित पुस्तक ताई के विमोचन के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) इंदौर आए, जहां उन्होंने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऐसा किस्सा सुनाया, जिसे सुन वहां मौजूद लोग ठहाके लगाने लगे. इस दौरान उन्होंने ताई की जमकर तारीफ […]

केंद्र की मोदी सरकार ने हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति से संबंधित 20 फाइलों को नकारा, कॉलेजियम को लौटा दी

NewDelhi : खबर है कि केंद्र की मोदी सरकार ने हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति से संबंधित 20 फाइलें पुनर्विचार का हवाला देते हुए sc कॉलेजियम को वापस लौटा दी हैं. इन जजों में अपनी समलैंगिक स्थिति के बारे में खुलकर बात करने वाले अधिवक्ता सौरभ कृपाल का नाम भी शामिल है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच रार मच गयी है. सूत्रों के अनुसार सरकार ने 25 नवंबर को कॉलेजियम को फाइल वापस भेजते हुए भेजे गये नामों पर अपनी आपत्ति जताई. जानकारी के अनुसार इन 20 में 11 नये नाम थे.जबकि 9 फाइलें कॉलेजियम ने दोबारा भेजी थी.

तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट के जज के तौर पर पदोन्नत करने की सिफारिश की थी. सौरभ पूर्व CJI बीएन कृपाल के पुत्र हैं. कृपाल का नाम दिल्ली हाई कोर्ट कॉलेजियम ने अक्टूबर 2017 को भेजा था. sc के कॉलेजियम ने उनके नाम पर विचार-विमर्श को तीन बार टाला. एजेंसी के अनुसार कृपाल ने मीडिया को बताया मौजूदा रुझान कि उनकी नियुक्ति में देरी का कारण उनका समलैंगिक रुझान है.

जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 2021 में कृपाल के पक्ष में मुहर लगायी

जानकारी के अनुसार बाद में जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने नवंबर 2021 में कृपाल के पक्ष में मुहर लगायी.
एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि सरकार ने अलग-अलग हाई कोर्ट में नियुक्तियों से संबंधित उन सभी नामो को रिजेक्ट कर दिया हैं, जिन पर हाई कोर्ट कॉलेजियम के साथ उसके ‘मतभेद हैं. जान लें कि इससे पहले हाई कोर्ट ने सोमवार को कॉलेजियम द्वारा भेजे गये नामों को मंजूरी देने में देरी करने पर केंद्र के खिलाफ नाराजगी जताई थी.

न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की 3 न्यायाधीशों की पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए समयसीमा निर्धारित की थी. इसमें कहा गया था कि समयसीमा का पालन करना होगा.
न्यायमूर्ति कौल ने विचार व्यक्त किये थे कि सरकार इस बात से नाराज है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम मस्टर पास नहीं हुआ है, लेकिन यह देश में कानून का पालन नहीं करने का एक कारण नहीं हो सकता.

डिजाइन और पत्रिकाओं की छपाई में मौजूदा रुझान

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आधुनिक प्रवृत्तियों और इच्छा एक दर्शक जानकारी जल्दी और आसानी से प्राप्त करने के लिए उत्सुक एक पल के प्रकाशकों प्रतिक्रिया करने के लिए ले लिया: कुछ लेख और वर्तमान समाचार पत्रिकाओं के साथ साप्ताहिक प्रकाशन एक नए स्तर पर जुटाने में मदद की। तिथि करने के लिए, कॉफी बाजार सबसे तेजी से विज्ञापन क्षेत्र में बढ़ती में से एक माना जाता है।

नाभि में छेद करने मौजूदा मौजूदा रुझान रुझान

प्राचीन काल से, लोगों को अपने शरीर को सजाने के लिए, भेदी की मदद से सहित इस्तेमाल किया। हाल के दशकों में, निष्पक्ष सेक्स नाभि बेधा पसंद। भेदी इस प्रकार का शायद के बाद सबसे आम है कान भेदी। इस ऑपरेशन के दौरान, नहीं नाभि बेधा है, और इस पर त्वचा के एक गुना। इस्तेमाल किया बालियां छड़ या विभिन्न सामग्रियों के छल्ले के रूप में। बहुत शुरुआत में जब तक घाव उपयोग करने के लिए और अधिक बेहतर चंगा है सोना 750, शल्य स्टील या टाइटेनियम। यह तथ्य यह है कि अन्य सामग्री में विभिन्न अशुद्धियों एलर्जी या सूजन पैदा कर सकता के कारण है।

भेदी पर फैसला करने के बाद, आप ध्यान से सब ब्यूटी सैलून जहां नाभि में छेद कर सकते हैं पर विचार करना चाहिए। संगठन और, ज़ाहिर है, गुरु उचित लाइसेंस और प्रमाणपत्र होना आवश्यक है। दरअसल, इस तरह के एक प्रक्रिया के दौरान संक्रमण ले जाने के लिए बहुत आसान है। इसलिए, उचित साधनों बाँझ होना चाहिए। कई सवाल में रुचि रखते हैं: एक नियम के रूप "कितना एक नाभि छेद करता है", इन जो लोग बचाने के लिए और घर आपरेशन में खर्च करना चाहते हैं में रुचि रखते हैं। ऐसा करने से सख्ती मौजूदा रुझान से आवश्यक नहीं है! इस प्रक्रिया की कीमत इतनी अधिक नहीं है। आंतरिक और स्वामी की योग्यता के आधार पर इसे 300-1000 रूबल के बीच भिन्न हो सकते हैं। इसलिए यह पेशेवरों पर भरोसा करने के लिए और कैसे खुद को संभावित संक्रमण से बचाने के लिए, और वक्र से एक पंचर बेहतर है।

भारतीय वन मौजूदा रुझान सेवा (Indian Forest Service)

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भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के साथ भारतीय वन सेवा (आई.एफ.एस.) तीन अखिल भारतीय सेवाओं में एक है। भारतीय वन सेवा ‘अखिल भारतीय सेवा अधिनियम 1951’ के अंतर्गत 1966 में अस्तित्व में आई। हालाँकि, यह 1865-1935 में ब्रटिश राज के दौरान अस्तित्व में रही एक सुसंगठित भारतीय वन सेवा का केवल एक पुनरुद्धार था। इस सेवा का मुख्य उद्देश्य वनों का वैज्ञानिक प्रबंधन था जिसका लाभ प्रधानतः काष्ठ उत्पादों की प्राप्ति में स्थाई रूप से प्राप्त किया जा सके।

जिस प्रकार ब्रिटिश काल मौजूदा रुझान में वन प्रबंधन का मुख्य बल काष्ठ उत्पादों की प्राप्ति में था, वह 1966 में भारतीय वन सेवा के पुनर्गठन के पश्चात भी उसी प्रकार जारी रहा। 1976 में राष्ट्रीय कृषि आयोग की सिफारिशें वन प्रबंधन में एक मील का पत्थर परिवर्तन थी। पहली बार बायोमास जरूरतों के समाधान में मानवीय संवेदनाओं का ध्यान रखा गया और सामाजिक वानिकी के विस्तार द्वारा गतिविधियाँ शुरू की गईं।

संघ लोक सेवा परीक्षा से होता है चयन

संघ लोक सेवा आयोग विज्ञान पृष्ठभूमि के स्नातकों के लिये एक खुली प्रतियोगी परीक्षा आयोजित कर भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की भर्ती करता है। लिखित परीक्षा योग्यता के बाद उम्मीदवारों को एक साक्षात्कार, दिल्ली प्राणी उद्यान में एक पैदल परीक्षण (4 घंटे में पुरुषों को 25 किमी. और महिलाओं को 14 किमी. की दूरी) तथा एक मानक चिकित्सकीय योग्यता परीक्षण से गुजरना होता है। चयनित अधिकारियों की शैक्षिक पृष्ठभूमि में मौजूदा रुझान विज्ञान, अभियांत्रिकी, कृषि और वानिकी विषयों में स्नातकोत्तर सहित उच्च योग्यताओं को दर्शाता है। बड़ी संख्या में अधिकारी विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर हैं।

वन्य अधिकारी के लिये पात्रता मानदंड में आयु सीमा इक्कीस से तीस वर्ष तक है। अधिकतम आयु सीमा में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को छूट दी जा सकती है। पशुपालन तथा पशु चिकित्सा विज्ञान, कृषि, वानिकी, वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान, भू-विज्ञान, भौतिकी, रसायन शास्त्र, गणित, सांख्यिकी विषय सहित विज्ञान में मौजूदा रुझान डिग्री पूर्व-अपेक्षा है। संघ लोक सेवा आयोग प्रतिवर्ष परीक्षा आयोजित करता है। चयन प्रक्रिया दो चरणों में विभाजित है। पहला चरण लिखित परीक्षा का है। इंटरव्यू को भी हल्के रूप में नहीं लिया जा सकता। इस दौरान प्रायः सामाजिक, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय जागरूकता के साथ-साथ विषय के ज्ञान की भी थाह ली जाती है। उसके समूचे व्यक्तित्व पर ध्यान दिया जाता है।

आवश्यक कौशल

विशिष्ट वन अधिकारी को पहले संरक्षणवादी होना चाहिए, उसके बाद सुपरवाइजर, अर्थशास्त्री, तकनीशियन एवं योग्य प्रशासक होना चाहिए। उसे उस समय संवेदनशील होना चाहिए जब उसे वन्यजीवन तथा प्रकृति को समझना होता है। इस कार्य में तस्करों और शिकारी चोरों का थोड़ा खतरा रहता है। भारतीय वन अधिकारी के संवर्ग में निम्नलिखित रैंक होते हैं - सहायक वन संरक्षक, जिला वन संरक्षक, वन संरक्षक, प्रमुख वन संरक्षक, प्रधान वन संरक्षक, वन महानिरीक्षक।

प्रारम्भिक अवस्था में मुख्य जिम्मेदारी नीतियों का निचले स्तर पर कार्यान्वयन है। धीरे-धीरे यह जिम्मेदारी बढ़ती जाती है। उच्च स्तरों पर नीतिगत निर्णय लेने होते हैं। उम्मीदवार की नेशनल पार्क, प्राणि/वनस्पति उद्यानों में तैनाती की जा सकती है। इनकी वन्यजीव अभ्यारण्य में तैनाती की जाती है, साथ ही उम्मीदवार मौजूदा रुझान को फील्ड ड्यूटी भी दी जा सकती है। भारतीय वन सेवा में करियर बेजोड़ के साथ-साथ जोखिम से भरा है।

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