Share Market में कारोबार करने वाले प्रमुख आर्थिक साधन

वायदा और विकल्प: वित्तीय साधनों को समझना
निस्संदेह, स्टॉक और शेयरमंडी भारत में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है। हालाँकि, जब बड़े पैमाने पर बात की जाती है, तो एक बाजार जो इससे भी बड़ा होता हैइक्विटीज देश में इक्विटी डेरिवेटिव बाजार है।
इसे सरल शब्दों में कहें, तो डेरिवेटिव का अपना कोई मूल्य नहीं होता है और वे इसे a . से लेते हैंआधारभूत संपत्ति। मूल रूप से, डेरिवेटिव में दो महत्वपूर्ण उत्पाद शामिल हैं, अर्थात। वायदा और विकल्प।
इन उत्पादों का व्यापार पूरे भारतीय इक्विटी बाजार के एक अनिवार्य पहलू को नियंत्रित करता है। तो, बिना किसी और हलचल के, Share Market में कारोबार करने वाले प्रमुख आर्थिक साधन आइए इन अंतरों के बारे में और समझें कि ये बाजार में एक अभिन्न अंग कैसे निभाते हैं।
फ्यूचर्स और ऑप्शंस को परिभाषित करना
एक भविष्य एक हैकर्तव्य और एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर एक विशिष्ट तिथि पर एक अंतर्निहित स्टॉक (या एक परिसंपत्ति) को बेचने या खरीदने का अधिकार और इसे पूर्व निर्धारित समय पर वितरित करें जब तक कि अनुबंध की समाप्ति से पहले धारक की स्थिति बंद न हो जाए।
इसके विपरीत, विकल्प का अधिकार देता हैइन्वेस्टर, लेकिन किसी भी समय दिए गए मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का दायित्व नहीं है, जहां तक अनुबंध अभी भी प्रभावी है। अनिवार्य रूप से, विकल्प दो अलग-अलग प्रकारों में विभाजित हैं, जैसे किकॉल करने का विकल्प तथाविकल्प डाल.
फ्यूचर्स और ऑप्शंस दोनों वित्तीय उत्पाद हैं जिनका उपयोग निवेशक पैसा बनाने या चल रहे निवेश से बचने के लिए कर सकते हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच मौलिक समानता यह है कि ये दोनों निवेशकों को एक निश्चित तिथि तक और एक निश्चित कीमत पर हिस्सेदारी खरीदने और बेचने की अनुमति देते हैं।
लेकिन, ये उपकरण कैसे काम करते हैं और जोखिम के मामले में फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए बाजार अलग हैफ़ैक्टर कि वे ले जाते हैं।
एफ एंड ओ स्टॉक्स की मूल बातें समझना
फ्यूचर्स ट्रेडिंग इक्विटी का लाभ मार्जिन के साथ प्रदान करते हैं। हालांकि, अस्थिरता और जोखिम विपरीत दिशा में असीमित हो सकते हैं, भले ही आपके निवेश में लंबी अवधि या अल्पकालिक अवधि हो।
जहां तक विकल्पों का संबंध है, आप नुकसान को कुछ हद तक सीमित कर सकते हैंअधिमूल्य कि आपने भुगतान किया था। यह देखते हुए कि विकल्प गैर-रैखिक हैं, वे भविष्य की रणनीतियों में जटिल विकल्पों के लिए अधिक स्वीकार्य साबित होते हैं।
फ्यूचर्स और ऑप्शंस के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि जब आप फ्यूचर्स खरीदते या बेचते हैं, तो आपको अपफ्रंट मार्जिन और मार्केट-टू-मार्केट (एमटीएम) मार्जिन का भुगतान करना पड़ता है। लेकिन, जब आप विकल्प खरीद रहे होते हैं, तो आपको केवल प्रीमियम मार्जिन का भुगतान करना होता है।
एफ एंड ओ ट्रेडिंग के बारे में सब कुछ
ऑप्शंस और फ्यूचर्स क्रमशः 1, 2 और 3 महीने तक के कार्यकाल वाले अनुबंधों के रूप में कारोबार करते हैं। सभी एफएंडओ ट्रेडिंग अनुबंध कार्यकाल के महीने के अंतिम गुरुवार की समाप्ति तिथि के साथ आते हैं। मुख्य रूप से, फ़्यूचर्स का वायदा मूल्य पर कारोबार होता है जो आम तौर पर समय मूल्य के कारण स्पॉट मूल्य के प्रीमियम पर होता है।
एक अनुबंध के लिए प्रत्येक स्टॉक के लिए, केवल एक भविष्य की कीमत होगी। उदाहरण के लिए, यदि आप टाटा मोटर्स के जनवरी के शेयरों में व्यापार कर रहे हैं, तो आप टाटा मोटर्स के फरवरी के साथ-साथ मार्च के शेयरों में भी समान कीमत पर व्यापार कर सकते हैं।
दूसरी ओर, विकल्प में व्यापार अपने समकक्ष की तुलना में एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। इसलिए, अलग-अलग स्ट्राइक होने जा रहे हैं जो पुट ऑप्शन और दोनों के लिए एक ही स्टॉक के लिए कारोबार किया जाएगाबुलाना विकल्प। इसलिए, यदि ऑप्शंस के लिए Share Market में कारोबार करने वाले प्रमुख आर्थिक साधन स्ट्राइक अधिक हो जाती है, तो ट्रेडिंग की कीमतें आपके लिए उत्तरोत्तर गिरेंगी।
भविष्य बनाम विकल्प: प्रमुख अंतर
ऐसे कई कारक हैं जो वायदा और विकल्प दोनों को अलग करते हैं। इन दो वित्तीय साधनों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर नीचे दिए गए हैं।
विकल्प
चूंकि वे अपेक्षाकृत जटिल हैं, विकल्प अनुबंध जोखिम भरा हो सकता है। पुट और कॉल दोनों विकल्पों में जोखिम की डिग्री समान होती है। जब आप एक स्टॉक विकल्प खरीदते हैं, तो केवल वित्तीय दायित्व जो आपको प्राप्त होगा, वह है अनुबंध खरीदते समय प्रीमियम।
लेकिन, जब आप पुट ऑप्शन खोलते हैं, तो आप स्टॉक के अंतर्निहित मूल्य की अधिकतम देयता के संपर्क में आ जाएंगे। यदि आप कॉल विकल्प खरीद रहे हैं, तो जोखिम उस प्रीमियम तक सीमित रहेगा जिसका आपने पहले भुगतान किया था।
यह प्रीमियम पूरे अनुबंध के दौरान बढ़ता और गिरता रहता है। कई कारकों के आधार पर, पुट ऑप्शन खोलने वाले निवेशक को प्रीमियम का भुगतान किया जाता है, जिसे ऑप्शन राइटर के रूप में भी जाना जाता है।
फ्यूचर्स
विकल्प जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन एक निवेशक के लिए वायदा जोखिम भरा होता है। भविष्य के अनुबंधों में विक्रेता और खरीदार दोनों के लिए अधिकतम देयता शामिल होती है। जैसे ही अंतर्निहित स्टॉक की कीमतें बढ़ती हैं, समझौते के किसी भी पक्ष को अपनी दैनिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए ट्रेडिंग खातों में अधिक पैसा जमा करना होगा।
इसके पीछे संभावित कारण यह है कि आप वायदा पर जो कुछ भी हासिल करते हैं वह स्वचालित रूप से दैनिक रूप से बाजार में चिह्नित हो जाता है। इसका मतलब है कि स्थिति के मूल्य में परिवर्तन, चाहे वह ऊपर या नीचे हो, प्रत्येक व्यापारिक दिन के अंत तक पार्टियों के वायदा खातों में ले जाया जाता है।
निष्कर्ष
बेशक, वित्तीय साधन खरीदना और समय के साथ निवेश कौशल का सम्मान करना एक अनुशंसित विकल्प है। हालांकि, इन फ्यूचर्स और ऑप्शंस निवेशों के जोखिम को देखते हुए, विशेषज्ञ इस महत्वपूर्ण कदम को उठाने से पहले खुद को आर्थिक और भावनात्मक रूप से तैयार करने का आश्वासन देते हैं। इसके अलावा, यदि आप इस दुनिया में काफी नए हैं, तो आपको लाभ बढ़ाने और नुकसान को कम करने के लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए।
डेली न्यूज़
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय पूंजी बाज़ारों में पी-नोट्स (P-Notes) के माध्यम से निवेश बढ़कर जुलाई, 2020 के अंत तक 63288 करोड़ रुपए हो गया है। पी-नोट्स के माध्यम से निवेश में यह लगातार चौथी मासिक वृद्धि है।
प्रमुख बिंदु:
- निवेश से संबंधित आँकड़े
- पी-नोट्स (P-Notes) के माध्यम से जुलाई 2020 के अंत तक 63288 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। जिसके अंतर्गत इक्विटी में 52,356 करोड़ रुपए का, ऋणों में 10,429 करोड़ रुपए का, हाइब्रिड प्रतिभूतियों में 250 करोड़ रुपए का, डेरीवेटिव्स में 190 करोड़ रुपए का निवेश किया गया।
डेरीवेटिव (Derivative) एक वित्तीय साधन है जो अंतर्निहित परिसंपत्तियों से इसका मूल्य प्राप्त करता है।
FPI: यूक्रेन संकट का दिख रहा असर, मार्च के सिर्फ 3 दिनों में विदेशी निवेशकों ने की 17,537 करोड़ की निकासी
Foreign Portfolio Investors: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मार्च के सिर्फ तीन कारोबारी दिनों में ही भारतीय शेयर बाजारों से 17,537 करोड़ रुपये की निकासी कर ली है.
By: पीटीआई, एजेंसी | Updated at : 06 Mar 2022 03:35 PM (IST)
एफपीआई निवेशक (फाइल फोटो)
Foreign Portfolio Investors: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मार्च के सिर्फ तीन कारोबारी दिनों में ही भारतीय शेयर बाजारों से 17,537 करोड़ रुपये की निकासी कर ली है. यूक्रेन संकट की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से कारोबारी धारणा पर पड़े प्रतिकूल असर ने एफपीआई की इस निकासी को रफ्तार देने का काम किया है.
सिर्फ 3 दिन में निकाले 14721 करोड़
जमाकर्ताओं से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने इस महीने के तीन कारोबारी दिवसों में ही इक्विटी से 14,721 करोड़ रुपये, लोन से 2,808 करोड़ रुपये और हाइब्रिड साधनों से नौ करोड़ रुपये निकाले हैं.विदेशी निवेशकों ने की निकासी
आपको बता दें इस तरह 2 से 4 मार्च के दौरान भारतीय बाजारों से कुल 17,537 करोड़ रुपये की निकासी विदेशी निवेशकों ने किया. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, "यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग से उपजी अनिश्चितता और कच्चे तेल के दाम में आई तेजी ने कारोबारी धारणा को प्रभावित किया है."जानें क्या है एक्सपर्ट की राय?
इसके अलावा एफपीआई डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोर होती स्थिति को देखते हुए ऋण खंड में भी बिकवाल बने हुए हैं. मॉर्निंगस्टार इंडिया के शोध प्रबंधक एवं एसोसिएट निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि इस पैमाने पर भू-राजनीतिक तनाव पैदा होना भारत जैसी उदीयमान अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा प्रवाह के नजरिये से अच्छा नहीं है.News Reels
उन्होंने कहा कि भारतीय इक्विटी बाजारों के उच्च मूल्यांकन के साथ कंपनियों की आय से जुड़े जोखिम और आर्थिक वृद्धि की सुस्त पड़ती रफ्तार ने विदेशी निवेशकों को भारतीय स्टॉक बाजार में खुलकर निवेश करने से रोकने का काम किया है.
यूक्रेन संकट का दिख रहा असर
कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, "भारत को छोड़कर अन्य उदीयमान बाजारों में एफपीआई प्रवाह फरवरी के महीने में सकारात्मक रहा. इंडोनेशिया में 1,22 करोड़ डॉलर, फिलीपींस में 14.1 करोड़ डॉलर, दक्षिण कोरिया में 41.8 करोड़ डॉलर और थाईलैंड में 193.1 करोड़ डॉलर का एफपीआई निवेश आया." उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यूक्रेन पर रूस के हमले और उसकी वजह से लगने वाली पाबंदियों के साथ ही मुद्रास्फीति बढ़ने और फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी किए जाने से एफपीआई प्रवाह अस्थिर रहने की आशंका है.Published at : 06 Mar 2022 03:35 PM (IST) Tags: Share Market investors FPI foreign investors 1 march business news in hindi Foreign Portfolio investors foreign portfolio investment हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
मोटा मुनाफा कमाने का मौका! ये हैं सोने में तेजी रहने की 10 बड़ी वजहें
पीली धातु बीते साल 2019 में निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है और नया साल 2020 में भी यह निवेशकों के लिए निवेश का पसंदीदा साधन बनी रह सकती है।
Reported by: IANS
Published on: January 06, 2020 7:17 ISTनई दिल्ली। ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने के दाम में बीते सप्ताह 29 डॉलर से ज्यादा का उछाल आया और आने वाले दिनों में तेजी का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद की जा रही है। पीली धातु बीते साल 2019 में निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है और नया साल 2020 में भी यह निवेशकों के लिए निवेश का पसंदीदा साधन बनी रह सकती है।
हाल-ए-शेयर बाजार: 2020 में निवेशक ऐसे कर सकते हैं अच्छी कमाई, 2019 में इनका हुआ बंपर फायदा
अमेरिका-ईरान के बीच बढ़ते तनाव से भारत में सोना पहुंचा रिकॉर्ड ऊंचाई पर
आ गई 2020 की पहली बड़ी खबर, विदेशी मुद्रा भंडार ने छुआ 457.46 अरब डॉलर का रिकॉर्ड स्तर
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव चार महीने के ऊंचे स्तर पर है जबकि भारत के हाजिर एवं वायदा बाजार में सोना 40,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को तोड़ते हुए नई ऊंचाई पर चला गया है। सर्राफा बाजार जानकारों की माने तो अगले तीन महीने में बुलियन में तेजी का रुख बना रह सकता है।
सोने में तेजी रहने की ये 10 प्रमुख वजहें हैं
1. भूराजनीति तनाव: ईरान और अमेरिका के बीच टकराव से खाड़ी क्षेत्र में पैदा हुए फौजी तनाव गहराने से सोने के दाम को सपोर्ट मिल रहा है। अमेरिकी एयरस्ट्राइक में ईरानी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव और बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी है कि अगर वह सुलेमानी की मौत का बदला लेने की हिमाकत करेगा तो इसका अंजाम और बुरा होगा, क्योंकि अमेरिका उसके 52 ठिकानों को निशाना बना सकता है। उधर, उत्तर कोरिया ने आण्विक परीक्षण दोबारा शुरू करने की चेतावनी दी है जिससे भूराजनीतिक तनाव पहले से ही बना हुआ है।
2. वैश्विक आर्थिक सुस्ती: अमेरिका और चीन के बीच बीते 18 महीनों के दौरान व्यापारिक मसलों को लेकर टकराव की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार मंद पड़ गई और अनिश्चितता का माहौल अभी खत्म नहीं हुआ है। यही कारण रहा कि बीते साल 2019 में सोने में कुछ ज्यादा ही निखार आया।
3. ब्याज दरों में कटौती: वैश्विक स्तर पर पिछले दिनों केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती और डॉलर में जो कमजोरी रही उससे सोने की तेजी को सपोर्ट मिला। डॉलर में कमजोरी अभी भी बरकार है।
4. पिछले साल सोना में भारत में 23.77 फीसदी, जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में वैश्विक बाजार में निवेशकों को 18.28 फीसदी का रिटर्न मिला है इसलिए पीली धातु में निवेश के प्रति निवेशकों का रुझान बना हुआ है।
5. तेजी का ट्रेंड: सोने में तेजी के ट्रेंड के इतिहास पर नजर डालें तो जब भी महंगी धातु में तेजी आती है तो यह ट्रेंड तीन से चार साल तक चलती है।
6. इक्विटी में गिरावट की आशंका: बीते साल इक्विटी में भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा रिटर्न मिला, लेकिन आगे गिरावट की आशंका है जिससे सोने के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ेगा क्योंकि यह निवेश का सुरक्षित उपकरण है।
7. केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: सोने में केंद्रीय बैंकों की खरीदारी बढ़ी है, जिससे इसकी कीमतों को आने वाले दिनों में भी सपोर्ट मिलने की संभावना है।
8. ईटीएफ लिवाली: सोने में तेजी का सबसे बड़ा कारक ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) लिवाली रहा है। पिछले साल ग्लोबल ईटीएफ लिवाली में करीब 295 टन का इजाफा हुआ और ईटीएफ होल्डिंग साल के आखिर में 2,308.6 टन रही।
9. भारतीय बाजार की बात करें तो घरेलू मुद्रा रुपये में कमजोरी भी एक कारण है जिससे सोने को सपोर्ट मिल सकता है। वहीं, देश में जब-जब सोने में तेजी आती है तो खरीदारी बढ़ती है और इसके विपरीत कीमतों में गिरावट के दौरान खरीदारी का रुझान कमजोर रहता है।
10. निवेश का सुरक्षित व बेहतर साधन: रियल स्टेट के क्षेत्र में निवेश कमजोर रहने और इक्विटी निवेश के प्रति अनिश्चितता के माहौल में निवेशकों के लिए सोना निवेश का एकमात्र सुरक्षित और बेतहर साधन रह जाता है।
पिछले सप्ताह बुलियन में कारोबार
भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर शुक्रवार को सोने का फरवरी एक्सपायरी अनुबंध पिछले सत्र के मुकाबले 853 रुपए यानी 2.17 फीसदी की तेजी के साथ 40,130 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ, जबकि कारोबार के दौरान सोने का भाव एमसीएक्स पर 40,143 रुपए प्रति 10 ग्राम तक उछला, जोकि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है।
हालांकि एमसीएक्स पर चांदी का मार्च एक्सपायरी अनुबंध शुक्रवार को पिछले सत्र के मुकाबले 498 रुपये यानी 1.06 फीसदी की तेजी के साथ 47,520 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुआ, जबकि कारोबार के दौरान चांदी का भाव 47,924 रुपए तक उछला।
देश के हाजिर बाजार में 999 शुद्धता यानी फाइन सोने का भाव शुक्रवार को 887 रुपए की तेजी के साथ 40,092 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया। वहीं, 995 शुद्धता यानी 24 कैरट शुद्धता वाले सोने का दाम हाजिर बाजार में 39,931 रुपए प्रति 10 ग्राम था। चांदी का भाव पिछले सत्र से 990 रुपये की Share Market में कारोबार करने वाले प्रमुख आर्थिक साधन तेजी के साथ 47,330 रुपए प्रति किलो था।
अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर सोने का फरवरी अनुबंध 27.05 डॉलर यानी 1.77 फीसदी की तेजी के साथ 1,555.15 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ, जबकि कारोबार के दौरान सोने का भाव कॉमेक्स पर 1,556.05 डॉलर प्रति औंस तक उछला, जोकि चार सितंबर, 2019 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। चार सिंतबर, 2019 को कॉमेक्स पर सोने का भाव 1,566.20 डॉलर तक उछलने के बाद 1,560.40 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ था। कॉमेक्स पर चांदी का मार्च अनुबंध शुक्रवार को 0.29 फीसदी की तेजी के साथ 18.09 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ जबकि कारोबार के दौरान चांदी का भाव 18.32 डॉलर प्रति औंस तक उछला।