जुले संकेत

एविएशन शेयरों पर रखें खास नजर, Adani Ent और Zomato को भी न भूलें, पढ़ें आज बाजार के लिए क्या हैं संकेत
Stocks to Watch: वैश्विक बाजारों से आज मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं. इस बीच कच्चे तेल की कीमतों में हल्की तेजी देखने को मिली है. आज भारत में दूसरी तिमाही के GDP आंकड़े जारी होने वाले हैं. मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार में लगातार तीसरे दिन रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली है.
हफ्ते के दूसरे कारोबारी सत्र में भी शेयर बाजार रिकॉर्ड तेजी पर बंद हुआ. मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार में लगातार छठे दिन भी तेजी देखने को मिली. कल सेंसेक्स 177 अंक की बढ़त के साथ 62,682 और निफ्टी 55 अंक की बढ़त के साथ 18,618 के स्तर पर बंद हुआ. आज हफ्ते के तीसरे दिन बाजार के लिए क्या संकेत हैं और खबरों के दमपर किन शेयरों में एक्शन देखने को मिल सकता है, ये भी जान लेते हैं.
चीन में कोविड मामलों में इजाफा के बीच अभी भी कई जगहों पर सख्ती बरकरार है. सप्लाई संकट की वजह से iPhone बनाने वाली कंपनी एप्पल के शेयरों में लगातार तीसरे दिन भी गिरावट रही. निवेशकों की नजर फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल के भाषण पर भी है. इन्हीं कारणों से मंगलवार को लगातार तीसरे दिन S&P और नैस्डैक में गिरावट देखने को मिली. डाओ जोंस 0.01% की सपाट चाल के साथ 33.853 और S&P भी 0.16 की गिरावट के साथ 3,958 के स्तर पर बंद हुआ. टेक शेयरों का इंडेक्स नैस्डैक 0.59% लुढ़ककर 10,984 के स्तर पर बंद हुआ.
चीन के फैक्ट्री आंकड़े अनुमान से कमजोर रहे हैं. इसके बाद एशियाई बाजारों में आज भी मिलेजुले कारोबार ही दिख रहे हैं. निक्केई में कमजोरी देखने को मिल रही है, वहीं हैंगसैंग, शंघाई कम्पोजिट और कोस्पी हल्की बढ़त के साथ हरे निशान में जुले संकेत कारोबार कर रहे हैं.
कच्चे तेल की कीमतों में हल्की बढ़त देखने को मिली है. ब्रेंट क्रूड का भाव 0.93% की बढ़त के साथ 83.80 डॉलर प्रति बैरल पर है. वहीं WTI क्रूड में 1.09% की तेजी रही, जिसके बाद ये 79.05 डॉलर प्रति बैरल पर है.
चीन में नवंबर महीने का मैन्युफैक्चरिंग PMI आंकड़ा 49 पर है. इसे 50 रहने का अनुमान था. अक्टूबर में ये आंकड़ा 49.2 पर था.
मंगलवार को कैश मार्केट में विदेशी निवेशकों ने 1242 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे हैं. घरेलू निवेशकों ने कैश मार्केट में कल 744 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं. इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने कुल 13,536 करोड़ रुपए की बिकवाली की है. घरेलू निवेशकों ने नवंबर महीने में अब तक 2,245 करोड़ रुपए की बिकवाली की है.
एविएशन शेयर: आज SpiceJet, Intergloba Aviation पर फोकस रहेगा. दरअसल, एयर इंडिया को लेकर टाटा ग्रुप और सिंगापुर एयरलाइंस में करार हो गया है. इस करार के तहत विस्तारा एयरलाइंस को एयर इंडिया में मर्ज किया जाएगा. मर्जर के बाद एयर इंडिया में सिंगापुर एयरलाइंस की 25.1% हिस्सेदारी होगी. उम्मीद की जा रही है कि मार्च 2024 तक इस मर्जर को पूरा कर लिया जाएगा. एयर इंडिया में सिंगापुर एयरलाइंस करीब 25 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी.
Zomato: जुले संकेत अलीबाबा ग्रुप ब्लॉक डील के जरिए कंपनी में 3.5% हिस्सा बेचेगी. ब्लॉक डील के जरिए कल के भाव से 5.5% डिस्काउंट पर यानी 60 रुपए प्रति शेयर के भाव पर ये शेयर बेचेगी. ब्लॉक डील से अलीबाबा को करीब 20 करोड़ डॉलर मिलेंगा. इसके साथ ही कंपनी में अब लीबाबा की हिस्सेदारी घटकर करीब 10% हिस्सा ही बचेगा.
Adani Enterprises: मुंबई के धारावी के रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए कंपनी ने बोली जीत ली है. अदानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 5,069 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी. DLF ने इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 2,025 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी.
Bandhan Bank - IDFC First Bank: बंधन फाइनेंशियल को IDFC AMC में हिस्सेदारी खरीदेने की मंजूरी मिल गई है. IDFC AMC में IDFC का हिस्सा बंधन फाइनेंशियल खरीदेगी. 4,500 करोड़ रुपए में इस डील के पूरा होने की संभावना है.
Biocon: बायोकॉन बायोलॉजिक्स ने Viatris का कारोबार खरीद लिया है. बायोकॉन की सब्सिडियरी कंपनी है बायोकॉन बायोलॉजिक्स. कंपनी ने Viatris के बायोसिमिलर कारोबार का अधिग्रहण को पूरा कर लिया है.
Gland Pharma: कंपनी ने Cenexi ग्रुप में पूरा हिस्सा खरीद लिया है. दोनों कंपनियों के बीच ये सौदा करीब 12 करोड़ यूरो में हुआ है. Cenexi ग्रुप की एंटरप्राइज वैल्यू करीब 23 करोड़ यूरो की है.
जुले संकेत
मौद्रिक नीति हस्तांतरण में सक्षमता की कमी केंद्रीय बैंक के लिए दबाव का खास पहलू रही है। जनवरी, 2015 से अब तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नीतिगत दरों में 125 आधार अंकों की कटौती की है (100 आधार अंक यानी एक फीसदी) लेकिन इस दौरान बैंकों ने अपनी कर्ज की दरों में केवल 60 आधार अंकों की कटौती की। बैंकरों ने तर्क दिया कि जब नीतिगत दरों में बढ़ोतरी हो रही थी, तब भी ऐसा ही हुआ था और उन्होंने नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के अनुपात में कर्ज की दरों में कम ही इजाफा किया था। शायद ऐसा ही हो लेकिन अब आरबीआई ने बदलाव का फैसला किया है। संक्षिप्त मौद्रिक हस्तांतरण को सुलझाने के लिए उसने पिछले हफ्ते ऐलान किया कि अब बैंक कर्ज की दरों को तय करने में औसत लागत के मौजूदा चलन के बजाय कोष की सीमांत लागत से इसे निर्धारित करेंगे और उन्हें मासिक आधार पर इन दरों की सूचना भी देनी होगी। इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि इससे कर्ज बाजार में पारदर्शिता आने और प्रतिस्पर्धा बढऩे की उम्मीद है, खासतौर पर आवास जैसे लंबी अवधि के ऋणों में दरों में परिवर्तन की यह नई व्यवस्था परिलक्षित जुले संकेत होगी। हो सकता है कि वाहन और वैयक्तिक जैसी श्रेणियों में भी बैंक फिलहाल इसका लाभ देने से थोड़ा कतराएं। वर्ष 2010 में प्रधान उधारी दर से आधार दर की ओर मुखातिब होने के दौरान भी इसी तरह के तर्क पेश किए गए थे। संभवत: नई व्यवस्था अधिक प्रभावी होगी।
हालांकि सवाल यह भी है कि क्या मौद्रिक नीति की प्रभावोत्पादकता सुनिश्चित करने में आरबीआई सभी जरूरी कदम उठा रहा है? आरबीआई द्वारा की गई 125 आधार अंकों की कटौती के दो खास पहलू हैं। पहला तो यह कि दरों में कटौती और मुद्रास्फीति एवं ब्याज दरों की अनुमानित तस्वीर को लेकर मौद्रिक नीति की टिप्पणियों में स्पष्टï रूप से निरंतरता का अभाव रहा। दूसरा यह कि 125 आधार अंकों में 50 आधार अंकों की कटौती मौद्रिक नीति समीक्षाओं से इतर की जुले संकेत गई। ब्याज दरों में परिवर्तन बैंकों के लिए अरसे से एक जटिल मसला रहा है। उन्हें सभी उत्पादों की समीक्षा करनी पड़ती है, व्यापक आर्थिक तस्वीर देखी जाती है और निदेशक मंडल को भी फिर से फैसले लेने पड़ते हैं। ये कवायद तब और उलझाऊ हो जाती हैं, जब केंद्रीय बैंक दरों में कटौती करने के साथ ही अपने बयान में दरों में बढ़ोतरी को लेकर चेतावनी देता है। बैंकों के लिए इसमें मिश्रित भाव होते हैं। वह यह कि केंद्रीय बैंक हेजिंग को लेकर अपना दांव चल रहा है और भविष्य में दरों में कटौती को निष्प्रभावी कर सकता है। ऐसे में बैंक उस स्थिति में दरों में कटौती को उपयोगी नहीं मानते, जब उन्हें लगता है कि ब्याज दरों में कटौती की तस्वीर पलट भी सकती है और वे दरों का लाभ आम ग्राहक तक पहुंचाने में झिझकते हैं।
मौद्रिक नीति से इतर घोषणाओं का भी मौद्रिक नीति हस्तांतरण पर भी वही प्रभाव होने की उम्मीद है। मिश्रित मौद्रिक नीति संकेतों की तरह समीक्षा से इतर कटौती भारी अनिश्चितता को दर्शाती है। लिहाजा बैंक उस पर त्वरित कार्रवाई करने से बेहतर इंतजार करने में भलाई समझते हैं। बॉन्ड बाजार की कमी और कर्ज कारोबार में अपर्याप्त प्रतिस्पर्धा के साथ ये समस्याएं मौद्रिक नीति हस्तांतरण की पुरानी दिक्कतों में नया जुड़ाव हैं। अंतरराष्टï्रीय स्तर पर बढिय़ा मौद्रिक नीति जुले संकेत का यही कथन है, 'वही कहो जो तुम करोगे और फिर वही करो जो तुमने कहा।' आरबीआई को अवश्य ही अपने मुद्रास्फीतिक लक्ष्य के वादे पर खरा उतरना चाहिए और उचित रूप से बनाई संवाद रणनीति के जरिए इस पर अमल करना चाहिए।
भारतीय अर्थव्यवस्था के मिले जुले संकेत
अब से कुछ दिनों में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी अनुमान जारी किए जाएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने सबसे हालिया अपडेट में तिमाही के लिए 16.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। पूरे वर्ष के लिए, यह उम्मीद करता है कि अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 7.4 प्रतिशत के हालिया पूर्वानुमान से मामूली कम है। इन अनुमानों का अर्थ है कि इन अशांत वर्षों के दौरान, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा। लेकिन, हेडलाइन नंबरों से परे, अर्थव्यवस्था में कई विरोधाभासी आवेग हैं।
पहला, जबकि अर्थव्यवस्था ने अपने पूर्व-महामारी के स्तर को पार कर लिया है, श्रम बाजार, विशेष रूप से अनौपचारिक खंड, संकट में फंस गया है। मनरेगा के तहत परिवारों द्वारा मांगे गए काम के आंकड़ों से निरंतर तनाव का स्पष्ट संकेत मिलता है। इस साल (अप्रैल-जुलाई) में अब तक हर महीने काम की मांग करने वाले परिवारों की संख्या महामारी पूर्व अवधि में समान अवधि में काम की मांग करने वालों की तुलना में काफी अधिक रही है।
मनरेगा के तहत काम की यह बढ़ी हुई मांग अधिक लाभकारी रोजगार के अवसरों की निरंतर अनुपस्थिति को इंगित करती है और अर्थव्यवस्था के औपचारिक और अनौपचारिक भागों के बीच निरंतर विचलन की ओर इशारा करती है। क्योंकि यदि दोनों समान गति से बढ़ रहे होते तो दोनों क्षेत्रों में श्रम बाजार का संकट एक समान दर से कम हो जाता। इसके अलावा, ये विचलन प्रवृत्तियां बढ़ती उत्पादकता/उत्पादन की बढ़ती पूंजी तीव्रता को भी इंगित करती हैं, जो औपचारिक क्षेत्र में बड़ी फर्मों के बीच होने की अधिक संभावना है। एक स्पष्ट परिणाम सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार की फर्मों का निरंतर संघर्ष है जो बताता है कि श्रम बाजार का तनाव तुरंत कम होने की संभावना नहीं है।
दूसरा, अनौपचारिक श्रम बाजार में यह निरंतर सुस्ती इस खंड में कम वेतन वृद्धि को दर्शाती है, भले ही औपचारिक खंड में मजदूरी स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर श्रम बाजार के कड़े होने के संकेत हैं। ग्रामीण मजदूरी के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक साल में, तीन प्रमुख व्यवसाय श्रेणियों - सामान्य कृषि मजदूरों, निर्माण श्रमिकों और गैर-कृषि मजदूरों में मजदूरी वृद्धि खुदरा मुद्रास्फीति से कम रही है। इससे परिवारों की वास्तविक क्रय शक्ति का ह्रास होता है। कई फर्मों ने अपनी तिमाही आय में इस प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हुए बिक्री की मात्रा में गिरावट की ओर इशारा किया है।
जुले संकेत
नई दिल्ली: सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन मंगलवार को भी शेयर बाजार की शुरुआत खराब रही और दोनों इंडेक्स लाल निशान पर खुले। हालांकि ग्लोबल बाजारों से भारी गिरावट के साथ संकेत मिले थे लेकिन उस लिहाज से भारतीय शेयर बाजार उतनी मात्रा में नहीं टूटे लेकिन हफ्ते के लगातार दूसरे दिन शेयर बाजारों ने कमजोरी के साथ ही शुरुआत की है। सेंसेक्स में 125.42अंक यानी कि 0.24फीसदी की गिरावट देखने को मिली और बाजार 52721.28के लेवल पर ट्रेड कर रहा है। इसके अलावा निफ्टी 30.20अंक यानी कि 0.19फीसदी की गिरावट के साथ 15744.20के लेवल पर खुला है।
आज के ट्रेडिंग सेशन में 1391शेयरों में खरीदारी देखने को मिल रही है और 994शेयरों में बिकवाली का दौर देखने को मिला। इसके अलावा 105शेयरों में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला है। साथ ही आज निफ्टी के टाप गेनर की लिस्ट में अदानी पोर्ट्स, अपोलो अस्पताल, अल्ट्रा सीमेंट, एनटीपीसी, जेडब्ल्यूएस स्टील, गार्सिम, टाटा स्टील, एम एंड एम, डिविज लैब, पावर ग्रिग, विप्रो, कोल इंडिया, श्री सीमेंट, टाटा मोटर्स, भारत एयरटेल, आईटीसी रहे।वहीं निफ्टी के टाप लूजर्स कि लिस्ट में एशियन पेंट, एचडीएफसी लाइफ, ओएनजीसी, रिलायंस, बीपीसीएल, मारुति, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, हिंदुस्तान यूनिलवीआर रहे।
शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव इस साल के शुरू से ही बना हुआ है। महंगाई, रेट हाइक साइकिल, जियो पॉलिटिकल टेंशन, क्रूड की ऊंची कीमतें, सप्लाई चेन में रुकावट, बॉन्ड यील्ड में तेजी, रुपये में कमजोरी जैसे फैक्टर शेयर बाजार को कमजोर कर रहे हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि इक्विटी के लिए जो भी निगेटिव फैक्टर हैं, अचानक से खत्म होते नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में नियर टर्म में भी बाजार में करेक्शन दिखेगा।
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि इक्विटी पर अभी सेलिंग प्रेशर नियर टर्म में जारी रहेगा। वहीं दूसरी ओर कमोडिटी के सपोर्ट में कुछ फैक्टर काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में बुलियन और एग्री कमोडिटी का आउटलुक मजबूत नजर आ रहा है। उनका कहना है कि पैनडेमिक के बाद डिमांड में अचानक तेजी, जियो पॉलिटिकल टेंशन, दुनियाभर में मौसम की प्रतिकूल कंडीशन, महंगाई, लॉजिस्टिक सर्विसेज में दिक्कतें, प्रोडक्शन घटने और सप्लाई प्रभावित होने से कमोडिटी की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है।
उनका कहना है कि जिस तरह से एग्री कमोडिटी के प्रमुख उत्पादक देशों का अभी फोकस इंपोर्ट जुले संकेत बढ़ाने और एक्सपोर्ट कम करने या बंद करने पर है, इससे साफ है कि सप्लाई से ज्यादा डिमांड है। वहीं दुनियाभर के जुले संकेत जुले संकेत मौसम की कंडीशन देखें तो यह कमोडिटी को सपोर्ट करने वाला है। मसलन यूएस में सूखे की स्थिति रही है, जिससे सीजनल प्रोडक्शन पर असर होगा। वहीं रूस और यूक्रेन जंग के चलते कुछ एग्री कमोडिटी का प्रोडक्शन और सप्लाई दोनों ही प्रभावित हुआ है।