सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक

जीडीपी से एक तय अवधि में देश के आर्थिक विकास और ग्रोथ का पता चलता है। निम्न-आय या मध्यम-आय वाले देशों के लिए, जनसंख्या की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए साल-दर-साल उच्च वृद्धि दर आवश्यक है। इसलिए, भारत की जीडीपी विकास दर हमारे आर्थिक विकास और प्रगति का एक अनिवार्य संकेतक है। अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को मापने और नीतियों को तैयार करने में सरकार की मदद करने के अलावा, निवेश से संबंधित बेहतर निर्णय लेने में निवेशकों के लिए जीडीपी विकास दर संख्या भी उपयोगी है।
महासागरीय जल के तापमान को कौन कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसमुद्र के पानी के तापमान का मुख्य स्रोत सूर्य है। सूर्य के अलावा, कुछ तापमान पृथ्वी के आंतरिक दबाव और समुद्र तल के नीचे पानी की दबाव प्रक्रिया से भी प्रभावित होते हैं, लेकिन यह मात्रा नगण्य है।
इसे सुनेंरोकेंस्थान का अक्षांश: निचले अक्षांशों में उच्च अक्षांशों की तुलना में सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक उच्च तापमान होता है। स्थान की ऊंचाई: कम ऊंचाई पर तापमान की तुलना में अधिक ऊंचाई पर तापमान कम होता है। समुद्र से दूरी: एक ही अक्षांश और ऊंचाई पर अंतर्देशीय स्थानों की तुलना में तटीय स्थान गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म होते हैं।
तापमान को सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?
तापमान को प्रभावित करने वाले कारक – Factors affecting Temperature
- ऊँचाई (Altitude)
- जल और स्थल का वितरण (Distribution of land and water)
- बहने वाले पवन (Prevailing winds)
आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास क्या है, विशेषताएं, कारक ( Economic growth and economic development in hindi upsc)
अर्थव्यवस्था में आर्थिक संवृद्धि से अभिप्राय आर्थिक विकास (economic development) से है! आर्थिक संवृद्धि को ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें किसी देश की वास्तविक आय और प्रति व्यक्ति आय में दीर्घ अवधि तक वृद्धि होती है! वृद्धि, वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि के रूप में होनी चाहिए, केवल विद्यमान वस्तुओं की बाजार कीमत में नहीं!
कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार आर्थिक संवृद्धि एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद लगातार दीर्घकल तक बढ़ता रहता है! इस संदर्भ में सकल राष्ट्रीय उत्पाद और सकल घरेलू उत्पाद में अंतर ध्यान रखना जरूरी है! इसलिए सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की बात करना अधिक तर्कसंगत है! राष्ट्रीय आय में अल्पकालीन, मौसमी या अस्थाई वृद्धि को आर्थिक संवृद्धि नहीं माना जाना चाहिए!
आर्थिक विकास क्या है (What is economic development in hindi) –
आर्थिक विकास (economic development) की धारणा आर्थिक संवृद्धि की धारणा से अधिक व्यापक है! आर्थिक विकास सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, गुणात्मक एवं परिणामात्मक सभी परिवर्तनों से संबंधित है! आर्थिक विकास तभी कहा जाएगा जब जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो!
आर्थिक विकास की माप में अनेक चर सम्मिलित किए जाते हैं, जैसे – आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक संस्थानों के स्वरूप में परिवर्तन, शिक्षा तथा साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास्थ्य सेवाएं प्रति व्यक्ति उपभोग वस्तुएं! अत: आर्थिक विकास मानव विकास ही है! आर्थिक विकास मात्रात्मक और गुणात्मक प्रगति है!
आर्थिक विकास की विशेषताएं (economic growth ki visheshta)-
(1) आर्थिक विकास एक सतत प्रक्रिया है!
(2) आर्थिक विकास में वास्तविक राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है! यह वृद्धि निरंतर ग्रह काल तक चलती रहती है!
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े कहाँ से लिए जाते हैं ?
सकल घरेलू उत्पाद की गणना के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से डेटा लिया जाता है जिसमें कृषि , खनन और उत्खनन, उत्पादन , बिजली और गैस की आपूर्ति, निर्माण, व्यापार, होटल, परिवहन और संचार, अचल संपत्ति और बीमा, और व्यावसायिक सेवाएं और समुदाय, सामाजिक और सार्वजनिक सेवाएं आदि शामिल हैं।
व्यय-आधारित जीडीपी की गणना के लिए, अंतिम वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए सभी खर्चों को जोड़ा जाता है जिसमें उपभोक्ता खर्च, सरकारी खर्च, व्यावसायिक निवेश खर्च और शुद्ध निर्यात शामिल हैं।
सरकार हर दो महीने में त्रैमासिक जीडीपी संख्या जारी करती है, और पूरे वर्ष के लिए अंतिम संख्या 31 मई को जारी की जाती है।
मुख्यतः सकल घरेलू उत्पाद (GDP ) को इन तीन तरीकों से मापा जाता है -
- आउटपुट विधि: यह देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक या बाजार मूल्य को मापता है। मूल्य स्तर में परिवर्तन के कारण जीडीपी के विकृत माप से बचने के लिए, स्थिर कीमतों पर जीडीपी की गणना सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक वास्तविक जीडीपी की जाती है। सकल घरेलू उत्पाद (उत्पादन पद्धति के अनुसार) = वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (स्थिर कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद) - कर + सब्सिडी।
- व्यय विधि: यह किसी देश की घरेलू सीमाओं के भीतर वस्तुओं और सेवाओं पर सभी संस्थाओं द्वारा किए गए कुल व्यय को मापता है। जीडीपी (व्यय पद्धति के अनुसार) = सी + आई + जी + (एक्स-आईएम) सी: उपभोग व्यय, आई: निवेश सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक व्यय, जी: सरकारी खर्च और (एक्स-आईएम): निर्यात घटा आयात, यानी शुद्ध निर्यात।
- आय विधि: यह किसी देश की घरेलू सीमाओं के भीतर उत्पादन के कारकों, यानी श्रम और पूंजी द्वारा अर्जित कुल आय को मापता है। सकल घरेलू उत्पाद (आय पद्धति के अनुसार) = कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद + कर - सब्सिडी।
वर्ल्ड बैंक के अनुसार मौजूदा समय में भारत की GDP रैंकिंग कितनी हैं?
वर्ल्ड बैंक के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वैश्विक रैंकिंग में भारतीय अर्थव्यवस्था फिसलकर सातवें नंबर पर आ गई है। वित्त मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में 203.51 लाख करोड़ रुपये के पहले संशोधित अनुमान के मुकाबले 2020-21 में मौजूदा कीमतों पर जीडीपी 197.46 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2019-20 में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में -3.0 प्रतिशत की गिरावट सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक देखी गयी है।
साल 2016-17 में जीडीपी 8.3 फ़ीसदी से बढ़ी थी। इसके बाद 2017-18 में ग्रोथ सात फ़ीसदी रही। 2018-19 में यह 6.1 फ़ीसदी और 2019-20 में यह गिरकर 4.2 फ़ीसदी पर आ गई।
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सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक
आज दुनिया के 191 देशों और क्षेत्रों के लिए मानव विकास सूचकांक जारी किया गया है जिसमें भारत को 132वें पायदान पर जगह दी गई है। इस इंडेक्स में भारत को कुल 0.633 अंक दिए गए हैं जो भारत को मध्यम मानव विकास वाले देशों की श्रेणी में रखता है। वहीं 2019 में भारत को कुल 0.645 अंक दिए गए थे । यह गिरावट स्पष्ट तौर पर दर्शाती है कि कोरोना महामारी ने देश में लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर को बुरी तरह प्रभावित किया है।
गौरतलब है कि सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के 90 फीसदी देशों ने इस बार जारी मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में कमी दर्ज की है। यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि दुनिया सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में एक बार फिर पिछड़ रही है।
आर्थिक संवृद्धि दर (Economic growth rate)
- निबल राष्ट्रीय उत्पाद में परिवर्तन सकल आय को प्रभावित करने वाले कारक की दर ‘आर्थिक संवृद्धि दर’ कहलाती है इसको राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर भी कहा जाता है |
आर्थिक संवृद्धि दर = गत वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष के एनएनपी में परिवर्तन वृद्धि या कमी / गत वर्ष का एनएनपी X 100
- भारत जैसे विकासशील देशों में आर्थिक संवृद्धि दर, आर्थिक विकास दर की तुलना में कम होती है |