टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है

Investment Tips: ये हैं बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले टेक्नोलॉजी सेक्टर के टॉप 5 फंड्स, एक साल में दिया शानदार रिटर्न
Investment Tips: टेक्नोलॉजी फंड्स पर विचार कर रहे निवेशकों को पिछले तीन वर्षों के दौरान फंड के प्रदर्शन पर कड़ी नजर रखनी चाहिए. टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री और उसके भविष्य के बाजार की गहन समझ की जरूरत है.
By: abp news | Updated at : 22 Nov 2021 06:13 PM (IST)
Investment Tips: भारत का टेक्नोलॉजी सेक्टर तेजी से विकसित हो रहा है, और यह देश के कॉर्पोरेट मानकों को नया आकार दे रहा है. भारत का वैश्विक सोर्सिंग बाजार 55% की हिस्सेदारी के साथ, तेजी से विस्तार कर रहा है. भारत 2016-17 में दुनिया का टॉप सोर्सिंग डेस्टिनेशन बना रहा.
टेक्नोलॉजी फंड में निवेश मुख्य रूप से विविधीकरण (diversification) उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए. धन निर्माण के लिए केवल इसी धन के भरोसे नहीं रहना चाहिए. टेक्नोलॉजी फंड्स (technology funds) पर विचार कर रहे निवेशकों को पिछले तीन वर्षों के दौरान फंड के प्रदर्शन पर कड़ी नजर रखनी चाहिए. टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री और उसके भविष्य के बाजार की गहन समझ की जरूरत है. विचार करने के लिए यहां हम शानदार प्रदर्शन करने वाले आईटी क्षेत्र के कुछ फंड्स के बारे में बता रहे हैं: -
ICICI Prudential Technology Direct Plan
- यह एक मीडियम साइज फंड है, जिसमें प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) 6,887 करोड़ है.
- फंड का व्यय अनुपात 79 प्रतिशत है, जो कि अधिकांश अन्य क्षेत्रीय-प्रौद्योगिकी फंडों द्वारा लगाए गए व्यय अनुपात से कम है.
- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल टेक्नोलॉजी डायरेक्ट प्लान-ग्रोथ पर पिछले एक साल का रिटर्न 03 फीसदी है.
- इसने अपनी स्थापना के बाद से प्रति वर्ष औसतन 25 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
- इंफोसिस लिमिटेड, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड, एचसीएल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, टेक महिंद्रा लिमिटेड और पर्सिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड फंड की टॉप 5 होल्डिंग्स हैं.
Tata Digital India Fund
News Reels
- टाटा डिजिटल इंडिया फंड डायरेक्ट-ग्रोथ के पास प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) में 3,842 करोड़ रुपये है.
- यह अपनी श्रेणी में एक मध्यम आकार का फंड है.
- फंड का व्यय अनुपात 0.43 प्रतिशत है, जो कि अधिकांश अन्य क्षेत्रीय-प्रौद्योगिकी फंडों द्वारा लगाए गए व्यय अनुपात से कम है.
- टाटा डिजिटल इंडिया फंड डायरेक्ट-ग्रोथ का 1 साल का रिटर्न 93.80 फीसदी है.
- इसने अपनी स्थापना के बाद से प्रति वर्ष औसतन 27.89 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
- फंड की शीर्ष 5 होल्डिंग्स इंफोसिस लिमिटेड, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड, टेक महिंद्रा लिमिटेड, एचसीएल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड में हैं.
Aditya Birla Digital India Fund
- आदित्य बिड़ला सन लाइफ डिजिटल इंडिया फंड डायरेक्ट-ग्रोथ के पास 2,658 करोड़ की प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) है, जो इसे अपनी श्रेणी में एक मध्यम आकार का फंड बनाती है.
- फंड का व्यय अनुपात 1.02 प्रतिशत है, जो कि अधिकांश अन्य क्षेत्रीय-प्रौद्योगिकी फंडों द्वारा लगाए गए व्यय अनुपात के बराबर है.
- आदित्य बिड़ला सन लाइफ डिजिटल इंडिया फंड डायरेक्ट-ग्रोथ गेन पिछले साल के दौरान 82.34 फीसदी रहा है.
- इसने अपनी स्थापना के बाद से प्रति वर्ष औसतन 26.78 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
- इंफोसिस लिमिटेड, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड, टेक महिंद्रा लिमिटेड, एचसीएल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और भारती एयरटेल लिमिटेड फंड की शीर्ष पांच होल्डिंग्स हैं.
SBI Technology Opportunities Fund
- SBI टेक्नोलॉजी अपॉर्चुनिटीज फंड-ग्रोथ के पास 1,891 करोड़ की प्रबंधन (AUM) के तहत संपत्ति है, जो इसे अपनी श्रेणी में एक मध्यम आकार का फंड बनाती है.
- फंड का व्यय अनुपात 2.27 प्रतिशत है, जो कि अधिकांश अन्य क्षेत्रीय-प्रौद्योगिकी फंडों की तुलना में अधिक है.
- एसबीआई टेक्नोलॉजी अपॉर्चुनिटीज फंड का 1 साल का ग्रोथ रिटर्न 80.20 फीसदी है.
- इसकी स्थापना के बाद से इसका औसत वार्षिक रिटर्न 16.61 प्रतिशत रहा है.
- इंफोसिस लिमिटेड, अल्फाबेट इंक क्लास ए, एचसीएल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, टेक महिंद्रा लिमिटेड और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड फंड की शीर्ष पांच होल्डिंग्स हैं.
Franklin India Technology Fund
- फ्रैंकलिन इंडिया टेक्नोलॉजी फंड डायरेक्ट-ग्रोथ अपनी श्रेणी में एक मध्यम आकार का फंड है, जिसमें प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) 721 करोड़ है.
- फंड का व्यय अनुपात 1.47 प्रतिशत है, जो कि अधिकांश अन्य क्षेत्रीय-प्रौद्योगिकी फंडों की तुलना में अधिक है.
- फ्रैंकलिन इंडिया टेक्नोलॉजी फंड डायरेक्ट की 1 साल की विकास दर 55.86 प्रतिशत है.
- इसने अपनी स्थापना के बाद से प्रति वर्ष औसतन 23.05 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
- इंफोसिस लिमिटेड, टीसीएस लिमिटेड और एचसीएल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड फंड के शीर्ष पांच पदों में से हैं.
(यहां ABP News द्वारा किसी भी फंड में निवेश की टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है सलाह नहीं दी जा रही है. यहां दी गई जानकारी का सिर्फ़ सूचित करने का उद्देश्य है. म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से पढ़ें. योजनाओं की NAV, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव सहित सिक्योरिटी बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारकों व शक्तियों के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकती है. किसी म्यूचुअल फंड का पूर्व प्रदर्शन, आवश्यक रूप से योजनाओं के भविष्य के प्रदर्शन का परिचायक नहीं हो सकता है. म्यूचुअल फंड, किन्हीं भी योजनाओं के अंतर्गत किसी लाभांश की गारंटी या आश्वासन नहीं देता है और वह वितरण योग्य अधिशेष की उपलब्धता और पर्याप्तता से विषयित है. निवेशकों से सावधानी के साथ विवरण पत्रिका (प्रॉस्पेक्टस) की समीक्षा करने और विशिष्ट विधिक, कर तथा योजना में निवेश/प्रतिभागिता के वित्तीय निहितार्थ के बारे में विशेषज्ञ पेशेवर सलाह को हासिल करने का अनुरोध है.)
यह भी पढ़ें:
Published at : 22 Nov 2021 06:12 PM (IST) Tags: Mutual Funds Investments Technology Funds हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
यह सुस्ती कैसे दूर होगी
इन दिनों देश के आर्थिक एवं वित्तीय परिदृश्य से संबंधित प्रकाशित हो रही रिपोर्ट्स के मद्देनजर देश और टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है दुनिया के अर्थशास्त्री यह कहते दिखाई दे रहे हैं कि भारत के समक्ष अपनी आर्थिक चाल सुधारने और विकास दर को बढ़ाने की चुनौती है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की रेटिंग बीबीबी ऋणात्मक पर अपरिवर्तित रखी है। कमजोर वित्तीय स्थिति तथा कठिन कारोबारी माहौल को देखते हुए एजेंसी ने सरकारी रेटिंग को अपरिवर्तित रखा है। विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर को 7.6 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है। विश्व बैंक ने नोटबंदी को एक कारक माना है और निवेश माहौल सुधरने में अधिक समय लगने का हवाला देते हुए जीडीपी का अनुमान घटाया है। हालांकि उसने यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और इस साल जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद इसमें और मजबूती आएगी।
हाल ही में जारी किए गए केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के आंकड़ों में चौथी तिमाही में विकास दर 6.1 फीसदी आंकी गई और पूरे वर्ष के लिए इसके 7.1 फीसदी रहने का अनुमान है। दरअसल पिछले वर्ष आठ नवंबर को एक हजार रुपये और पांच सौ रुपये के पुराने नोटों को विमुद्रीकृत करने से बाजार में मांग में जो गिरावट आई उसका सर्वाधिक असर जनवरी से मार्च के बीच की तिमाही में पड़ा था। इसी वजह से भारत तेज रफ्तार वाली अर्थव्यवस्था भी नहीं रहा।
इसमें दो मत नहीं कि वर्ष 2016-17 की शुरुआत से ही वैश्विक सुस्ती से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो गया था। लेकिन नवंबर, 2016 से मार्च 2017 के बीच तीन बड़ी आर्थिक चुनौतियों ने अर्थव्यवस्था को अधिक प्रभावित किया है। ये हैं, रोजगार, निर्यात और उद्योग-कारोबार में निजी निवेश की भारी कमी। हाल ही में विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजगार पैदा करने की सीमित क्षमता का परिदृश्य भारत के लिए गंभीर चुनौती है। देश में रोजगार नहीं बढ़ने के कई कारण रहे हैं। सेवा क्षेत्र के तहत कई क्षेत्रों में नौकरियों की बढ़ोतरी का अनुपात समान नहीं रहा है। कई सेवाओं और आईटी सेक्टर में टेक्नोलॉजी, ऑटोमेशन के कारण रोजगार घटे हैं।
विनिर्माण और कृषि जैसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्र पर्याप्त रोजगार पैदा नहीं कर सके हैं। जहां तक निर्यात क्षेत्र की बात है, तो वर्ष 2014-15 में 310 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था, जोकि घटकर पिछले वर्ष 269 अरब डॉलर रह गया। निर्यात क्षेत्र की चुनौती इसलिए और बढ़ेगी क्योंकि विश्व व्यापार संगठन के नियमों के मुताबिक वर्ष 2018 तक भारत को निर्यात की सब्सिडी देना बंद करना होगा।
निश्चित रूप से जीएसटी को पारित करवाना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है। जीएसटी के कारण देश में टैक्स व्यवस्था सकल हो जाएगी। देश में बैंकिंग तंत्र में करीब सात लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज (एनपीए) के मद्देनजर बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन का अध्यादेश भी इस सरकार की उपलब्धि है।
पिछले वर्ष प्रत्यक्ष विदेश निवेश के मामले में भी अच्छी स्थिति दिखाई दी। हाल ही में प्रकाशित अंकटाड की रिपोर्ट बताती है कि एफडीआई के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। इस सबके बावजूद विकास दर की सुस्ती सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे परिदृश्य में क्या रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करेगा ताकि निवेश में सुधार हो?
इन दिनों देश के आर्थिक एवं वित्तीय परिदृश्य से संबंधित प्रकाशित हो रही रिपोर्ट्स के मद्देनजर देश और दुनिया के अर्थशास्त्री यह कहते दिखाई दे रहे हैं कि भारत के समक्ष अपनी आर्थिक चाल सुधारने और विकास दर को बढ़ाने की चुनौती है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की रेटिंग बीबीबी ऋणात्मक पर अपरिवर्तित रखी है। कमजोर वित्तीय स्थिति तथा कठिन कारोबारी माहौल को देखते हुए एजेंसी ने सरकारी रेटिंग को अपरिवर्तित रखा है। विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर को 7.6 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है। विश्व बैंक ने नोटबंदी को एक कारक माना है और निवेश माहौल सुधरने में अधिक समय लगने का हवाला देते हुए जीडीपी का अनुमान घटाया है। हालांकि उसने यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और इस साल जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद इसमें और मजबूती आएगी।
हाल ही में जारी किए गए केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के आंकड़ों में चौथी तिमाही में विकास दर 6.1 फीसदी आंकी गई और पूरे वर्ष के लिए इसके 7.1 फीसदी रहने का अनुमान है। दरअसल पिछले वर्ष आठ नवंबर को एक हजार रुपये और पांच सौ रुपये के पुराने नोटों को विमुद्रीकृत करने से बाजार में मांग में जो गिरावट आई उसका सर्वाधिक असर जनवरी से मार्च के बीच की तिमाही में पड़ा था। इसी वजह से भारत तेज रफ्तार वाली अर्थव्यवस्था भी नहीं रहा।
इसमें दो मत नहीं कि वर्ष 2016-17 की शुरुआत से ही वैश्विक सुस्ती से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो गया था। लेकिन नवंबर, 2016 से मार्च 2017 के बीच तीन बड़ी आर्थिक चुनौतियों ने अर्थव्यवस्था को अधिक प्रभावित किया है। ये हैं, रोजगार, निर्यात और उद्योग-कारोबार में निजी निवेश की भारी कमी। हाल ही में विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजगार पैदा करने की सीमित क्षमता का परिदृश्य भारत के लिए गंभीर चुनौती है। देश में रोजगार नहीं बढ़ने के कई कारण रहे हैं। सेवा क्षेत्र के तहत कई क्षेत्रों में नौकरियों की बढ़ोतरी का अनुपात समान नहीं रहा है। कई सेवाओं और आईटी सेक्टर में टेक्नोलॉजी, ऑटोमेशन के कारण रोजगार घटे हैं।
विनिर्माण और कृषि जैसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्र पर्याप्त रोजगार पैदा नहीं कर सके हैं। जहां तक निर्यात क्षेत्र की बात है, तो वर्ष 2014-15 में 310 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था, जोकि घटकर पिछले वर्ष 269 अरब डॉलर रह गया। निर्यात क्षेत्र की चुनौती इसलिए और बढ़ेगी क्योंकि विश्व व्यापार संगठन के नियमों के मुताबिक वर्ष 2018 तक भारत को निर्यात की सब्सिडी देना बंद करना होगा।
निश्चित रूप से जीएसटी को पारित करवाना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है। जीएसटी के कारण देश में टैक्स व्यवस्था सकल हो जाएगी। देश में बैंकिंग तंत्र में करीब सात लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज (एनपीए) के मद्देनजर बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन का अध्यादेश भी इस सरकार की उपलब्धि है।
पिछले वर्ष प्रत्यक्ष विदेश निवेश के मामले में भी अच्छी स्थिति दिखाई दी। हाल ही में प्रकाशित अंकटाड की रिपोर्ट बताती है कि एफडीआई के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। इस सबके बावजूद विकास दर की सुस्ती सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे परिदृश्य में क्या रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करेगा ताकि निवेश में सुधार हो?
जमशेदपुर : XLRI में लेक्चर सेशन में डेलॉइट कंसल्टिंग इंडिया के एमडी विशाल शर्मा हुए शामिल
आर्टिशिफियल इंटेलीजेंस व मशीन लर्निंग की डिमांड नहीं होगी कम.
Jamshedpur (Ranjit Kumar Sharma) : एक्सएलआरआइ में एक लेक्चर सेशन का आयोजन किया गया. जिसमें रिसोर्स पर्सन के रूप में डेलॉइट कंसल्टिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी विशाल शर्मा उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत शिल्पिता पाणिग्रही ने उद्घाटन भाषण से हुई. इस दौरान विशाल शर्मा ने सभी को संबोधित करते हुए एमबीए करने के बाद डेलॉयट में अपने सफर के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि किस प्रकार दैनिक जीवन में कंसल्टिंग व टेक्नोलॉजी ने लाइफ स्टाइल को आसान बना दिया है.
कंसल्टिंग एक बेहतर करियर के रूप में उभर कर सामने आया
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि समय के साथ कैसे कंसल्टिंग एक बेहतर करियर के रूप में उभर कर सामने आया. उन्होंने कोविड -19 अवधि के उदाहरणों का हवाला दिया, कि कैसे टेक्नोलॉजी ने कंसल्टिंग और आईटी फर्मों को हेल्थ सर्विस उपलब्ध करवाने में ग्रामीण क्षेत्रों में भी मदद की. करोड़ों लोगों की जानें इससे बचायी जा सकी. कहा कि टेक्नोलॉजी की मदद से देश के सभी हिस्सों में टीकों का वितरण किया जा सका. कहा कि अब टेक्नोलॉजी एक बड़ा बाजार बन कर उभरा है जो कई मायने में पुराने बाजारों को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है. इस दौरान इ मार्केटिंग सेक्टर का भी उदाहरण प्रस्तुत किया गया कि कैसे दुकानों से सामान खरीदने के बजाय यूथ इ शॉपिंग को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
लगातार को पढ़ने और बेहतर अनुभव के लिए डाउनलोड करें एंड्रॉयड ऐप। ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करे
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व मशीन लर्निंग की डिमांड नहीं होगी कम
शर्मा ने बताया कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एआइ (आर्टिशिफियल इंटेलीजेंस) व एमएल (मशीन लर्निंग) की डिमांड कभी कम नहीं होने वाली है. इसके बाद विशाल शर्मा ने ईएसजी के बारे में बताया और बताया कि कैसे हर फर्म ईएसजी के साथ अपनी रणनीतियों को संरेखित कर रही है. उन्होंने फर्म में शीर्ष नेतृत्व की भूमिका के साथ विविधता, समानता और समावेश के बारे में भी चर्चा की. इस दौरान कई विद्यार्थियों ने उनसे सवाल भी पूछे जिसका उन्होंने बखूबी जवाब दिया.
जीईएस, संभावनाओं से भरा एक शिखर सम्मेलन Reading Time : 7 minutes -->
एक युवा महिला के नजरिए से जो आने वाले दिनों में बदलाव निर्माता बनने की इच्छुक है, ग्लोबल उद्यमिता शिखर सम्मेलन 2017 में और अधिक का सपना देखा गया । इन्हीं सपनों पर आधारित या कहें केंद्रित तीन दिवसीय आयोजन हैदराबाद में आयोजित किया गया था। भारत की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली शुरुआती शहर में प्रमुख वैश्विक उद्यमी, निवेशकों, शिक्षकों और सरकारी अधिकारियों सहित 1500 से अधिक उपस्थित लोगों को एक साथ..एक मंच पर लाया गया। इस घटना ने भारत की उद्यमी भावना को उजागर किया है। इस घटना ने भारत की उद्यमी भावना को उजागर करने के साथ साथ , कार्यशालाओं, सलाह सत्र और उद्योग के कप्तानों के माध्यम से बेहतर वातावरण और प्रतिभाशाली कार्यबल देखने को मिला।
हाल ही में एक व्यवसायी स्नातक जो अक्सर टीवी वादों से प्रभावित होता है ने कहा कि इस घटना ने पूरी तरह से मेरी विश्वदृष्टि बदल दी और अपने भविष्य के लिए और मेरे देश के भविष्य के लिए आशा, सकारात्मकता और आदर्शवाद के साथ मुझे भर दिया। वैश्विक उद्यमियों के साथ बातचीत करते हुए जिन्होंने अपने नए विचारों के साथ पारंपरिक बाजार को बाधित किया है और करोड़ों लोगों के जीवन को बदल दिया है, ने भारत की संभावनाओं की सीमाओं के लिए भी अपनी आँखें खोली हैं। इस शिखर सम्मेलन में मुख्य रूप से 4 प्रमुख क्षेत्रों – मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, हेल्थकेयर व लाइफ साइंसेज, एनर्जी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर एंड फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी और डिजिटल इकोनॉमी पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय ही ‘ वुमेन फर्स्ट, प्रास्पेरटी फॉर ऑल’ था।
28 नवंबर को प्रधान मंत्री मोदी और सुश्री इवांका ट्रम्प के भाषणों के साथ पर्दा उठ गया था, दोनों ने बताया कि देश के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा इन दोनों ने ऐसी कुछ महिला उद्यमियों की भी सराहना की जिन्होंने समाज के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया था| शिखर सम्मेलन की शुरूआत ‘बी द चेंज: वुमेन्स एंटरप्रेन्योरियल लीडरशिप’ से हुई। उद्यमी जो महिलाओं के लिए उत्कृष्ट सलाहकार के रूप में उभरे हैं के साथ एक ब्रेकआउट सत्र ‘जब महिला जीतेगी तो हम सब भी जीतेंगे के साथ संपन्न हुए हुई। महिला उद्यमी के लिए समावेशी वातावरण को बढ़ावा देना कुल मिलकार इसका अहम मकसद था। ‘श्री अमिताभ कांत ने कहा कि मुझे यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ है कि शिखर सम्मेलन के इतिहास में पहली बार महिला उद्यमियों की संख्या पुरुषों की संख्या में अधिक है| लगभग हर एक कार्यशाला में कम से कम एक महिला वक्ता थे और टेक्नोलॉजी ने बाजार को कैसे प्रभावित किया है कई इंटरैक्टिव सत्रों ने महिलाओं के लिए चुनौतियों और अवसरों पर रोशनी दिया गया . उन्होंने कहा कि मैं वास्तव में हमेशा कृत्रिम बुद्धिमता में रुचि रखता हूं। दुनिया को बदलना है जैसा कि हम जानते हैं, इसलिए ब्रेकआऊट ‘भविष्य को जानना: कैसे कृत्रिम इंटेलिजेंस कल आकार देगा? कई योजनाएं पाइप लाइन में हैं और इन नवाचारों ने मुझे एक अमूल्य अंतर्दृष्टि दी है और इस तकनीकी विकास से कैसे काम प्रभावित होगा यह मेरी कई चिंताओं का जवाब दिया है। सभी सत्र बहुत ही इंटरैक्टिव थे और उत्साही दर्शकों को हमेशा प्रासंगिक सवालों के साथ था। उपस्थित लोग सभी जानकार थे और कुल मिलाकर मेरे पास हर तरह की बातचीत से सीखने के लिए कुछ नया और आकर्षक था।
कई अहम कार्यक्रमों के बीच शिखर सम्मेलन में दिनों की शुरूआत मतौर पर मास्टरक्लास, नेटवर्किंग सत्र और विभिन्न कार्यक्रमों के साथ शुरू हुआ। हमारे विदेशी दोस्तों और गणमान्य व्यक्तियों के लिए वास्तुकला और भोजन की व्यवस्था थी| ऐतिहासिक स्थलों में शुमार फलकनुमा पैलेस और गोलकोंडा किला में रात्रिभोज के साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का बेहतर प्रस्तुतियां दी गई। कुल मिलाकर, मुझे यह देखने में प्रसन्नता हुई कि इन तीन दिनों के दौरान आयोजकों ने एक प्रेरक और उत्थान समुदाय का निर्माण किया जिसमें प्रत्येक व्यक्ति सहायता और एक दूसरे का समर्थन करने के लिए तैयार था। इसके अलावा, मेरा मानना है कि आगे बढ़ने वाली उद्यमशीलता में महिलाओं की भूमिका पर विचार-विमर्श, वास्तव में हमारी महत्वाकांक्षा के पीछे चलने वाली शक्ति होगी, जिससे भारत दुनिया के लिए नए केंद्र के रूप में तैयार होगी। मैं पहली बार दक्षिण एशिया में इस उल्लेखनीय घटना को सफलतापूर्वक आयोजन में सहयोग करने व व्यवस्थित करने के लिए आयोजकों और दोनों सरकारों को पूरे दिल से बधाई देता हूं।
डिस्कलेमर : इस लेख में व्यक्त विचार और राय लेखक के हैं और जरूरी नहीं है कि भारत सरकार की किसी भी एजेंसी की आधिकारिक नीति या स्थिति को ये प्रतिबिंबित करें