शीर्ष विदेशी मुद्रा दलाल

किसी देश की मुद्रा क्या है?

किसी देश की मुद्रा क्या है?
जैसा कि हमनें ऊपर बताया सभी बैंक नोट तथा सिक्के वैधानिक मुद्रा हैं, जिन्हें स्वीकार करना किसी व्यक्ति के लिए बाध्यकारी होता है। किन्तु सिक्कों की स्थिति में इसकी एक निश्चित सीमा तय की गई है, जो कि न्यूनतम 1 रुपये तथा अधिकतम 1000 रुपये है। दूसरे शब्दों में कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के भुगतान के रूप में 1,000 रुपयों से अधिक मूल्य के सिक्के लेने से इनकार कर सकता है।

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आइए एक किसी देश की मुद्रा क्या है? नजर डालते हैं कि क्या होगा यदि दुनिया के पेशेवरों और विपक्षों का मूल्यांकन करके एक मुद्रा हो। एकल विश्व मुद्रा के लाभ सभी के लिए स्पष्ट हैं;

जब आप एक मुद्रा का दूसरे के लिए आदान-प्रदान कर रहे होते हैं, तो मुद्रा विनिमय शुल्क हमेशा शामिल होते हैं। बैंक इस शुल्क को आपके हाथ में मुद्रा को किसी अन्य विदेशी मुद्रा में बदलने की सेवा करने के लिए चार्ज करते हैं, जिसकी आपको आवश्यकता होती है। यह शुल्क तब भी लिया जाता है जब आप विदेश में रह रहे अपने मित्र या करीबी रिश्तेदार को विदेशी मुद्रा भेजना चाहते हैं। एक विश्व मुद्रा इस समस्या का समाधान करेगी। दुनिया में कहीं भी यात्रा करें और आप उसी मुद्रा का उपयोग करने में सक्षम होंगे और इस प्रकार विनिमय शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।

धन का बेहतर उपयोग

जब हम इसे करने वाले देशों के पैमाने पर मुद्रा विनिमय पर विचार करते हैं, तो यह बिंदु बहुत स्पष्ट हो जाता है। जब देशों को मुद्रा बदलने के लिए मुद्रा विनिमय शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी तो वे पैसे की बचत करेंगे और अन्य क्षेत्रों में इसका बेहतर उपयोग करने में सक्षम हो सकते हैं। यूरोप का उदाहरण यहां सटीक बैठता है। यूरोपीय आयोग का अनुमान है कि यूरोपीय संघ में किसी देश की मुद्रा क्या है? यूरो को एकल मुद्रा के रूप में अपनाने के बाद, देशों द्वारा हर साल लगभग 13 से 20 बिलियन यूरो बचाए गए थे, जिन्हें उनके बीच व्यापार करने के लिए विनिमय शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं थी। यह हमें हमारे अगले बिंदु पर लाता है …

विभिन्न देशों के लिए अलग-अलग मुद्राएं और उनकी बदलती विनिमय दरें व्यापार के मुक्त प्रवाह में बाधा हैं। जब एक एकल विश्व मुद्रा लागू की जाती है तो यह देशों के बीच व्यापार और लेनदेन की मात्रा को बढ़ावा देगी। वस्तुओं के आयात और निर्यात में मूल्य पारदर्शिता होगी। जब 1992 में यूरोप का आर्थिक और मौद्रिक संघ बनाया गया और यूरो को सामान्य मुद्रा के रूप में अपनाया गया, तो यूरोपीय संघ के सदस्यों के बीच व्यापार में 8 से 16% की वृद्धि हुई!

एकल मुद्रा प्रणाली के नुकसान

यही कारण है कि हम पूरी दुनिया के लिए एक मुद्रा का उपयोग नहीं करते हैं

एक विश्व मुद्रा की स्थापना का मतलब एक केंद्रीय बैंक बनाना होगा जिसके पास मुद्राओं को प्रिंट करने और ब्याज दरें निर्धारित करने का एकमात्र अधिकार है।
अब आप इस बात से सहमत हो सकते हैं कि प्रत्येक देश में प्रचलित आर्थिक स्थितियाँ भिन्न और किसी देश की मुद्रा क्या है? अनूठी हैं। एक केंद्रीय बैंक को निष्पक्ष कार्य करना चाहिए और इसलिए एक क्षेत्र को दूसरे क्षेत्र के पक्ष में आर्थिक नीतियां नहीं बना सकता है। इसे दुनिया भर में समान ब्याज दरों के साथ एक समान आर्थिक नीति तैयार करनी चाहिए, चाहे अलग-अलग देशों की आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। हालाँकि, वैश्विक स्तर पर सभी देशों पर विचार करते समय यह व्यावहारिक नहीं है।

किसी देश की वित्तीय स्वायत्तता का नुकसान

एक एकल विश्व मुद्रा का मतलब होगा कि सरकारों को उन्हें लाभान्वित करने वाली आर्थिक नीतियों का मसौदा तैयार करने पर अपनी स्वायत्तता छोड़नी होगी। यह इतना अच्छा नहीं हो सकता है।

चीन के उदाहरण पर विचार करें। चीन एक ऐसा देश है जिसका निर्यात का आर्थिक मूल्य उसके आयात से अधिक है। इस प्रकार यह विदेशों में अपने निर्यात को आकर्षक बनाने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है। अवमूल्यन के बाद निर्यात आकर्षक क्यों हैं? क्योंकि अब उतनी ही मात्रा में विदेशी मुद्रा अधिक चीनी मुद्रा खरीद सकती है और इस प्रकार विदेशी 'सस्ता' चीनी सामान खरीदना पसंद करेंगे। चीन अपनी मुद्रा का अवमूल्यन कैसे करता है? अर्थव्यवस्था में इसकी मुद्रा आपूर्ति को बढ़ाकर। जब अर्थव्यवस्था में अधिक धन प्रवाहित होता है, तो प्रत्येक व्यक्तिगत कागजी मुद्रा का मूल्य घट जाता है जिससे उसका अवमूल्यन होता है। चीन मुद्रा आपूर्ति बढ़ाने के दो तरीके अपना सकता है। अधिक मुद्रा छापकर या ब्याज दरों में कमी करके। जब ब्याज दरों में कमी आती है, तो अधिक लोग खर्च करने के लिए बैंकों से पैसा उधार लेते हैं और अर्थव्यवस्था में अधिक समग्र मुद्रा प्रवाह होता है। इस प्रकार चीन अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए अपनी नीतियों को नियंत्रित कर सकता है। हालाँकि, यदि एक भी विश्व मुद्रा है, तो चीन इन आर्थिक नीतियों को लागू नहीं कर पाएगा और चरम स्थिति में, उनकी अर्थव्यवस्था भी गिर सकती है!

देश में विदेशी मुद्रा भंडार में इस हफ्ते फिर गिरावट जारी, जानिए क्या है गोल्ड रिजर्व का हाल

विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2022,
  • (Updated 21 मई 2022, 11:17 AM IST)

302 अरब डॉलर घटा FCA

देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) में एक बार फिर से गिरावट आई है. बीते हफ्ते यह 2.676 अरब डॉलर घटकर 593.279 अरब डॉलर रह गया. शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की ओर से जारी किए आंकड़ों में ये जानकारी दी गई है.

वहीं इससे पहले के सप्ताह में ये 1.774 अरब डॉलर घटकर 595.954 अरब डॉलर रह गया था. 29 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.695 अरब डॉलर घटकर 597.73 अरब डॉलर रह गया था.

आरबीआई के मई बुलेटिन में ‘स्टेट ऑफ इकोनॉमी’ पर प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, 6 मई को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 596 अरब डॉलर था, जो कि वर्ष 2022-23 के लगभग 10 महीने के प्रोजेक्टेड इंपोर्ट के बराबर था.

1.302 अरब डॉलर घटा FCA
आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 13 मई के खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई कमी की वजह से हुई, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. रिजर्व बैंक के मुताबिक रिपोर्टिंग वीक में भारत की एफसीए (FCA) 1.302 अरब डॉलर घटकर 529.554 अरब डॉलर हो गई. गौरतलब है कि डॉलर में बताई जाने वाली एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है.

मुद्रा तथा इसके विभिन्न प्रकार (Types of money in Hindi)

नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे अनेक क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। इस लेख के माध्यम से हम समझेंगे मुद्रा तथा इसके प्रकारों (Types of money in Hindi) के बारे में।

धन या मुद्रा किसी भी अर्थव्यवस्था का केंद्र होती है। मुद्रा का प्रयोग ऋण चुकाने अथवा अर्थव्यवस्था में विनिमय के साधन के रूप में किया जाता है, जिसके माध्यम से आप किसी भी वस्तु या सेवा को खरीद सकते हैं। मुद्रा के इतिहास की बात करें तो प्रचीन काल में वस्तुओं का प्रयोग विनिमय के साधन के रूप में किया जाता था, जिसमें किसी एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु का विनिमय होता था और यह व्यवस्था बार्टर सिस्टम कहलाती थी।

मुद्रा के प्रकार (Types of money in Hindi)

प्रकारों की बात करें तो मुद्रा अनेक प्रकार की होती है जिनमे से कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं।

  • वास्तविक मुद्रा
  • वैधानिक मुद्रा
  • साख या ऐच्छिक मुद्रा
  • सांकेतिक मुद्रा
  • प्रामाणिक मुद्रा
  • गर्म मुद्रा
  • प्लास्टिक मुद्रा

वास्तविक मुद्रा

यह मुद्रा का वह प्रकार है, जिसका प्रयोग दैनिक जीवन में लेन देन, किसी उत्पाद या सेवा की कीमत या कर्ज़ की मात्रा प्रकट करने के लिए किया जाता है। जैसे भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर, ब्रिटेन में पाउंड इत्यादि।

वैधानिक मुद्रा

ऐसी मुद्रा, जिसे सरकार द्वारा जारी किया जाता है वैधानिक मुद्रा कहलाती है, इसे स्वीकार करना प्रत्येक व्यक्ति की बाध्यता होती है दूसरे शब्दों में कोई ऋणदाता या व्यक्ति अपने भुगतान के लिए वैधानिक मुद्रा को लेने से इंकार नहीं कर सकता। वैधानिक मुद्रा को अस्वीकार करना दंडनीय अपराध होता है। भारत में सरकार तथा केंद्रीय बैंक द्वारा जारी सभी नोट एवं सिक्के वैधानिक मुद्रा है। किसी भी देश की मुद्रा वैधानिक मुद्रा ही होती है।

मुद्रा का प्रसार एवं मापन

मुद्रा का प्रसार एवं मापन :- किसी भी समय अर्थव्यवस्था में कुल मुद्रा को मापने के लिए केन्द्रीय बैंक कुछ मापक का प्रयोग करते हैं। भारत के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा 1977 में एक वर्क फोर्स का गठन किया गया, जिसके द्वारा बाजार में किसी समय पर कितनी मुद्रा उपलब्ध है, मापने के लिए 4 मापक तय किये गए जिन्हें M1, M2, किसी देश की मुद्रा क्या है? M3 एवं M4 नाम से जाना जाता है। मुद्रा के मापन को समझने से पहले अर्थव्यवस्था में तरलता शब्द को समझना आवश्यक है।

अर्थव्यवस्था में तरलता (Liquidity) – अर्थव्यवस्था में तरलता दो प्रकार से हो सकती है –

1. बाजार की तरलता – किसी भी समय अर्थव्यवस्था में उपलब्ध मुद्रा की कुल मात्रा को तरलता कहा जाता है। यदि तरलता अधिक है तो मुद्रास्फीति की स्थित उत्पन्न हो सकती हैं जबकि तरलता कम होने की स्थिति में अपस्फीति या मंदी आ सकती है।

मुद्रा का मापन

1. M1= CU (Coins and Currency) + DD (Demand and Deposit)

CU अर्थात लोगों के पास किसी देश की मुद्रा क्या है? उपलब्ध नगद (नोट एवं सिक्के), DD अर्थात व्यावसायिक बैंकों के पास कुल निवल जमा एवं रिजर्व बैंक के पास अन्य जमाये। निवल शब्द से बैंक के द्वारा रखी गयी लोगों की जमा का ही बोध होता है और इसलिए यह मुद्रा की पूर्ति में शामिल हैं। अंतर बैंक जमा, जो एक व्यावसायिक बैंक दूसरे व्यावसायिक बैंक में रखते हैं, को मुद्रा की पूर्ति के भाग के रूप में नहीं जाना जाता है।

2. M2= M1 + डाकघर बचत बैंकों की बचत जमांए

3. M3= M1 + बैंक की सावधि जमाये(FD)

4. M4= M3 + डाकघर बचत संस्थाओं में कुल जमा राशि (राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों को छोड़कर)

M1 से M4 की तरफ जाने पर मुद्रा की तरलता घटती है, परन्तु बाजार की तरलता बढ़ती जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा का मूल्य निर्धारण

1. बाजार द्वारा मुद्रा का मूल्य निर्धारण – अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में किसी देश की मुद्रा की मांग के आधार पर उसके मूल्य का निर्धारण किया जाता है। इसे प्रवाही विनिमय दर(Floating exchange rate) कहते हैं। प्रवाही इसलिए क्योंकि यह दर कम ज्यादा होते रहती है। किसी भी देश किसी देश की मुद्रा क्या है? की मुद्रा का मूल्य निरपेक्ष(अकेले) नहीं होता वो हमेशा दूसरी मुद्रा के सापेक्ष होता है, अर्थात एक देश की मुद्रा की दूसरे देश के मुद्रा के साथ तुलना की जाती है इसे विनिमय दर(Exchange rate) कहते हैं। जैसे 1$=74रू0

2. सरकार द्वारा मुद्रा का मूल्य निर्धारण – कभी-कभी सरकारें भी जानबूझकर अपने देश की मुद्रा का मूल्य कम या ज्यादा कर देती है। ऐसा उस देश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है –

मुद्रा के प्रकार (Types of money in Hindi)

प्रकारों की बात करें तो मुद्रा अनेक प्रकार की होती है जिनमे से कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं।

  • वास्तविक मुद्रा
  • वैधानिक मुद्रा
  • साख या ऐच्छिक मुद्रा
  • सांकेतिक मुद्रा
  • प्रामाणिक मुद्रा
  • गर्म मुद्रा
  • प्लास्टिक मुद्रा

वास्तविक मुद्रा

यह मुद्रा का वह प्रकार है, जिसका प्रयोग दैनिक जीवन में लेन देन, किसी उत्पाद या सेवा की कीमत या कर्ज़ की मात्रा प्रकट करने के लिए किया जाता है। जैसे भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर, ब्रिटेन में पाउंड इत्यादि।

वैधानिक मुद्रा

ऐसी मुद्रा, जिसे सरकार द्वारा जारी किया जाता है वैधानिक मुद्रा कहलाती है, इसे स्वीकार करना प्रत्येक व्यक्ति की बाध्यता होती है दूसरे शब्दों में कोई ऋणदाता या व्यक्ति अपने भुगतान के लिए वैधानिक मुद्रा को लेने से इंकार नहीं कर सकता। वैधानिक मुद्रा को अस्वीकार करना दंडनीय अपराध होता है। भारत में सरकार तथा केंद्रीय बैंक द्वारा जारी सभी नोट एवं सिक्के वैधानिक मुद्रा है। किसी भी देश की मुद्रा वैधानिक मुद्रा ही होती है।

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